नमस्कार मित्रों ! कैसे हैं आप सब ? अच्छे ही होंगे | मित्रों ! इस पृथ्वी पर हमेशा से ही बलवान व ताकतवर लोगों का ही दबदबा रहा हैं | इसलिए तो कहते हैं की ” Might Is Right “ | खैर सिर्फ पृथ्वी पर ही नहीं परंतु अंतरिक्ष में भी ताकतवर और शक्तिशाली ऊर्जाओं का ही वर्चस्व रहता हैं | आप ने इससे पहले ब्लैक होल के बार में तो अवश्य ही सुना होगा परंतु आज हम एक ऐसे ऊर्जा की बात करने जा रहें है जो की ब्लैक होल से भी बहुत खतरनाक और भयानक हैं | मित्रों ! आज हम ग्रेट एट्राक्टर (The Great Attractor Hindi ) के ऊपर बात करने जा रहा हूँ | यकीन मानिए इस से पहले आपने इस गुप्त ऊर्जा के बारे में शायद ही कहीं सुना होगा |
अकसर हम जिस आसमान को तारों से जगमगाते हुए रात में देखते हैं , उस आसमान ग्रेट एट्राक्टर नाम (great attractor astrology) का एक बल मौजूद है , जो की हमें प्रति पल अपनी और आकर्षित कर रहा हैं | सिर्फ हमारे ग्रह या सौर-मंडल को ही नहीं , परंतु हमारे पूरे आकाशगंगा को यह ऊर्जा अपनी तरफ आकर्षित करने का ताकत रखता हैं |
तो , चलिए सबसे पहले इस शक्ति की संज्ञा को जानते हुए इसके विषय में और बहुत सारे बातों को जानते हैं |
विषय - सूची
ग्रेट एट्राक्टर क्या हैं – What is Great Attractor In Hindi ? :-
आमतौर पर ग्रेट एट्राक्टर (Great Attractor Hindi ) एक गुरुत्वाकर्षण बल से बना हुआ विसंगति वाला क्षेत्र हैं , जो की Laniakea सुपरक्लस्टर के अंदर मौजूद हैं | मित्रों ! आपको मेँ यहाँ और भी बता दूँ की इसी सुपर क्लस्टर के अंदर हमारा आकाशगंगा भी मौजूद हैं | इसे अकसर वैज्ञानिक Zone of Avoidance के नाम से भी बुलाते हैं , क्यूंकी हमारे आकाशगंगा की चपटी आकार के कारण इस क्षेत्र को आसानी से पृथ्वी से देखा नहीं जा सकता हैं | मुख्य रूप से यह क्षेत्र अभी भी इंसानों के लिए बहुत ही रहस्यमई हैं |
ग्रेट एट्राक्टर (Great Attractor Hindi ) की बनने का कारण आकाशगंगाओं के मध्य होने वाले शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बलों की आपसी टकराव को माना जाता हैं | इसके अलावा कई वैज्ञानिक ग्रेट एट्राक्टर के बनने के कारण को आकाशगंगाओं की Red Shift की गति को मानते हैं | मेँ यहाँ आपको यहाँ और भी बता दूँ की प्रति सेकंड आकाशगंगा रेड सिफ्ट के कारण 700 km की दूरी को तय कर सकता हैं |
हाल ही के शोध से पता चला हैं की ग्रेट एट्राक्टर सेपली सुपर क्लस्टर की और गति कर रहा हैं | वैज्ञानिकों का मानना है की कई अरब साल बाद शायद यह उस से टकरा भी जाए|
कितनी दूरी पर मौजूद हैं ग्रेट एट्राक्टर (Great Attractor Hindi)? :-
अब जब आपने ग्रेट एट्राक्टर (Great Attractor Hindi ) के संज्ञा को जान ही लिया हैं , तो आपके मन मेँ यह सवाल जरूर ही उठा होगा की आखिर कहाँ और कितने दूरी पर यह मौजूद हैं | तो , चलिए आगे इन सवालों के जबाव को जानते हैं |
साल 1980 में खोजा गया ग्रेट एट्राक्टर पृथ्वी से करीब-करीब 250 मिलियन प्रकाश वर्ष दूरी पार मौजूद हैं | वैज्ञानिकों ने इसके आकार का अनुमान 400 मिलियन प्रकाश वर्ष लगाया हैं |
प्रति क्षण ग्रेट एट्राक्टर (Great Attractor Hindi ) अपनी और ब्रह्मांड में मौजूद कई सारे आकाशगंगाओं को अपनी तरफ खींच रहा हैं ; जिस में मिल्की वे , विर्गो सुपर क्लस्टर और हाइड्रा-सेंतरस सुपर क्लस्टर आदि शामिल हैं | मुख्य रूप से ग्रेट एट्राक्टर डार्क मेटर से बनी हुई है और इसका वजन दिखाई देने वाले अन्य पदार्थों से 10 गुना ज्यादा हैं | ग्रेट एट्राक्टर की केंद्र मेँ ” सेंटरस वाल ” नाम का एक क्षेत्र मौजूद हैं | मेँ आपको यहाँ बता दूँ की इस केंद्र वाले क्षेत्र में आपको कई सारे आकाशगंगा दिखाई देंगे , क्योंकि हर एक क्षण यहाँ और कई आकाशगंगा आ कर सम्मिलित हो रहें हैं |
ग्रेट एट्राक्टर वाकई में अंतरिक्ष में एक बहुत ही महत्वपूर्ण और अनोखी जगह हैं | इसलिए अभी भी कई सारे वैज्ञानिक इस के ऊपर शोध कर रहें हैं | हमें आशा हैं की भविष्य में हम इसके बारे में काफी कुछ और तथ्य खोज पाएंगे |
क्या इस से हमें (ग्रेट एट्राक्टर) खतरा हैं ? :-
हर एक के मन में अभी यह सवाल जरूर ही बहुत तेजी से उठ रहा होगा की आखिर क्या हमें ग्रेट एट्राक्टर (Great Attractor Hindi ) से खतरा हैं ? खैर मित्रों इस सवाल का जबाव अभी से सटीक तरीके से बताया नहीं जा सकता , क्योंकि ग्रेट एट्राक्टर हम से बहुत ही दूर मौजूद हैं | परंतु हाँ ! इतना जरूर कहा जा सकता है की शायद इस के कारण हम को बहुत सारे असुविधाओं का सामना करना पड़ सकता हैं |
देखिए ग्रेट एट्राक्टर जो है , यह एक चुंबक की तरह काम करता हैं | जैसे चुंबक लोहे के वस्तुओं को अपने तरफ आकर्षित कर सकता हैं , ठीक इसी प्रकार से ग्रेट एट्राक्टर (Great Attractor Hindi ) भी अपनी और हर एक खगलीय चीजों को आकर्षित कर सकता हैं | इसी कारण से समय के साथ-साथ ही हमारा ब्रह्मांड और भी सघन होता जा रहा हैं |
भविष्य में क्या हो सकता हैं ? :-
कई-कई अरबों प्रकाश वर्ष के दूरी पर मौजूद आकाशगंगाओं का एक ही जगह पर विलय घट रहा हैं | इसी वजह से हमारा आकाशगंगा मिल्की वे और हमारे पडोशी आकाशगंगा एद्रोमेदा के बीच में आज से 5 अरब साल के बाद टकराव जरूर होगा | तो , एक रूप से आप यह कह सकते हैं की ग्रेट एट्राक्टर के वजह से हमें खतरा भी है , हाँ परंतु अभी इस समय में नहीं हैं | ज़्यादातर लोग ग्रेट एट्राक्टर के नाम से ही डरते हैं क्योंकि वह समझते है की इससे हमें खतरा हैं |
पूरे अंतरिक्ष में मौजूद छोटे-बड़े हर एक खगोलीय पिंडों को ग्रेट एट्राक्टर अपने चपेट में ले रहा हैं | तो , न जाने कब और कहाँ से एक उल्का या खगोलीय पिंड आ कर धरती से टकरा जाए , यह कोई भी नहीं कह सकता हैं | इसलिए मित्रों मुझे कई बार आश्चर्य होता हैं की हमारा अंतरिक्ष वाकई में कितने सारे अनिश्चितता से भरी हुई हैं | कौन से चीज़ का कब और कैसे अंत होगा , यह कोई भी नहीं जानता |
आपके इसके बार मेँ क्या सुझाव हैं ? जरूर बताइएगा | खैर और एक बात अगर आपको अंतरिक्ष और विज्ञान से जुड़ी इस प्रकार के रोचक बातों को पढ़ना पसंद हैं , तो आप हमको बड़ी आसानी से फॉलो कर सकते हैं | क्योंकि हम ऐसे ही बहुत सारे ज्ञानवर्धक और दिलचस्प बातें आपके लिए यहाँ लाते ही रहते हैं |
क्या ग्रेट एट्राक्टर एक ब्लैक होल हैं ? :-
मैंने देखा हैं की अकसर कई सारे लोग ब्लैक होल को ब्रह्मांड में मौजूद हर एक रहस्यमई और खतरनाक चीज़ से जोड़ कर देखते हैं | क्योंकि हमारे मन में ब्लैक होल को ले कर एक आंतरिक डर बैठ गया हैं | हमें लगता है की ब्लैक होल एक दिन पूरे अंतरिक्ष को निगल जाएगा | मित्रों ! आपको मेँ यहाँ बता दूँ की ब्लैक होल कभी भी पूरे अंतरिक्ष को नहीं निगल सकता | हाँ ! मेँ मानता हूँ की कुछ हद तक यह कई खगोलीय पिंडों को निगल सकता हैं , परंतु हर एक को नहीं |
खैर अब मुद्दे पर आते हैं , कई लोग ग्रेट एट्राक्टर (Great Attractor Hindi ) को ब्लैक होल के साथ तुलना करते हैं , जो की सहीं नहीं हैं | क्योंकि यह दोनों चीज़ काफी ज्यादा भिन्न हैं | ब्लैक होल आमतौर पर तारों की अंतरिक्ष में विलय के दौरान पैदा होता हैं | ब्लैक होल बनने के लिए एक पिंड को काफी ज्यादा सघन और ताकतवर होना पड़ता हैं | क्योंकि अंतरिक्ष में मौजूद कोई भी पिंड ब्लैक होल में परिवर्तित नहीं हो सकता हैं |
क्या अंतर होता है ब्लेक होल और ग्रेट एट्राक्टर के बीच में ? :-
ब्लैक होल के बनने के प्रक्रिया कई चरणों में होता हैं और इस के लिए काफी समय की जरूरत पड़ती हैं |
वहीं दूसरी तरफ ग्रेट एट्राक्टर दो आकाशगंगाओं के अंदर मौजूद खाली स्थान में बनने वाला एक ऊर्जा से भरी हुई एक क्षेत्र हैं | इस क्षेत्र को बनने के लिए गुरुत्वाकर्षण शक्ति की जरूरत पड़ती हैं | यह शक्ति आकाशगंगाओं से बनती हैं | इसलिए मित्रों ग्रेट एट्राक्टर और ब्लैक होल दो अलग-अलग चीज़ हैं | एक अंतरिक्ष में मौजूद हर एक चीज़ को निगल जाता है और एक कई दूर से चीजों को अपनी तरफ सिर्फ आकर्षित करता हैं |
मित्रों ! यहाँ मेँ आपको और भी बता दूँ की गुरुत्वाकर्षण के विसंगति से बनी यह ग्रेट एट्राक्टर से हमें किसी भी ब्लैक होल जैसा खतरा नहीं हैं |
निष्कर्ष – Conclusion :-
ग्रेट एट्राक्टर (Great Attractor Hindi ) के खोज के 4 दशक के बाद भी आज तक इसके उपस्थिति के सहीं जगह को सटीक रुप से पहचाना नहीं जा सका हैं | कई वैज्ञानिक इसे लेनीएका सुपर क्लस्टर का हिस्सा मानते हैं , तो कई वैज्ञानिक इसे विर्गो सुपरक्लस्टर का हिस्सा मानते हैं | इसलिए वैज्ञानिकों के अंदर हमेशा इस के ऊपर विवाद लगा ही रहता हैं | मित्रों आपको यहाँ मेँ बता दूँ की साल 2014 मे वैज्ञानिकों ने इसे लेनीएका सुपरक्लस्टर का हिस्सा बताया हैं परंतु फिर भी इस पर विवाद होते ही रहते हैं |
ब्रह्मांड के हर एक कोण से कई खगोलीय पिंडों को अपने तरफ आकर्षित करने वाला यह क्षेत्र हमारे लिए एक तरीके से बिना दिखाई देने वाला क्षेत्र हैं | क्योंकि यहाँ पर आपको किसी भी प्रकार का विकिरण देखने को नहीं मिलेगा , जिस से यहाँ का हर एक चीज़ अदृश्य हो जाती हैं | मेँ यहाँ पर सिर्फ ग्रेट एट्राक्टर की ही बात नहीं कर रहा हूँ परंतु मेँ यहाँ पर पूरे अंतरिक्ष की बात कर रहा हूँ , क्योंकि कितनी अजीब बात हैं न ज़्यादातर अंतरिक्ष के हिस्से हमारे लिए आज भी अदृश्य हैं |
मित्रों ! आपको ग्रेट एट्राक्टर के विषय में क्या राय हैं ? क्या यह सच में अपने आप में ही एक पहेली हैं !