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ये है विश्व का सबसे हल्का पर सबसे मजबूत पदार्थ? – Graphene Aerogel In Hindi

भविष्य में ऊर्जा का नया स्रोत बनेगा ये पदार्थ, जानिए आखिर कैसे?

हमारी पृथ्वी में इंसानों ने कई ऐसे पदार्थों को बना लिया है कि, जिनके बारे में सुनने के बाद आप खुद इंसान हो कर भी इनके ऊपर यकीन नहीं कर पायेंगे। ऐसे ही एक पदार्थ का नाम है “ग्राफिन एरोजेल” (Graphene Aerogel In Hindi)। जी हाँ! मित्रों आप लोगों ने सही सुना इस  पदार्थ की एक खास बात जो है वो ये है कि ये हवा से तो 7 गुना हल्का होने के बाद भी है स्टील से भी 10 गुना ज्यादा मजबूत है। इसलिए इस पदार्थ को वैज्ञानिक बहुत ही ज्यादा खास मानते है।

दुनिया की सबसे हल्का पदार्थ ऐरोजेल - Graphene Aerogel In Hindi.
हवा से भी है 7 गुना हल्की | Credit: New Atlas.

आज के इस लेख में हम इसी ग्राफिन ऐरोजेल (graphene aerogel in hindi) के बारे में जानेंगे और देखेंगे की आखिर कैसे ये इतना ज्यादा मजबूत है। मित्रों! वैसे और एक बात का ध्यान रहें की ग्राफिन के बारे में मैंने पहले से ही एक स्वतंत्र लेख लिख रखा है। तो अगर आप सिर्फ और सिर्फ ग्राफिन के बारे में और अधिक जानने के इच्छुक है तो उस लेख को भी आप एक बार जरूर देख सकते हैं। उसके अंदर आप लोगों को ग्राफिन के बारे में कई सारे रोचक जानकारियां भी मिलेंगी। वैसे उस लेख को पढ़ने के लिए आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं।

खैर चलिये अब लेख को आगे बढ़ाते हुए ग्राफिन ऐरोजेल के बारे में दिलचस्प बातों को जानते हैं।

आखिर क्या है ग्राफिन ऐरोजेल? – What Is Graphene Aerogel In Hindi? :-

ग्राफिन ऐरोजेल (graphene aerogel in hindi) के बारे में ज्यादा कुछ बोलने से पहले, चलिये इसके बारे में कुछ मूलभूत बातों को जान लेते हैं। क्योंकि ज़्यादातर लोगों को यही नहीं पता होगा की आखिर ये चीज़ वास्तव में क्या है! तो यहाँ सवाल उठता है की, ग्राफिन ऐरोजेल (graphene aerogel in hindi) कहते किसे है? मित्रों! बता दूँ की, ग्राफिन ऐरोजेल एक तरह का छिद्र युक्त कृत्रिम पदार्थ है जो की जेल से तो बनाया जाता है परंतु इसके अंदर कोई भी तरल पदार्थ नहीं होता है। तरल पदार्थ के जगह इसके अंदर गैस भरी हुई होती है”। इसलिए इसकी अंदरूनी संरचना मजबूत होने के साथ-साथ ये काफी ज्यादा हल्का भी होता है।

Photo Of Samuel Stephen kistler.
सैमुएल स्टीफन किस्टलेर की तस्वीर | Credit: Business Insider.

इसी कारण इसके अंदर बिजली अच्छे तरीके से प्रवाहित नहीं हो पाती तथा इनका घनत्व भी बहुत ही ज्यादा कम होता है। इसको “Solid Smoke, Frozen Smoke, Solid Air, Solid Cloud” के नामों से भी जाना जाता है। इन पदार्थों को सबसे पहले साल 1931 में “Samuel Stephens Kistler” के द्वारा बनाया गया था। दोस्तों! एरोजेल को जेल से ही बनाया जाता है परंतु इसका एक तरीका है जिसके बारे में मैं आगे बात करूंगा।

आखिर कैसे बनाया जाता है ग्राफिन ऐरोजेल को? – How Is Graphene Aerogel Made?

ऐरोजेल (graphene aerogel in hindi) को मुख्य रूप से “Supercritical Drying” या “Freeze-drying” के माध्यम से बनाया जाता है। इन दोनों प्रक्रिया के अनुसार ग्राफिन के अंदर पहले से मौजूद तरल पदार्थों को सुखाया जाता है जिससे ग्राफिन ऐरोजेल में परिवर्तित हो जाता है, तथा उसके अंदर गैस को भी प्रवेश करवाया जाता है जिससे उसका अंदरूनी संरचना ढहता नहीं है। यूं तो एरोजेल की खोज साल 1931 में ही हो गई थी परंतु व्यापक रूप से व्यावहारिक तौर पर इन्हें 1980 के दशक में बनाया गया था। आज हम जिस “Silica Gel” को देख रहें है वो भी एक तरह का एरोजेल ही है।

Aerogel used on Space Craft.
अंतरिक्ष यानों में भी इस्तेमाल होता है ऐरोजेल | Credit: Communicate Sceince.

मित्रों! सिलिका जेल के बाद ऐरोजेल से व्यापक रूप में कार्बन ऐरोजेल्स” को भी बनाया जाने लगा। इसी कारण से आज कई उद्योगों में ऐरोजेल्स को इस्तेमाल किया जाने लगा है। ध्यान देने वाली बात ये भी हैं की, ऐरोजेल का 99.8% हिस्सा हवा से ही भरा हुआ होता है इसलिए इस पदार्थ के एक बहुत बड़े टुकड़े को भी आप अपने उँगलियों से आसानी से उठा सकते है। ऐरोजेल को बनाने के लिए एक अनुकूल वातावरण और खास तकनीक की जरूरत होती ही है।

ऐरोजेल के भौतिक तथा रासायनिक गुण :-

ऐरोजेल (graphene aerogel in hindi) की सबसे खास बात इसके घनत्व में छुपी हुई है। इसका घनत्व लगभग 0.0011 to 0.5 g cm-3 के अंदर आता है। इसलिए ये बहुत ही ज्यादा हल्का हो जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार ऐरोजेल की औसतन घनत्व लगभग 0.020 g cm-3 के पास है। इसलिए इसको दुनिया की सबसे हल्की वस्तु के तौर भी पहचाना जाता है। मित्रों! इसके इसी कम घनत्व वाले गुण के कारण ही ये दुनिया का सबसे अच्छा विसंवाहक पदार्थ(Insulator) है। खैर अब कुछ इसके अन्य गुणों के ऊपर भी चर्चा कर लेते है।

Diffrent Properties Of Aerogel.
ऐरोजेल के कई सारे गुण | Credit: Matmatch.
  • ग्राफिन ऐरोजेल में सबसे कम ऊष्मीय चालकता (Thermal Conductivity) पाया गया है।
  • इसके अंदर ध्वनि का वेग भी सबसे कम होता है।
  • इसका अपवर्तक सूचकांक (Refractive Index) भी बहुत ही ज्यादा कम है।
  • इसका डाइइलैक्ट्रिक इंडेक्स (Dielectric Index) भी काफी ज्यादा कम है।
  • प्रसार (Diffusion) के लिए भी ये बहुत ही कम काम में आता है।
  • रासायनिक प्रक्रियाओं के लिए जरूरी उच्च सतह की जरूरत (High Specific Area) को पूर्ण करने वाला।

एरोजेल को कहाँ-कहाँ इस्तेमाल किया जाता हैं? :-

ऐरोजेल (graphene aerogel in hindi) की विशेषताओं को देख कर ये बात तो तय है की, इसे बहुत ही जगहों पर इस्तेमाल किया जाता होगा। तो, चलिये लेख के इस भाग में उन्हीं क्षेत्रों के बारे में चर्चा कर लेते हैं।

जैसा की मैंने पहले ही कहा है, ऐरोजेल की उच्च विसंवाहक (High insulator)  गुण के कारण इसे आम तौर पर वैद्युतिक उपकरणों (Electrical Gadgets)  के अंदर इस्तेमाल किया जाता रहा है। NASA के द्वारा उच्च गुणवत्ता वाले ऐरोजेल को विद्युत संवाहक (Conductor)  के तौर पर अंतरिक्ष यानों तथा उपकरणों में इस्तेमाल किया जा रहा है। वैसे इसके साथ ही साथ इन्हें अंतरिक्ष यात्रियों के स्पेस सूट (Space Suit) के अंदर भी इस्तेमाल किया जाता है।

दुनिया की सबसे हल्का पदार्थ ऐरोजेल - Graphene Aerogel In Hindi.
स्पेस डस्ट मिशन | Credit: Wikipedia.

मित्रों! ऐरोजेल को एक और बहुत ही खास काम के लिए नासा के द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। नासा के “StarDust” मिशन के लिए ऐरोजेल को काफी ज्यादा इस्तेमाल किया गया है। ऐरोजेल की मजबूती को देखते हुए इन्हें अंतरिक्ष से “Space Dust” को संग्रह करने के काम के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। वैसे इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सुदूर अंतरिक्ष से धूल के कणों को संग्रह कर के पृथ्वी पर लाना था। इसी के चलते ऐरोजेल (graphene aerogel in hindi) ने “Wild 2” नाम के एक धूमकेतु से “Space Dust” संग्रह कर के लाया था।

अंतरिक्ष में गति करने वाला एक छोटा सा कण भी अगर किसी यान या उपकरण से टकरा जाए तो भी भारी तबाही मच सकती है। क्योंकि इनकी गति काफी ज्यादा तीव्र होता है। इसलिए इन्हें रोक कर संग्रह करना एक बहुत ही मुश्किल काम है। परंतु ऐरोजेल के इस्तेमाल से इन कणों को आसानी से इसके (ऐरोजेल) छिद्र के अंदर संगृहीत कर के रखा जा सकता है।

निष्कर्ष – Conclusion :-

आने वाले समय में इंसान शायद ऐरोजेल (graphene aerojel in hindi) से ईंधन भी निकाल रहा होगा। जी हाँ! वैज्ञानिकों ने ऐरोजेल से कुछ इस तरह का पदार्थ बना लिया है जो की पारंपरिक ऊर्जा के स्रोतों का  विकल्प बन सकता है। तो, अगर ये सफल हो जाता हैं तो भविष्य में हम पेट्रोल और डीजल के जगह ऐरोजेल से चलने वाली गाड़ियों में बैठे होंगे। मित्रों! वर्तमान के समय में ऐरोजेल को कई सारे सुरक्षा उपकरणों के अंदर भी इस्तेमाल किया जा रहा है। स्विच बोर्ड हो या इंसुलेटेड वाल हर किसी बिजली से जुड़ी उपकरण में ऐरोजेल का होना लगभग सुनिश्चित ही है।

दुनिया की सबसे हल्का पदार्थ ऐरोजेल - Graphene Aerogel In Hindi.
ऐरोजेल की इस्तेमाल | Credit: Quora.

अगर हम ऐरोजेल की अन्य विशेषताओं के ऊपर भी गहन नजर डालें तो, इसे वर्तमान के समय में कवच (Armor) बनाने में भी इस्तेमाल किया जा रहा है। ऑप्टिकल सेंसर और विमान के उपकरणों के अंदर भी इनका इस्तेमाल बढ़ता ही जा रहा है। अंतरिक्ष यानों के बाहरी सतह पर लगे ताप रोधी प्लेटों के अंदर भी ऐरोजेल को देखा जा सकता है।

Sources :- www.azom.com, www.aerogel.org, iupac.org.

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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