दोस्तों हमारी आंखें, प्रकृति की सबसे अनमोल देन हैं। इनकी वजह से ही हम आसपास की छोटी से छोटी चीज से लेकर दूर ब्रह्मांड में मौजूद विशालकाय ओबजेक्ट देख पाते हैं। हालांकि पृथ्वी से दूर ब्रह्मांड की चीजें देखने में हमारी आंखें उतनी सक्षम नहीं हैं, जितना की आज के आधुनिक टेलीस्कोप। जटिल संरचना होने के कारण हम अपनी आंखों को एक जीवित दुरबीन तो कह सकते हैं, पर इसकी अपनी कुछ कमियां हैं। सीमित आँखों की पुतलियां और उनका आकार, लेंस और मांसपेशियों के चलते हमारी आंखें (Eyes Become Earth Size) एक हद से ज्यादा बारीक और दूरी नहीं देख सकतीं। पर अगर कोई आधुनिक सभ्यता जिसकी आँखो का आकार इतना ज्यादा हो कि वो हमारी पृथ्वी की बराबरी करे, तो उसके लिए यह ब्रह्मांड कैसा नजर आएगा? अगर हमारी आंखों की का आकार पृथ्वी जितना हो जाए, तो ये हमें ब्रह्मांड में क्या – क्या दिखा सकता है? क्या ब्रह्मांड को देखना हमारे लिए एक खेल बन जाएगा, या इसमें में भी कोई खतरा है, आइए जानते हैं !
देखने की क्षमता बढ़ जाएगी
जाहिर सी बात है कि जब आँख का आकार पृथ्वी के बराबर होगा, तो उसके अंग जैसे कि pupil, iris, cornea और रेटिना (Retina) आदि भी कई गुना बढ़ जाएंगे, जिससे हमारे देखने की क्षमता भी कई गुना ज्यादा बढ़ जाएगी । किसी भी टेलिस्कोप की रेज़लूशन यानि उसकी बारीक इमेज लेने की क्षमता इस बात पर निर्भर करती है कि उसका मिरर का आकार कितना विशाल है। जितना बड़ा उसका आकार होगा, उतनी ही उसकी प्रकाश को जमा करने की क्षमता बढ़ जाएगी। जितना ज्यादा टेलिफोटो लेन्स (Telephoto Lens) का आकार होता है, उतना ही ज्यादा वह किसी image को quality खराब किए बिना ही कई गुना ज्यादा zoom कर सकता है । निश्चित है कि हमारी पृथ्वी के बराबर की आँखे (Eyes Become Earth Size) भी ऐसा कर पाएंगी।
जब तक हमारी आँख के लेंस में रंग विकृति (color distortion) या कोई और दोष नहीं होगा, तब तक हमें ब्रह्मांड में मौजूद वस्तुएं काफी साफ दिखाई पड़ेंगी। समस्या हमें लाइट से होने वाले विवर्तन प्रभाव (diffraction effect) से रहेगी, जिसकी वजह से हमें वो वस्तुएं एक सीमा के बाद धुंधली दिखाई देने लगेंगी । दरअसल जब लाइट तरंग की तरह व्यवहार करती है, तो वह वस्तुओं के कोनों से मुड़ने लगती है । यह मुड़ाव या bend हमारे लेंस के व्यास (Diameter) पर निर्भर करता है। अगर हम किरण प्रकाशिकी (ray optics) की तकनीक का सहारा लें, तो हमें पता चलेगा कि हमारी पृथ्वी के आकार वाली आंख का रेसोलुशन करीब 50 करोड़ गुना ज्यादा बढ़ चुका होगा। यह आंकड़ा काफी हैरान कर देने वाला है
मंगल ग्रह पर अंतरिक्षयात्री को देख सकते हैं
यदि यहां आँख के लेंस की विवर्तन सीमा (diffraction limit) को शामिल करलें, तो हम उस आंख से मंगल ग्रह पर ठोस और पैटर्न वाली चीजों में भी आसानी से फर्क निकाल सकते हैं। मंगल पर मौजूद किसी अंतरिक्षयात्री की सभी चीजें आप बारीकी से देख सकते हैं और साथ ही हमारे चंद्रमा पर रखी हुई किसी भी किताब के अक्षरों को आप बड़ी आसानी से पढ़ सकते हैं। खास बात ये है कि ब्रह्मांड के फैलाव होने की वजह से होने वाले रेडशिफ्ट के बावजूद भी हमारी आंखें (Eyes Become Earth Size) कई प्रकाश वर्ष दूर मौजूद आकाशगंगा को भी सफाई से देख पाएंगी।
वातावरण में मौजूद हवा के चलते अक्सर लाइट के पार्टिकल मुड़ने और विकृत होने लगते हैं, जिससे हो सकता है कि उन्हें देखते हुए हम उनकी बारीक चीजों को न देखें। एक बात और चौकाने वाली है कि पृथ्वी जितने आकार वाली आंखें, JAMES WEBB SPACE TELESCOPE के बराबर भी काम कर सकती हैं।
अनुकूल प्रकाशिकी (Adaptive optics) की तकनीक की मदद से आप चाहे तो किसी और आकाशगंगा में मौजूद पृथ्वी जैसे ग्रह को भी देख सकते हैं। Alpha Centauri तारे के ग्रह की जमीन और वहां का वातावरण देखने में ये आंखें आपके लिए कारगर साबित हो सकती हैं। ध्यान देने वाली बात ये है कि अभी के जो आधुनिक टेलीस्कोप हम प्रयोग करते हैं, उनमें खुलने (Openings) का आकार पृथ्वी के बराबर वाली आँखो से काफी छोटा होता है, इसलिए पृथ्वी के आकार वाली आंखें लाखों प्रकाश वर्ष दूर मौजूद आकाशगंगा की बारीक चीजों को देखने में दिक्कत दे सकती हैं ।
क्या ये आँखे हमेशा बनी रहेंगी?
ये बड़ा ही रोमांचक होगा कि उस वक्त आप अपनी इन आंखों से बड़े-बड़े सुपरमैसिव ब्लैकहोल, क्वासर, ब्लेजार और संभवतः न्यूट्रॉन स्टार और उनकी जेट स्ट्रीम को अपनी आंखों के सामने देख सकेंगे। पर ये आपके लिए तब सबसे बड़ा खतरा बन सकता है। जैसा कि आप जानते हैं कि ब्रह्मांड में लगातार विस्फोट होते रहते हैं, जहां खतरनाक ऊर्जा से भरी हुई तरंगे हमेशा निकलती रहती हैं। हो सकता है कि इन बेहद उर्जा वाली तरंगो को देखते ही आप अंधे भी हो जाएं।
दरअसल संभावना ये ही कि तब आपको ब्रह्मांड में हर जगह असीमित प्रकाश से भरे हुए तारे देखने को मिलेंगे, जिनकी ऊर्जा के चलते आपकी पृथ्वी के आकार की आँखो का रेटीना पूरी तरह से जल सकता है। जाहिर सी बात है कि इतनी बड़ी आंखों की ध्यान केंद्रित करने की शक्ति (focusing power) भी काफी ज्यादा होगी, जो हमारे सूर्य की रोशनी को इतना focus कर लेंगी कि ये सीधा आपकी आंखों (Eyes Become Earth Size) को खत्म कर सकती हैं। हो सकता है कि ब्रह्मांड के नजारे का अद्भुत आनंद लेने से पहले ही आप अंधे हो जाएं ।
अब ऐसे में तो यही समझ आता है कि ब्रह्मांड को देखने का काम हमें इन टेलीस्कोप पर ही छोड़ देना चाहिए ।