पृथ्वी और हमारा सौर-मंडल अपने-आप में ही अजूबे हैं। पूरे ब्रह्मांड में अगर कहीं उन्नत सभ्यता है तो, सिर्फ हमारे ग्रह पर ही है। इसलिए हमारी पृथ्वी (Extra Moon Near Earth) अतुलनीय है। ये ग्रह हमारे लिए सिर्फ एक घर ही नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व की परिभाषा भी है। वैसे जब से अन्तरिक्ष विज्ञान की शुरुआत हुई है, तब से हम हमारे ग्रह के आस-पास मौजूद हर एक खगोलीय पिंडों को जानने का प्रयास कर रहें हैं। और इन पिंडों में चाँद भी शामिल है। शायद ये ही वजह है कि, पृथ्वी के बाद चाँद पर हमारी सबसे अधिक जिज्ञासा है।
चाँद (Extra Moon Near Earth) की बात जब भी आती है, तो हमारे मन में शीतल और सफ़ेद गोलाकार पिंड की तस्वीरें घूमने लगती हैं। बचपन से लेकर आज तक हमें चाँद के बारे में काफी कुछ बताया गया है और कहा जाता है कि, पृथ्वी के पास सिर्फ एक चाँद मौजूद है। परंतु अगर मैं यहाँ कहूँ कि, पृथ्वी के पास एक से अधिक चाँद मौजूद हैं, तो क्या आप मेरे बातों पर यकीन करेंगे? जी हाँ! आप लोगों ने बिलकुल सही सुना, पृथ्वी के पास एक से अधिक चाँद के होने की संभावनाएं हो सकती हैं और शायद आप लोगों ने इसके बारे में पहले कभी पढ़ा भी नहीं होगा।
तो, चलिये क्यों न आज इसके बारे में कुछ बात कर लेते हैं और इस विषय को काफी बारीकी से समझते हैं।
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क्या पृथ्वी के पास मौजूद है एक से अधिक चाँद! – Extra Moon Near Earth! :-
वैज्ञानिकों के अनुसार “Kamo’oalewa” नाम का एक उल्का-पिंड पृथ्वी के पास मौजूद है, जो की पृथ्वी के लिए एक दूसरे चाँद (Extra Moon Near Earth) की तरह ही है। क्योंकि कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार ये उल्का-पिंड हमारे चाँद से ही बना हुआ है। दरअसल बात ये है कि, ये उल्का पिंड चाँद के “Giordano Bruno” नाम के क्रेटर से बना हुआ है। जो की बाद में चाँद से अलग हो कर अब हमारे लिए एक मिनी-मून बन चुका है। इसलिए ये हमारे लिए काफी जिज्ञासा से भरी हुई बात है।
मित्रों! एक खास बात ये भी है कि, ये उल्का पिंड या यूं कहें कि, ये मिनी-मून हमारे पृथ्वी के कक्षा के साथ एक-सीध में रह कर,, इसकी परिक्रमा कर रहा है। हालांकि! आज भी इसके ऑरिजिन को ले कर कई सारे बाद-विवाद लगे रहते हैं। क्योंकि इसके अस्तित्व के बारे में अलग-अलग वैज्ञानिकों की अलग-अलग राय है। खैर एक रिपोर्ट के अनुसार, ये उल्का पिंड चाँद से टक्कर होने वाले एक स्पेस-रॉक के कारण बना हुआ है। अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, ये स्पेस-रॉक लगभग 1.6 km तक बड़ा था और इसके टक्कर से एक बहुत ही बड़ा क्रैटर चाँद पर बना था।
वैसे एक बात ये भी है कि, मिनी-मून का रिफ़्लेक्टिव इंडेक्स चाँद के रिफ़्लेक्टिव इंडेक्स के समान ही है, जिसका सीधा सा मतलब ये है कि, ये मिनी मून चाँद का ही एक हिस्सा हैं। दोस्तों! आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि, ये मिनी-मून चाँद के ऊपर मौजूद एक बड़े से क्रैटर (22 km) से ही बना हुआ है।
भविष्य में होने वाले हैं इसके ऊपर कई सारे शोध! :-
अब जब हमने इस मिनी-मून (Extra Moon Near Earth) को ढूंढ ही लिया है तो, वैज्ञानिकों को इसके बारे में और भी जानने की इच्छा हो रहीं है। और शायद ये ही वजह है कि, वैज्ञानिक आने वाले समय में इस उल्का-पिंड के ऊपर कई शोध भी करने के लिए तैयार हो रहें है। विशेष सूत्रों के अनुसार, 2025 तक चीन इस मिनी-मून के ऊपर अपने पहले मिशन को अंजाम देने वाला है। अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, इस मिशन का नाम “Tianwen-2” होने वाला हैं। वैसे इस मिशन का लक्ष काफी अनोखा है।
मित्रों! इस मिशन के तहत वैज्ञानिक मिनी-मून से स्पेस-रॉक को इक्कठा करने वाले हैं और ये स्पेस-सैंपल पृथ्वी पर 2.5 साल के बाद पहुँचने वाला है। वैसे एक बात ये भी है कि, मिनी-मून से आने वाला ये सैंपल, सभी वैज्ञानिकों के लिए अहम होने वाला है। क्योंकि इसका ऑरिजिन सीधे तरीके से चाँद से जुड़ा हुआ है और चाँद से जुड़ी हर एक विषय हम इंसानों के लिए किसी रोचक बात से कम नहीं है। आप लोगों को इसके बारे में क्या लगता हैं, कमेंट कर के जरूर ही बताइएगा।
वैसे कुछ वैज्ञानिक ये भी कहते हैं कि, मिनी-मून से सैंपल इक्कठा कर के पृथ्वी पर वापस लाना एक बहुत ही बड़ा काम है। क्योंकि इस मिशन के दौरान काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। खैर “Kamo’oalewa” की खोज साल 2016 में ही हुई है और इतने कम समय के अंदर इसके ऊपर बड़े मिशनों को अंजाम देना उतना भी आसान नहीं है।
मिनी-मून के बारे में कुछ खास जानकारीयाँ! :-
मित्रों! चलिये अब लेख के इस भाग में मिनी-मून (Extra Moon Near Earth) के बारे में कुछ बेहद ही रोचक बातों को जान लेते हैं। आकार में ये मिनी-मून 30 से 60 मीटर तक चौड़ा है और हर 28 मिनट में ये अपने चारों तरफ घूम कर एक रोटेशन को कंप्लीट करता है। इसलिए ये एक काफी तेजी से घूमने वाला उल्का-पिंड भी है। वैसे यहाँ एक दिलचस्प बात ये भी है कि, सूर्य के चारों तरफ ये पृथ्वी के भांति ही घूमता है। और कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार इसकी कक्षा और पृथ्वी कि कक्षा लगभग एक समान ही है।
वैसे अधिक जानकारी के लिए आप लोगों को मैं बता दूँ कि, इस मिनी-मून से रिफ़लेक्ट होने वाली लाइट हूबहू चाँद से रिफ़लेक्ट होने वाली लाइट के समान है। माने लुनर मिशनों से इक्कठा किए गए सैंपल से निकलने वाली लाइट की तीव्रता, इस मिनी-मून से निकलने वाली लाइट के समान ही है। तो अब आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि, ये मिनी-मून चाँद से कितना ज्यादा मैच करता हैं! इसके अलावा इस मिनी मून कि कई सारे गुण हमारे चाँद से भी मेल खाते हैं।
इस मिनी-मून के बारे में एक खास बात ये भी है कि, वैज्ञानिक इसके ऑरिजिन को ले कर काफी ज्यादा शोध कर रहें हैं। उनको ये जानना है कि, आखिर कितने बड़े टक्कर के कारण इतने बड़े आकार का खंड चाँद से अलग हो कर मिनी-मून का आकार लिया होगा। क्योंकि इसी से ही हमें इसके असल गुणों के बारे में पता चल पाएगा।
निष्कर्ष – Conclusion :-
“Kamo’oalewa” के बारे में हम लोगों ने कई सारे बातों को इस लेख के जरिये जाना हैं। ये मिनी-मून (Extra Moon Near Earth) आने वाले समय में हमारे लिए ब्रह्मांड से जुड़ी कई सारे छुपे हुए रहस्यों को उजागर करने वाला है। वैसे एक बात ये भी है कि, ये मिनी-मून जिस टक्कर से बना हुआ होगा, उसका कोण लगभग 45-डिग्री का होगा और टक्कर के दौरान रफ्तार लगभग 18 km/s का रहा होगा। वैसे चाँद के ऊपर कई हजारों क्रैटर मौजूद हैं और वो सारे के सारे काफी ज्यादा प्राचीन भी हैं।
वैसे कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी के पास मौजूद उल्का पिंडों और स्पेस-रॉक्स की आयु कुछ लाखों वर्ष की होती है। क्योंकि एक समय के बाद या तो ये सूर्य से जा टकराते हैं या फिर सौर-मंडल की किसी ग्रह/ उप-ग्रह में समा जाते हैं। हालांकि! चाँद पर मौजूद कुछ नए क्रैटर को देख कर वैज्ञानिक, ये अंदाजा लगा सकते हैं की; ये मिनी-मून किसी क्रैटर से बना हुआ होगा। अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, इन क्रैटर्स के जरिए हम आसानी से किसी भी मून अ-लाइक उल्का पिंड की मूलभूत बातों को जान सकते हैं।
खैर कई सारे वैज्ञानिकों का ये मानना है कि, ये मिनी-मून काफी ज्यादा खास हैं। वैसे इसके बारे में कुछ भी सटीक तौर पर पता लगा पाना बहुत ही ज्यादा मुश्किल है। क्योंकि अन्तरिक्ष में कोई भी चीज़ आसानी से नहीं मिलती है।
Source:- www.livescience.com