पूरे ब्रह्मांड में हम चाहे कितनी भी कोशिश कर लें, परंतु पृथ्वी (Earth Killer Is In Space) के जैसा ग्रह मिलना शायद ही कभी संभव हो पाएगा। इन्सानों की अगर हम बात करें तो, पृथ्वी के अलावा इतने बड़े अन्तरिक्ष में हमारा कोई दूसरा घर नहीं है। अब तक पृथ्वी के अलावा हमारे रहने लायक ग्रह नहीं मिला है और वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी के तरह ग्रह का होना एक अजूबा है। इन्सानों की अनगिनत पीढ़ियाँ इस ग्रह पर रह कर अपने अस्तित्व को कायम रखे हुए हैं। परंतु असल बात तो ये है कि, पृथ्वी के बिना हम इस विशालकाय ब्रह्मांड में अनाथ हैं।
पृथ्वी (Earth Killer Is In Space) हमारे लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है और इसके रखरखाव का जिम्मा हर इन्सान को लेना चाहिए। परंतु कई बार कुछ ऐसे घटनाएँ भी हो जाती हैं, जिसके ऊपर शायद हम चाह कर भी नियंत्रण न कर पाएँ। अन्तरिक्ष में पृथ्वी को कई बार अलग-अलग चीजों से खतरा रहता है और प्रभु जी कि कृपा है कि, अबतक कोई ऐसी चीज़ नहीं घटा जिससे ग्रह के ऊपर विनाश का मंजर देखा जाए। परंतु कई बार उल्कापिंड या किसी अनजान खगोलीय पिंड से पृथ्वी को काफी खतरा रहता है।
मित्रों! आज के इस लेख में हम ऐसे ही एक खतरनाक चीज़ के बारे में चर्चा करेंगे, जिससे शायद एक दिन पूरी कि पूरी दुनिया तबाह हो जाए। तो, मेरे साथ लेख के अंत तक बने रहिएगा।
विषय - सूची
पृथ्वी जल्द हो सकती है खत्म! -Earth Killer Is In Space! :-
बीते कुछ दिनों पहले वैज्ञानिकों को एक ऐसे स्पेस रॉक (Earth Killer Is In Space) के बारे में पता चला है, जो कि पृथ्वी के ऊपर कहर बरपा सकता है। आमतौर पर इस स्पेस रॉक के आकार को देख कर कई वैज्ञानिकों ने इसे “Earth Killer” का नाम भी दे दिया है। इतने बड़े आकार के स्पेस रॉक आसानी से पृथ्वी को नष्ट कर सकते हैं। वैसे एक बात ये भी है कि, इससे पहले भी इस तरह के स्पेस रॉक्स कि काफी खोज हो चुकी है, पर ये स्पेस रॉक काफी रोचक है, ये स्पेस रॉक हमारे पृथ्वी के बेहद ही करीब है।
इसके अलावा एक चौंका देने वाली बात ये भी है कि, ये स्पेस रॉक एक दिन आ कर हमारे पृथ्वी से भी टकरा सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार स्पेस रॉक कि पृथ्वी से टक्कर होने कि संभवना काफी ज्यादा हैं। लगभग 1.5 km चौड़ा और 2022, एपी7 नाम से प्रसिद्ध ये उल्कापिंड पृथ्वी के लिए काफी ज्यादा खतरनाक है। हमारे सौर-मण्डल में ये स्पेस रॉक पृथ्वी और शुक्र (Venus) की कक्षाओं के बीच मौजूद हैं। तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि, ये हमारे कितने करीब है।
अगर हम हाल-फिलहाल कि बात करें तो, ये स्पेस रॉक अभी-अभी ही पृथ्वी के कक्षा को पार करते हुए गया है। वैसे अच्छी बात ये है कि, जब ये घटना घटित हुआ, तब हम सूर्य के दूसरे छोर पर थे और ये स्पेस रॉक ठीक उस छोर के विपरीत छोर पर था। इसलिए शायद हम इस बार तो सुरक्षित रह गए।
धीरे-धीरे पृथ्वी की और बढ़ता हुआ ये “Earth Killer” :-
मित्रों! वैज्ञानिकों के अनुसार आज से लगभग हजारों सालों बाद पृथ्वी और इस स्पेस रॉक (Earth Killer Is In Space) का ओर्बिट आपस में मिलने वाला है। एक रिपोर्ट के अनुसार धीरे-धीरे पृथ्वी और स्पेस रॉक एक-दूसरे के करीब आ रहें हैं। इसलिए ये तो निश्चित है कि, इन दोनों कr टक्कर होना लगभग तय है। खैर एक और ध्यान देने वाली बात ये भी है कि, इस स्पेस रॉक के साथ और दो अलग-अलग नियर अर्थ उल्कापिंडों (Near-Earth Objects) को भी खोजा गया है, इसे खोजने के लिए चिली के “Cerro Tololo Inter-American Observatory“ का इस्तेमाल किया गया है।
कुछ वैज्ञानिक तो नए खोजे गए इन दोनों ही उल्कापिंडों को अर्थ किलर मान रहें हैं। क्योंकि इन दोनों ही उल्कापिंडों की चौड़ाई लगभग 1 km से ज्यादा है। मित्रों, इतने बड़े-बड़े स्पेस रॉक अगर पृथ्वी से टकराते हैं, तब पल-भर में ही पृथ्वी से जीवन का समूल नाश हो जाना काफी ज्यादा संभव है। इसके अलावा अगर में थोड़ा टेक्निकल बात करूँ तो, टक्कर के दौरान पैदा होने वाला मलवा (धूल) पृथ्वी के वायुमंडल में फैल कर सूर्य के किरणों को रोक देगा। जिसके कारण पृथ्वी पर जीवन खत्म ही जो जाएगा।
इसके अलावा वैज्ञानिक इनर सोलर ओर्बिट में मौजूद इस तरह के अन्य स्पेस रॉक्स को ढूँढने के लिए अपने अलग-अलग उपकरणों को इसी दिशा में रख कर एक्टिव कर दिया हैं। इसके चलते हमें आने वाले समय में कई सारे महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिलते रहेंगे। इसके अलावा इन खतरनाक स्पेस रॉक्स को ढूँढना काफी मुश्किल रहता हैं!
आखिर क्यों मुश्किल रहता है इन स्पेस रॉक्स को ढूँढना! :-
मित्रों! ये सारे के सारे स्पेस रॉक्स (Earth Killer Is In Space) सूर्य के बहुत करीब होने के कारण, सूर्य की चमक से ये सब काफी ज्यादा छुप जाते हैं। वैज्ञानिकों को इन्हें अन्तरिक्ष में ढूँढने के लिए लगभग हर रात 10 मिनट का समय मिलता हैं। इन्हीं असुविधाओं के कारण आज तक सिर्फ 25 ऐसे अर्थ किलरों को ढूंढा जा चुका हैं। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी को पल भर में तबाह करने वाले आकार के उल्कापिंड अब काफी कम हैं और इन्हें कुछ समय बाद भी ढूंढा जा सकता हैं।
एक अच्छी बात ये हैं कि, नासा लगभग 28,000 अलग-अलग उल्कापिंडों कि ओरबिट्स को हमेशा ट्रैक करता रहता हैं। क्योंकि ये उल्कापिंड पृथ्वी के लिए काफी ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं। वैसे आप लोगों को बता दूँ कि, पृथ्वी के पास मौजूद उल्कापिंडों के बारे में जानने के लिए नासा “Asteroid Terrestrial-impact Last Alert System (ATLAS)” का उपयोग करता है। ये सिस्टम चार अलग-अलग टेलिस्कोप से बना हुआ स्कैनिंग उपकरण हैं, जो की हर 24 घंटों में एक बार रात के आसमान को स्केन करता रहता हैं। इससे हमें सुदूर अन्तरिक्ष से या पास ही इलाकों से आए उल्कापिंडों के बारे में पहले से ही पता लग जाता हैं।
नासा के अनुसार पृथ्वी से लगभग 19.3 करोड़ किलोमीटर तक आने वाली हर एक चीज़ नियर-अर्थ-ऑब्जेक्ट के श्रेणी में आ जाता हैं और इन चीजों के ऊपर नासा की हमेशा से कड़ी नजर रहता हैं। वैसे एक बात ये भी हैं कि, पृथ्वी कि सुरक्षा के लिए दिन-रात हमारे वैज्ञानिक भी काम कर रहें हैं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
मित्रों! एटलस को साल 2017 में लगाया गया था और तभी से ये पृथ्वी के लिए काफी अच्छे तरीके से काम कर पा रहा है। कहने का मतलब ये हैं कि, अब-तक इसने 700 से ज्यादा नियर-अर्थ स्पेस रॉक्स (Earth Killer Is In Space) और 66 से ज्यादा धूमकेतूओं को ढूंढ कर निकाला हैं। एक रोचक बात ये हैं कि, इसके द्वारा 2018 और 2019 में खोजे गए दो स्पेस रॉक हकीकत में आ कर पृथ्वी से टकरा गए थे। हालांकि! अच्छी बात ये हैं कि, ये दोनों ही स्पेस-रॉक आकार में काफी ज्यादा छोटे थे; जिससे ज्यादा कुछ नुकसान नहीं हुआ था। नासा हर एक नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट कि ओर्बिटल पैथ को ट्रैक करता रहता हैं।
नासा के वैज्ञानिक कहते हैं कि, अगले 100 सालों तक पृथ्वी को अन्तरिक्ष से आने वाले किसी भी स्पेस-रॉक या कोई भी खगोलीय पिंड से खतरा नहीं हैं। परंतु इसका ये मतलब नहीं हैं कि, हम चौकन्ना रहना बंद कर दें। साल 2012 और 2013 में दो ऐसे उल्कापिंड के टक्कर कि घटनाएँ सामने आए थे, जो कि हिरोशिमा में गिरे परमाणु बम से भी 26-33 गुना ज्यादा ताकतवर थे। इन घटनाओं में लगभग 1,500 से भी ज्यादा लोग घायल हुए थे।
हालांकि! अमेरिका और चीन जैसे देश अन्तरिक्ष में ही उल्कापिंडों को खत्म करने के लिए कई मिशन कर रहें हैं। परंतु आने वाला समय ही इन मिशनों कि योग्यता को बताएगा।
Source :- www.livescience.com