मानव पिछले कई लाख सालों से पृथ्वी पर रह रहा है। इन लाखों साल में मानवों ने कई उतार-चढ़ाव भी देखे हैं। जब भी बात मानवों से जुड़ी हुई होती है, सबसे पहले हमारे मन में एक अलग ही छवि बनना शुरू हो जाती है। क्योंकि हम मानवों ने इस पृथ्वी को काफी ज्यादा इस्तेमाल कर लिया है। कहने का मतलब ये है कि, इंसानी कारणों के लिए पृथ्वी की प्राकृतिक गतिविधियों (Days are Getting Longer) में काफी ज्यादा बदलाव देखें गए हैं। और शायद ये ही वजह है कि, आज की हमारी पृथ्वी हमें पहले से कई ज्यादा अलग नजर आती है।
यूं तो पृथ्वी के ऊपर दिन (Days are Getting Longer) और रात के फिक्स पैटर्न हैं, परंतु कुछ कारणों के वजह से ये पैटर्न काफी ज्यादा बदलते हुआ नजर आ रहे हैं। हालांकि! इसको ले कर हम आगे काफी बारीक से चर्चा भी करेंगे। परंतु उससे पहले मैं आप लोगों से ये पूछना चाहता हूँ कि, क्या आप भी दिन और रात के बीच छुपी इस गुत्थी को सुलझाना चाहते हैं? अगर आप लोगों का जवाब हाँ हैं तो, बे-झिझक लेख में आगे पढ़ते रहिए।
तो, चलिये बिना किसी देरी के लेख में आगे बढ़ते हैं और देखते हैं कि, आखिर कैसे पृथ्वी पर दिन लंबे होते जा रहें हैं? वैसे आप लोगों से अनुरोध हैं कि, अगर हमारे लेख आप लोगों को पसंद आ रहें हैं, तो इसे अपने परिवार और मित्रों से साथ शेयर जरूर करें। ताकि इस तरह के विज्ञान से जुड़ी रोचक लेख काफी ज्यादा लोगों तक पहुँच सके।
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पृथ्वी पर दिन हो रहे हैं लंबे! – Days are Getting Longer! :-
21 वीं शताब्दी में मानवों का पृथ्वी पर अत्याचार कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। और शायद ये ही कारण हैं कि, हमें इसका फल आज “Climate Change” के रूप में दिखाई दे रहा है। मित्रों! पर्यावरण जिस गति से प्रदूषित हो रहा हैं, उसे देख कर ये कहना गलत नहीं होगा कि; आने वाले समय में हम शायद ही पृथ्वी पर बच कर रह पाए। क्योंकि जिधर भी देखो, उधर हा-हा कार मचा हुआ है। ध्रुवीय इलाकों से बर्फ पिघल रही है और महासागरों का जल स्तर धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
हवा, पानी और मिट्टी पहले की तुलना में काफी ज्यादा जहरीले हो चुके हैं। मानव के लिए आज के समय में ग्लोबल वार्मिंग कोई खतरे की घंटी से कम नहीं है। वैसे यहाँ एक खास बात ये भी है कि, हम इंसानों के लिए तो प्रकृति बर्बाद हो ही रही है, साथ में इसके कारण कई बे-जुवान जानवर भी अपने जीवन की रोज आहुति दे रहें हैं। दोस्तों, हम हमारे स्वार्थ के लिए दूसरों को भी तकलीफ दे रहें हैं। जो की बिलकुल भी अच्छी बात नहीं हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार क्लाइमेट चेंज के कारण पृथ्वी का रोटेशनल मोशन भी काफी ज्यादा प्रभावित हो रहा है। कई वैज्ञानिक ये भी कहते हैं कि, आने वाले समय में हमारी पृथ्वी घूमते वक़्त डगमगा भी सकती है। ऐसे में ये हमारे लिए एक बहुत ही चिंता का विषय है, क्योंकि अभी तक हम इसके प्रभाव के बारे में अनजान हैं।
आखिर क्या है ये चीज़? :-
वर्तमान समय में हुई रिसर्च से हमें ये पता चल रहा है कि, मानवों के कारण हो रहें पर्यावरण प्रदूषण से पृथ्वी के रोटेशनल मोशन पर काफी ज्यादा गलत प्रभाव पड़ रहा है। कहने का मतलब ये है कि, पृथ्वी पर प्रदूषण का कहर कुछ इस स्तर पर पहुँच चुका है कि; इससे सीधे तौर से पृथ्वी के घूमने के गति के ऊपर असर पड़ रहा है। वैज्ञानिक बताते हैं कि, पृथ्वी के ऊपर दिन की लंबाई (Days are Getting Longer) काफी ज्यादा बढ्ने वाला है। अभी इसके प्रभाव हम लोगों को ज्यादा नजर नहीं आ रहें हैं।
परंतु जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा, उसी हिसाब से इसके प्रभाव हम लोगों के सामने आते हुए नजर आएंगे। इससे हमें समय गणना भी काफी दिक्कत होगी और स्पेस के अंदर होने वाले मिशनों में भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा। कुछ शोधकर्ता ये भी कहते हैं कि, इससे पृथ्वी का अंदरूनी कोर भी काफी ज्यादा प्रभावित होगा। तो, आप अब समझ ही सकते हैं कि; ये चीज़ आने वाले समय में कितनी ज्यादा खतरनाक हो सकती है। वर्तमान के समय में हमें कुछ करना ही होगा, नहीं तो इसका अंजाम बिलकुल अच्छा नहीं होगा।
आज की बात करें तो, पृथ्वी पर औसतन दिन की लंबाई लगभग 86,400 सेकंड की होती है। क्लाइमेट चेंज के कारण पृथ्वी के रोटेशनल स्पीड में सिर्फ कुछ मिली-सेकंड का ही अंतर आएगा, परंतु धीरे-धीरे ये मिली-सेकंड कब सेकंड और बाद में मिनट में बदल जाएंगे; ये कोई नहीं कह सकता। आज भले ही इस असुविधा को हम झेल नहीं रहें हैं, परंतु जरा सोचिए आने वाले समय में इसका कितना गंदा असर देखने को मिलेगा।
पृथ्वी पर इसका कैसा रहेगा असर! :-
अब कई लोगों के मन में ये सवाल आ रहा होगा कि, आखिर पृथ्वी के रोटेशनल स्पीड (Days are Getting Longer) पर प्रभाव पड़ने के कारण क्या-क्या हो सकता है? तो, मित्रों मैं आप लोगों को बता दूँ कि, इससे पृथ्वी के “Tectonic Plate” के मूवमेंट में काफी गहरा असर पड़ेगा। पहले की तुलना में टेक्टोनिक प्लैट काफी अलग तरीके से मूव करेंगी। इससे पृथ्वी का इनर कोर (Inner Core) काफी ज्यादा अस्त-व्यस्त होता हुआ नजर आएगा और साथ में पृथ्वी और चाँद के बीच का गुरुत्वाकर्षण बल में काफी तनाव भी बढ़ जाएगा।
पिछले कई दशकों से ध्रुवीय इलाकों में बर्फ का पिघलना बढ़ता ही जा रहा है और इससे पृथ्वी के औसतन समंदर के जल स्तर में काफी ज्यादा बढ़ोतरी भी देखी गई है। मित्रों! यहाँ एक खास बात ये भी है कि, इससे पृथ्वी का “Equator” काफी ज्यादा भारी होने लगा है। भारी इसलिए कि, ध्रुवीय इलाकों से पिघली हुई बर्फ तरल पानी के रूप में इक्वेटोर में ही आ कर जमा हो रही है। इस वजह से पृथ्वी का केंद्र काफी ज्यादा फुला हुआ नजर आता है।
मित्रों! आप लोगों की अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, जब पानी पृथ्वी के इक्वेटोर के पास जमा होने लगेगा। तब पृथ्वी के रोटेशनल मोशन में काफी ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। क्योंकि इससे वजन के मात्रा में काफी ज्यादा असंतुलन होने वाला है। कुछ वैज्ञानिक इसको समझने के लिए अत्याधुनिक आर्टिफ़िश्यल इंटेलिजेंस का उपयोग कर रहें हैं। जो कि, लगभग हमारे भविष्य को दर्शाता है।
निष्कर्ष – Conclusion :-
एक बात तो तय हैं कि, अगर पृथ्वी के रोटेशनल स्पीड में बदलाव आता हैं। तो हमारे ग्रह के ऊपर दिन (Days are Getting Longer) लंबे होने वाले हैं। हालांकि! आने वाले समय में इसके ऊपर होने वाले गहन शोध इस चीज़ को और भी ज्यादा बारीकी से हमें बताएंगे। इसके अलावा एक खास बात ये भी हैं कि, पृथ्वी के इक्वेटोर के पास पानी जमा होने के कारण इसके एक्सिस ऑफ रोटेशन भी बदल गया हैं। इससे पृथ्वी का मैग्नेटिक पोल हर साल और भी ज्यादा पृथ्वी से दूर होता हुआ नजर आता हैं।
यहाँ एक बात ये भी हैं कि, मैग्नेटिक पोल में होने वाले इस बदलाव के कारण पृथ्वी का रोटेशन काफी ज्यादा डगमगाता हुआ नजर आता हैं। शोध कर्ता और भी बताते हैं कि, ये चीज़ पिछले 3 दशकों से हो रहा हैं। हालांकि! कुछ रिपोर्ट्स ये भी बताते हैं कि, आने वाले समय में पृथ्वी का मैग्नेटिक पोल और भी ज्यादा बाहर की और निकलने वाला हैं।
मित्रों! आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि, पृथ्वी को चाँद भी धीमा बनाने में लगा है। दरअसल कहने का मतलब ये हैं कि, अर्थ और मून के बीच मौजूद टाइडल फोर्स के कारण पृथ्वी हर 100 साल में 2.3 मिली सेकंड धीमा होता जा रहा हैं। इसके अलावा एक रोचक बात ये भी हैं कि, क्लाइमेट चेंज के कारण हर 100 साल में हमारी पृथ्वी 1.3 मिली सेकंड धीमा होने लगा हैं।
Source :- www.livescience.com