भारत में गर्मियों का दिन चल रहा है और चारों तरफ सूर्य का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है। देश के ज़्यादातर हिस्सों में पारा चालीस डिग्री के पार जा चुका है और जीवन मानो अस्त-व्यस्त ही हो चुका है। पहले से ही कोरोना का मार झेल रहें भारतवासीयों के ऊपर अब लू और गर्म मौसम का भी कहर बरप रहा है। परंतु, गर्मियों के दिन और कोरोना के अलावा भी एक ऐसी समस्या हैं जिसने की ज़्यादातर लोगों की रातों की नींद ही छिन ली है। दोस्तों, मेँ यहाँ पर बात कर रहा हूँ मच्छरों (CRISPR gives mosquitos infertility) की।
अब आप में से ज़्यादातर लोग ये सोच रहें होंगे की, आखिर मच्छरों (CRISPR gives mosquitos infertility) ने तो हमारी रातों के नींद छिन ही रखी हैं, परंतु क्या इसके बारे में बातें करना इतना भी जरूरी हैं? तो, मित्रों मैं आप लोगों को बता दूँ कि, इस पर बात करना बहुत जरूरी है। इसके बारे में आपको पूरे इंटरनेट में भी काफी कम जानकारियाँ मिलेंगी। इसलिए आज के लेख में हम मच्छरों से जुड़े कई खास बातों के बारे में जानेंगे।
वैसे आगे बढ्ने से पहले कमेंट कर के जरूर ही बताइएगा की, क्या आपके यहाँ भी मच्छरों ने तंग करके रखा हैं?
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अब मच्छरों के लिए प्रजनन करना होगा नामुमकिन! – CRISPR Gives Mosquitos Infertility! :-
मित्रों! अगर आप लोगों को पता हैं तो, फिर से याद दिला दूँ कि, भारत भौगोलिक दृष्टिकोण से उष्णकटिबंधीय इलाके में आता हैं और यहाँ पर मच्छरों (CRISPR gives mosquitos infertility) की समस्या हमेशा ही रही है। मच्छरों के लिए उष्णकटिबंधीय इलाके (Tropical Region) काफी अनुकूल होते हैं, यहाँ पर वे बहुत ही आसानी से अपना प्रजनन कर सकते हैं। इसके अलावा अगर हम पृथ्वी के नक्शे को अच्छे से देखें तो पता चलेगा की, उष्णकटिबंधीय इलाकों में आने वाले जीतने भी देश हैं, उनमें से ज़्यादातर देश विकासशील ही हैं और यहाँ पर विसकित देशों की तरह साफ-सुतरी जगह बहुत ही कम हैं।
ऐसे में यहाँ पर मच्छरों से फैलने वाली बीमारियाँ जैसे मलेरिया, डेंगू, जिका और चिकनगुनिया जैसे बीमारियों का फैलाना बहुत ही साधारण सी बात है। इसलिए मित्रों, हमारे लिए मच्छरों की समस्या से पूरे तरीके से छुटकारा पाना बहुत ही जरूरी है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने जैनेटिक इंजेनियरिंग के जरिये मच्छरों की समस्या के लिए एक स्थायी समाधान ढूंढ लिया है। तो, सवाल उठता है की, आखिर वो स्थायी समाधान क्या है जो की हमें मच्छरों से हमेशा-हमेशा के लिए (CRISPR gives mosquitos infertility) छुटकारा दे देगा?
दोस्तों! अगर में इस सवाल का जवाब एक ही शब्द में देना चाहूँ तो, इसका जवाब होगा “CRISPR” या “Cas9” जिन। मित्रों, वैज्ञानिकों ने इस Cas9 जिन के जरिये ही पुरुष/ नर मच्छरों के प्रजनन करने की क्षमता को ही काफी ज्यादा खत्म कर दिया हैं। जब पुरुष/ नर मच्छरों के प्रजनन करने की क्षमता ही कम हो जाएगी तो मच्छरों की संख्या स्वतः ही काफी ज्यादा कम हो जाएगी। आपको इस तकनीक के बारे में क्या लगता हैं, जरूर ही बताइएगा!
क्या ये तकनीक कारगार हैं? :-
जब वैज्ञानिकों ने मच्छरों (CRISPR gives mosquitos infertility) को समाप्त करने का सोल्युशन ढूंढ ही लिया हैं, तो इसकी दक्षता के बारे में भी दुनिया को बताना उनका कर्तव्य बनता है। इसलिए यहाँ पर इस तकनीक के दक्षता को देखेंगे। हमने पहले देखा की, वैज्ञानिकों ने Cas9 जिन के जरिये पुरुष/ नर मच्छरों के अंदर मौजूद प्रजनन करने की क्षमता को खत्म कर दिया। परंतु फिर से सवाल उठता है की, क्या पुरुष/ नर मच्छरों से ही मच्छरों की संख्या को नियंत्रण किया जा सकता हैं? तो, मित्रों! इसका जवाब है बिलकुल भी नहीं।
मच्छरों की बढ़ती संख्या में मादा मच्छरों की होता हैं अहम भूमिका ! :-
मच्छरों की संख्या को काबू करने के लिए हमें मादा मच्छरों के ऊपर भी नजर रखनी पड़ेगी। इसलिए वैज्ञानिकों ने Cas9 Gene के मादा मच्छरों पर पड़ने वाले प्रभाव को काफी बारीकी से देखा। Cas9 Gene के प्रभाव से मादा मच्छरों के अंदर काफी म्यूटेशन देखने को मिलीं। बता दूँ की, बाद में ये म्यूटेशन मादा मच्छरों के प्रजनन को भी काफी ज्यादा कम करने में सक्षम रहा। दोस्तों! एक सर्वे से पता चलता हैं की, एक साल में पूरे विश्व में मच्छरों के द्वारा 70 करोड़ लोग बीमार होते हैं।
इन 70 करोड़ लोगों में से लगभग 10 लाख से ज्यादा लोग मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। तो, आप समझ सकते हैं की, मच्छरों से फैलने वाली बीमारियाँ कितनी घातक हो सकती हैं। वैज्ञानिकों को इस तकनीक से ये भी पता चला हे कि, डेंगू, येलो फीवर और जिका वायरस जैसी बीमारियों को फैलाने वाला मच्छर “Aedes aegypti” को भी इससे काबू में लाया जा सकता है। वाकई में मित्रों! अगर ये तकनीक सच में काम कर जाती है तो, इससे काफी लोगों की जान बचाई जा सकती है। मच्छरों के जरिये फैलने वाली बीमारियों को रोकना बहुत ही जरूरी हैं।
आखिर कैसे काम करती है ये तकनीक? :-
मित्रों! इस तकनीक में वैज्ञानिकों ने “Sterile Insect Technique (STI)” को इस्तेमाल में लिया है। इस तकनीक को कारगर बनाने के लिए, पहले तो काफी सारे नर मच्छरों को प्रजनन अयोग्य बनाया जाता है और बाद में इन नर मच्छरों को मादा मच्छरों के पास छोड़ दिया जाता है। जिससे प्रजनन अयोग्य नर मच्छर मादा मच्छर के साथ संगम करके उसे भी प्रजनन अयोग्य बना दें। यहाँ पर ध्यान देने वाली बात ये है की, अगर कोई भी मादा मच्छर प्रजनन अयोग्य नर मच्छर के साथ संगम कर लेती है, तब वो अपने पूरे जीवन के लिए प्रजनन अयोग्य बन जाती है।
यहाँ तक की, अगर वो बाद में अन्य किसी प्रजनन योग्य नर मच्छर के साथ संगम भी करती हैं, तब भी वो प्रजनन के लिए योग्य नहीं हो सकती है। इसलिए, आप कह सकते हैं की, ये तकनीक बहुत ही सरल तरीके से काम करने के बाद भी काफी ज्यादा सक्षम है। दोस्तों! अगर इस तकनीक को हम लगातार कुछ पीढ़ियों तक (मच्छरों के) कर दें, तो धीरे-धीरे मच्छरों की संख्या कम हो जाएगी और हमें मच्छर रहित इलाके देखने को मिलेंगे। मच्छरों की पीढ़ी जितनी छोटी होगी उतना ही ये तकनीक अच्छे से काम कर पाएगी।
यानी छोटी पीढ़ी के अंदर अगर हम पहले जितने ज्यादा प्रजनन अयोग्य नर मच्छरों (CRISPR gives mosquitos infertility) को छोड़ दें तो, इसका प्रभाव मच्छरों की आने वाली पीढ़ियों के अंदर काफी ज्यादा घातक साबित होगा। ऐसे में हम कह सकते हैं की, ये तकनीक हर तरीके से मच्छरों की अनियंत्रित संख्या को हमारे नियंत्रण में ला देगी। इसके अलावा इस तकनीक के जरिये कृषि क्षेत्र में समस्या पैदा करने वाले कीड़ों को भी रोका जा सकता है।
अन्य कैमिकल्स और रेडिएशन से CRISPR है काफी ज्यादा सफल! :-
CRISPR से पहले वैज्ञानिकों ने मच्छरों (CRISPR gives mosquitos infertility) की संख्या को कम करने के लिए कई साधन अपनाए थे, जिसके अंदर कई प्रकार के कैमिकल्स और रेडिएशन शामिल थे। खैर खेद की बात तो ये है की, ये सभी साधन कभी सफल ना हो सके। परंतु मित्रों! यइन सभी असफल प्रयासों ने वैज्ञानिकों को CRISPR तक पहुंचाया, जो की मच्छरों के संख्या को रोकने में काफी ज्यादा सक्षम हैं। कैमिकल्स के प्रयोग से जीव-मंडल में काफी ज्यादा कुप्रभाव भी पड़ता है।
इसके अलावा गौर करने वाली बात ये भी हैं की, कैमिकल्स के प्रयोग के जरिये भी कुछ वैज्ञानिकों ने “b2-tubulin (B2t)” नाम के एक Gene को ढूंढ़ा था, जो की नर मच्छरों को प्रजनन अयोग्य बना देता था। हालांकि! ये जिन (Gene) मुख्य रूप से फलों में पाये जाने वाले कीड़ों के ऊपर ज्यादा असरदार होता है। मित्रों! जितने भी कृत्रिम ढंग से जिन को ढूंढा जाता हैं, वो सभी के सभी एक खास गुण के लिए परिचित होते हैं तथा वो एक खास नस्ल के कीड़ों के ऊपर ही केवल असरदार होते हैं।
इसके अलावा आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की, जितने भी जिन नर मच्छरों को प्रजनन के लिए अयोग्य बनाते हैं, वो सभी के सभी एक ही ढंग से काम करते हैं। कहने का तात्पर्य ये हैं की, जब ये जिन किसी नर मच्छर के अंदर प्रवेश करते हैं तब वे नर मच्छर के शुक्राणु की मात्रा को काफी कम कर देते हैं। यही वजह हैं की, बाद में वो नर प्रजनन अयोग्य बन जाता है।
निष्कर्ष – Conclusion :-
B2t और CRISPR (CRISPR gives mosquitos infertility) जिन को इस्तेमाल करके वैज्ञानिकों ने काफी सारे प्रयोग किए। वैसे इन प्रयोगों में वैज्ञानिकों को पता चला की, B2t और CRIPSR जिन के जरिये नपुंसक बनाए गए नर मच्छर अपने पीढ़ी में मौजूद मादा मच्छरों के साथ संगम करके प्रजनन के दर को 20% तक कम कर दे रहें हैं। खास बात ये भी हैं की, कई-कई जगह प्रजनन दर 50% से भी ज्यादा कम हो रही है। तो, ये रिकॉर्ड इस बात को सूचित करता हैं की; B2t और CRISPR जिन आखिर कितने असरदार हैं।
अब वैज्ञानिक ये सोच रहें हैं की, आने वाले समय में वे B2t युक्त प्रजनन अयोग्य नर मच्छरों को लैब के बाहर यानी परिवेश में छोड़ दें; ताकि आसपास के परिवेश में मच्छरों की संख्या में काफी ज्यादा कमी आए। वैसे मित्रों! मेरे हिसाब से ये तकनीक काफी ज्यादा अच्छी हैं, परंतु इसे प्राकृतिक परिवेश में छोड़ने से पहले वैज्ञानिकों को इसके ऊपर और भी ज्यादा शोध करने की जरूरत है।