कहते हैं कि इंसान या जीव केवल भगवान की इच्छा से ही धरती पर जन्म लेता है, वो कैसा होगा और कितना बुद्धिमान होगा ये सब पहले से ही गर्भ में निर्धारित कर दिया जाता है, जिसे कोई नहीं बदल सकता है।वैज्ञानिक भाषा में कहें तो ये समझिये की जो DNA और जीन (Gene) वो अपने माता पिता से ला रहा है वो वही लेकर के पैदा होगा, जिसे हम अपनी इच्छा के अनुसार बदल नहीं सकते हैं।वर्षों पहले तक इसे सही समझा जाता था, वैज्ञानिक मानते थे कि हम मानव जीन में बदलाव नहीं कर सकते है,पर जैसे-जैसे अध्ययन और आगे बढ़ा तो पता चला कि मानव जीनोम में बदलाव करना संभव है और इसे समझकर हम डीएनए के अनुक्रमों को आसानी से बदल सकते हैं और जीन को संशोधित भी कर सकते हैं। वैज्ञानिकों ने इस तकनीक को CRISPR नाम (CRISPR in Hindi) दिया।
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CRISPR तकनीक क्या होती है? – What Is CRISPR in Hindi
CRISPR जीनोम के बदलाव के लिए एक सरल लेकिन शक्तिशाली तकनीक है। इस तकनीक से शोधकर्ता जीव के जीनोम ( डीएनए का पूरा विवरण) को अपनी इच्छा से बदल सकते हैं।
इससे वह जीनोम को बदलकर जीव को बुद्धिमान, शक्तिशाली और कई बिमारियों से बचा सकते हैं। इस तकनीक के जरिए वे फसलों को और बेहतर और कई तरह के जीवों को ज्यादा शक्तिशाली और हिंसक बना सकते हैं। इस तकनीक के जहां फायदे हैं वहीं कई लोग इसे प्रकृति मे छेडछाड़ की तरह देखते हैं।
आपको बता दें कि CRISPR नाम CRISPR-Cas9 तकनीक को एक छोटा नाम है, ये कहने में ज्यादा आसान है तो आम भाषा में इस तकनीक को लोग क्रिस्पर (CRISPR )ही कहते हैं। CRISPR डीएनए में पाये जाने वाले विशेष खंड होते हैं और Cas9 एक एंजाइम होता है जो एक तरह से कैंची की तरह काम करता है जिससे वैज्ञानिक डीएनए में कुछ बदलाव कर पाने में सक्षम होते हैं।
यह तकनीक वर्तमान में जीव के आनुवंशिक बदलाव का सबसे सरल, सबसे बहुमुखी और सटीक तरीका है और इसलिए यह विज्ञान की दुनिया में चर्चा का कारण बन रहा है।
CRISPR-Cas9 कैसे काम करता है? –
CRISPR-Cas9 प्रणाली के दो प्रमुख घटक होते हैं जो कि आपको पहले बताया गया है , क्रिस्पर CRISPR और एंजाइम Cas9-
इस तकनीक में Cas9 एक एंजाइम होता है जो कि ‘आणविक कैंची ( molecular scissors)’ की एक जोड़ी के रूप में कार्य करता है जो जीनोम में एक विशिष्ट स्थान पर डीएनए के दो स्ट्रैंड को काट सकता है ताकि डीएनए के बिट्स को फिर से जोड़ा या हटाया जा सके।
इसमें डीएनए की तरह एक आरएनए (RNA) का भी टुकड़ा शामिल होता है जिसे guide RNA (gRNA) कहा जाता है। इसमें पहले से ही निर्धारित 20 आरएनए के क्रम बने हुए होते हैं जो बड़े आरएनए में मचान की तरह जुड़े रहते हैं।
मचान वाला हिस्सा डीएनए को बांधता है और guide RNA का पूर्व-तैयार क्रम ‘Cas9 ‘ एंजाइम को जीन के दाहिने हिस्से पर निर्देशित करता है। इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि Cas9 एंजाइम (CRISPR in Hindi) जीनोम में सही बिंदु पर बदलाब कर रहा है या नहीं।
guide RNA – CRISPR In Hindi
ये guide RNA इस तरह से डिजाइन किये गये होते हैं कि ये खुद डीएनए के परफेक्ट क्रम को ढ़ुढ कर उससे बंध जाये जिससे जीव के डीएनए में बदलाव आने लगे। इसके इस काम के लिए ‘Cas9 ‘ एंजाइम कैंची की तरह काम करता है जो कि guide RNA को डीएनमें कांट-छांटकर जोड़ देता है।
जब डीएनए में इस तरह की क्रिया होने लगती है तो शरीर में मौदूद सैल्स (शरीर की सबसे छोटी इकाई) ये समझते हैं कि डीएनए में कुछ खराबी आ गई है, जिसे अब ठीक करना होगा।
इसके बाद खराब और बदले हुए डीएनए को सही करने की प्रक्रिया चालू हो जाती है, जिसे डीएनए रिपयेर मशिनरी भी कहते हैं।
इस प्रक्रिया में ही वैज्ञानिक एक या एक से अधिक जीन में बदलाव लाने के लिए डीएनए का इस्तेमाल करते हैं। ये सभी बदलाव भी जीव के सैल्स में होने लगते हैं।
यह कैसे विकसित हुआ? – How CRISPR Was Evolved
CRISPR-Cas9 तकनीक को विकसित करने का श्रेय हमारे शरीर में पाये जाने वाले बैक्टीरिया को जाता है, जिनमें इसी तरह जीनोम(अनुवांशिक गुण) को बदलने की क्षमता होती है, जब इन बैक्टीरिया पर वायरस और पेथोजन का हमला होता है तो वे इसी तरह से अपने में बदवाल करने इनका सामना करते हैं।
CRISPR का उपयोग करने से बैक्टीरिया वायरस के डीएनए के कुछ हिस्सों को छीन लेते हैं और अगली बार जब ये वायरस हमला करते हैं, तो बैक्टीरिया पहले से ही इससे निपटने के लिए तैयार रहते हैं, एक तरह से वे इस तकनीक के जरिए वायरस को भूखा मार देते हैं।
बैक्टीरिया के इसी तरह के प्रभावशाली गुणों को देखकर वैज्ञानिक हैरान हुए और उन्होंने इस तकनीक की खोज की जिसे चूहों पर इस्तेमाल किया गया तो नतीजे अच्छे रहे।
अब वे इसे मानव कोशिकाओं और नये पैदा होने वाले बच्चों में इस्तेमाल करने की सोच रहे हैं जिससे रोग मुक्त बच्चै पैदा हो सकें।
CRISPR-Cas9 के क्या उपयोग और निहितार्थ हैं – Use Of CRISPR and It’s Implications
इस तकनीक के जरिए वैज्ञानिक आने वाले बच्चों को इस तरह के विकसित कर सकते हैं कि उन्हें जन्म संबधी बीमारी और कैंसर जैसे रोग कभी ना हों, चीन में तो इस तकनीक से एक बच्चे को HIV से रहित पैदा किया गया है, अब इस बच्चे को कभी ये रोग नहीं हो सकता है।
इस तकनीक से आने वाले समय में हम ऐसी नस्लें पैदा कर पाने में सक्षम होंगे जो कि हमसे कई गुना बेहतर और बुद्धिमान हों, साथ में फसल और दूसरे जीवों को भी इस तरह बदलाब करके उन्हें अच्छा बना सकते हैं।
हालांकि इस तकनीक के कई फायदे हैं पर इसका विरोध भी हो रहा है, कुछ संस्थाओं के अनुसार ये प्रकृति के साथ छेड़छाड है, जिससे हम कुछ नहीं अपना नुकसान कर देंगे। ये अभी भी पूरी तरह से सटीक नहीं है और कभी-कभी इच्छित स्थान के अलावा डीएनए के अन्य भागों को भी संपादित कर सकता है।
CRISPR-Cas9 का भविष्य क्या है? – The Future Of CRISPR in Hindi
अभी ये तकनीक एक दम नई है जिसे भविष्य में आम होने में कई साल लगने वाले हैं, अभी इसपर कई शोध और कार्य हो रहे हैं जिसके द्वारा इसके अच्छे और बुरे परिणामों पर अध्ययन किया जा रहा है।
जानवरों और इंसानी सैल्स में अभी उपयोग हेतु इस पर बहुत काम करने की जरूरत है, अभी हम उस दौर में नहीं पहुँचे है कि इसके उपयोग से हम पूरा रोग मुक्त जीव विकसित कर पायें, अभी हमारे लिए रोग मुक्त जीव और फसल करना ही जिम्मेदारी होगी।
अभी हाल में ही फरवरी 2019 में चीन के वैज्ञानिकों ने इस तकनीक का उपयोग करके ये दावा किया है कि वे इससे आगे आने वाले बच्चों को ज्यादा बुद्धिमान और तेज बनाने वाले हैं, जो आम लोगों से ज्यादा तेज सोच और समझ पायेंगे।
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