पृथ्वी के बाद अगर कोई जगह है, जहां मानव अपना घर बनाना चाहता है तो, वो चाँद है। चाँद और पृथ्वी के बीच समानताएँ काफी हैं, परंतु जो सबसे बड़ी बात है वो ये है कि, हम मानवों को लगता है कि, हम वहाँ पर काफी आसानी से बस सकते हैं। मित्रों! चाँद (Chandrayaan 3 Magma Ocean On Moon) पर इंसान की नजर काफी समय से है। आज से कुछ दशकों पहले ही, हम लोगों ने चाँद पर अपना पहला कदम रखा था। और तब से लेकर आज तक, हम लगातार इसके ऊपर शोध करते आ रहें हैं। जिसे देख कर ये कहना गलत नहीं होगा कि, चाँद ही हमारा दूसरा घर बनने वाला है
चाँद (Chandrayaan 3 Magma Ocean On Moon) के बारे में जब भी हम भारतीयों के बीच बात उठती हैं। तब हमारे मन में सबसे पहले चंद्रयान की ही छवि आती है। इसलिए हम भारतीयों के मन में चंद्रयान को ले कर एक अलग ही सम्मान है। इस्रो के वैज्ञानिकों के अदम्य प्रयास और दृढ़ संकल्प के कारण ही, आज चंद्रयान 3 पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन कर रहा है। और साथ ही हमें कुछ ऐसे जानकारियाँ भी दे रहा है, जिससे हम लोग चाँद को और भी बेहतर तरीके से पहचान सकते हैं।
तो, जैसा की अब आप सोच पा रहें हैं, आज के इस लेख में हम चंद्रयान और चाँद के बारे में ही चर्चा करने जा रहें हैं। तो, आप लोगों से अनुरोध हैं कि, आप इस लेख में मेरे साथ आरंभ से ले कर अंत तक जुड़े रहिएगा, ताकि आप लोगों को ये लेख बेहतर तरीके से समझ में आएगा। अब मित्रों! लेख में आगे बढ़ते हुए इसे शुरू करते हैं और देखते हैं कि, आखिर असल मुद्दा क्या है।
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चन्द्रयान 3 ने की बड़ी खोज! – Chandrayaan3 Magma Ocean On Moon! :-
चन्द्रयान-3 (Chandrayaan3 Magma Ocean On Moon) के अनुसार एक समय पर चंद्रमा के ऊपर मेग्मा का समुद्र मौजूद था। आप लोगों को अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, अतीत में चाँद के ऊपर मोल्टेन पत्थर को देखा जाता था। वैसे साल 2023, अगस्त 23 तारीख को भारत ने इतिहास रचा था। ये वो दिन था, जब भारत के गौरव चंद्रयान-3 ने अपने लैंडर “विक्रम” को पहली बार चाँद पर लैंड करवाया था। मित्रों! भारत दुनिया में चौथा ऐसा देश बना, जिसने चाँद पर अपने किसी यान को लैंड करवाया हो।
खैर विक्रम लैंडर को लैंड करवाने के बाद, चंद्रयान 3 ने अपने रोवर “प्रज्ञान” को तुरंत ही लाँच कर दिया था। अब प्रमुख कार्य प्रज्ञान रोवर पर था। क्योंकि इसी रोवर को ही लैंडिंग साइट को अन्वेषण (Explore) करना था। चंद्रमा के साउथ पोल पर किसी भी मिशन को सफलता पूर्वक कर पाना बहुत ही मुश्किल है। क्योंकि ये जगह आज भी उतनी ज्ञात नहीं है। इसलिए यहाँ कोई भी मिशन काफी चुनौतियों से भरा हुआ होता है।
वैसे यहाँ एक और बात ये भी है कि, चाँद पर किसी भी लैंडर को लैंड कराना काफी मुश्किल होता है। चंद्रयान 2 भी इसी अवस्था तक आ कर लैंड नहीं कर पाया था। इसलिए मिशन का ये चरण (लैंड करवाने का) सभी के लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है। जिस जगह पर विक्रम ने लैंड किया था, वो एक काफी नई जगह थी। इससे पहले किसी स्पेस क्राफ्ट ने वहाँ लैंड नहीं किया था।
मेग्मा का समंदर! :-
चाँद (Chandrayaan3 Magma Ocean On Moon) पर मेग्मा के समंदर का होना कोई साधारण बात नहीं है। वैज्ञानिकों के अनुसार लैंडिंग साइट के आसपास का इलाका लगभग एक-समान ही हैं। क्योंकि वहाँ मौजूद सॉइल सैंपल लगभग एक ही तरीके के हैं। विज्ञान के नजरिए से बात करूँ तो, सॉइल सैंपल में “Ferron anorthosite” को देखा गया हैं। वैसे यहाँ एक रोचक बात ये हैं कि, चाँद के साउथ पोल का सॉइल सैंपल उसके इक्योटोरियल रिजियन के साथ मिलता हैं। जिसका ते मतलब हैं कि, वहाँ और यहाँ का सॉइल सैंपल एक समान ही हैं।
मित्रों! इसी डैटा के आधार पर वैज्ञानिकों का ये मानना है कि, अतीत में किसी समय चाँद के ऊपर एक बड़े मैग्मा से भरे समुद्र का राज था। क्योंकि दो काफी अलग-अलग जियोग्राफिकल लोकेशन से मिलने वाले सॉइल-सैंपल कभी भी इतने समान नहीं हो सकते हैं। मित्रों! वैज्ञानिकों का ये तथ्य काफी चौंका देने वाला है और मेरे हिसाब से इसके ऊपर और भी ज्यादा शोध होना जरूरी है। ताकि हमें इसके पीछे छुपी पहलुओं को और भी बेहतर तरीके से समझ में आ जाएँ।
आप लोगों को बता दूँ कि, चाँद की उत्पत्ति मंगल के आकार के समान के एक ग्रह का पृथ्वी से टक्कर के कारण हुआ था। चाँद के बनने से लाखों साल बाद वहाँ मैग्मा के समंदर की उत्पत्ति के बारे में बताया गया हैं। बाद में ये मैग्मा समंदर ठोस हो कर क्रिस्टल में बदल गया, जो की आखिर में फेरोन अनोर्थोसाइट के रूप में अस्तित्व में आया। वाकई में चाँद काफी रहस्यमयी है। क्योंकि इसके बारे में बातें होने के बाद भी, हमें काफी कुछ जानने को मिल रहा हैं।
चंद्रयान 3 और चाँद! :-
मित्रों! आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि, चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3 Magma Ocean On Moon) चाँद के जिस जगह पर लैंड किया था, उसे हाइ-लैंड कहा जाता है। ये वो जगह है, जहां पर चाँद के बारे में जानने का सबसे अच्छा मौका मिलता है। वैसे यहाँ एक रोचक बात ये भी है कि, इससे पहले चंद्रयान 1 और 2 ने चाँद के सतह के बारे में कुछ डैटा हमारे वैज्ञानिकों को दिया था। जिससे हमारे वैज्ञानिकों के पास चाँद के सतह से जुड़े कुछ बैसिक डैटा पहले से ही मौजूद थे। बताते हैं कि, रोवर प्रज्ञान ने चाँद के सतह से जिस डैटा को पृथ्वी तक भेजा था, लगभग एक समान ही डैटा पहले से ही वैज्ञानिकों के पास मौजूद था।
जिसका मतलब ये है कि, हमारे वैज्ञानिकों ने जिस डेटा को पहले से खोज कर रखा था, वो काफी पक्की है और चाँद के ऊपर मेग्मा समुद्र का अतीत में होना लगभग तय ही है। मित्रों! जब एक ही डैटा एक ही जगह से बार-बार मिलने लगे, तो समझ जाना चाहिए कि, वो डेटा 100% सटीक और रियल है। वैसे यहाँ आप लोगों को हमारे वैज्ञानिकों का भी तारीफ़ करना पड़ेगा, क्योंकि उन्होंने चंद्रयान 3 के जरिये जिस तरीके से कमबैक किया है; वो वाकई में सराहनीय है।
इसके अलावा रोवर प्रज्ञान के रीडिंग के जरिये हम, चाँद से पृथ्वी तक आने वाले उल्का-पिंडों की प्रोपर क्लासिफिकेशन कर पाएंगे। जिससे हमें चाँद के सतह के बारे में और भी चीजों को जानने का मौका मिलेगा। मित्रों! रोवर प्रज्ञान ने वाकई में एक बहुत ही बड़ा काम किया है, क्योंकि इसी के कारण हम आज चाँद को और भी बेहतर तरीके से जान पाएंगे।
निष्कर्ष – Conclusion :-
मित्रों! चाँद (Chandrayaan3 Magma Ocean On Moon) के बारे में एक खास बात ये है कि, इसका सतह जितना सरल दिखाता है, वो असल में उतना ही जटिल है। कहने का मतलब ये हैं कि, चाँद के जिस सतह को हम देख सकते है वो सतह दूसरे साइड के सतह से काफी ज्यादा पतला है। इसके अलावा हमसे दूर मौजूद चाँद के सतह पर भारी मात्रा में फेरोन अनोर्थोंसाइट को पाया गया है। इससे लुनर सतह की विकास का प्रक्रिया और उस पर मौजूद ज्वालामुखियों की गतिविधियों के बारे में पता चल सकता है।
कुछ वैज्ञानिकों का ये भी मानना हैं कि, फेरोन अनोर्थोंसाइट के साथ-साथ लुनर सतह के निचले भाग में काफी मात्रा में मेग्नेशियम को भी देखा गया हैं। वैसे आगे आने वाला समय ही बताइएगा कि, आखिर इन मिनरल्स का लुनर सतह पर क्या प्रभाव पड़ता है।
Source :- www.livescience.com