ये जो हमारी दुनिया हैं इसमें लगातार कुछ न कुछ घटित हो रहा है। अगर आप सिर्फ बैठे भी हुए है तो भी आपके साथ ये पूरा ब्रह्मांड काफी तेजी से फैल रहा है। इसलिए हमेशा कहा जाता आ रहा हैं की, इस ब्रह्मांड में या यूं कहें की इस पृथ्वी में कोई भी चीज़ स्थायी नहीं है। एक के बाद एक नई चीज़ें घटित हो कर पुरानी चीजों को बदल रहीं हैं और इसी तरीके से ही हम हमारे ब्रह्मांड में हो रहें फैलाव को समझने में सक्षम हुए हैं। खैर निकट भूत काल में ही वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड के इसी फैलाव को समझने के लिए “बंबल बी” (Bumblebee Gravity In Hindi) नाम के एक सिद्धांत को दिया हैं, जो की हमें कई सारे अनसुलझे सवालों का जवाब भी दे सकता है।
अब यहाँ पर कई लोग “बंबल बी” (bumblebee gravity in hindi) का नाम सुन कर इसके बारे में जरूर जानना चाहेंगे, जो की लाजिमी भी हैं। मेँ भी अगर इस तरह के नाम वाले सिद्धांत को पहली बार सुनता तो इसके बारे में और अधिक जानने के लिए जरूर इच्छुक होता। खैर मित्रों इसी इच्छा को देखते हुए हमारे आज के लेख का विषय होगा “बंबल बी” सिद्धांत और हम जानने का प्रयास करेंगे की, आखिर कैसे ये ब्रह्मांड इतनी तेजी से फैल रहा है।
तो, मित्रों तैयार हो जाइए इस नए लेख के जरिये ब्रह्मांड में एक और नये व अनोखे यात्रा के लिए।
आखिर ये “बंबल बी” ग्रैविटी सिद्धांत क्या हैं? – What Is Bumblebee Gravity In Hindi? :-
मित्रों! बंबल बी सिद्धांत (bumblebee gravity in hindi) भौतिक विज्ञान का एक ऐसा सिद्धांत हैं जो की एक वेक्टर (Vector) की स्थितियों और गुणों को एक वैक्यूम परिवेश में दर्शाता हैं। इसके अलावा ये सिद्धांत गुरुत्वाकर्षण बल के ऊपर भी काफी निर्भर रहता हैं क्योंकि गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र बनता हैं और इसी क्षेत्र में ही ये सिद्धांत सबसे सटीक काम करता हैं।
इसके अलावा ये सिद्धांत Lorentz Symmetry के नियमों को भी उल्लंघन करता हैं। इसलिए हम ये भी कह सकते हैं की, बंबल बी सिद्धांत एक तरह से Lorentz Symmetry को उल्लंघन करने का ही सिद्धांत हैं। वैसे बंबल बी सिद्धांत का अस्तित्व String Theory से ही आया हैं। खैर इस सिद्धांत को सबसे पहले साल 1989 में Alan Kostelecky और Stuart Samuel के द्वारा खोजा गया था।
वैसे मित्रों! आपको जानकर और भी अधिक हैरानी होगी की, ये सिद्धांत बंबल बी यानी “भंवरे” के गतिविधियों को ही देख कर लिया गया है। अकसर भंवरे शहद की तलाश में काफी दूर तक चले जाते हैं और इसी बीच वो कई बार एक साथ अलग-अलग दिशा में एक खास पैटर्न में आगे बढ़ते हैं, हालांकि ज़्यादातर ये पैटर्न अव्यवस्थित होते हैं। परंतु इसी से ही ये सिद्धांत हैं।
अब आप लोग सोच रहें होंगे की, आखिर कैसे एक कीड़े की गतिविधियों को आधार कर के हम ब्रह्मांड के फैलाव को समझ पायेंगे। तो, मित्रों जरा सब्र करिये मेँ आपको इसके बारे में ही बताऊंगा। परंतु उससे पहले आप कमेंट कर के बताइएगा की, आपको इसके बारे में क्या लगता हैं?
आखिर कैसे बंबल बी सिद्धांत ब्रह्मांड के फैलाव को बताता हैं? – Relation Between Bumblebee Gravity And Universe Expansion :-
भौतिक विज्ञान के सिद्धांतों के अनुसार वैज्ञानिक मानते हैं की, “सापेक्षता का सिद्धांत (Theory Of Relativity)” ही ब्रह्मांड के हर एक सवाल का जवाब देने में सक्षम हैं। परंतु ऐसा नहीं हैं, आज भी ब्रह्मांड के कई ऐसे सवाल मौजूद हैं जिसका उत्तर सापेक्षता का सिद्धांत भी नहीं दे सकता हैं। हालांकि! हमें ये भी ध्यान रखना होगा की ब्रह्मांड के हर एक जगह पर सापेक्षता का सिद्धांत काम नहीं करता हैं। इसलिए इन खास जगहों पर कई आधुनिक और नए सिद्धांत अपने अस्तित्व में आते हैं जैसे की “बंबल बी” ग्रैविटी सिद्धांत (bumblebee gravity in hindi)।
कई दशकों पहले दिये गए सिद्धांत आज के समय में पैदा हो रहें उलझनों को सुलझा नहीं सकते हैं। यहाँ पर एक उदाहरण आप ब्लैक होल का ले सकते हैं। पुराने सिद्धांत हमें ब्लैक होल के अंदरूनी हिस्से को समझा नहीं सकते हैं परंतु बंबल बी जैसे आधुनिक सिद्धांत हमें इसके बारे में काफी कुछ बता सकते हैं। पुराने सिद्धांत दावा करते हैं की हमारा ब्रह्मांड पूरे तरीके से सीमेट्रिकल नहीं है। ब्रह्मांड में मौजूद कई ऐसे कारक हैं जो की ब्रह्मांड को कभी सीमेट्रिकल होने नहीं देते हैं। इसका एक ही मतलब हैं की अंतरिक्ष में कुछ ऐसे अनजान ऊर्जा हैं जो की इस काम को अंजाम दे रही हैं।
बंबल बी (भंवरे) के बारे में वैज्ञानिक मानते आ रहे थे की, बंबल बी उड़ नहीं सकते हैं क्योंकि हम उनके पंखों के बारे में जानते ही नहीं थे। इसके अलावा उनके पंख आखिर कैसे उन्हें उड़ने के लिए मदद करते हैं इसके बारे में भी हमें कुछ नहीं पता था। ठीक इसी तरह वैज्ञानिकों को गुरुत्वाकर्षण बल के बारे में भी ज्यादा कुछ समझ में नहीं आ रहा था की, आखिर कैसे ये बल बना और वस्तुओं तथा ब्रह्मांड में काम करता हैं।
बंबल बी ग्रैविटी और डार्क एनर्जी! :-
कई वैज्ञानिक मानते हैं की, हमारे ब्रह्मांड का फैलाव “डार्क एनर्जी” के कारण हो रहा हैं। तो, इसी को समझने के लिए ही हमें बंबल बी ग्रैविटी सिद्धांत (bumblebee gravity in hindi) की मदद लेनी पड़ी। बंबल बी सिद्धांत डार्क एनर्जी के कारण ब्रह्मांड में हो रहें त्वरण फैलाव (accelerated expansion) को सही तरीके हमें समझने में हमारी मदद करता है। डार्क एनर्जी के कारण इतनी ऊर्जा उपलब्ध हो जाती हैं की ये ब्रह्मांड में त्वरित फैलाव को अंजाम दे सकता है। इसके अलावा हमें डार्क एनर्जी के स्रोत के बारे में भी कुछ पता नहीं है, इसलिए बंबल बी सिद्धांत इस घटना के लिए एक दम सही विवरण हैं।
इसके अलावा ये सिद्धांत हमारे कई मूल भौतिक सिद्धांत को भी उल्लंघन करते हैं जो की ब्रह्मांड को ले कर हमारे सोच को ही बदल दे रहा हैं। ऐसे में इस सिद्धांत के सत्यता को प्रमाणित करने के लिए हमें एक ऐसी जगह की जरूरत हैं जहां गुरुत्वाकर्षण बल अपने चरम सीमा पर हो, जैसे की एक ब्लैक होल के अंदर की जगह। वैसे तो ब्लैक होल के अंदर जा कर इस सिद्धांत को प्रमाणित करने का काम शायद कभी संभव हो, परंतु वैज्ञानिक इसके विकल्पों को देख रहें हैं।
खैर इसके बारे में हम आगे इस लेख में बात करेंगे ही, परंतु उससे पहले और एक बात आप लोगों को जान लेना जरूरी है। वैज्ञानिक ब्लैक होल के बारे में भी ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं और न ही डार्क एनर्जी के बारे में।
निष्कर्ष – Conclusion :-
वैज्ञानिक बंबल बी ग्रैविटी सिद्धांत (bumblebee gravity in hindi) को और अधिक जानने के लिए ब्लैक होल के परछाई को विकल्प के तौर पर इस्तेमाल कर रहें है। अगर आपको याद हैं तो पिछले साल ब्लैक होल की आयी पहली तस्वीर में आप जिस काले खाली स्थान को केंद्र में देख रहे थे वो असल में ब्लैक होल की परछाई थी जो शायद इसी बंबल बी सिद्धांत के असलियत को भी दर्शाता हैं।
वैसे ब्लैक होल को आधार मानकर हम डार्क एनर्जी के कारण हो रहें ब्रह्मांड के फैलाव को आसानी से भाँप सकते हैं। हालांकि! इसमें एक गज़ब की बात सामने आयी। वैज्ञानिकों के अनुसार अगर किसी ब्लैक होल के परछाई को डार्क एनर्जी के कारण हो रहें हैं फैलाव वाले ब्रह्मांड में रखा जाए तो उसका आकार अपने मूल आकार से 10% छोटा हो जाता है। क्योंकि फैलाव के कारण उमसे खिंचाव हो कर वो छोटा हो जा रहा है।
खैर इसमें आपको साफ पता चल रहा होगा की, ब्लैक होल के परछाई का फैलाव यानी उसके आसपास मौजूद अंतरिक्ष का फैलाव। मित्रों! साधारण वातावरण में आप इस फैलाव को कभी भी भाँप नहीं पायेंगे क्योंकि जो ऊर्जा इसे अंजाम दे रहीं हैं उसको हम देख ही नहीं सकते हैं। इसलिए इस सिद्धांत को हम कल्पना करके ही ज्यादा बेहतर ढंग से समझ सकते है।
Sources :- www.space.com, www.journal.aps.org.