हमारे इस ब्रह्मांड में हमेशा कुछ न कुछ घटित होता ही रहता है। कहने का अर्थ ये है कि, ये ब्रह्मांड हमारे लिए एक प्रकार से विचित्र ही बन चुका है। मैंने आप लोगों को कुछ समय पहले सुपरनोवा के बारे में बताया था, परंतु आज हम उसके भाई यानी “बॉसनोवा” ( Bosenovas Explosion Around Us) के बारे में चर्चा करने वाले है। जी हाँ! आप लोगों ने बिलकुल सही सुना, आज हम ब्रह्मांड में हो रहें कुछ बड़े व शक्तिशाली धमाकों के बारे में फिर से बातें करेंगे और यकीन मानिए ये लेख वाकई में काफी ज्यादा रोचक होने वाला है।
इसके अलावा आप लोगों को मैं बता दूँ कि, सुपरनोवा और बॉसनोवा के बीच काफी ज्यादा समानताएँ मौजूद हैं। इसलिए आप लोगों से अनुरोध है कि, इस लेख को पढ़ने के बाद सुपरनोवा से जुड़ी लेखों को भी आप पढ़ सकते हैं। मित्रों! इसके अलावा एक बात ये भी है कि, बॉसनोवा ( Bosenovas Explosion Around Us) जैसी चीजों के बारे में जानना, अपने-आप में ही एक बहुत ही बड़ी बात है। इसलिए इस लेख को आरंभ से ले कर अंत तक जरूर पढ़िएगा, ताकि आप लोगों को ये विषय पूरे तरीके से समझ में आ जाए।
खैर चलिये अब लेख में आगे बढ़ते हुए, असल विषय के ऊपर चर्चा शुरू करते हैं।
विषय - सूची
“बॉसनोवा” ब्रह्मांड के धमाके! – Bosenovas Explosion Around Us :-
मित्रों! आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि, हमारे ब्रह्मांड का ज़्यादातर हिस्सा हमें दिखाई ही नहीं पड़ता है। कहने का अर्थ ये है कि, हम ब्रह्मांड में मौजूद काफी सारे चीजों को नहीं देख सकते हैं। जिसका अर्थ ये है कि, ब्रह्मांड में कई सारे अनदेखे सितारे भी मौजूद हैं। खैर जब अनदेखे सितारे मौजूद हैं तो, उनका अंतिम समय भी एक न एक दिन तो आता ही होगा। यहाँ वैज्ञानिक ये मानते हैं कि, इन सितारों का अंत भी बाकी साधारण सितारों के तरह ही होता है। जैसे साधारण (Normal) सितारे सुपरनोवा के धमाके से नष्ट होते हैं, ठीक उसी तरह अनदेखे सितारे बॉसनोवा ( Bosenovas Explosion Around Us) के धमाके से नष्ट होते हैं।
आप लोगों की अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, डार्क मैटर से बने हुई अनदेखे सितारों को वैज्ञानिक “Boson Stars” कहते हैं। और इसी सितारे के नष्ट होने के नाम को ही “बॉसनोवा” कहते हैं। हमारे ब्रह्मांड का 85% हिस्सा डार्क मैटर से बना हुआ है और हम लोगों को इसके बारे में कुछ भी नहीं पता है। आज तक वैज्ञानिकों को बस इतना ही पता है कि, डार्क मैटर नॉर्मल मैटर के ऊपर अपना गुरुत्वाकर्षण बल लगा कर उसके ऊपर अपना प्रभाव डालता है। इसलिए अभी तक डार्क मैटर की मौजूदगी को ले कर ठोस जानकारी जुटाना बाकी है। इसके बिना हम डार्क मैटर से जुड़ी कोई भी जानकारी सटीक रूप से नहीं निकाल सकते।
कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार डार्क मैटर के मौलिक कण वजन में काफी ज्यादा हल्के होते हैं और ये दुनिया के सबसे हल्के पार्टिकल्स “Neutrino” से भी कई अरब-खरब गुना कम वजनी हैं। आप लोगों को बता दूँ कि, न्यूट्रीनो का वजन इलेक्ट्रॉन के वजन से लगभग 5,00,000 गुना कम है।
बड़ी ही अद्भुत है ये चीज़! :-
बॉसनोवा ( Bosenovas Explosion Around Us) के कारण वैज्ञानिकों के पास अभी डार्क मैटर को ले कर कई सारे सिद्धांत आ रहें हैं। इसलिए आज डार्क मैटर के मौलिक कणों के कई अलग-अलग और अद्भुत बर्ताव के बारे में पता चल रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार नॉर्मल मैटर के मौलिक कणों के विपरीत डार्क मैटर के मौलिक कण एक तरंग की भांति ब्रह्मांड में मौजूद रहते हैं। जिस प्रकार से समुद्र में जल की तरंगे बहती हैं, ठीक उसी प्रकार से ब्रह्मांड में डार्क मैटर के मौलिक कण बहते हुए रहते हैं।हालांकि कुछ वैज्ञानिकों की इसको ले कर अलग ही राय है।
एक अजीब बात ये हैं कि, कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार डार्क मैटर के मौलिक कण एक-दूसरे से काफी शक्तिशाली ढंग से जुड़े हुए होते हैं। ये ही वजह है कि, इन कणों कि सघनता (Density) काफी ज्यादा एक जगह पर बढ़ जाती है। मित्रों! ये सघन जगह बाद में और भी ज्यादा सघन हो कर “बोसॉन स्टार” का रूप ले लेती है। तो आप एक हिसाब से कह सकते हैं कि, इसी प्रक्रिया के जरिए ही बोसन स्टार का जन्म होता है। बेहरहाल डार्कमैटर के इस कण को “बोसॉन” कहते हैं।
हालांकि! एक खास बात ये है कि, बोसॉन के कण दो विपरीत बलों के द्वारा ब्रह्मांड में संतुलित हो कर रहते हैं। ये ही वजह है कि, हमें इनके बारे में इतना कुछ पता नहीं चल पाता है। क्योंकि ये पहले से ही संतुलित हो कर रहते हैं। वैसे कई वैज्ञानिकों का ये भी मानना है कि, डार्क मैटर डार्क एनर्जी को भी ब्रह्मांड में विकिरित करता हैं। जिससे गुरुत्वाकर्षण बल का कोई प्रभाव ही नहीं रहता है।
नजर न आने वाला सितारा! :-
अगर ब्रह्मांड के किसी भी चीज़ के ऊपर गुरुत्वाकर्षण बल सही तरीके से काम नहीं करेगा और वो डार्क मैटर से बना होगा; तो वो हमारे लिए अनजान-नजर न आने वाली चीज़ हो कर रह जाएगी। येही वजह हैं कि, हमारे इतने कोशिशों के बाद भी वैज्ञानिक डार्क मैटर के बारे में कुछ पता नहीं लगा पाएँ हैं। एक बात ये भी हैं कि, डार्क मैटर हारे नॉर्मल मैटर से काफी कम इंटेरेक्ट करता हैं; जिसके कारण हम चाह कर भी डार्क मैटर से संपर्क नहीं साध सकते हैं। खैर बॉसनोवा धमाके ( Bosenovas Explosion Around Us) से जो प्रभाव ब्रह्मांड के ऊपर पड़ता हैं, आज भी उसको समझने के लिए हमें काफी समय लग जाएगा।
वर्तमान में किए गए एक खोज से ये पता चला है कि, बीतते समय के साथ बोसॉन पार्टिकल अपना द्रव्यमान (Mass) बढ़ाता रहता है। वैज्ञानिक कहते हैं कि, मास गैन करने की प्रक्रिया सीधे तरीके से या फिर किसी दूसरे बोसन सितारे के साथ मिल कर संभव होता है। आप लोगों को यहाँ बता दूँ कि, बोसन पार्टिकल अपने अंदर डार्क मैटर को समाने में सक्षम है। खैर एक समय ऐसा भी आता है जब बोसन पार्टिकल अपने अंदर और डार्क मैटर को समाने में सक्षम नहीं हो पाते हैं और डार्क मैटर से बना सितारा काफी भारी होने लगता है।
काफी ज्यादा भारी वजन के चलते अंत में डार्क मैटर भी गुरुत्वाकर्षण के बल को और रोक नहीं पाता है। ये ही वजह है कि, अंत समय आते-आते डार्क मैटर से बना हुआ सितारा अपने खुद के वजन के कारण अपने अंदर ही नष्ट होने लगता है। मित्रों! आप लोगों को बता दूँ कि, ये वो समय हैं जहां “बोसॉननोवा” होना शुरू होता है।
निष्कर्ष – Conclusion :-
डार्क मैटर से बने हुई सितारों का अंत काफी धीरे-धीरे होता है। कहने मतलब ये है कि, सितारों का अंत एक झटके में नहीं होता है। परंतु जब बॉसनोवा ( Bosenovas Explosion Around Us) की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, तब डार्क मैटर के मौलिक कण एक दूसरे के साथ टकराने लगते हैं। आप लोगों को बता दूँ कि, ये टक्कर इतनी घातक होती है कि, टक्कर के बाद दोनों ही मौलिक कण नष्ट होने लगते हैं। खैर एक खास बात ये है कि, बोसॉन सितारों से निकलने वाले मौलिक कण डार्क एनर्जी को ब्रह्मांड में विकिरित (Radiate) करते हैं, परंतु बोसॉन पार्टिकल काफी ज्यादा हल्के होने के कारण उनकी टक्कर की प्रक्रिया के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं चलता है।
वैसे कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार हमारे सौर-मण्डल के आस-पास भी कई सारे बॉसनोवा होने के आसार नजर आते हैं, परंतु विडंबना की बाते ये हैं कि, हम लोगों को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं चलता है। हालांकि! इस प्रक्रिया को ट्रैक करने के लिए काफी सटीक डार्क मैटर डिटेक्टर की जरूरत पड़ती है। वैसे आने वाले समय में ही हम इसके बारे में और ज्यादा जानकारी जुटा पाएंगे।
Source – www.livescience.com