हमारे शरीर के अंदर अरबों कोशिकाएं मौजूद हैं, इसलिए इंसानों को बहू-कोशिय जीव भी कहा जाता है। परंतु दोस्तों ! क्या आपको पता है, हमारी इस दुनिया में एक ऐसा जैविक कण भी है जो की पूरे जीव-मंडल को चला रहा है। जी हाँ! दोस्तों मैं यहां पर बात कर रहा हूँ ATP की (ATP biology in hindi)। यह जो कण है दोस्तों ये वास्तविक तौर पर एक-कोशिय (Unicellular) सूक्ष्मजीवों से लेकर बहू-कोशिय (Multicellular) जानवरों तक में भी दिखाई पड़ता है। इसके बिना हमारा जीव-मंडल जीवित ही नहीं रह पायेगा।
यूं तो ATP (atp biology in hindi) के बारे में आप लोगों ने अपनी स्कूली किताबों में बहुत कुछ पढ़ा होगा, परंतु फिर भी इसके बारे में ज़्यादातर लोगों को उतनी जानकारी नहीं होगी। इसलिए मैंने सोचा की क्यों न एक लेख इसके ऊपर भी लिख लिया जाए। खैर बता दूँ की, इस लेख में हम लोग ATP से जुड़ी हर एक छोटी-बड़ी बातों को जानेंगे, जैसे कि यह काम कैसे करता हैं और इसका हमारे शरीर में क्या महत्व हैं आदि।
वैसे लेख में आगे बढ़ने से पहले दोस्तों बता दूँ कि, मैंने इससे पहले इंसानी शरीर में मौजूद एक जादुई कोशिका “स्टेम सेल” के बारे में भी एक लेख लिखा है। तो अगर आप इंसानी शरीर के इस छुपी हुई व बहुत ही अंजान कोशिका के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो उस लेख को अवश्य ही एक बार जरूर देखें।
ATP क्या हैं? – What Is ATP In Hindi? :-
“ATP यानी Adenosine Triphosphate एक तरह का मौलिक जैविक कण है जो की एक प्रकार से पृथ्वी पर मौजूद हर एक जीवित प्राणी व पेड़ में ऊर्जा के स्रोत का काम करती है “। इसलिए आप इसे जीव-मंडल का मूलभूत आधार व शक्ति-मुद्रा भी कह सकते है। इसके बिना कोई भी जीव अपने अंदर होने वाली जैवीक प्रक्रियाओं को संचालित नहीं कर सकता है। क्योंकि जीवित रहना भी एक तरह से ऊर्जा की खपत करना है और बिना ऊर्जा के जीवित रहना शायद ही संभव है।
वैसे अगर हम यहाँ सूक्ष्मजीवों की बात करें तो, ATP के रूप में यह चयापचय भोजन (Metabolized Food) को अपने अंदर संरक्षित करके रखते है। कहने का तात्पर्य ये है की, चयापचय (metabolism) के बाद भोजन जो है वह ऊर्जा के रूप में परिवर्तित हो जाता है और उसे यह जीव ATP के रूप में संगृहीत करके रखते है। इसके बाद में जब भी इन जीवों को कोई भी कार्य करना होता है तो ऊर्जा के स्रोत के तौर पर ये लोग इन ATP को ही इस्तेमाल करते हैं।
यहाँ पर अगर हम बहू-कोशिय जीवों की बात करें तो, ATP इनके शरीर के लिए शक्ति की मुद्रा हैं (Energy Currency) हैं। सरल रूप में कहूँ तो चलने-फिरने, भागने-दौड़ने और सांस लेने जैसे कार्यकलापों के लिए ऊर्जा की जरूरत पड़ती है। ऊर्जा की इस जरूरत को पूरा करने के लिए हमारे शरीर को ATP खर्च करनी पड़ती है, ये ठीक वैसे ही है जैसे की हम बाजार में किसी वस्तु को खरीदने के लिए मुद्राओं को खर्च करते हैं। इसलिए कई बार ATP को शक्ति की मुद्रा भी कहते है।
ATP कैसे हमारे शरीर को शक्ति प्रदान करती है? – ATP Biology In Hindi :-
एटीपी (ATP biology in hindi) इस जीव मंडल में मौजूद हर एक जीव के अंदर लगभग एक ही प्रकार से ऊर्जा को संरक्षित करके रखती है, परंतु इसके विघटन की प्रक्रिया हर एक जीव के अंदर अलग-अलग प्रकार से होती है। इसलिए हम लोग यहाँ पर इंसानी शरीर के अंदर होने वाले ATP के विघटन की प्रक्रिया के ऊपर नजर डालेंगे।
मूल रूप से इंसानी शरीर के अंदर ATP का विघटन “Hydrolysis” प्रक्रिया के जरिये होता है। Hydrolysis के कारण ATP से “Phosphoryl” ग्रुप निकल जाता है। बता दूँ की Phosphoryl ग्रुप में मूल रूप से एक Phosphate और तीन ऑक्सिजन के कण रहते हैं जो की एक तरह से आयन की तरह काम करते है। वैसे ध्यान में रखने वाली बात यहाँ यह है की, पहले से ATP के अंदर तीन फॉसफेट के कण थे परंतु हाइड्रोलाइसिस के चलते अब इसके अंदर सिर्फ दो फॉसफेट कण बच गए है।
इसलिए दो फॉसफेट कण वाले इस ग्रुप को ADP भी कहते हैं। वैसे बता दूँ की, ATP में होने वाली इस Hydrolysis की प्रक्रिया के कारण ऊर्जा का उत्सर्जन होता है। किसी भी जीव को बढ्ने के लिए शरीर के अंदर ATP का नियमित रूप से खपत और बनना अनिवार्य हैं। वैसे ATP का ADP में परिवर्तित होना एक तरह से कोशीय प्रक्रिया है, जिसके लिए कई तरह के एंजाईम (Enzyme) की जरूरत पड़ती है। इसके बारे में अगर आप चाहें तो मेँ इसके संदर्भ में एक स्वतंत्र लेख लिख सकता हूँ।
ATP का हमारे शरीर में क्या महत्व है? :- Imporatance Of ATP In Our Body! :-
ATP (atp biology in hindi) जो हैं दोस्तों, वह हमारे शरीर में मौजूद हर एक कोशिका के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। बिना ATP के न ही हम शारीरिक तौर पर बढ़ पाएंगे और न ही हम प्रजनन करके अपने वंश का विस्तार कर पाएंगे। बहरहाल ATP हमारे आम दिनचर्या में होने वाली सबसे मूलभूत कार्यों तक के लिए भी जरूरी है।
अगर हम एक नजर सूक्ष्मजीवों के ऊपर भी डालें, तो पता चलेगा की एक-कोशिय होने के बाद भी इनको जिंदा रहने के लिए ATP की जरूरत पड़ रहीं है। उदाहरण के लिए आप जैविक रूप से रात को जगमगाने (प्रकाशित होने वाले) वाले सूक्ष्म-जीवों को ही देख लीजिये। इन सभी जीवों के अंदर रात को जगमगाना उनके जीवित रहने के लिए एक तरह से अनिवार्य हैं और इसके लिए उनको ATP की खपत करनी पड़ती है।
ATP हमारे शरीर में कहाँ बनता हैं? – Where ATP Is Synthesized In Our Body? :-
ATP का संश्लेषण (Synthesis) हमारे शरीर के अंदर “Mitochondria” में होता है। संक्षिप्त रूप से यहाँ बता दूँ की, यह इंसानी शरीर के कोशिका में मौजूद एक बहुत ही महत्वपूर्ण “Organelle” हैं। इसे इंसानी शरीर का “Power House” भी कहा जाता है, क्योंकि यह ATP का संश्लेषण करता है।
वैसे बता दूँ की, Mitochondria के “Matrix” में ATP संश्लेषण होता है। गौरतलब बात यह है की, पेड़-पौधों के अंदर यह प्रक्रिया Mitochondria के अंदर होने के साथ ही साथ “Chloroplast” के अंदर भी होती है।
ATP का हमारे शरीर के ऊपर प्रभाव! :-
अगर हम अपने शरीर के अंदर होने वाले अंदरूनी जैविक प्रक्रियाओं को कुछ समय के लिए नजरंदाज कर भी दें, तो ATP (atp bilogy in hinidi) का प्रभाव हमारे शरीर के ऊपर काफी ज्यादा है। यहाँ पर कहने का तात्पर्य यह है की, इंसानी शरीर को बाहर से बहुत प्रकार के वायरस और बैक्टीरिया आक्रमण करते है जो की हम को बहुत बीमार भी बना सकते हैं। इसलिए पहले से ही सतर्कता के तौर पर इंसानी शरीर के ऊपर प्रभाव डालने वाले सूक्ष्मजीवों की पहचान हम लोग ATP के जरिये कर सकते हैं।
“Microbiological Threats” से निपटने के लिए “ATP Testing Technology” का आज बहुत ही व्यापक रूप से प्रयोग किया जा रहा है। इसके जरिये इंसानों को बीमार बनाने वाले वाह्य कारकों को ढूंढा जा सकता है। वैसे अगर आप थोड़ा गौर से देखें तो पता चलेगा कि, ATP के जरिये न बल्कि हमारा शरीर जीवित रहता है परंतु सूक्ष्म से सूक्ष्म जीव भी इसी प्रक्रिया के सहारे अपने को अस्तित्व में बना कर रखते हैं।
तो, कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है की हमारे शरीर को बीमार बनाने वाले कारकों का पता लगाने के साथ ही साथ शरीर की कार्य क्षमता का विश्लेषण भी हम ATP के जरिये आसानी से कर सकते हैं। वैसे बता दूँ की, इस तकनीक (ATP Testing Technology) के लिए किसी भी व्यक्ति के “Water Managment” स्टेटर्जी के ऊपर भी काफी ध्यान दिया जाता है।
Sources :- www.luminultra.com, www.britannica.com.