मित्रों! विज्ञान आज पूरी पृथ्वी पर राज कर रहा है। विज्ञान के ज़रिए हम आज कई असंभव कामों को भी संभव कर रहे हैं। यह खुशी की बात है कि आज तक विज्ञान ने हमें बहुत ही ज्यादा उपकृत किया है। परंतु क्या यह सिलसिला हमेशा ही ऐसे चलता रहेगा? नहीं, यह सिलसिला हमेशा ऐसे नहीं चल सकता है। आने वाले समय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता AI (artificial intelligence in hindi) जैसी कई आधुनिक विज्ञान की देन हमें बहुत ही ज्यादा प्रभावित करने वाली हैं। दोस्तों! एक न एक दिन तख़्ता पलट ज़रूर होगा और जहाँ हम विज्ञान के ऊपर राज कर रहे हैं, वहाँ विज्ञान हमारे ऊपर राज करेगा।
इतिहास साक्षी है कि जब-जब कोई नया आविष्कार दुनिया भर में प्रशंसा बटोरता है, ठीक उसी समय इस आविष्कार के कारण कई लोगों को काफी प्रभावित भी होना पड़ता है। मैं यहां विज्ञान के आधुनिक आविष्कारों का विरोध नहीं कर रहा हूँ, क्योंकि विकास के लिए ये भी बहुत जरूरी हैं। परंतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI artificial intelligence in hindi) जैसी चीजें मनुष्यों के लिए भविष्य में काफी खतरनाक साबित हो सकती हैं।
विषय - सूची
कृत्रिम बुद्धिमता किसे कहते हैं ? – What Is Artificial Intelligence In Hindi ? :-
आइए सबसे पहले जानते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस AI होता क्या है। जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि यह एक ऐसी बुद्धि है जो की पूर्ण रूप से मशीनों और कोड से बनी होता है और यह लगभग इंसानी बुद्धि की ही तरह काम करती है।
अधिकतर एआई (AI in Hindi) मात्र एक सॉफ्टवेयर होता है जिसे आप किसी भी हार्डवेयर में लगाकर उसे इंटेलिजेंट बना सकते हैं। आप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जो भी रोबोट देखते हैं वह रोबोट असल में बहुत ही मामूली होते हैं। उनके अंदर लगा हुआ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ही मेन पार्ट होता है जो उन रोबोट्स को इतना ज्यादा इंटरेस्टिंग बना देता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को भी अलग-अलग तरीके से काम सौंपा जा सकता है और इसी के दम पर इन्हें तीन कैटेगरी में डाला गया है।
एएनआई (ANI) – Artificial Nero Intelligence
सबसे पहली कैटेगरी होती है एएनआई (ANI) यानी आर्टिफिशियल नेरो इंटेलिजेंस। इसके नाम से ही स्पष्ट होता है कि यह एक ऐसा कृत्रिम बुद्धिमत्ता है जिसे किसी विशिष्ट कार्य के लिए डिज़ाइन किया जाता है। आपने ऐसे कई मोबाइल गेम खेले होंगे जिनमें कंप्यूटर आपके साथ खेलता है। वह वास्तव में नैरो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस होता है।
अगर आप एक शतरंज खेलने वाले कृत्रिम बुद्धिमत्ता को कैरम खेलने के लिए कहेंगे तो वह ऐसा नहीं कर पाएगा। इस तरह का कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI in Hindi) मनुष्यों के लिए कोई खतरा नहीं है क्योंकि यह एक बहुत ही सीमित क्षेत्र में कुशल होता है। यह बहुत बुद्धिमान तो हो सकता है लेकिन कभी भी अपने क्षेत्र से बाहर निकलकर कार्य नहीं कर सकता।”
एजीआई (AGI) – Artificial general intelligence
इसके बाद आता है AGI यानी आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (Artificial general intelligence)। ऐसे एआई (AI in hindi) सिस्टम जो मनुष्यों द्वारा किए जाने वाले लगभग हर कार्य को बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के कर सकते हैं, उन्हें कृत्रिम सामान्य बुद्धिमत्ता कहा जाता है। आपकी जानकारी के लिए, आज तक हम मनुष्यों ने ऐसा कोई भी एआई नहीं बनाया है जो मनुष्यों द्वारा की जाने वाली लगभग सभी गतिविधियों को कर सके।
एएसआई (ASI) – Artificial super intelligence
इसके बाद आती है AI की तीसरी और सबसे खतरनाक श्रेणी जिसे आर्टिफिशियल सुपर इंटेलिजेंस (ASI) कहा जाता है। कई लोग इसे सिंगुलैरिटी कहकर भी बुलाते हैं और शायद यही इसका सबसे आम नाम भी है। यह उस स्तर का कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI in Hindi) है जिसका हम इंसान कभी अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं।
एआई इंजीनियरों के मुताबिक, यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता ऐसी भी समस्याओं को हल कर सकता है जिसका हम इंसान कभी अंदाजा भी नहीं लगा पाएंगे। अगर इसे पूरी तरह से अकेला छोड़ दिया जाए तो यह न केवल बहुत चालाकी से कार्य करेगा बल्कि अपनी संख्या और शक्ति दोनों को ही बढ़ाता चला जाएगा। यह एक ग्रह से दूसरे ग्रह तक अपने आपको स्थानांतरित कर लेगा जो सुनने में ही बहुत ही ज्यादा डरावना लगता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि अगले 100 सालों में हम मनुष्य इतनी विकसित कृत्रिम बुद्धिमत्ता विकसित नहीं कर पाएंगे। लेकिन एक बार अगर यह विकसित हो गई, तो मानव जाति के लिए हमेशा खतरा बना रहेगा। इन कृत्रिम बुद्धिमत्ता को नियंत्रित करने का हमारे पास कोई प्रभावी तरीका नहीं होगा। इसलिए हमें या तो इनसे युद्ध करना होगा या फिर इनके साथ रहकर काम करना होगा। दोनों ही परिदृश्य काफी डरावने हैं। एक तरफ मानव जाति पूरी तरह से विलुप्त हो सकती है, तो दूसरी तरफ हम हमेशा रोबोटों के अधीन रह सकते हैं।
कृत्रिम बुद्धिमता (AI in Hindi) कैसे काम करती है?
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI in Hindi) की संज्ञा जानने के बाद, आपके मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर यह कैसे काम करती है? कई लोग कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कार्य सिद्धांत से परिचित नहीं होते हैं। इसलिए आज मैं इस लेख के इस भाग में इसके कार्य सिद्धांत के बारे में विस्तार से चर्चा करूंगा। दोस्तों! आगे बढ़ने से पहले मैं आपको बता दूँ कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का कार्य सिद्धांत बेहद रोचक और जटिल है। तो, आप सभी से अनुरोध है कि इस भाग को धैर्यपूर्वक पढ़ें।
मित्रों! कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI in Hindi) के कार्य सिद्धांत को समझने के लिए हमें इसके छह मुख्य आधारभूत सिद्धांतों पर गौर करना होगा। तो चलिए, इन आधारभूत सिद्धांतों को एक-एक करके समझते हैं।
1. मशीन लर्निंग (Machine Learning) :-
किसी भी काम को करने के लिए उसके बारे में सबसे पहले जानना बहुत ज़रूरी होता है। इंसान अपने जीवन के कई सारे घटनाओं और अवस्थाओं में बहुत कुछ ज्ञान बटोर लेते हैं। परंतु यंत्रों के लिए यह बात संभव नहीं है। इसलिए यहाँ पर यंत्रों को सीखने के लिए एक विशेष प्रकार के एल्गोरिथ्म का उपयोग किया जाता है।
यहाँ पर मैं आपको और भी बता दूँ कि इन्हीं एल्गोरिथ्म के ज़रिए यंत्र भविष्यवाणी करने में सक्षम हो पाते हैं। मित्रों! मशीन लर्निंग का उदाहरण आप Google के सर्च बार या किसी भी ई-कॉमर्स वेबसाइट के सर्च बार में भी देख सकते हैं। ये आपके पसंदीदा चुने हुए वस्तुओं के हिसाब से आपके लिए उपयुक्त वस्तुओं का भविष्यवाणी करते हुए सही वस्तुओं का विकल्प आपको दिखाते हैं।
इसके अलावा आप Netflix और Uber जैसे अनुप्रयोगों के अंदर भी मशीन लर्निंग के उपयोगिता को आसानी से देख सकते हैं।
2. डीप लर्निंग (Self-educating Machine) :-
चलिए अब AI (Artificial Intelligence in Hindi) के दूसरे कारक, डीप लर्निंग के बारे में विस्तार से जानते हैं। मित्रों! आपको जानकर हैरानी होगी कि इंसानी दिमाग की तरह डीप लर्निंग की प्रक्रिया भी लगभग एक समान है। जैसे इंसानी दिमाग के अंदर न्यूरॉन्स होते हैं, ठीक उसी तरह यंत्रों के अंदर भी एक यांत्रिक न्यूरल नेटवर्क होता है।
यह नेटवर्क खुद ब खुद कई सारे निर्णय ले कर इतने सक्षम हो जाते हैं कि अब यह खुद नए-नए चीजों से इंसानों की तरह ज्ञान बटोरने लगते हैं। मित्रों! आपको यहां मैं और भी बता दूं कि डीप लर्निंग की प्रक्रिया बहुत ही जटिल होती है। इस प्रक्रिया के अंदर कई सारे यांत्रिक न्यूरल नेटवर्क केवल एक निर्णय के लिए उपयोग किए जाते हैं। एक से अधिक नेटवर्क का इस्तेमाल यहां पर निर्णय को बहुत ही ज्यादा विश्लेषित करते हुए पूर्ण रूप से सटीक बनाने के लिए किया जाता है।
आपको डीप लर्निंग का उदाहरण आपके स्मार्टफोन पर ही देखने को मिलेगा। आमतौर पर Google Assistant और Siri डीप लर्निंग के मुख्य और सबसे सरल उदाहरण हैं। मित्रों! इससे पहले क्या आपको इसके बारे में जानकारी थी? ज़रूर ही कमेंट करके बताइएगा।
3. न्यूरल नेटवर्क (Neural Network) :-
जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि इस तरह के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में neural activity को कॉपी करने का टारगेट रखा जाता है। इसका आसान भाषा में मतलब यह हुआ कि यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसानी दिमाग को mimic करने की कोशिश करता है।
वैज्ञानिक ऐसा बताते हैं कि अगर हम अपने दिमाग में मौजूद न्यूरॉन्स की functioning को हंड्रेड परसेंट तरीके से रीक्रिएट कर पाए तो हम एक इंसानी दिमाग का भी आर्टिफिशियल वर्जन बना लेंगे। हालांकि इस तरह के कामों पर काफी सारे ethical सवाल उठाए जाते हैं इसलिए इसे करना इतना ज्यादा आसान नहीं है।
साथ ही में इंसानी दिमाग को रिप्लिकेट करने का मतलब है चेतना (consciousness) को रिप्लिकेट करना। अभी हम इंसान खुद ही कॉन्शसियसनेस को पूरी तरीके से नहीं समझ पाए हैं इसलिए उसे कॉपी करके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मैं डालना फिलहाल तो हमारे बस की बात नहीं है।
4. कोग्निटिव कंप्यूटिंग (Cognitive Computing) :-
कोग्नेटिव कंप्यूटिंग कृत्रिम बुद्धिमता का सबसे अनोखा अंग है। इसका काम मूल रूप से इंसानों के साथ यंत्रों की सही रूप से संबंध स्थापित करना है। अगर मैं इसे सरल भाषा में समझाऊँ तो , कोग्निटिव कंप्यूटिंग कृत्रिम बुद्धिमता का वह अंग है जो की इंसानी भाषा को सही तरीके से समझ कर इसे यांत्रिक भाषा में तब्दील करता है।
इस अंग के बिना AI (Artificial Intelligence in Hindi) का कार्य प्रणाली पूर्ण रूप से व्यर्थ हो जाएगा | इसलिए इसका महत्व आज काफी ज्यादा है।
5. नैचुरल लेंगुएज प्रोसेसिंग (Natural Language Processing) :-
मित्रों! आपको तो पता ही होगा कि यंत्रों में इंसानी भाषाओं का कोई महत्व नहीं है। इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि वैज्ञानिक यंत्रों के लिए एक अलग से यांत्रिक भाषा का निर्माण करें। वैसे तो आमतौर पर कंप्यूटर में बाइनरी भाषा का उपयोग होता है, परंतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता AI (Artificial Intelligence in Hindi) के लिए वैज्ञानिकों ने एक अलग से भाषा का भी निर्माण किया है।
मैं आपको यहां और भी बता दूं कि प्राकृतिक भाषा संसाधन या NLP एक प्रकार की यांत्रिक भाषा है जो आमतौर पर कंप्यूटर और स्मार्ट डिवाइस के अंदर इस्तेमाल की जाती है। इस भाषा के जरिए कोई भी यंत्र मनुष्य की तरह बात-चीत और शब्दों का सही से उच्चारण कर सकता है।
उदाहरण के तौर पर आप Google ट्रांसलेटर के वॉइस विकल्प को ही ले लीजिए। यहां आपको NLP के जरिए शब्दों का सही और सटीक उच्चारण यंत्रों के द्वारा सुनने को मिल रहा है।
6. कंप्यूटर विजन (Computer Vision) :-
कंप्यूटर विजन AI (Artificial Intelligence in hindi) का आखरी सबसे गुरुत्वपूर्ण अंग हैं | चलिए अब इसके बारे में विस्तृत में जान लेते हैं | मित्रों ! इंसानी आंखों की ही तरह कंप्यूटर का भी अपना ही एक प्रकार का आंख होता हैं | यह आंखें उसे कई सारे ग्राफ , फोटो , टेबल आदि देखने व सही तरीके से समझने में मदद करता हैं |
मित्रों ! इन आंखों के बिना कोई भी कृत्रिम बुद्धिमता अधूरा हैं | हालांकि इसके बिना भी यह कई सारे काम कर सकता हैं | खैर कंप्यूटर विजन के आज कई सारे लाभकारी परिणाम इंसान इस्तेमाल कर रहा हैं | यह इंसानी सभ्यता के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इस से आज कई प्रकार के खोज और शोध किया जा रहा है।
इसके अलावा कंप्यूटर विजन को (Computer Vision) आज स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी काफी ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा हैं | इस से मरीजों के शरीर के अंदर छुपी हुई बीमारियों को खोजा जा रहा है। आप लोगों ने अगर कभी एक्स-रे का उपयोग किया हैं तो , मेँ आपको बता दूँ की यह एक प्रकार से कंप्यूटर विजन ही है।
आपको क्या लगता हैं ! क्या सच में कृत्रिम बुद्धिमता AI (Artificial Intelligence in hindi) हमारे लिए वरदान है?
2024 में AI के कई महत्वपूर्ण आविष्कार:
2024, बिलकुल, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI in Hindi) के क्षेत्र में एक अच्छा वर्ष रहा है। इस वर्ष हमने कई आश्चर्यजनक और ताकतवर AI देखे हैं, इनकी कार्यक्षमता सभी को हैरान कर देती है। अब आइए, 2024 के कुछ प्रमुख AI आविष्कारों पर एक नज़र डालते हैं:
1. जेनरेटिव AI का उदय:
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- छवियों का सृजन: DALL-E 3 और Midjourney जैसे मॉडल अब केवल टेक्स्ट विवरण के आधार पर अत्यंत प्रभावशाली और एकदम यथार्थ छवियां बना सकते हैं।
- पाठ उत्पन्न करना: GPT-4 जैसे मॉडल अब अधिक रचनात्मक और विस्तृत पाठ उत्पन्न कर सकते हैं, जो लेखन, कोडिंग और यहां तक कि संगीत रचना जैसे कार्यों में भी सहायक हो रहे हैं।
2. स्वायत्त वाहनों (Automatic Vehicles) में प्रगति:
- अधिक एडवांस सेंसर: स्वायत्त वाहनों में अब अधिक उन्नत सेंसर और कैमरे लगे हैं, जो उन्हें अपने आसपास के वातावरण को बेहतर ढंग से समझने में मदद करते हैं।
- अधिक जटिल परिस्थितियों को संभालने की क्षमता: ये वाहन अब अधिक जटिल परिस्थितियों जैसे कि भारी बारिश, बर्फबारी और भीड़भाड़ वाली सड़कों को संभालने में सक्षम हैं।
3. स्वास्थ्य देखभाल में AI का उपयोग:
- रोग का निदान: AI अब कई बीमारियों का अधिक सटीकता से निदान करने में मदद कर रहा है, विशेष रूप से कैंसर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों का।
- दवा खोज: AI दवाओं की खोज को तेज करने और अधिक प्रभावी दवाएं विकसित करने में मदद कर रहा है।
4. इंटीग्रेटेड सेंसिंग और कम्युनिकेशन (ISAC):
- यह तकनीक संचार और डेटा-संवेदन को एक प्लेटफ़ॉर्म पर एकीकृत करती है, जो स्मार्ट शहरों, स्वास्थ्य देखभाल, और पर्यावरण मॉनिटरिंग के लिए उपयोगी है। उदाहरण के लिए, यह नेटवर्क को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाती है, जिससे ऊर्जा और संसाधनों की बचत होती है।
क्या कृत्रिम बुद्धिमता (AI In Hindi) इंसानों के लिए एक खतरा है?
यह जो शीर्षक में सवाल दिया गया है, वह आज ग्लोबल वार्मिंग की तरह ही एक जटिल समस्या बन गया है। खैर, गनीमत यह है कि अभी यह विकसित देशों के लिए एक समस्या है और भारत जैसे विकासशील देशों के लिए अभी यह समस्या उतनी जटिल नहीं हुई है। परंतु फिर भी हम लोग आज इसके बारे में अवश्य ही चर्चा करेंगे।
महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग, स्पेसएक्स के सीईओ एलोन मस्क तथा माइक्रोसॉफ्ट के जन्मदाता बिल गेट्स जी ने अभी से ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को लेकर काफी ज्यादा चिंता जताई है। एलोन मस्क जी यहां तक कहते हैं कि एक दिन टर्मिनेटर फिल्म की तरह मशीनें इंसानों के ऊपर राज करेंगी।
आने वाले दस सालों के अंदर आपको AI (Artificial Intelligence In Hindi) से जुड़े कई सारे हानिकारक प्रभाव देखने को मिलेंगे। आज विकसित देशों के वैज्ञानिक स्वचालित हथियारों को बनाने में लगे हैं। आज से कुछ दशक बाद शायद आपको युद्धों में इंसान कम और यंत्र ज्यादा देखने को मिलेंगे।
खैर, मैं आपको यहां बता दूं कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कारण कई सारे आधुनिक हथियार इंसानों के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से नहीं चलाए जाएंगे। इन हथियारों को चलाने के लिए AI (Artificial Intelligence In Hindi) का इस्तेमाल होगा जो कि इंसानों के लिए एक बहुत बड़ा खतरा होगा। यहां कोई नहीं कह सकता कि AI अपनी बुद्धि का प्रयोग गलत काम के लिए नहीं करेगा।
यह भी जानें – वैज्ञानिकों ने बनाया एक नया टूल जो बताता है कि कब AI खतरा बन सकता है।
यह भी है AI (Artificial Intelligence In Hindi) के खतरे :-
आपको जानकर थोड़ा अटपटा लगेगा, परंतु यह बात बिलकुल सत्य है। कुछ वैज्ञानिकों का यह कहना है कि आने वाले समय में यंत्र इतने विकसित हो जाएंगे कि वे बड़ी ही आसानी से इंसानी दिमाग को अपने वश में कर सकते हैं। इसके अलावा, वे इंसानों को आसानी से भड़का भी सकते हैं।
मित्रों! चीन की सरकार ने अपने नागरिकों के ऊपर अधिक नियंत्रण के लिए कुछ निर्णय लिए हैं, जिसमें वे उनके ऑनलाइन ब्राउज़िंग डेटा तथा ऑनलाइन गतिविधियों पर नज़र रख सकें। इसके अलावा, जगह-जगह लगे कैमरे आसानी से किसी व्यक्ति की गतिविधियों को भी काफी प्रभावित कर सकते हैं। खैर, यह सब कार्य अभी एक तरीके से AI (Artificial Intelligence in hindi) के द्वारा ही होने वाला है। तो, आप ही सोचिए यह नागरिकों के व्यक्तिगत जीवन में कितना ज्यादा प्रभाव डाल सकता है।
इसके अलावा भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अन्य कई खामियां हैं। मित्रों! जो भी हो, यंत्र जितना भी विकसित और आधुनिक हो जाए, परंतु वह कभी भी न तो इंसान बन सकता है और न ही इंसानों से ज्यादा बुद्धिमान बन सकता है। भविष्य में क्या होगा यह सटीक रूप से अभी कह पाना बिलकुल भी सरल नहीं है। इसलिए आशा सिर्फ यह है कि हम लोग आगे भी AI (Artificial Intelligence in hindi) का आज की तरह ही लाभ के काम में लेंगे। क्योंकि अगर एक बार भी इंसान इसे बुरे कार्यों के लिए इस्तेमाल करने लगा, तो पृथ्वी की तबाही सुनिश्चित है।
निष्कर्ष
AI का भविष्य बहुत रोमांचक है, लेकिन साथ ही यह कई चुनौतियों से भी भरा हुआ है। हमें AI के विकास को सुनिश्चित करने के लिए नैतिक दिशानिर्देशों का पालन करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि इसका उपयोग मानवता के कल्याण के लिए किया जाए।