
इस दुनिया में समय से बलवान कोई दूसरी चीज़ नहीं है। समय के साथ-साथ ये ब्रह्मांड अपना रूप बदलता रहता है और समय के पहलुओं के आधार पर ही हमारी ये दुनिया चलती है। इसलिए समय के बारे में जानना हमारे लिए बहुत ही अनिवार्य हो जाता है, क्योंकि इसी से ही हम हमारी दुनिया में घट रही हर एक घटना को अच्छे तरीके से समझ सकते हैं। तो, आज के इस लेख में हम समय से ही जुड़े एक ऐसे रोचक विषय के बारे में बात करेंगे, जिसको की समय की सबसे छोटी इकाई यानी Zeptosecond (Zeptosecond in hindi) भी कहा जाता है।

Zeptosecond (zeptosecond in hindi) के बारे में मुझे यकीन हैं की, ज़्यादातर लोगों को पता नहीं होगा। बचपन से ही हमने तो समय के इकाइयों को सेकंड, घंटों और मिनटों में ही सुना है। हालांकि! अगर आपने विज्ञान की पढ़ाई स्कूल में की होगी तो, नैनो सेकंड या मिली सेकंड जैसे समय की छोटी इकाइयों (Units) के बारे में ही सुना होगा। खैर बात यहाँ इन इकाइयों की नहीं हैं, यहाँ बात है समय की आज तक के खोजे गए सबसे छोटी इकाई यानी Zeptosecond की।
तो, चलिये इस लेख में आगे बढ़ते हुए समय की सबसे छोटी इस इकाई के बारे में जानते हैं।
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आखिर क्या हैं ये “Zeptosecond”? – What Is Zeptosecond In Hindi? :-
आज से पहले आप लोगों ने समय को कई सारे इकाइयों में खुद बंटते हुए देखा होगा, परंतु क्या आपने कभी समय के सबसे छोटी इकाई के बारे में जानने का प्रयास किया है! शायद नहीं। खैर कोई बात नहीं मेँ आपको यहाँ बताऊंगा समय की सबसे छोटी इकाई जिसे की हम Zeptosecond (zeptosecond in hindi) भी कहते हैं, आखिर कैसे वो समय की सबसे छोटी इकाई बनी।
तो, सबसे पहले में आपको बता दूँ की; आखिर Zeptosecond कहते किसे है? मित्रों! प्रकाश का एक कण एक हाइड्रोजन अणु के अंदर से होकर गुजरने में जितना समय लेता है उसी समय को वैज्ञानिक Zeptosecond के आधार पर मापते है। ये समय का इकाई इतनी छोटी हैं की, आप इसे रोज़मर्रा में कभी इस्तेमाल करने का सोच भी नहीं सकते है।

Zeptosecond आखिर वास्तव में कितना समय है? :-
वैसे बता दूँ की, प्रकाश के एक कण को हाइड्रोजन के अणु के अंदर से होकर गुजरने में लगभग 247 Zeptosecond का समय लगता है। मित्रों! अब तक पूरे ब्रह्मांड में इससे ज्यादा तेज कोई प्रक्रिया नहीं है जो की होने के लिए 247 Zeptosecond से भी कम वक़्त का समय ले। यहाँ एक खास बात ये हैं की, एक “Zeptosecond एक Second का एक खरब अरब हिस्सा है”। अगर में इसे और सरल तरीके से कहूँ तो, एक Zeptosecond एक Second का 100000000000000000000 वां हिस्सा है। तो, आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं की, ये समय की कितनी छोटी इकाई है। अच्छा! मुझे जरा कमेंट कर के बताइएगा की; किन-किन को Zeptosecond के बारे में पहले से पता था।
वैसे इससे पहले 2016 में वैज्ञानिकों ने Laser के जरिये लगभग 850 Zeptosecond को मापने में सक्षम हुए थे। इससे पहले वैज्ञानिकों को लगता था कि समय की सबसे छोटी इकाई “एक Femtosecond” हैं। खैर इसके बारे में हम आगे बात करेंगे।
Femtosecond और Zeptosecond के बारे में कुछ विशेष बातें :-
मित्रों! सबसे पहले आप 1 Femtosecond किसे कहते हैं, उसे जान लीजिये। “एक सेकंड के दस लाख अरब हिस्से को एक Femtosecond कहते है”। आमतौर पर पदार्थों के अंदर जीतने भी रासायनिक प्रतिक्रीयाएँ होती हैं, उन सभी को Femtosecond के आधार पर मापा जाता है। इससे हमें रासायनिक प्रतिकियाएँ कितने समय में घटित हो रहीं है उसके बारे में पता चलता है। कई वैज्ञानिकों का ये भी कहना हैं की, Femtosecond के अंदर ही बॉन्ड (Bond) का टूटना और जुड़ाव जैसी प्रक्रियाएँ भी समाप्त हो जाती हैं।

वैसे ध्यान देने वाली बात ये हैं की, समय के इन छोटी इकाइयों को मापने के लिए वैज्ञानिकों को कई खास उपकरणों की जरूरत होती है। वैसे इन जरूरी उपकरणों में “Particle Accelerator” का नाम सबसे आगे आता है। खैर Zeptosecond को मापने के लिए वैज्ञानिकों ने “PETRA III” नाम के Particle Accelerator का इस्तेमाल किया था। इस Accelerator के अंदर एक्स-रे को प्रवेश करवा कर समय के कई बेहद ही छोटी इकाइयों को आसानी से मापा जा सकता है।
मित्रों! अब जब आपने Zeptosecond (zeptosecond in hindi) के बारे में काफी कुछ जान लिया है तो; चलिये अब इसे आखिर किस तरीके से Particle Accelerator के जरिये खोजा गया था उसके बारे में भी जान लेते है।
आखिर कैसे वैज्ञानिकों ने समय के इस बेहद ही छोटी इकाई “Zeptosecond” को ढूंढा! :-
लेख का ये भाग थोड़ा महत्वपूर्ण होने वाला है, इसलिए इसे गौर से पढ़िएगा। जब वैज्ञानिकों ने Zeptosecond (zeptosecond in hindi) के बारे में वैज्ञानिक प्रयोग करना शुरू किया, तब उन्होंने सबसे पहले एक्स-रे में मौजूद एक फोटोन को उत्तेजित करवाया। ध्यान देने वाली बात ये हैं की, यहाँ पर ये Photon का कण प्रकाश के कण के समान ही है। जब ये Photon का कण उत्तेजित हो गया तब, इसे हाइड्रोजन अणु की और टकराने के लिए छोड़ दिया गया।
बता दूँ की, फोटोन का ये कण बाद में हाइड्रोजन अणु के अंदर पहले से मौजूद दो इलेक्ट्रॉन से टकराया जिससे वो दोनों ही इलेक्ट्रॉन हाइड्रोजन अणु के बाहर चले गए। गौरतलब बात ये भी हैं की, जब फोटोन का कण हाइड्रोजन अणु के अंदर मौजूद इलेक्ट्रॉन से टकराता हैं तब एक इलेक्ट्रॉन तो उसी समय ही हाइड्रोजन अणु से बाहर चला जाता है, परंतु जो दूसरा इलेक्ट्रॉन होता है वो फोटोन के कण को बाहर उछाल कर ही आपने पूर्व ओर्बिट से हिलता है। इसलिए इस प्रक्रिया को बाहर से देखने लगता हैं की, फोटोन का कण इलेक्ट्रॉन से टकरा कर बाहर की और उछलता हुआ चला जा रहा है।

वैसे जब फोटोन का कण टकरा कर हाइड्रोजन अणु से बाहर की और चला जा रहा होता है, तब वो अपने पीछे कई तरंगों (Interference) को बना कर चलता है। इन तरंगों के जरिये वैज्ञानिक टकराव की इस प्रक्रिया को बड़े ही आसानी से विश्लेषित कर पाते है। वैसे तरंगों को ढूँढने के लिए, COLTRIMS Microscope का इस्तेमाल किया जाता है। एक खास बात ये भी हैं की, ये माइक्रोस्कोप बहुत ही तेजी से फोटोन के द्वारा बने इन Interference को ढूंढ देता है।
निष्कर्ष – Conclusion :-
वैज्ञानिकों का कहना हैं की, जब फोटोन हाइड्रोजन अणु से टकराता हैं तब जो Interference या तरंग पैदा होता हैं; वो Zeptosecond (zeptosecond in hindi) जैसे समय की छोटी इकाइयों को मापने के काम में आता है। क्योंकि! इन्हीं Interference के जरिये ही इलेक्ट्रॉन के साथ कब क्या हुआ वो पता लगता है। बिना Interference के वैज्ञानिकों को ये कभी पता नहीं चल पाता की, टक्कर के बाद वो दोनो इलेक्ट्रॉन आखिर कहाँ गईं। तो, आप समझ सकते है की; यहाँ पर इन Interference का मौजूद होना कितना जरूरी है।

फोटोन का हाइड्रोजन अणु के पास आना और अणु के अंदर मौजूद दोनों ही इलेक्ट्रॉन के साथ टकराना तथा टक्कर के पश्चात फोटोन का उछल कर अणु से बाहर चले जाने की प्रक्रिया केवल और केवल 247 Zeptosecond के अंदर ही घट जाता है। प्रक्रिया इतनी तेज होती हैं की, इसके बारे में कोई इंसान सोच भी नहीं सकता है। इस प्रक्रिया को मापना यानी हाइड्रोजन अणु के अंदर प्रकाश को मापना के समान है। थोड़ी सी चूक और सब गड़बड़ हो जाने की पूरी-पूरी संभावना हमेशा बनी रहती है।
वैसे वैज्ञानिक ये भी कह रहें हैं की, जब फोटोन हाइड्रोजन अणु के साथ टकराया तब इलेक्ट्रॉन तुरंत फोटोन से रियाक्ट नहीं किया। बहुत ही कम क्षण के लिए ये स्थिर रह कर, बाद में ये बाहर चला गया। मित्रों! समय के इसी अंतराल को ही, Zeptosecond का नाम दिया गया। खैर ये अंतराल प्रकाश के रफ्तार के जितने तेजी से बीत भी गया।
Sources :- www.space.com.