अन्तरिक्ष एक पहेली हैं। हम मानवों के लिए इसे समझना बहुत ही मुश्किल हैं। क्योंकि ये अन्तरिक्ष या यूं कहें कि, इस ब्रह्मांड के सामने हम लोगों की औकात ही कुछ नहीं हैं। जब भी बातें इसके ऊपर होते हैं, हमेशा कुछ न कुछ अलग ही तथ्य हमारे सामने आ जाते हैं। जिसके लिए हमें अपनी पूरी समझ को फिर से एक बार नया करना पड़ता हैं। मित्रों! तथ्य तो कई सारे हैं, परंतु जिस बात ने हमें सबसे ज्यादा उलझन में डाला हैं; वो है “Antimatter” (Antimatter on International Space Station) की। ये एक ऐसी चीज़ हैं, जिसे समझना हमारे लिए लगभग असंभव ही हैं।
पूरी दुनिया में एंटी मैटर (Antimatter on International Space Station) की चर्चाएँ अपने ज़ोर पर हैं। मित्रों! आप लोगों को जानकर हैरानी होगा कि, ये मैटर हमारे लिए काफी ज्यादा रहस्य बना हुआ हैं। क्योंकि ये कोई साधारण पदार्थ नहीं है। ये असल में काफी ज्यादा असाधारण हैं और इसे समझने के लिए मानव ने काफी कोशिश भी की है। हालांकि! अभी तक इसके अस्तित्व को समझने के लिए कोई भी पुख्ता जानकारी या ठोस सबूत मिल नहीं पाए हैं।
तो, आज के हमारे इस लेख का विषय भी इसी एंटी-मैटर के ऊपर ही होगा। क्योंकि हाल ही में कुछ ऐसे रिपोर्ट्स सामने आए हैं, जो की शायद आप लोगों की होश ही उड़ा दे। इसलिए लेख को शुरू करने से पहले आप लोगों से अनुरोध हैं कि, इसे आरंभ से ले कर अंत तक जरूर पढ़िएगा।
विषय - सूची
इंटर-नेशनल स्पेस स्टेशन पर मिला “Antimatter”! – Antimatter on International Space Station :-
मित्रों! अगर आप लोगों को ऐसा लग रहा हैं कि, एंटी-मैटर की ये घटना नया हैं तो मेँ बता दूँ कि; आप लोगों का ऐसा सोचना थोड़ा सही नहीं हैं। आज से लगभग 8 साल पहले एंटी-मैटर की ये घटना सबसे पहले सामने आयी थी। एंटी-मैटर (Antimatter on International Space Station) की इंटर-नेशनल स्पेस स्टेशन पर खोज, हमारे नॉर्मल फिजिस्क को अस्त-व्यस्त ही कर दिया हैं। इससे हमारे फिजिक्स के कई सिद्धान्त और उन पर किए गए प्रयगों के ऊपर भी काफी ज्यादा उँगली उठने लगे हैं। और शायद ये ही खास वजह हैं, जिसके लिए हमें इस विषय के तह तक जाना पड़ेगा।
दरअसल बात ये हैं कि, हीलियम के न्युक्लेई के रूप में छोटे-छोटे एंटी-मैटर के पार्टिकल्स को देखा गया हैं; जो की देखने में “Tiny fireballs” जैसे दिखते हैं। हालांकि! आज भी वैज्ञानिकों को इन फायर बॉल्स की उत्पत्ति के बारे में कुछ भी नहीं पता हैं। वैसे यहाँ एक खास बात ये भी हैं कि, ज़्यादातर वैज्ञानिकों को इन फायर बॉल्स के उत्पत्ति को ले कर कई सारे शंसय हैं। जो कि हमारे पास मौजूद डैटा के अभाव को दर्शाता हैं। ये ही वजह हैं कि, हम आज भी इसे समझ नहीं पाए हैं।
अगर मेँ सरल भाषा में कहूँ तो, हर एक मौलिक कण के उसके अपने “Antiparticle” होते हैं। ये एंटी-पार्टिकल आमतौर पर पार्टिकल के चार्ज के विपरीत चार्ज को अपने अंदर समाए हुए रहता हैं। इसलिए जब भी कभी पार्टिकल और एंटी-पार्टिकल आपस के संपर्क में आते हैं, तब दोनों ही पार्टिकल्स तबाह हो जाते हैं। इसलिए इनके ऊपर शोध करना भी काफी ज्यादा कठिन और चुनौतियों से भरा हैं।
इससे खुल सकते हैं “बिग-बैंग” के राज! :-
अन्तरिक्ष विज्ञान में सबसे बड़ी बात “बिग-बैंग” की ही हैं। क्योंकि इसी बिग-बैंग से ही हर एक पहलू का आरंभ हुआ हैं। वैज्ञानिकों के हिसाब से इसी से ही हमारा ब्रह्मांड बना है। तो हमारे समझ में बिग-बैंग की अहमियत काफी ज्यादा है। और सबसे अनोखी बात ये है कि, इसी से ही हमारे ब्रह्मांड के ज़्यादातर राज जुड़े हैं। तो अगर हम किसी हिसाब से बिग-बैंग के अनंत पहेली को समझने में सक्षम हो जाते हैं, तो खुद-व-खुद ब्रह्मांड हमारे समझ में आ जाएगा। और यहाँ हमारी मदद करेगा “एंटी-मैटर”।
क्योंकि ये पदार्थ हमारे ब्रह्मांड के हर एक जगह में फैला हुआ है। रिपोर्ट्स के अनुसार हमारे ब्रह्मांड का 50% हिस्सा इसी एंटी-मैटर (Antimatter on International Space Station) से ही भरा हुआ है। जिसका सीधा सा मतलब है कि, बिग-बैंग के बाद हमारा ब्रह्मांड जल्द ही इसके कारण बर्बाद हो जाएगा। वैसे यहाँ एक हैरान कर देने वाली बात ये भी हैं कि, एंटी-मैटर को डिटेक्ट करना उतना भी आसान नहीं है, जितना की हम सोच रहें हैं। पार्टिकल एक्सलरेटर और स्पेशल डिटेक्टर के जरिये हम इन्हें ढूंढ सकते हैं।
अन्तरिक्ष में होने वाले काफी शक्तिशाली टक्करों में भी हम इन एंटी-पार्टिकल्स को देख सकते हैं। वैसे आप लोगों की अधिक जानकारी के लिए मेँ यहाँ बता दूँ कि, सुपरनोवा जैसे विस्फोट से सिर्फ एक ही एंटी-पार्टिकल निकलता हैं। जिन्हें वैज्ञानिक “Positrons” या “Antiprotons” कहते हैं। हालांकि! इसके ऊपर और भी शोध होना बाकी हैं।
8 साल पहले क्या हुआ था इतना खास? :-
आज से लगभग 8 साल पहले ISS पर एक बहुत ही खास चीज़ घटित हुआ था। दरअसल बात ये हैं कि, उस समय ISS पर लगे “Alpha Magnetic Spectrometer (AMS-02)” ने 10 एंटी-हीलियम के न्युक्लेई को डिटेक्ट किया था। वैसे आप लोगों की अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, इन न्युक्लेई में दो एंटी-प्रोटोन और एक या दो एंटी-न्यूट्रोन मौजूद थे। जब इसके ऊपर गहन शोध किया गया तो, पता चला की ये हमारे नॉर्मल फिजिक्स के नियमों को तोड़ रहा हैं। जिसका सीधा सा मतलब ये हैं कि, हमारे लिए ब्रह्मांड को जानना अभी बाकी हैं।
हालांकि! यहाँ एक खास बात ये हैं कि, एंटीहीलियम-3 और एंटी-हीलियम-4 नाम के दो अलग-अलग कम्पाउण्ड को इसी दौरान खोजा गया। जिसमें एंटी-मैटर के पार्टिकल्स मौजूद थे। एक स्टैंडर्ड मॉडेल के अनुसार, एंटी-हीलियम-4 कम्पाउण्ड को बनने के लिए कम से कम 3 से 4 एंटी-प्रोटोन और एंटी-न्यूट्रोन की जरूरत होते हैं। जिससे ये पार्टिकल्स आपस में मजबूती से बंध कर रह सकते हैं। इसके अलावा इन पार्टिकल्स को एक-दूसरे के बेहद ही पास होने की जरूरत होते हैं।
खैर वैज्ञानिकों के अनुसार हर 10,000 एंटी-हीलियम-3 कम्पाउण्ड में एक एंटी-हीलियम-4 का कम्पाउण्ड बनता हैं। जिससे आप ये अंदाजा लगा सकते हैं कि, एंटी-हीलियम-3 के तुलना में एंटी-हीलियम-4 कितना ज्यादा खास हैं। वैसे आप लोगों को क्या लगता हैं, क्या ये एंटी-पार्टिकल्स आपस में कुछ रिएक्शन करते होंगे या ये नॉर्मल पार्टिकल्स के तरह ही हैं? कमेंट कर के जरूर ही बताइएगा।
निष्कर्ष – Conclusion :-
एंटी-मैटर (Antimatter on International Space Station) की बात ही कुछ अलग हैं। क्योंकि इन से जुड़े डैटा काफी ज्यादा सटीक हैं। हालांकि वर्तमान की बात करें तो, हमारे पास इन से जुड़े डैटा काफी कम हैं। परंतु जीतने भी हैं, वो सब काफी ज्यादा सटीक हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार हर 3-4 एंटी-हीलियम-3 के इवैंट में एक एंटी-हीलियम-4 का इवैंट होता हैं और ये काफी ज्यादा सटीक हैं। वैसे इनको समझने के लिए वैज्ञानिकों ने फायर बॉल्स का सहारा लिया हैं। बता दूँ कि, “fire balls” अन्तरिक्ष की वो जगह हैं; जहां काफी ज्यादा मात्रा में एंटी-मैटर को देखा जा सकता हैं।
अगर कहीं एक बार भी फायर बॉल बन जाता हैं, तो वो प्रकाश के गति के जीतने स्पीड से फैलता हैं। इसी फैलाव के प्रक्रिया के दौरान फायर बॉल अपने आस-पास के इलाके में एंटी-प्रोटोन, एंटी-न्यूट्रोन और एंटी-हिलयम के पार्टिकल्स को उत्सर्जित करता चला जाता हैं। ये हमेशा बाहर की और बढ़ता जाता हैं और कई बार तो ये पृथ्वी तक भी पहुँच जाता हैं, जहां इन्हें डिटेक्ट भी किया गया हैं। फायर बॉल के अनेकों प्रकार और आकृति होते हैं। वैसे यहाँ एक बहुत ही खास बात हैं।
कई वैज्ञानिक मानते हैं कि, फायर बॉल में काफी सारे डार्क-मैटर के पार्टिकल्स भी हो सकते हैं। जो की बाद में उससे एंटी-हीलियम पार्टिकल्स के उत्सर्जन को बढ़ा देते हैं। वैसे ये सब बातें अभी शुरुआती अवस्था में हैं और आने वाले समय में इनके ऊपर और भी ज्यादा शोध होने वाले हैं। जो की शायद हमें इन्हें और भी बेहतर तरीके से समझने में मदद कर पाए।
Source :- www.livescience.com