अगर आप साइंस फिक्शन मूवी देखने में उत्सुक हैं तो, आपने जरूर ही टर्मिनेटर फिल्म देखा ही होगी। उस फिल्म में इंसान और रोबॉट्स (Neuralink Brain Chip Implanted) के बीच हुई लड़ाई को दिखाया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार टर्मिनेटर फिल्म की तरह आने वाले समय में इंसान और रोबॉट्स दोनों ही शायद एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करने लगेंगे, क्योंकि जिस गति से आज का युग मॉडर्न हो रहा हैं, इस बात को बिलकुल भी टाला नहीं जा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने हमारे जिंदगी जीने के प्रोसेस को ही बदल दिया है और एलोन मस्क (Elon Musk) की कंपनी जिस हिसाब से न्यूरालिंक जैसी चीजों को निकाल रहीं हैं, उसे देख कर ये बात और भी ज्यादा पक्की हो जाती है।
न्यूरालिंक (Neuralink Brain Chip Implanted) ये एक ऐसी चीज़ है, जो की आने वाले समय में शायद मेडिकल सैक्टर में क्रान्ति ला सकती है। इससे इंसानी सभ्यता और भी ज्यादा विकसित और सक्षम होने वाली है। वैसे इससे पहले भी हम लोगों ने इस विषय पर काफी सारे बातें की हैं, परंतु हाल ही में जो रिपोर्ट इसके संदर्भ में आई है, ये वाकई में काफी ज्यादा चौंका देने वाली है। इसलिए मित्रों! अगर आप भी इस चौंका देने वाली रिपोर्ट के बारे में जानना चाहते हैं, तो इस लेख कोई अंत तक जरूर पढ़िएगा।
खैर चलिये अब बिना किसी देरी किए, लेख के मूल विषय को शुरू करते हैं और देखते है की आखिर में असल मुद्दा क्या है! वैसे अगर आप लोगों को हमारे लेख पसंद आते हैं, तो हमारे पेज को जरूर बूक मार्क कर लीजिएगा।
इंसान क्या बन जाएंगे रोबॉट! – 1st Neuralink Brain Chip Implanted :-
हाल ही में एक बहुत ही बड़ी खबर सोशियल मीडिया पर सामने आई है। एलोन मस्क ने अपनी सोशियल मीडिया साइट “X” पर एक बहुत ही बड़ी घोषणा कर दी है। दरअसल बात ये है कि, एलोन मस्क ने एक पोस्ट में ये बताया है कि; उनकी कंपनी ने पहली बार किसी जिंदा इंसान के अंदर न्यूरालिंक चिप (Neuralink Brain Chip Implanted) को इन्स्टाल कर दिया है और ये प्रोसेस काफी हद तक सफल रहा है। साथ ही मैं आपको और भी बता दूँ कि, सर्जरी के बाद वो इंसान (जिसके अंदर न्यूरालिंक चिप इन्स्टाल किया गया है) काफी ज्यादा अच्छा व बेहतर महसूस कर रहा है। तो, हाँ! ये एक बहुत ही बड़ी न्यूज़ है।
रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले साल नवम्बर के महीने में न्यूरालिंक ने अपने पहले ह्यूमन सब्जेक्ट के ऊपर ब्रेन चिप इन्स्टाल किया था। वैसे आप लोगों की अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, ये चिप कोई मामूली चिप नहीं है। क्योंकि इस चिप के जरिये एक साधारण इंसान काफी असाधारण कामों को भी आसानी से कर सकता है। खैर इस चिप को “Brain-computer interface (BCI)” कहते हैं और इससे हम कई छोटे-बड़े कामों को अंजाम दे सकते हैं। आप लोगों को क्या लगता है, इस चिप से क्या-क्या काम किया जा सकता होगा?
कंपनी के अनुसार कहा गया है कि, इस चिप के मदद से वो इंसान “टेलीपैथी” के काम कर सकता है। मतलब इस चिप के मदद से सबजेक्ट के दिमाग से आने वाले सिगनल्स को कम्प्युटर के जरिये प्रोसेस कर के कई तरह के अलग-अलग कामों को किया जा सकता हैं। मित्रों! मैं इन कामों के बारे में आगे इस लेख में जरूर ही बताऊंगा।
क्या-क्या काम कर सकती है ये ब्रेन चिप! :-
अब लोगों के मन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि, इस चिप (Neuralink Brain Chip Implanted) के जरिये आखिर ऐसा क्या काम किया जा सकता है, जो की इतना खास है? तो, मित्रों मैं आप लोगों को बता दूँ की, इस चिप के जरिये आप ब्लुटूथ के माध्यम से कई तरह के उपकरणों (Devices) को वायरलेस तरीके से कंट्रोल कर सकते हैं। उदाहरण के स्वरूप आप इस चिप के जरिये अपने स्मार्टफोन या लैपटॉप को भी कंट्रोल कर सकते हैं। इसके अलावा आप स्मार्ट वाचेस, ईयरबड्स आदि चीजों को भी कंट्रोल कर सकते हैं।
मित्रों! जरा सोच कर देखिये की आप जो अपने मन में सोच रहें हैं, उसी के अनुसार अगर आपका स्मार्ट फोन चलने लगे तो, जिंदगी कितनी आसान हो जाएगी। आपको न तो टाइप या वॉइस कमांड देने की भी जरूरत होगी। आपका स्मार्ट फोन ऑटोमैटिक चलने लगेगा और बिना किसी परिश्रम के आपको आपका पसंदीदा टास्क कर के भी दे देगा। तो, ये कहना गलत नहीं होगा की, ये चिप काफी ज्यादा मॉडर्न और भविष्यवादी विचारों को प्रदर्शित करता है।
अधिक जानकारी के लिए आप लोगों को बता दूँ कि, ये चिप दिमाग के अंदर इन्स्टाल किया जाता है और इसको इन्स्टाल करने का तरीका भी काफी ज्यादा अनोखा है। जिसके बारे में आप लोगों ने शायद ही कभी सुना होगा। मित्रों! मैं इस लेख के आगे आने वाले भाग में इस चिप के इन्स्टाल करने के तरीके व प्रोसेस के बारे में चर्चा करूंगा। तो उसे जरा गौर से पढ़िएगा।
आखिर कैसे दिमाग के अंदर इन्स्टाल किया जाता है इस चिप को? :-
न्यूरालिंक (Neuralink Brain Chip Implanted) के बारे में सबसे बड़ी बात ये है कि, ये किसी भी जिंदा इंसान के दिमाग के अंदर लग सकता है। इसलिए हमारे लिए इसके इन्स्टाल करने के प्रक्रिया को जानना बहुत ही जरूरी हो जाता है। मित्रों! आप लोगों को बता दूँ कि, इसको इन्स्टाल करने के लिए रोबॉट कि मदद ली जाती है। रोबॉट के जरिये इंसानी खोपड़ी के अंदर ड्रिल किया जाता है और दिमाग के सोचने व विचार करने वाली जगह पर चिप के इलेकट्रोड्स को लगाया जाता है।
आप लोगों को यहाँ बता दूँ कि, जितना आसान इसका इन्स्टाल प्रोसेस सुनने में लग रहा है; उतना ही कठिन इसे असल में इन्स्टाल करना हैं। क्योंकि यहाँ थोड़ी सी भी गलती हुई कि नहीं, सीधे किसी की जान भी जा सकती है। ये ही वजह हैं कि, कुछ समय पहले अमेरिकी सरकार न्यूरालिंक को काफी ज्यादा मॉनिटर कर रहीं थी। मित्रों! किसी भी जिंदा इंसान के ऊपर किसी भी तरह का प्रयोग/ एक्सपेरिमेंट करना आज के समय में इंसानियत व कानून के विरुद्ध हैं। इसलिए हमेशा से ये प्रोजेक्ट विवादों से घिरा रहा है।
खैर इस प्रोजेक्ट के शुरुआती दिनों में, सबजेक्ट्स को चिप के जरिये कम्प्युटर कर्सर को नियंत्रण करना सिखाया जा रहा था। यहाँ सबसे खास बात ये है कि, इस समय अमेरिकी सरकार भी इसे देख रहीं थी। बाद में जैसे ही इस प्रोजेक्ट को सरकार की मंजूरी मिल गई, तब धीरे-धीरे इसके ऊपर बाकी के विकाशशील काम होने लगे।
निष्कर्ष – Conclusion :-
रिपोर्ट्स बताते हैं कि, न्यूरालिंक (Neuralink Brain Chip Implanted) प्रोजेक्ट में सिर्फ उन लोगों को शामिल किया गया जिन्हें पारालाइसिस की बीमारी है। अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, अगर ये पारालाइसिस गर्दन के नीचे हो तो, न्यूरालिंक को इन्स्टाल करना ज्यादा बेहतर होता है। मित्रों! कंपनी के अनुसार इस चिप के जरिये उन लोगों को ज्यादा लाभ मिल सकता है, जिनका शरीर पारालाइसिस के कारण सही तरीके से काम नहीं करता है।
खैर अगर ये चिप सही तरीके से काम करने लगता है, तब यकिन मानिए न्यूरो साइंस के क्षेत्र में ये किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। मित्रों! इस तरह के उपकरण लोगों के जीवन को ज्यादा अच्छे तरीके से बेहतर बना सकते हैं और उन पीड़ितों की मदद कर सकते हैं जिन्हें इन जैसे चीजों की सबसे ज्यादा जरूरत है। भविष्य में इस तरह के चीजों की और भी ज्यादा खोज होना जरूरी है, ताकि हर कोई अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जी पाएँ।
वैसे यहाँ एक बात ये भी है कि, इन चीजों का सही इस्तेमाल जरूरी है। क्योंकि ये इन्सानों को रोबॉट्स भी बना सकते हैं। इसलिए इनके ऊपर सरकारों को लगातार मॉनिटर करते रहना चाहिए, ताकि किसी भी इंसान के मौलिक हितों का शोषण न हों।