जीवन में कुछ ऐसी चीज़ें भी होती हैं, जिनके बारे में बात तो करना हर कोई चाहता तो है, पर उसके बारे में बातें करने को हर कोई डरता है। जब भी मैं आप लोगों को डर और खौफ के बारे में बताता हूँ, तो आपके मन में सबसे पहली तस्वीर कौन सी आती है? मुझे पता है, ज़्यादातर लोगों के मन में डर और दहशत का मतलब होता है “भूत/ आत्माएँ” (are ghosts real), जिनकी कहानियां हमें बचपन से सुनाया जाती रही हैं। वैसे देखा जाए तो अंधेरी जगहों और आत्माओं की दुनिया को लेकर कई सारे फिल्में बनी हुई है, परंतु कई लोगों के हिसाब से वो सब काल्पनिक कथाओं से संबधित होती हैं।
मित्रों! भूत (are ghosts real) होते या नहीं? यह टॉपिक काफी एक विवादों से भरा हुआ विषय है, परंतु इसके बारे में सोचना य ना सोचना ये हम पर निर्भर करता है। भूतों के बारे में बात करना यानी हवा के बारे में बात करने के जैसा है। जैसे हम हवा को देख या छू नहीं सकते हैं, वैसे ही हम भूतों को न ही देख सकते हैं या न ही छु सकते हैं। ऐसे में इसके होने या न होने का सबूत इक्कठा कर पाना बेहद ही मुश्किल हो जाता हैं।
तो, चलिए आज हम इसी विषय पर ही ज्यादा प्रकाश डालते हुए देखेंगे की, क्या असल में भूत होते हैं या ये सिर्फ ये एक अफवाह है?
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भूत क्या सच में होते है? – Are Ghosts Real? :-
भूतों (are ghosts real) को पकड़ने वालों के हिसाब से भूत असल जिंदगी में होते हैं, परंतु वैज्ञानिकों का इस पर कुछ अलग ही राय हैं। अलग-अलग धर्मों में भूतों और मरने के बाद के जिंदगी को लेकर कई सारे किस्से और कहानी कहीं गई हैं और हम इन सब चीजों को सुनकर इस पर यकीन करने लगते हैं। करड़ों की संख्या में लोग भूतों के बारे में जानना चाहते हैं और लाखों की संख्या में लोग इसके बारे में इंटरनेट में ढूंढते हैं। अमेरिका में किए एक सर्वे से पता चलता हैं कि, लगभग 47% अमेरिकी भूतों पर विश्वास करते हैं। एक विकसित देश हो कर वहाँ के लोगों का भूतों पर विश्वास करना काफी चौंका देने वाली बात हैं।
मरने के बाद इंसान कि आत्मा यहाँ अटक कर रह जाने वाली बातें, बाइबल से ले कर कई सारे पुराणों में वर्णित हैं। मित्रों! इसी के कारण आज हमारे पास भूतों से जुड़े कई सारे किस्से मौजूद हैं। भूतों के बारे में चर्चा करना माने; नियर-डैथ एक्सपेरिएंस, मरने के बाद का जीवन या स्पिरिट कॉलिंग के बारे में जानना हैं। भूतों और आत्माओं को बुलाने कि बातें काफी ज्यादा प्राचीन हैं। पुराने समय में इंग्लैंड आदि सहारों में भूतों से बात करने कि प्रक्रिया काफी ज्यादा लोकप्रिय था। ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज जैसे विश्व-विध्यालयों में भूतों को ढूँढने के लिए एक खास विभाग था।
भूतों को लेकर क्या कहता है विज्ञान! :-
खैर आज के जमाने में टीवी में दिखाये जाने वाले कई सारे कार्यक्रमों के कारण भूतों को ढूँढने का काम एक अलग ही लेवल पर पहुँच चुका हैं। आज कल कुछ इलोट्रनिक्स उपकरणों कि मदद से किसी भी अंधेरे जगह पर भूत खोजा रहा हैं। अगर आपको उस अंधेरे जगह पर कोई भी एक अनजान रोशनी या आवाज सुनाई देता हैं, तब उसे एक भूत के होने कि सबूत के रूप में गिना जाता हैं।
भूतों (are ghosts real) को लेकर वैज्ञानिक कई अलग-अलग तरह के बातें करते हैं। परंतु एक हैरान कर देने वाली बात ये हैं कि, विज्ञान के जरिए भूतों को ढूंढना बहुत ही कठिन हैं। क्योंकि किसी दरवाजे का खुद व खुद बंद हो जाना, अचानक से कोई भी जगह ठंडा हो जाना या मरे हुए लोगों को देखना; इन सभी चीजों को विज्ञान कैसे समझा सकता हैं। जब वैज्ञानिकों ने कुछ लोगों पर भूतों को लेकर शोध किया, तब उन सब का अनुभव काफी ज्यादा अलग था। कुछ लोगों ने कहा कि, उनको कुछ महसूस ही नहीं हुआ।
पैरानॉर्मल एक्टिविटी और भूत! :-
परंतु कुछ लोगों ने सच में किसी अजीब व अलग से डरावने, अनजान और रहस्यमयी चीजों को महसूस करने का दावा किया। एक खास बात ये भी हैं कि, जिन लोगों ने इस तरह के डरावने चीजों को महसूस करने का दावा किया; उन सभी के बयान एक-दूसरे से काफी अलग थे। माने भूतों को जैसे हम फिल्मों में देखते हैं, उस तरीके से असल जिंदगी में वो दिखाई नहीं देते। हर एक व्यक्ति के साथ होने वाला कोई भी पैरानॉर्मल एक्टिविटी एक-दूसरे से काफी ज्यादा अलग-अलग होते हैं।
इसके अलावा भूतों के बारे में रिसर्च करना इसलिए भी कठिन हैं क्योंकि, किसी के व्यक्तिगत अनुभवों को आधार मान कर आप वैज्ञानिक सबूत इक्कठा नहीं कर सकते हैं। साथ ही भूतों का कोई सटीक परिभाषा नहीं होता, इसलिए अगर हमें भूत किसे कहते हैं वो ही नहीं पता तो बाकी बातें छोड़ ही दीजिए। कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि, हमारे पास जरूरी तकनीक न होने के कारण ही हम भूतों के दुनिया से संपर्क नहीं कर पा रहें हैं और भूतों कि दुनिया सच में होती हैं।
क्या भूतों कि एक अलग ही दुनिया होती हैं? :-
भूतों (are ghosts real) के बारे में कहा जाता हैं कि, उनका अस्तित्व एक अलग ही डाइमैन्शन वाले दुनिया में हैं। अगर हमें उस दुनिया के बारे में कुछ भी सबूत जैसे फोटोग्राफ्स, वीडियोज़ या आवाजों का कलेक्शन मिल जाता हैं; तब हमारे लिए उस दुनिया को ढूँढने में काफी ज्यादा आसानी हो जाएगी। हालांकि! हमारे पास भूतों से जुड़े कई सारे फोटोज, विडियोज हैं; परंतु अगर हम अब तक इनके सहारे भूतों के अस्तित्व को साबित नहीं कर पाएँ हैं।
तब हमारे पास मौजूद ये सारे के सारे फोटोज और विडियोज किसी काम के नहीं हैं। या आप कह सकते हैं कि, ये सभी के सभी फैक (Fake) हैं। सबूतों में सटीकता के अभाव से काफी सारे चर्चाएँ होने के बाद भी भूतों के बारे में हमें अभी तक कुछ भी सही तरीके से पता चल नहीं पाया हैं। इसके अलावा आज के मॉडर्न तकनीक को इस्तेमाल कर के भूतों के बारे में अफवाह फैलाना और भी ज्यादा आसान हो चुका हैं। भूतों को देखने का जिन-जिन लोगों ने दावा किया हैं, उन सभी के जीवन में कुछ न कुछ व्यक्तिगत रूप से खौफ़नाक घटनाएँ घटा हैं।
आइंस्टीन और भूतों कि दुनिया! :-
बचपन से ही इन लोगों को दिमाग में ये बैठा दिया जाता हैं कि, आप जिस जगह पर रह रहे हो वो भुतिया हैं या वहाँ पर भूत रहते हैं ! या फिर भूत असल जिंदगी में होते हैं। मित्रों! भूतों को लेकर आइंस्टीन ने एक बहुत ही गज़ब कि थियरि दिया था, उनके हिसाब से शायद दुनिया में भूत हो सकते हैं! जी हाँ, आप लोगों ने बिलकुल सही सुना आइंस्टीन के हिसाब से दुनिया में भूत हो सकते हैं।
भूतों (are ghosts real) के बारे में आइंस्टीन का “फ़र्स्ट लॉ ऑफ थर्मोडाइनामिक्स” कहता हैं कि, “ऊर्जा को न तो आप बना सकते हैं और न ही नष्ट कर सकते हैं”। तो सवाल उठता हैं कि, मरने के बाद हमारे शरीर में मौजूद ऊर्जा कहाँ जाती हैं? क्या ये ऊर्जा भूत के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं? मित्रों इस सवाल का जवाब आप जितना रहस्यमयी और अनजान समझ रहें हैं, वो उठा रहस्यमयी या अनजान नहीं हैं। वास्तव में इसका जवाब काफी ज्यादा आसान हैं।
मरने के बाद हमारे शरीर के अवशेषों को जिन-जिन बैक्टीरिया या फंगी (ज़्यादातर मिट्टी के) डीकंपोज करते हैं, हमारे शरीर का ऊर्जा उन्हीं के अंदर चली जाती हैं। बाद में इनको पैड़-पौधे अपने अंदर शोख लेते हैं और फिर से अन्य जीवों के लिए इसी से ही खाना बनाने लगते हैं। खैर अगर भूत सच में होते हैं, तब ये एक प्रकार के ऊर्जा का रूप हो सकते हैं। जिन्हें अब तक ढूंढा जाना या समझा जाना बाकी हैं।
मित्रों! आप लोगों को क्या लगता हैं, क्या भूत और आत्माएँ सच में असल जिंदगी में होते हैं?
Source – www.livescience.com