पृथ्वी पर ऐसे कुछ देश हैं जो की हमेशा किसी दौड़ में भाग लेने के स्वरूप जल्दी और हड़बड़ाहट में रहते हैं। वैसे इन देशों में एक देश हमारा पड़ोसी भी है। मित्रों! मेँ यहाँ बात कर रहा हूँ चीन की (china’s a kilometer long spaceship) जो की हमेशा कुछ न कुछ करता ही रहता है। हर एक क्षेत्र में ये देश अपने-आप को दूसरे देशों के तुलना में ज्यादा शक्तिशाली दिखाने के लिए अजीबो-गरीब चीजों को अंजाम देता रहता है। भारत और दुनिया के सामने अपने-आप को एक विश्व शक्ति के तौर पर गढ़ने के लिए चीन ने एक और दांव चल दिया है।
इस बार चीन ने ये नया दांव अंतरिक्ष में चला है, वो पहली बार एक ऐसा स्पेसशिप और कहें तो स्पेसस्टेशन बनाना चाहता है जो इससे पहले मानव इतिहास में किसी ने ना बनाया हो। ये स्पेस शिप इतना खास और अलग हो सकता है कि, जिसे देखकर पूरी दुनिया दंग रह जाएगी। तो, सवाल उठता हैं कि; आखिर ये स्पेस शिप इतना हैरतंगेज़ कैसे हो सकता हैं?
चलिए आज इसी के बारे में हम इस लेख में जानते हैं। तो, मेरे साथ इस लेख में आरंभ से अंत तक बने रहिए हैं।
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चीन का ये मेगा स्पेस शिप कैसे मचा सकता हैं अंतरिक्ष में तहलका! – China’s A Kilometer Long Spaceship! :-
1960-70 के दशक में होने वाले शीतल युद्ध के माहौल की तरह ही आज अंतरिक्ष में माहौल है। बस फर्क इतना हैं कि उस समय शीतल युद्ध सिर्फ अमेरिका और सोवियत संघ के बीच चल रहा था, परंतु अभी का शीतल युद्ध अंतरिक्ष में अमेरिका और चीन के बीच है। दोनों ही देश अपने वर्चस्व को दुनिया के सामने बढ़ाने के लिए एक सीमाहीन प्रतियोगिता में काफी समय से हिस्से दार बने हुए हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दूँ, हर 92.2 मिनट के अंदर एक चीनी स्पेस स्टैशन हमारे सर से 400 km ऊपर मंडरा कर अमेरिका को चुनौती दे रहा हैं।
अब चीन का ये मेगा स्पेस शिप (china’s a kilometer long spaceship) अमेरिका समेत पूरी दुनिया के लिए एक खतरे कि तरह अंतरिक्ष में लाँच होने वाला है। मित्रों! अंतरिक्ष में चीन का इतने तेजी से विकास भारत तथा उसके मित्र राष्ट्रों के लिए भी काफी चिंताजनक विषय बन गया है। सूत्रों से पता चला है कि, इस मेगा शिप के जरिये चीन अंतरिक्ष में अमेरिका से ज्यादा शक्तिशाली और सपन्न राष्ट्र बनना चाहता है। वैसे इस साल चीन ने अपने सबसे हैवी रॉकेट को भी अंतरिक्ष में लौंच कर दिया है, जो कि इस बात को सही साबित करता है कि, चीन के अंतरिक्ष को लेकर रण-नीति काफी ज्यादा स्पष्ट है।
चीन का ये हैवी रॉकेट “Tianhe” चीन के अंतरिक्ष मिशन में काफी ज्यादा अहम भूमिका निभाता है। क्योंकि ये रॉकेट चीनी स्पेस स्टेशन “Tiangong” में एक बहुत ही खास किरदार अदा करता है। इसे आप चीनी स्पेस स्टेशन कि आत्मा भी कह सकते हैं। जिसके बिना ये स्पेस स्टेशन कुछ भी नहीं हैं। खैर ये स्पेस स्टेशन पृथ्वी के लोवर ओर्बिट (Lower Orbit) में स्थित रहेगा।
अमेरिका इस मेगा शिप को लेकर इतना क्यों डरा हुआ है! :-
आज के समय में अमेरिका कि खस्ता हालत ने पूरी दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया हैं। अमेरिका के अनुसार चीन का स्पेस स्टेशन 2022 से लेकर 2024 के अंदर पूरे तरीके से बनने वाला था। परंतु, चीन ने अमेरिका के अनुमान को पूरे तरीके से गलत साबित कर दिया है। उसने साल 2021 में ही अपने स्पेस स्टेशन (Space Station) के सबसे प्रमुख मॉड्यूल को पूरे तरीके से सक्षम कर दिया है। इसके अलावा स्पेस स्टैशन के बाद अब ये मेगा स्पेस-शिप (china’s a kilometer long spaceship) वाला प्रोजेक्ट अमेरिका को और भी भारी पड़ सकता है।
चीन के “National Natural Science Foundation of China” के द्वारा प्रस्ताबित ये मेगा शिप पूरे तरीके से चीन के “विज्ञान और प्रद्योगिकी मंत्रालय” के अधीन आता है। इसलिए इस प्रोजेक्ट से जुड़ी हर एक फंडिंग सीधे चीनी सरकार ही कर रहीं है। एक रिपोर्ट से पता चलता है कि, अति विशालकाय श्रेणी में आने वाला ये स्पेस शिप भविष्य में अंतरिक्ष में होने वाली खोजें और ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने के काम में आएगा। इसके अलावा एक और रिपोर्ट में हमें एक बहुत ही रोचक जानकारी भी मिलती है।
उस रिपोर्ट में बताया गया है कि, इस स्पेसशिप को आधार मानकर चीन अंतरिक्ष में मौजूद प्राकृतिक संपदाओं को हथियाने कि कोशिश करेगा। हालांकि! ये अनुमान सच होता हैं या नहीं वो तो सिर्फ वक़्त आने पर ही पता चलेगा। वैसे मित्रों! आपकी चीन के इस मिशन को लेकर क्या राय हैं जरूर ही बताइएगा।
आखिर कैसे बनेगा इतना बड़ा स्पेसशिप! :-
लोगों के मन में अब ये सवाल आ रहा होगा कि, आखिर ये मेगा शिप (china’s a kilometer long spaceship) अंतरिक्ष में कैसे बन सकता है? तो मित्रों आप लोगों को बता दूँ कि, चीन ने इसके लिए एक बहुत ही अनूठा उपाय ढूंढ लिया है। चीन ने जितना संभव उतना फिजूल के चीजों को स्पेस शिप से बाहर निकाल दिया है और केवल बहुत ही जरूरी चीजों को अंतरिक्ष में ले जा कर उन्हें आपस में जोड़ने वाला है। जो कि शायद अंतरिक्ष में ही बनने वाला अपने धरण का पहला स्पेसशिप होगा। सूत्रों से पता चला है कि, इस स्पेस शिप कि लंबाई 0.6 मील यानी लगभग 1 km तक लंबा होगा।
वैसे चीनी सरकार ने अपने वैज्ञानिकों को ये आदेश दिया है कि, वे इस तरह के बहुत ही विशालकाय स्पेस शिप को बनाने के बारे में गहन रिसर्च करें और ऐसे पदार्थों को ढूंढ कर निकाले जो कि काफी मजबूत और हल्के हों। ऐसे पदार्थ ही इतने बड़े स्पेस शिप को अंतरिक्ष में अस्तित्व में ला सकते हैं। वैसे ये रिसर्च 5 साल तक चलेगी और इसके लिए लगभग 16 करोड़ रूपये की लागत आएगी। हालांकि! पहली बार इस मेगा स्पेसशिप के बारे में सुनने से हमें ये बातें बेतुकी सी लगती हैं।
परंतु, नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार ये बातें बिलकुल भी नामुमकिन या बेतुके नहीं हैं। सटीक तकनीक से ऐसे बहुत ही बड़े-बड़े स्पेसशिप्स को इंसान अंतरिक्ष में बना सकता है। परंतु, सबसे बड़ी अडचन यहाँ पैसों कि आती हैं। मात्र 110 मीटर लंबे ISS को बनाने के लिए नासा को लगभग 7 लाख 30 हजार करोड़ रुपयों कि कीमत चुकानी पड़ी थी। क्योंकि अंतरिक्ष में किसी भी चीज़ को भेजने कि कीमत काफी ज्यादा है।
नासा के पूर्व मुख्य प्रौद्योगिकीविद् मेसन पेक कहते हैं कि ये अंसभव कार्य आज भी संभव हो सकता है, महाविशाल अंतरिक्ष यान बनाना एक विज्ञान कथा नहीं है, इसे बनाया जा सकता है पर सबसे बड़ी चुनौती मौलिक विज्ञान की तुलना में इसे बनाने में इंजीनियरिंग का सवाल आता है।
बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि चीनी किस तरह की संरचना बनाने की योजना बना रहे हैं। ISS उपकरणों से भरा हुआ है और इसे मनुष्यों को समायोजित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे इसका द्रव्यमान (Mass) काफी बढ़ जाता है। “अगर हम किसी ऐसी चीज़ के बारे में बात कर रहे हैं जो बस लंबी है और भारी भी नहीं है तो यह एक अलग कहानी है,” पेक ने कहा।
निष्कर्ष – Conclusion :-
वैज्ञानिकों के अनुसार चीन 3-डी प्रिंटिंग(3D Printing) तकनीक के जरिये इस स्पेसशिप (Spaceship) को अपने असल रूप में लाने कि कोशिश जरूर करेगा। इसके अलावा कुछ वैज्ञानिकों का ये भी कहना हैं कि, स्पेसशिप (china’s a kilometer long spaceship) के लिए जरूरी कच्चा माल चीन चाँद से भी ले कर आ सकता है। इसके अलावा इस स्पेस शिप को सही तरीके से नियंत्रण में रखने के लिए इसके अंदर काफी उन्नत धरण के शॉक अब्सॉर्बर भी लगाने कि जरूरत पड़ेगी।
इसके अलावा स्पेसशिप को नियमित ढंग से चलते रहने के लिए काफी मात्रा में ऊर्जा कि जरूरत भी होगी, जो कि एक बहुत ही बड़ी कठिनाई है। अगर स्पेसशिप को ज्यादा ऊंचाई पर रखा जाएगा तो ये चीन को काफी ज्यादा महंगा पड़ने के साथ ही साथ विकिरण (Radiation) का खतरा भी काफी ज्यादा बढ़ जाएगा। जो कि इंसानी अंतरिक्ष यात्रिओं के लिए बिलकुल भी सही नहीं है।
दोस्तों! चीन ने अपने इस मिशन को सफल बनाने के लिए भले ही क्यों न कई सारे रणनीतियाँ बनाई हो, परंतु असल बात तो ये है कि, इस तरह के विशालकाय स्पेसशिप को अभी बना पाना एक बहुत ही बड़ी चुनौती है।