हम सब की जिंदगी समय के ऊपर ही निर्भर है। जीवन के साथ समय का एक अनुपम रिश्ता है। जब तक जीवन है तब तक समय भी बीतता रहता है। काल यानी समय के चक्र को इंसानों के पक्ष में बदलना अब तक संभव नहीं हो पाया है। इसलिए इंसानों का समय के ऊपर कोई नियंत्रण नहीं है। समय बस बीतता ही जाता है और हम बस उसके साथ चलते ही रहते है। वैसे कई वैज्ञानिक समय यात्रा जैसे महत्वाकांक्षी सपनों को साकार करने की उम्मीद में कई सारे योजनाएं और तरकीब निकालते रहते है। परंतु मित्रों! आज भी कुछ ऐसे विरोधाभासी सिद्धांत मौजूद है जो की समय यात्रा के इन तरकीबों को नामुमकिन बनाते हैं। वैसे उन सब सिद्धांतों में एक प्रमुख सिद्धांत है बूटस्ट्राप विरोधाभास (bootstrap paradox in hindi)।
बूटस्ट्राप विरोधाभास (bootstrap paradox in hindi) एक ऐसा सिद्धांत है जो की, इंसानों को समय यात्रा करने से रोकता है। मित्रों! बता दूँ की इसके बारे में मेँ आगे आप लोगों से विस्तार से भी बात करूंगा, परंतु अभी के बस इतना ही जान लीजिए की ये एक विरोधाभासी सिद्धांत जो की हमें भूत काल में जाने से` रोकता है। अगर आप लोगों ने नेटफ्लिक्स की वेब सिरीज़ “Dark” को देखा होगा तो आप लोगों को इसके बारे में अवश्य ही कुछ न कुछ पता ही होगा। ऐसा मेरा मानना है।
खैर आगे हम इस लेख में इसी बूटस्ट्राप सिद्धांत के बारे में ही जानेंगे और इससे जुड़ी कुछ पहलुओं को भी समझेंगे जिससे हमें इससे जुड़ी हर एक तथ्य को उजागर करने में मदद मिलेगा।
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बूटस्ट्राप पैराडॉक्स क्या है? – Bootstrap Paradox In Hindi :-
किसी भी चीज़ को अगर हम उसके बुनियादी ढांचे से ही समझना शुरू करते है, तो हमें वो चीज़ बहुत ही आसान तरीके से समझ में आ जाता है। इसलिए मैंने आप लोगों को सबसे पहले बूटस्ट्राप पैराडॉक्स की परिभाषा के बारे में जिक्र करने का निर्णय लिया है। तो, चलिये आगे इसी बूटस्ट्राप पैराडॉक्स (bootstrap paradox in hindi) की परिभाषा के बारे में जान लेते है।
तो, “मूलभूत रूप से बूटस्ट्राप एक तरीके का टाइम लूप (Time Loop) है जो की समय यात्रा को संभव होने से रोकता है तथा ये किसी घटना के प्रभाव से बनी दूसरी घटना जो की पहले घटना का ही कारण है”। इसी बिरोधाभासी सिद्धांत के कारण ही हम समय यात्रा नहीं कर सकते है। वैसे एक बात तो तय है की, ये सिद्धांत मौलिक रूप से भूत काल के ऊपर ही लागू होता है। इसलिए मूल रूप से बूटस्ट्राप पैराडॉक्स इंसानों को उनके भूत काल में जाने से रोकता है।
परंतु ज्ञातव्य हो की, बूटस्ट्राप पैराडॉक्स का भविष्य से जुड़ी समय यात्राओं के साथ कोई ज्यादा संबंध नहीं है। यही कारण है की, वैज्ञानिकों को भूत काल में समय यात्रा करने की तुलना में भविष्य में समय यात्रा करना ज्यादा संभव लगता है। तो, अगर आगे आने वाले समय में हम यदि समय यात्रा करने में सक्षम हो भी जाते है तो वो शायद भविष्य में समय यात्रा करने तक सीमित होगा। आपको इसके बारे में क्या लगता है जरूर ही कमेंट करके बताइएगा!
बूटस्ट्राप विरोधाभासी सिद्धांत के पीछे छुपी हुई एक बहुत ही अनजान व मजेदार कहानी! :-
मित्रों! अगर मेँ आपको कहूँ की, बूटस्ट्राप (bootstrap meaning in hindi) सिद्धांत एक बहुत ही रोचक कहानी से आया है तो क्या आप इस बात पर विश्वास करेंगे! परंतु दोस्तों बता दूँ की, ये बात पूर्ण रूप सत्य है और हम आगे उसी कहानी को ही सुनने जा रहें हैं। क्योंकि इस कहानी से ही आप लोगों को इस सिद्धांत के बारे में काफी कुछ अंदाजा लग जाएगा।
तो, बात कुछ ऐसा है की; 18 वीं शताब्दी में एक बहुत ही प्रसिद्ध नाटक “The Surprising Adventures Of Baron Munchhausen” हुआ करता था। इस नाटक में जो मुख्य नायक था वो एक बार किसी एक कारण से दल-दल में फँस गया। बाद में कई प्रयत्न करने के बाद भी जब वो उस दल-दल से नहीं निकल पाया, तो उसने एक तरकीब लगाया और पास में जाते हुए एक व्यक्ति को बोला की वो उसके बालों को पकड़ कर उसे उस दल-दल से निकाल ले। आखिर में उस व्यक्ति ने मुख्य नायक को उसके बालों से पकड़ कर निकाल लिया।
दोस्तों! मेरे प्यारे-प्यारे दोस्तों मेँ यहाँ मानता हूँ की, ये बात कटाई संभव नहीं है की किसी व्यक्ति को उसके बालों से पकड़ कर दल-दल से निकाला जा सकता है। परंतु वो एक काल्पनिक नाटक था और इसी नाटक के आधार पर ही बूटस्ट्राप के सिद्धांत को लिया गया है। तो, बूटस्ट्राप सिद्धांत के अनुसार किसी एक व्यक्ति को उसके जूतों की फीता से (Shoe Lace/ BootStrap) ही खींच कर तारों की बाड़ (Fence) से निकालना है जो की लगभग एक असंभव सा काम है।
बूटस्ट्राप का एक बेहतरीन उदाहरण जिसे पढ़ कर ही सिर्फ विश्वास किया जा सकता है! :-
चलिये अब मेँ आपको एक ऐसे उदाहरण के जरिये बूटस्ट्राप विरोधाभास सिद्धांत (bootstrap meaning in hindi) को समझाता हूँ की, आपके मुंह से सिर्फ वाह की शब्द ही निकलेगा। खैर अब मूल उदाहरण पर आते है।
मान लीजिए की आप एक समय यात्री हैं जो की, समय में आगे पीछे यानी भूत तथा भविष्य काल में जा सकते है। वैसे इन व्यक्तियों को आप “Time Traveler” भी कह सकते है। तो क्या हुआ की, आपने एक बार सोचा की क्यों न एक दफा भौतिक विज्ञान के महान वैज्ञानिक आइंस्टीन से मिला जाए।
तो आपने अपने समय यात्रा को शुरू कर दिया और आप जा कर आखिर में पहुँच गए साल 1905 में। मित्रों! ध्यान रखेंगे की इसी साल ही विख्यात वैज्ञानिक आइंस्टीन ने “सापेक्षता के सिद्धांत” को खोज कर निकाला था। वैसे और एक बात का ध्यान रहें की आप साल 2020 से आए है जो की एक साल 1905 के हिसाब से भविष्य काल है। तो एक तरह से आप भविष्य काल से आए हुए एक समय यात्री है जिसको की आइंस्टीन की सापेक्षता के सिद्धांत के बारे में पहले से ही पता है (आइंस्टीन के खोजने से भी पहले)।
तो, आपने क्या किया की; आपने आइंस्टीन जी को इसी सापेक्षता के सिद्धांत के बारे में उनके द्वारा खोजे जाने से पहले ही बता दिया और आप वहाँ से वापस चले आए। बाद में आइंस्टीन जी ने आपके द्वारा सिखाई गई सापेक्षता के सिद्धांत को अपना बना लिया और उनके नाम से ही सापेक्षता के सिद्धांत की कई सारे किताबें छापी गई। तो, ये जो आरंभ से लेकर मैंने जो आपको पूरा घटना क्रम बताया ये अनंत काल तक ऐसे ही चलता रहा।
ऐसे बना बूटस्ट्राप सिद्धांत! :-
तो, अनंत काल तक इस घटना क्रम के चक्र के घूमने के कारण समय यात्री यानी खुद आप ही इस द्वंद्व में पड़ जाएंगे की; आखिर किसने सबसे पहले सापेक्षता के सिद्धांत को ढूंढ कर निकाला है। मित्रों! यहाँ ध्यान रखेंगे की इसके बारे में पता लगाने के लिए अगर आपने भूत काल में जाने की प्रयास भी किया तो फिर से वो घटना क्रम का चक्र घूमेगा और जहां आप पहले थे वहीं आप फिर से आ जाएंगे।
ज्ञातव्य रहे की इसी वजह से हमारे लिए ये कह पाना कठिन होगा की, आखिर असल में किसने सापेक्षता के सिद्धांत को ढूंढ कर निकाला है। क्योंकि समय के एक निर्धारित अवस्था में आप दोनों ने ही इस सिद्धांत को ढूंढा है। हालांकि! समय के चक्र के अनुसार आइंस्टीन जी ने आपसे पहले इस सिद्धांत को ढूंढ कर निकाला होगा, परंतु आपने ही भूत काल में जा कर इसके बारे में उन्हें जानकारी दी होगी।
मेरे मित्रों! तो इसी घटना क्रम के अनंत चक्र को ही “बूटस्ट्राप पैराडॉक्स” (Bootstrap Meaning In Hindi) कहा जाता है। क्योंकि यहाँ ये पता लगा पाना बहुत ही मुश्किल (लगभग असंभव) है की, आखिर कौन सी घटना पहले घटी है और कौन सी बाद में घटी हुई है।
Sources :- www.astronomytrek.com, www.dictionary.com.