
ब्रह्मांड रहस्यों से भरा हुआ है और जब-जब कोई नई खोज होती है, तो वह हमें यह याद दिलाती है कि हम अभी भी कितने अनजान हैं। हाल ही में खगोलविदों ने एक ऐसा ऑब्जेक्ट खोजा है जिसने खगोल विज्ञान की दुनिया को हिला दिया है। इसका नाम है 3I/ATLAS। यह हमारे सौर मंडल से होकर गुजरने वाला तीसरा इंटरस्टैलर ऑब्जेक्ट है, लेकिन इसकी खासियत यह है कि यह अब तक का सबसे बड़ा इंटरस्टैलर यात्री माना जा रहा है।
विषय - सूची
🔭 3I/ATLAS की खोज
इसकी खोज 1 जूलाई 2025 को हवाई स्थित ATLAS टेलिस्कोप सिस्टम (Asteroid Terrestrial-impact Last Alert System) ने की थी। यह वही टेलिस्कोप है जिसे खासतौर पर उन ऑब्जेक्ट्स को पहचानने के लिए बनाया गया है जो पृथ्वी से टकरा सकते हैं।
3I/ATLAS को देखने के बाद शुरुआती चार दिनों तक लगातार इसे ट्रैक किया गया और इसकी गति तथा ट्रैजेक्ट्री रिकॉर्ड की गई। शुरुआत में वैज्ञानिकों को यह लगा कि यह कोई भटका हुआ ऐस्टरॉइड है, लेकिन जब और बारीकी से ऑब्जर्वेशन हुआ तो यह सामने आया कि इसका व्यवहार एक धूमकेतु की तरह है।
☄️ धूमकेतु (Comet) जैसी विशेषताएँ
धूमकेतुओं की सबसे बड़ी पहचान उनकी कोमा और लंबी पूंछ होती है। कोमा गैस और धूल से बना एक चमकदार आवरण होता है, जो सूरज की रोशनी से प्रकाशित होकर चारों ओर फैल जाता है, जबकि पूंछ कई हजार किलोमीटर लंबी हो सकती है। 3I/ATLAS का कोमा लगभग 24 किलोमीटर व्यास का है, जो अपने आप में बेहद विशाल है।
अगर तुलना करें तो इससे पहले खोजे गए इंटरस्टैलर ऑब्जेक्ट — ʻOumuamua (2017) और 2I/Borisov (2019) — केवल लगभग डेढ़ किलोमीटर के थे। इस लिहाज से देखा जाए तो 3I/ATLAS उनसे कई गुना बड़ा है। NASA का अनुमान है कि यह हमारे सौर मंडल में प्रवेश करने वाला अब तक का सबसे बड़ा इंटरस्टैलर ऑब्जेक्ट है।

(Image Credit: International Gemini Observatory/NOIRLab/NSF/AURA/Shadow the Scientist
Image Processing: J. Miller & M. Rodriguez (International Gemini Observatory/NSF NOIRLab), T.A. Rector (University of Alaska Anchorage/NSF NOIRLab), M. Zamani (NSF NOIRLab))
🚀 सूर्य और ग्रहों के पास से सफ़र
जब इसकी खोज हुई थी, तब यह सूर्य और पृथ्वी की दूरी से लगभग साढ़े चार गुना दूर था। यानी उस समय यह लगभग 68 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर था। अब इसकी यात्रा का सबसे रोमांचक हिस्सा आने वाला है। 3 अक्टूबर 2025 को यह मंगल ग्रह के बेहद पास से गुजरेगा, लगभग 3 करोड़ किलोमीटर की दूरी से। उसके करीब 26 दिन बाद यानी 29 अक्टूबर 2025 को यह सूर्य के सबसे करीब होगा। उस समय यह सूर्य से लगभग 20 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर होगा और 68 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से गुजरेगा।
यह रफ्तार लगभग ढाई लाख किलोमीटर प्रति घंटे के बराबर है। सूर्य के पास से गुजरने के बाद इसकी गति थोड़ी धीमी होकर 58 किलोमीटर प्रति सेकेंड हो जाएगी। इसके बाद 19 दिसंबर 2025 को यह पृथ्वी से लगभग 27 करोड़ किलोमीटर की दूरी से गुजरते हुए गैस दानव ग्रहों की ओर बढ़ जाएगा। अंततः 16 मार्च 2026 को यह बृहस्पति से केवल 3 करोड़ 20 लाख किलोमीटर की दूरी से पास होकर सौर मंडल को हमेशा के लिए छोड़ देगा।
🌠 यह आया कहाँ से?
सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर यह ऑब्जेक्ट आया कहाँ से है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह शायद हमारी आकाशगंगा के “थिक डिस्क” हिस्से से आया है। यह वह इलाका है जहाँ हमारी गैलेक्सी के लगभग 66 प्रतिशत तारे मौजूद हैं। किसी भी तारे के आस-पास बने ग्रहों और छोटे पिंडों में से यह अरबों साल पहले निकला होगा और अब जाकर हमारे सौर मंडल में प्रवेश किया है। चूँकि यह एक हाइपरबोलिक ट्रैजेक्ट्री पर है, इसलिए यह कभी दोबारा वापस नहीं आएगा।
इसकी उम्र और इसकी रासायनिक संरचना जाने बिना यह बताना मुश्किल है कि यह किस तारे से आया होगा। इतना जरूर तय है कि यह किसी नजदीकी तारे से नहीं आया है, क्योंकि इसकी औसत गति यदि 30 किलोमीटर प्रति सेकेंड मानी जाए तो भी यह एक अरब साल में हमारी पूरी गैलेक्सी को पार नहीं कर पाएगा।
👽 क्या यह एलियन प्रोब हो सकता है?
अब जब भी कोई रहस्यमयी इंटरस्टैलर ऑब्जेक्ट खोजा जाता है, तो लोगों के मन में सवाल उठता है कि क्या यह किसी एलियन सभ्यता का बनाया हुआ प्रोब हो सकता है। 2017 में जब ʻOumuamua मिला था तो उस पर भी कई वैज्ञानिकों ने यही शक जताया था।
उसमें कई ऐसी खासियतें थीं जो उसे सामान्य ऐस्टरॉइड से अलग बनाती थीं। लेकिन 3I/ATLAS के मामले में NASA और खगोलविदों का कहना है कि यह पूरी तरह एक सामान्य धूमकेतु जैसा ही है। इसकी आकृति, आकार और व्यवहार धूमकेतु के गुणों से मेल खाते हैं। इसलिए इसे किसी एलियन प्रोब की तरह मानने की गुंजाइश बहुत कम है।
🔭 3I/ATLAS को ट्रैक करने की चुनौतियाँ
वैज्ञानिक इसे हर तरह से जांचने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। अभी तक की ऑब्जर्वेशन ग्राउंड-आधारित टेलिस्कोप से हो रही है। आने वाले महीनों में मंगल की परिक्रमा कर रहे ऑर्बिटर्स से इसकी नज़दीकी तस्वीरें लेने की कोशिश होगी। यही तस्वीरें इसकी संरचना, सतह और पूंछ के बारे में महत्वपूर्ण सुराग दे सकती हैं। इसके अलावा नया Vera C. Rubin Observatory भी काम में आ चुका है।
इसमें लगा 3.2 गीगापिक्सल का कैमरा बेहद धुंधले और तेजी से मूव करने वाले ऑब्जेक्ट्स को भी पकड़ सकता है। इस वेधशाला को विशेष रूप से ʻOumuamua और 3I/ATLAS जैसे इंटरस्टैलर ऑब्जेक्ट्स को ट्रैक करने के लिए डिजाइन किया गया है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगले दस वर्षों में यह वेधशाला दर्जनों से लेकर सौ से भी ज्यादा नए इंटरस्टैलर ऑब्जेक्ट खोज सकती है।
🔭 3I/ATLAS की नई तस्वीर
7 सितंबर को एस्ट्रोफोटोग्राफ़र माइकल जेगर और जेराल्ड रेमैन ने नामीबिया के अंधेरे आसमान में 3I/ATLAS की नई तस्वीरें लीं। यह तस्वीरें उस समय ली गईं जब “ब्लड मून” यानी पूर्ण चंद्रग्रहण हो रहा था। उस समय पूरी चांदनी पृथ्वी की छाया के सबसे गहरे हिस्से से होकर गुजर रही थी, जिससे आसमान सामान्य दिनों से भी ज़्यादा अंधेरा हो गया था। ऐसे माहौल में ली गई तस्वीरों में 3I/ATLAS का रंग हैरान कर देने वाला हरा (एमराल्ड) दिखाई दिया।

नई तस्वीरों से संकेत मिलता है कि जैसे-जैसे यह धूमकेतु सूर्य के पास पहुँच रहा है, इसके अंदर से दुर्लभ रसायन बाहर निकल रहे हैं और इसी कारण यह हरा रंग दिखा रहा है। यह जानकारी Spaceweather.com की रिपोर्ट में दी गई। हालांकि, अभी यह पक्का कहना जल्दबाज़ी होगी, क्योंकि अब तक किसी अन्य फोटोग्राफ़र या वेधशाला ने इस रंग में बदलाव को दर्ज नहीं किया है।
वैसे यह पहली बार नहीं है जब किसी धूमकेतु को हरी चमक के साथ देखा गया हो। हाल के वर्षों में कई धूमकेतु ऐसे ही दिखाई दिए हैं। उदाहरण के लिए, “ग्रीन कॉमेट” कहलाने वाला C/2022 E3 वर्ष 2023 की शुरुआत में पृथ्वी के पास से गुज़रा था और उसमें भी यही चमक दिखी थी। इसके अलावा 2024 में सूर्य के पास आते समय “डेविल कॉमेट” 12P/Pons-Brooks ने भी हरे रंग की आभा दिखाई थी। इसी साल खगोलविदों ने एक और हरे रंग वाला धूमकेतु SWAN25F भी खोजा था।
🌍 मानवता के लिए महत्व
3I/ATLAS हमारे लिए इसलिए भी खास है क्योंकि यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि अंतरिक्ष कितना विशाल है और उसमें छिपी हुई कहानियाँ कितनी पुरानी हो सकती हैं। यह संभव है कि यह ऑब्जेक्ट अरबों साल पहले किसी दूरस्थ तारामंडल का हिस्सा रहा हो और किसी विशाल गुरुत्वाकर्षणीय उथल-पुथल के कारण उससे बाहर फेंक दिया गया हो।
उसके बाद से यह अरबों किलोमीटर की यात्रा करता हुआ अब हमारे सौर मंडल में आया है। इसकी उपस्थिति हमें यह भी सिखाती है कि हमारा सौर मंडल किसी बंद डिब्बे की तरह अलग-थलग नहीं है, बल्कि लगातार बाहरी प्रभावों से जुड़ा हुआ है।
📝 निष्कर्ष
अंततः कहा जा सकता है कि 3I/ATLAS केवल एक गुजरता हुआ धूमकेतु नहीं है, बल्कि यह एक संदेशवाहक है। यह हमें याद दिलाता है कि हमारा ज्ञान अभी अधूरा है और ब्रह्मांड हमें बार-बार नए सबक सिखाता है। आने वाले समय में जब यह मंगल और सूर्य के करीब होगा, तब हमें इसके बारे में और सटीक जानकारी मिलेगी। शायद तब हमें इसकी रासायनिक संरचना का पता चल सके और यह भी समझ में आए कि यह किस तरह के तारामंडल से आया होगा।
यह खोज हमें यह भी सिखाती है कि हमारी सभ्यता अभी अपने शैशवकाल में है। यदि हम लगातार धैर्य और फोकस बनाए रखें तो आने वाले समय में और भी रहस्यमयी इंटरस्टैलर ऑब्जेक्ट्स खोज सकेंगे। 3I/ATLAS हमें प्रेरित करता है कि हम ब्रह्मांड को समझने की इस यात्रा को जारी रखें और शायद एक दिन यह जान पाएं कि हम इस विशाल ब्रह्मांड में अकेले नहीं हैं। 🌌