हमारी दुनिया बहुत ही बड़ी है और हम अकसर यहाँ बड़ी-बड़ी चीजों के बारे में ही बातें करते हुए नजर आते हैं। मित्रों! स्पेस साइंस आमतौर पर हमेशा बड़ी-बड़ी खगोलीय चीजों पर ही ज़्यादातर बात करता है, परंतु वहीं दूसरी और हमारे लिए ये भी जरूरी हो जाता है कि, हम दुनिया के कुछ अहम छोटी-छोटी चीजों (World’s Smallest Particle Accelerator) के बारे में भी बात करें, जिससे हमारी दुनिया काफी ज्यादा प्रभावित होती हो। दोस्तों! मैं यहाँ बात कर रहा हूँ, दुनिया के सबसे छोटे पार्टिकल एक्सलरेटर के बारे में! बता दूँ कि, ये एक्सलरेटर अपने-आप में ही इसके आकार के चलते काफी खास है।
आप लोगों ने इससे पहले “Large Hadron Collider” के बारे में जरूर ही सुना होगा। इसे दुनिया के सबसे बड़े पार्टिकल एक्सलरेटर का दर्जा दिया गया है। आकार में काफी ज्यादा विशाल होने के कारण, अकसर ये इंटरनेट पर आपको काफी पॉपुलर होता हुआ नजर आएगा। साथ ही साथ आप लोगों को इसके बारे में पढ़ने को कई सारे आर्टिकल्स भी मिल जाएंगे। परंतु क्या आपको दुनिया के सबसे छोटे “पार्टिकल एक्सलरेटर” (World’s Smallest Particle Accelerator) के बारे में भी पता हैं? जरा सोच कर देखिये!
मित्रों! दुनिया के सबसे छोटे पार्टिकल एक्सलरेटर के बारे में आप लोगों को इंटरनेट पर काफी कम ही जानकारी मिलेगी। ये ही वजह है कि, आज मैंने इसी “दुनिया के सबसे छोटे पार्टिकल एक्सलरेटर” के बारे में कुछ जरूरी बात आप लोगों को बताने जा रहा हूँ।
विषय - सूची
दुनिया का सबसे छोटा “Particle Accelerator”! – World’s Smallest Particle Accelerator! :-
कुछ दिनों पहले ही, वैज्ञानिकों ने एक “सिक्के” जीतने आकार का “दुनिया का सबसे छोटा पार्टिकल एक्सलरेटर” (World’s Smallest Particle Accelerator) बना लिया है। इसे वैज्ञानिकों ने “NanoPhotonic Electron Accelerator” का नाम दिया है। दोस्तों! इतने छोटे आकार में आज तक कोई भी पार्टिकल एक्सलरेटर बन नहीं पाया था, इसलिए ये एक तरह से विज्ञान के क्षेत्र में एक बहुत ही बड़ी खोज है। अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, इस एक्सलरेटर के माध्यम से हम नेगेटिव चार्जड इलेक्ट्रॉन पार्टिकल्स को छोटे-छोटे लेजर पल्स के आकार में ट्रैवल करवा सकते हैं।
आकर में इतना छोटा होने के कारण इस पार्टिकल एक्सलरेटर को कई अलग-अलग तरीकों में इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार, इसको हम इंसानी शरीर के अंदर एंटर करवा कर, कई खतरनाक बीमारियों का इलाज भी कर सकते हैं। इसके बारे में एक रोचक बात ये भी है कि, इसके अंदर एक बहुत ही छोटा “Micro Chip” लगा हुआ है, जिसके अंदर उससे भी छोटा एक “Vacuum Tube” इन्स्टाल किया गया है। इस वैक्युम ट्यूब के अंदर कई हजारों “Pillars” मौजूद रहते हैं।
वैज्ञानिक इन पिलर्स के ऊपर लेजर बीम डाल कर एक्सलरेटर के अंदर इलेक्ट्रॉन के पार्टिकल्स को ट्रैवल करवा सकते हैं। आकार में इतने छोटे होने के बावजूद इस एक्सलरेटर का काम करने का तरीका काफी ज्यादा अच्छा है। दोस्तों! आप लोगों को क्या लगता है, क्या ये पार्टिकल एक्सलरेटर बाकी एक्सलरेटर की तरह पार्टिकल्स को सफल तरीके से ट्रैवल करवा पा रहा होगा? कमेंट कर के जरूर ही बताइएगा!
इस एक्सलरेटर के बारे में कुछ रोचक जानकारियाँ! :-
मित्रों! इस छोटे से पार्टिकल एक्सलरेटर (World’s Smallest Particle Accelerator) की सबसे खास खूबी है, इसका “आकार”। बेहद ही छोटे से “फॉर्म फेक्टर” के ऊपर बने होने के कारण, इसकी डिमांड बाजार में काफी ज्यादा बढ्ने वाली है। इसमें जो एसीलेरेशन ट्यूब है, उस ट्यूब कि लंबाई लगभग “0.02 इंच” हैं। जो कि, दुनिया के सबसे लंबे पार्टिकल एक्सलरेटर (Hydron Collider) में लगे एसीलेरेशन ट्यूब (27 किलोमीटर) के लंबाई से लगभग 5.4 करोड़ गुना छोटी है।
खैर आप लोगों को जान कर हैरानी होगा कि, दुनिया के सबसे बड़े पार्टिकल एक्सलरेटर ने “Higgs Boson”, “Charm Meson”, “X particle” जैसे कई अद्भुत पार्टिकल्स को खोज कर हमें दिया हैं। तो आप यहाँ खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि, ये पार्टिकल एक्सलरेटर हमारे लिए कितनी ज्यादा अहम हैं।
वैसे अगर हम दुनिया की सबसे छोटे पार्टिकल एक्सलरेटर की बात करें तो, इसके एक्सलरेटर ट्यूब के अंदर की चौड़ाई लगभग “225 नैनो मीटर” का है, तुलना के लिए आप इंसानी बाल को ही ले लीजिये, जिसकी चौड़ाई लगभग 80,000 से 100,000 नैनो मीटर तक होती है।
बहुत खास है ये “पार्टिकल एक्सलरेटर”! :-
दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए ये नैनो पार्टिकल एक्सलरेटर (World’s Smallest Particle Accelerator) किसी ख्वाब से कम नहीं था। साल 2015 में इस एक्सलरेटर को बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने अपनी पहली इच्छा जाहिर की थी और आज लगभग 8 साल बाद ये नैनो पार्टिकल एक्सलरेटर बन कर तैयार हो चुका है। हालांकि! अभी भी इस नैनो पार्टिकल एक्सलरेटर के काम करने के ढंग के ऊपर काफी सारे शोध चल रहें हैं, जो की इसे आगे चलकर और भी ज्यादा बेहतर बनाने वाले हैं।
कई बड़े-बड़े देशों के वैज्ञानिकों के लिए ये पार्टिकल एक्सलरेटर एक तरह से सपने पूरे होने के जैसा ही है। क्योंकि इस मिनी एक्सलरेटर के जरिये कई अद्भुत प्रयोगों को सफल बनाया जा सकता है। इसके अलावा एक बात ये भी हैं कि, ये विश्व का पहला ऐसा पार्टिकल एक्सलरेटर है, जो कि किसी “माइक्रो-चिप” पर बना हुआ है। वैसे यहाँ अगर हम “LHC”(Large Hadron Collider) की बात करें तो, इसके अंदर लगभग 9,000 के करीब चुंबक लगे हुए हैं।
कैसे काम करता है ये एक्सलरेटर ? :-
बता दूँ कि, ये चुंबक कोलाइडर के अंदर किसी भी पार्टिकल को प्रकाश के गति के 99.99% जितनी गति से ट्रैवल करवा सकता है। खैर अगर हम यहाँ नैनो एक्सलरेटर की बात करें तो, ये माइक्रो-चिप के अंदर बने छोटे-छोटे पिलर को लेजर बीम के जरिये एक्टिव करवा कर इलेक्ट्रॉन को ट्रैवल करवाता है। इससे भी मैग्नेटिक फील्ड पैदा होती है, परंतु ये फील्ड LHC के तुलना में काफी कमजोर होती है।
वैसे और एक खास बात ये है कि, इस छोटे से पार्टिकल एक्सलरेटर के अंदर इलेक्ट्रॉन को 28.4 kev से लेकर 40.7 kev तक के रेंज में चार्ज करके ट्रैवल करवाया जाता है। तो सीधे-सीधे कहा जाए तो, इस पार्टिकल एक्सलरेटर में इलेक्ट्रॉन के चार्ज कि 43% बढ़ोतरी हो रहीं है, जो की एक बहुत ही बड़ी बात है। इसके अलावा इस एक्सलरेटर कई अलग-अलग बड़े मुकामों को भी हकीकत में बदला है।
आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि, इस छोटे से एक्सलरेटर के अंदर ट्रैवल करने वाले इलेक्ट्रॉन के पास LHC की तुलना में 10 लाख गुना कम चार्ज होता है। मित्रों! आकार काफी ज्यादा छोटा होने के कारण इसके अंदर चार्ज व मैग्नेटिक फील्ड काफी कमजोर होता है। खैर कुछ वैज्ञानिक ये भी मानते हैं कि, नैनो एक्सलरेटर (World’s Smallest Particle Accelerator) के डिज़ाइन को बदल कर इसके क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
निष्कर्ष – Conclusion :-
मित्रों! व्यक्तिगत रूप से मुझे ऐसा लगता है कि, नैनो एक्सलरेटर (World’s Smallest Particle Accelerator) के डिज़ाइन को बदल कर हम पार्टिकल्स के लिए LHC के जितना चार्ज पैदा नहीं कर सकते हैं। हालांकि! ये बात भी सच है कि, इस प्रकार के एक्सलरेटर के जरिये हम कई बीमारियों के इलाज ढूंढ सकते हैं। शोधकर्ता ये कहते हैं कि, इन नैनो एक्सलरेटर को शरीर के अंदर डाल कर बीमारियों का जड़ से इलाज किया जा सकता है।
कुछ रिपोर्ट्स ये भी कहते हैं कि, इस एक्सलरेटर को इस्तेमाल कर के हम कैंसर जैसी बीमारियों को भी ठीक कर सकते हैं। इसके अलावा इससे मरीजों के ऊपर कोई साइड इफैक्ट भी नहीं पड़ेगा। कैंसर के ट्रीटमेंट लिए इस्तेमाल होने वाले रेडियो-थेरेपी में मरीजों के ऊपर काफी ज्यादा साइड इफैक्ट पड़ता ह। जिससे बीमारी ठीक होने के बदले कई बार बढ़ भी जाती हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार, अगर इस एक्सलरेटर को किसी प्रकार से शरीर के अंदर इन्स्टाल कर दिया जाए, तब ये आसानी से रेडियो थेरेपी की तीव्रता को कंट्रोल कर के होने वाले साइड इफ़ेक्ट्स को काफी हद तक कम कर सकता है।
Source :- www.livescience.com