अन्तरिक्ष एक ऐसी जगह है, जहां पर अनंत कल्पना की पराकाष्ठा देखने को मिलती है। हम लोग जितना भी क्यों न सोच लें, परंतु एक बात तो हमें माननी पड़ेगी कि, अन्तरिक्ष जैसा सुंदर व उत्साहजनक स्थान शायद ही हमें कहीं और देखने को मिले। ऐसे में इस जगह के बारे में और भी जिज्ञासा हम लोगों के अंदर पैदा होने लगती है। खैर आज के हमारे इस लेख का विषय एक बहुत ही खास चीज़ के बारे में है, जिसको हम “जेम्स वेब की जेली फिश” (Webb’s Galactic Jelly Fish) के नाम से भी जानते हैं और ये विषय वाकई में काफी ज्यादा रोचक भी है।
जब भी बात किसी जेली फिश (Webb’s Galactic Jelly Fish) के बारे में आती है, तब हमारे मन में सबसे पहले एक सुंदर सी छवि जेली फिश की ही आती है। कैसे जेली फिश एक सुंदर सी जीव हो कर समंदर में अपनी भव्यता बिखरती है, ये सब तो आप लोगों ने पहले भी अपने टेलीविज़न के सेट पर देखा ही होगा। परंतु क्या कभी आपने एक जेली फिश अन्तरिक्ष में देखा हैं! जी हाँ, आप लोगों ने बिलकुल सही सुना, एक जेली फिश जैसी दिखने वाली चीज़ जो पूरे ब्रह्मांड का शोभा बढ़ाती हो।
मेरे हिसाब से बहुत ही कम लोगों को इस चीज के बारे में पता होगा, क्योंकि इसके बारे में इंटरनेट पर भी ज्यादा लोग चर्चा भी नहीं करते हैं।
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जेम्स वेब का “Galactic Jelly Fish”! – Webb’s Galactic Jelly Fish :-
ज़्यादातर लोगों को ये पता ही होगा कि, समंदर में जैसे जेली फिश बिना किसी फिक्र के एक बहती मृदु हवा की जैसी तैरती चली जाती हैं; ठीक उसी तरह हाल ही में जेम्स वेब की लेंस के सामने एक बहुत ही सुंदर जेली फिश आकृति की एक आकाशगंगा (Webb’s Galactic Jelly Fish) आ चुकी हैं। वैज्ञानिकों को इस आकाशगंगा की उत्पत्ति या इसके आने की वजह के बारे में अभी तक कुछ भी पता नहीं चल पाया हैं। “ESO 137-001” ना की ये आकाशगंगा देखने में किसी सुंदर जेली फिश से कम नहीं हैं। ज्यादा गौर से देखने पर आपको इस आकाशगंगा से बाहर की और निकलने वाले नीले रंग के कई टेंटाकल्स देखने को मिलेंगे।
हालांकि! अगर आप इस गैलक्सि को एक्स-रे के मदद से देखेंगे, तब आपको इसके पीछे से गरम गैस से बनी एक लंबी पूंछ नजर आएगी। वैसे एक खास बात ये हैं कि, जब से अन्तरिक्ष में जेम्स वेब को लौंच किया गया हैं, तब से वैज्ञानिक इस तरह के जेली फिश गैलक्सि के बारे में रिसर्च कर रहें हैं। इसके अलावा आप लोगों कि अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, जेम्स वेब के माध्यम से इस तरह के गैलक्सि के पूंछ में ज़्यादातर नए तरह के सितारों को बनने की प्रक्रिया को देखा जा सकता हैं।
परंतु विडंबना की बात तो ये हैं कि, आज तक हमें इस गैलक्सि के पूंछ में बन रहे इन सितारों की बनने की असल वजह के बारे में कुछ भी नहीं पता चल पाया हैं। ऐसे में इसके ऊपर वैज्ञानिक काफी ज्यादा शोध कर रहें हैं और इसके पीछे छुपी असल वजह को ढूंढ रहें हैं।
हमारे लिए काफी अनजान होते हैं इस तरह के आकाशगंगाएँ! :-
पूंछ में बन रहे सितारे हमारे लिए काफी ज्यादा अनजान हैं, क्योंकि एक ही समय पर इतनी भारी मात्रा में सितारों का बनना कोई आम बात नहीं हैं। इसके अलावा वैज्ञानिकों को इस प्रक्रिया के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं हैं। वैसे अधिक जानकारी के लिए आप लोगों को बता दूँ कि, इस गैलक्सि क्लस्टर को “Abell 3627” का नाम दिया गया हैं। वैसे आप लोगों को बता दूँ कि, एक गैलक्सि क्लस्टर केवल और केवल खाली स्थान से घिरा हुआ स्थान नहीं हैं। आप लोगों को बता दूँ कि, दो गैलक्सि के बीच मौजूद जगह शून्य नहीं बल्कि गरम गैस से भरा हुआ होता हैं।
वैसे गैलक्सि क्लस्टर के बाहर मौजूद गैलक्सि उस गैलक्सि क्लस्टर के लिए “हेड विंड” का काम करते हैं। वैसे इसके कारण छोटे व कम ताकतवर गैलक्सि से कॉस्मिक डस्ट और गैस खींचते हुये बाहर की और चला आता हैं। हालांकि! यहाँ पर कई वैज्ञानिकों का ये भी कहना हैं कि, इसके कारण सितारों की बनने की प्रक्रिया काफी ज्यादा धीमी हो जाती हैं। मित्रों! आप लोगों को बता दूँ कि, आकाशगंगाओं को सितारों को बनाने के लिए कॉस्मिक गैस की जरूरत पड़ती हैं। परंतु जब आकाशगंगाओं के पास कॉस्मिक गैस खत्म हो जाता हैं, तब मुश्किल बढ्ने लगती हैं।
जैसे ही गैस खत्म होने लगती हैं, ठीक उसी समय ही सितारों की बनने की प्रक्रिया धीमी व अंत में रुक जाती हैं। शायद ये ही वजह हैं कि, क्लस्टर के अंदर मौजूद आकाशगंगा क्लस्टर के बाहर मौजूद आकाशगंगाओं के तुलना में काफी जल्दी सितारों को बनाने की प्रक्रिया को रुकवा देते हैं। हालांकि! इस प्रक्रिया के बारे में जानना हमारे लिए आज भी रहस्य बना हुआ हैं।
सितारों की बनने की प्रक्रिया होती हैं बहुत ही रहस्यमयी! :-
“ESO 137-001” की अगर हम बात करें तो, ये आकाशगंगा (Webb’s Galactic Jelly Fish) हमारे आकाशगंगा के तुलना में थोड़ा कम वजनी और आकार में लगभग एक समान ही हैं। वैसे रोचक बात ये हैं कि, इस आकाशगंगा का पूंछ लगभग “2,60,000 प्रकाश वर्ष” लंबा हैं। आप लोगों को बता दूँ कि, इतनी लंबाई हमारे आकाशगंगा के तुलना में 3 गुना ज्यादा हैं। हालांकि! इस तरह के आकाशगंगाओं को डिटेक्ट कर पाना अक्सर काफी ज्यादा मुश्किल होता हैं। क्योंकि ये काफी ज्यादा कमजोर होते हैं।
आज जेम्स वेब आज कई अलग-अलग गैलक्सि के पूंछ में बन रहें सितारों को टार्गेट कर के इसे विश्लेषित कर रहा है। हालांकि! यहाँ पर सितारों की बनने की प्रक्रिया रुकती नहीं है। गैलक्सी की पूंछ से निकलने वाले मटिरियल को विश्लेषित करने के बाद वैज्ञानिक वहाँ हो रहें स्ट्रिपपिंग प्रक्रिया को और भी ज्यादा अच्छे तरीके से जान सकते हैं। इसको विश्लेषित करने से हमें सितारों के बनने की प्रक्रिया के बारे में और भी ज्यादा जानने को मिल सकता हैं। वैसे एक और बात यहाँ वैज्ञानिकों को काफी ज्यादा हैरान कर रहीं हैं।
यहाँ वैज्ञानिकों को ये पता नहीं चल पा रहा हैं कि, आखिर कैसे कॉस्मिक डस्ट के कमी के बाद भी सितारों कि बनने कि प्रक्रिया में रुकावट नहीं आया हैं। वैसे आप लोगों को बता दूँ कि, वैज्ञानिकों को इस चीज़ के बारे में आज भी खोज करना पड़ेगा; तभी जा कर इसके पीछे छुपी वजह को हम ढूंढ पाएंगे।
निष्कर्ष – Conclusion :-
वैज्ञानिकों ने जेम्स वेब के “Mid-Infrared Instrument” (MIRI) के जरिये “ESO 137-001” के बारे में और भी जानकारी जुटाने का प्रयास कर रहें हैं। MIRI इंफ्रारेड के “5-28 माइक्रोन” के बीच वेभलेंथ को डिटेक्ट करने में सक्षम हैं। खैर इस रेंज को मिड-इंफ्रारेड का रिजियन कहते हैं। वैसे इस उपकरण से हम पहले के उपकरणों के मुक़ाबले 50 गुना ज्यादा साफ और 20 गुना ज्यादा अच्छी स्पेक्ट्रल डिटैल को देख सकते हैं। इसके अलावा ये उपकरण हाइड्रोजन के साथ-साथ सल्फर और ऑक्सिजन के एटम से निकलने वाले प्रकाश कि किरणों को भी डिटेक्ट करने में सक्षम हैं।
ब्रह्मांड में कहीं भी अगर सितारे बन रहें हैं, तब वहाँ “polycyclic aromatic hydrocarbons (PAHs)” कणों का होना अनिवार्य है और MIRI इन कणों के बारे में भी काफी कुछ जानकारी जुटाने में सक्षम हैं। ये ही वो कण होते हैं, जहां से बड़े-बड़े सितारों की उत्पत्ति होती हैं। हालांकि! वैज्ञानिकों को सितारे बनाने वाले कॉस्मिक डस्ट की भौतिक गुणों के बारे में भी पता लगाने का मौका मिला हैं। इसलिए वो लोग गैस के घनत्व और तापमान तथा उसके आयतन के बारे में भी पता लगाने की कोशिश कर रहें हैं।
मित्रों! पहले से जुटाई गई जानकारी और हाल ही में मिल रहें जानकारी को एक साथ जोड़ कर सितारों की बनने की प्रक्रिया के बारे में वैज्ञानिक काफी ज्यादा अध्ययन कर रहें हैं।
Source:- www.nasa.gov.