वोयेजर-1 (Voyager 1 Thrusters Problem) की बात की जाए तो, यह मानव द्वारा निर्मित पृथ्वी से सबसे दूर मौजूद स्पेसक्राफ्ट है। कहते हैं कि, वोयेजर-1 के मिशन ने पूरे मानव जाति को गर्वित किया है। इसलिए इसके बारे में हमेशा से काफी ज्यादा चर्चा और खबरें आप लोगों को पढ़ने को मिलती होंगी।
मित्रों! वोयेजर-1 कोई आम मिशन नहीं है, यह एक काफी ज्यादा खास प्रोग्राम है। क्योंकि इसी से ही हम पृथ्वीवासियों की अंतरिक्ष में पहचान बनती है। पूरे ब्रह्मांड में इस मिशन ने पृथ्वी का नाम रोशन किया है। जो कि शायद दूसरे किसी मिशन ने नहीं किया है।
हम अक्सर एलियंस की बात करते हैं। उन्हें ढूँढने के लिए काफी ज्यादा मेहनत भी करते हैं। परंतु क्या आपको पता है, इस ब्रह्मांड में अगर किसी मिशन ने हमें एलियंस तक पहुंचाने में सबसे ज्यादा मदद की है, तो वह वोयेजर-1 (Voyager 1 Thrusters Problem) ही है।
क्योंकि इस स्पेसक्राफ्ट ने आज तक इतना कुछ देख लिया है कि, इसके बारे में कहना भी काफी ज्यादा कठिन है। यह सिर्फ और सिर्फ एक ऐसा स्पेसक्राफ्ट है, जिसने आज के समय में हमारे सौरमंडल को भी पार कर लिया है। जो कि अपने आप में ही एक बहुत बड़ी बात है।
इसलिए कहते हैं कि, खास तौर पर इसी मिशन के ऊपर हमारी उम्मीदें काफी ज्यादा बढ़ गई हैं। मित्रों! यही वजह है कि, आज के हमारे इस लेख का विषय भी इसी महान मिशन वोयेजर-1 के ऊपर ही आधारित है।”
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वोयेजर- में आई एक बड़ी दिक्कत! – Voyager 1 Thrusters Problem!:
वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी से काफी दूर होने के कारण वोयेजर-1 (Voyager 1 Thrusters Problem) की उस तरीके से देखभाल नहीं हो पा रही, जैसे होनी चाहिए। यही वजह है कि यह काफी पुराना हो चुका स्पेसक्राफ्ट आज काफी दिक्कतों से घिरा हुआ है, और इसे ठीक करने में भी काफी दिक्कतें आ रही हैं। मित्रों, हमारे लिए इस तरह के विषयों के बारे में जानना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इससे हमें ब्रह्मांड को समझने में काफी मदद मिलती है। हालांकि, इसके बारे में गहन शोध भी जरूरी है।
खैर, अब वोएजर-1 इंटरस्टेलर स्पेस में पहुँच चुका है और जैसे-जैसे यह पृथ्वी से दूर होता जा रहा है, वैसे-वैसे स्पेसक्राफ्ट की कम्यूनिकेशन लाइन पर काफी दबाव पड़ रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्तमान समय में वोएजर-1 में एक बड़ी समस्या दिखाई दे रही है। बताते हैं कि इस स्पेसक्राफ्ट का थ्रस्टर काम नहीं कर रहा है। अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि इस थ्रस्टर के जरिये स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी की ओर मुख कर रहता था, जिससे कम्यूनिकेशन आसानी से हो रहा था।
परंतु जब से इसका थ्रस्टर खराब हुआ है, तब से यह पृथ्वी से संपर्क साधने में काफी मुसीबतों का सामना कर रहा है। अगर इस स्पेसक्राफ्ट का थ्रस्टर इसी तरह खराब रहा, तो इसका पृथ्वी से संपर्क पूरी तरह से टूट भी सकता है। ऐसे में आने वाले समय में यह अकेला ब्रह्मांड में आगे बढ़ता रहेगा और हमें इसके बारे में कोई भी खबर नहीं मिलेगी, जो कि एक बड़ी बुरी खबर है।
वोयेजर-1 को है भारी खतरा! :-
मित्रों! आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि वोयेजर-1 (Voyager 1 Thrusters Problem) ब्रह्मांड में लगभग 47 साल से यात्रा कर रहा है। इतने लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने के कारण इस स्पेसक्राफ्ट की तकनीक काफी पुरानी हो चुकी है। अगर इसमें कोई भी छोटा सा बदलाव किया जाए तो यह आसानी से खराब हो सकता है। इसलिए आज के समय में यह स्पेसक्राफ्ट काफी नाजुक हो गया है।
हमारे लिए वोयेजर-1 का सही तरीके से काम करना बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे हमें अंतरतारकीय अंतरिक्ष के बारे में अमूल्य जानकारी मिलती है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इंटरस्टेलर स्पेस में कणों के गुणों को जानने के लिए वोयेजर-1 की मदद बहुत ज़रूरी है। क्योंकि वहां सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल प्रभावी नहीं होता, इसलिए यह क्षेत्र हमारे लिए पूरी तरह से नया और अनजान है।
हालांकि, स्पेसक्राफ्ट में लगा परमाणु रिएक्टर का ईंधन अब लगभग खत्म हो रहा है। हमारे पास इसे चलाने के लिए बहुत कम ईंधन बचा है। इसीलिए वैज्ञानिकों का एक समूह स्पेसक्राफ्ट के मूल ढांचे को छेड़े बिना इसे ठीक करने की कोशिश में जुटा हुआ है।
मानवों की तरह वोयेजर स्पेसक्राफ्ट की तकनीक भी समय के साथ पुरानी हो रही है। स्पेसक्राफ्ट के अंदर लगे ईंधन का ट्यूब कई सालों से लगातार काम करने के कारण जाम हो गया है। बताया जाता है कि ईंधन के ट्यूब में एक रबर जैसी झिल्ली होती है जो समय के साथ खराब होकर ट्यूब को जाम कर देती है। वैज्ञानिक इस समस्या का समाधान ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं।”
ये मिशन हमारे लिए है बहुत ही खास!:
वोएजर-1 (Voyager 1 Thrusters Problem) मिशन की शुरुआत काफी चुनौतियों को पार करके हुई थी। इसलिए यह मानव इतिहास में सबसे बेहतरीन मिशनों में से एक है। आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि, वोएजर जैसे मिशन अंतरिक्ष में कभी-कभार ही होते हैं, क्योंकि ये मिशन कोई मामूली मिशन नहीं है। इस तरीके के मिशनों को अंजाम देने के लिए दशकों की मेहनत और सदियों की रिसर्च लगती है। इसलिए इन स्पेसक्राफ्ट्स को किसी भी तरीके से बचाकर रखना हमारे लिए बेहद ही जरूरी है, क्योंकि इसी से ही हम आगे बढ़ सकते हैं।
वैसे एक बात ये भी है कि, वोएजर-1 और वोएजर-2 दोनों ही स्पेसक्राफ्ट्स ने बहुत ही अच्छा काम कर दिया है, क्योंकि दोनों ही स्पेसक्राफ्ट्स ने उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन किया है। वैज्ञानिकों के पास वोएजर-1 को बचाने के लिए समाधान तो मौजूद हैं क्योंकि स्पेसक्राफ्ट के अंदर 3 अलग-अलग ईंधन के ट्यूब मौजूद हैं, जो यान के थ्रस्टर को ऊर्जा देते हैं। अगर किसी तरीके से ईंधन के प्रवाह को एक ट्यूब से बदलकर दूसरे ट्यूब में कर दिया जाए तो यान में होने वाली क्लॉगिंग की समस्या पूरी तरीके से खत्म हो जाएगी। साल 2002 से वोएजर-1 की एक ईंधन वाली ट्यूब खराब होने लगी थी।
तब वैज्ञानिकों ने बड़े ही चतुराई से ईंधन के प्रवाह को दूसरे ट्यूब में बदलकर यान को नष्ट होने से बचा लिया था। हालांकि, इस बार की ये थ्रस्टर समस्या वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि इस बार उनके पास पहले की तरह ज्यादा विकल्प नहीं हैं। मित्रों, आप लोगों को क्या लगता है, क्या इस बार भी वोएजर-1 को बचाया जा सकेगा? कमेंट करके बताइएगा।
निष्कर्ष – Conclusion:
अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में कुछ भी पहले से सटीक नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह हमेशा बदलता रहता है। वैसे यहाँ एक बात ये भी है कि, वोएजर-1 (Voyager 1 Thrusters Problem) जैसे यानों को सुरक्षित रखने के लिए वैज्ञानिक हर संभव प्रयास करने को तैयार हैं, क्योंकि इस तरह के यान ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने में हमारी मदद करते हैं। मित्रों, आज के समय में वोएजर-1 को ठीक करने के लिए वैज्ञानिकों के पास तीन ईंधन वाले ट्यूब में से एक ही ट्यूब बचा है, क्योंकि इसका दूसरा ट्यूब साल 2018 में खराब होने लगा था।
अब ये स्पेसक्राफ्ट अपने आखिरी ट्यूब पर काम कर रहा है। ऐसे में अगर इस ट्यूब में भी गड़बड़ी हो जाती है, तो इसे ठीक कर पाना हमारे लिए लगभग नामुमकिन सा हो जाएगा। हालांकि, यह बात भी सच है कि, इसे वैज्ञानिक किसी भी तरीके से ठीक करने में लगे हुए हैं। वैसे इसके अंदर लगे पहले ट्यूब को वैज्ञानिक फिर से इस्तेमाल करने का सोच रहे हैं, जो शायद इस मुसीबत का समाधान हो सकता है।