Physics

लावा से भी ज्यादा गरम है ये “बर्फ”, वैज्ञानिकों को मिली पदार्थ की एक नयी अवस्था! – Ultrahot Superionic Ice

आग के जितना या अधिक गरम होता है ये "काला बर्फ", एक विशेष रिपोर्ट!

प्रकृति ने जब से जन्म लिया है, तब से कुछ चीज़ें ऐसी हैं जो की कभी एक साथ नहीं रह सकती हैं। जैसे रेल गाड़ी के दो ट्रैक्स एक-दूसरे के बहुत पास हो कर भी कभी मिल नहीं पाते हैं, वैसे ही कुछ प्राकृतिक कारक एक दूसरे से कभी समझौता नहीं कर सकते हैं। मित्रों! जरा दिमाग पर ज़ोर डालिये और सोचिये की आखिर वो कौन से दो प्राकृतिक कारक हैं जो कभी मिल नहीं सकते हैं। आग और पानी वो दो चीज़ें हैं जो कभी एक साथ नहीं रह सकते हैं। बर्फ (ultrahot superionic ice), पानी हो या आग, अगर एक कारक बढ़ता है तो दूसरा घटता ही है।

क्या कभी आपने सुना है कि, बर्फ (ultrahot superionic ice) पानी आग को जलने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है! नहीं ना, मित्रों ये बात सुनने में जितनी अजीब लगती है, हकीकत में ये बात उतनी अजीब भी नहीं है। बर्फ/ पानी और आग दोनों के ही गुण एक चीज़ में समाहित हो सकते हैं, वैज्ञानिकों ने एक ऐसी चीज़ या यूं कहें कि पदार्थ की एक ऐसी अवस्था को ढूंढ लिया है जो कि, आग और पानी को आपस में जोड़ देती है।

तो सवाल उठता हैर कि, आखिर वो चीज़ क्या है? मित्रों! हम इसी चीज़ के बारे में ही आज यहाँ बातें करेंगे, तो थोड़ा सा धैर्य तो रखना बनता ही है।

आग से भी गरम है ये “बर्फ”! – Ultrahot Superionic Ice! :-

हमारा ब्रह्मांड विज्ञान की अनसुलझी पहेली है, पृथ्वी और इसमें बसे जीवन से प्रेरित हो कर, वैज्ञानिकों ने हमारे सौर-मंडल से भी बाहर जीवन के होने कि परिकल्पना की है। यही कारण है कि, बीते दिनों हमें कुछ ऐसे भी परग्रह (Exo-planets) मिले हैं जिसमें हमें जीवन के पनपने के कुछ संकेत मिलत् हैं। हमें उन ग्रहों में बर्फ (ultrahot superionic ice) के आकार में पानी के होने के सबूत मिले हैं। परंतु ये सबूत आज कुछ अलग ही कहानी बता रहे हैं।

Photo Of Black Ice.
काले बर्फ की फोटो | Credit: Little Trees

अभी-अभी वैज्ञानिकों ने एक बहुत ही खास शोध को अंजाम दिया है। इस शोध के तहत उन्होंने एक पानी की बूंद को दो हीरों के अंदर रख कर विस्फोट किया है। इस विस्फोट के कारण पानी की बूंद का तापमान लगभग एक सितारे कि सतह के तापमान के जितना हो गया था और इस तापमान में उस पानी की बूंद ने एक बहुत ही रहस्यमयी पानी की अलग अवस्था (State) को दिखाया है। खैर अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, इस विस्फोट को दुनिया के एक बहुत ही शक्तिशाली लैजर के जरिए सफल किया गया है।

मित्रों! इस शोध ने हमें एक बहुत ही बड़े उलझन में ड़ाल दिया है। जिस पानी को हम काफी सरल और साधारण समझ रहे थे, वास्तव में वही पानी आज एक बहुत ही बड़ी मिस्ट्री बन चुका है। हमारे शरीर में 70% हिस्सा पानी है और आज भी हम पानी के बारे में बेहद ही कम जानतें हैं, तो आप सोचिए की हमारे लिए और भी कितना जानना बाकी हैं।

शोध से वैज्ञानिकों को क्या जानने को मिला? :-

शोध के कारण काफी उच्च तापमान में पानी की बूंद ने एक बहुत ही अजीबो-गरीब गुण को प्रदर्शित किया है। वैज्ञानिकों के हिसाब से इस पानी की बूंद ने “Superionic Ice” (ultrahot superionic ice) नाम के गुण को दिखाया है। बता दूँ कि, पानी की ये नई और बहुत ही खास अवस्था देखने में काफी ज्यादा अनोखी और काली है। मित्रों! इस अवस्था से जुड़ी एक खास बात ये भी है कि, जिस तापमान और दबाव में इस पानी की बूंद ने अपना ये अनोखा गुण दिखाया है, उतना ही तापमान और दबाव हमारे पृथ्वी के केंद्र में भी रहता है।

आग से भी गरम होता हैं ये बर्फ! - Ultrahot Superionic Ice.
इस शोध ने हमें क्या बताया! | Credit: Live Science

इसलिए ये बात भी काफी ज्यादा महत्वपूर्ण बन जाती है कि, पानी की ये नई अवस्था हमारे पृथ्वी के केंद्र और इससे जुड़ी काफी सारे विषयों पर भी नया प्रकाश डाल सकती है। इस कारण से हमें कई सारे गहन रहस्यों के ऊपर से परदा उठाने का मौका मिल सकता है। इससे पहले पानी की इस नई अवस्था को देखने के लिए वैज्ञानिक कई सारे प्रघाती तरंगों (Shock wave) को इस्तेमाल करते थे। गौर करने वाली बात ये है कि, इतने सारे शॉक वेव्स देने के बाद भी ये सिर्फ 20 नैनो सैकंड्स के लिए ही (अजीब सी बर्फ /पानी कि नई अवस्था) अपनी मूल अवस्था में रह पाती थी।

वैज्ञानिकों का इसको ले कर क्या कहना है? :-

तो, सिर्फ 20 नैनो सैकंड्स के लिए ही अस्तित्व में रहने वाली इस अवस्था को सही तरीके से अनुसंधान करना वैज्ञानिकों के लिए काफी ज्यादा मुश्किल बन गया था। मित्रों! इससे पहले कभी भी वैज्ञानिक इस अजीब बर्फ को 20 नैनो सैकंड्स से ज्यादा देरी तक अस्तित्व में नहीं रख पाए थे। इसलिए ये शोध आज वैज्ञानिकों के लिए एक काफी बड़ी सफलता के रूप में दर्ज हो चुका है।

Black Water.
वैज्ञानिकों का क्या कहना हैं? | Credit: Pintrest.

बहुत से वैज्ञानिकों की इस खोज को लेकर काफी अलग-अलग राय भी रहीं हैं। कुछ वैज्ञानिकों का ये कहना था कि, पानी की इस नई बर्फ (ultrahot superionic ice) वाली अवस्था को कभी कृत्रिम रूप से बना पाना लगभग असंभव ही था। वहीं कुछ वैज्ञानिकों का ये कहना था कि, इस अवस्था तक पहुँचने के लिए उन्हें काफी अधिक दबाव कि जरूरत पड़ेगी जो कि संभव नहीं हैं। तरल, ठोस और गैस ये पानी कि मूल तीन अवस्थाएं हैं, परंतु इन अवस्थाओं के बाद भी पानी की बहुत ली अवस्थाएँ हो सकती हैं।

अलग-अलग तापमान और दबाव के कारण पानी के परमाणुओं में काफी ज्यादा बदलाव देखा जा सकता है, जिसके कारण पानी के कई सारे रूप हमें देखने को मिल सकते हैं। अभी तक वैज्ञानिकों ने तरल पानी और बर्फ के बीच 20 अलग-अलग अवस्थाओं को ढूंढ कर निकाला है। मित्रों! ध्यान देने वाली बात ये भी है कि, पानी के अंदर हाइड्रोजन और ऑक्सिजन परमाणुओं के बीच होने वाले बॉंडिंग के कारण ही इन अवस्थाओं का सूत्रपात होता है। खैर मित्रों! आगे मैं आप लोगों को इन 20 अवस्थाओं में से कुछ अवस्थाओं के बारे में जरूर ही बताऊंगा।

निष्कर्ष – Conclusion :-

बर्फ की (ultrahot superionic ice) 20 अवस्थाओं में से दो अवस्थाएँ जिनका नाम “Ice VI” और “Ice VII” है, ये आयताकार प्रिज़्म के आकार में अपने आप को दर्शाते हैं। वहीं “Ice XI” किसी मैग्नेटिक फ़ील्ड के अंदर अपनी दिशा को आसानी से बदल सकता है। “Ice XIX” के अंदर हाइड्रोजन परमाणु ही रहते हैं पर ये काफी ज्यादा कमजोर होते हैं। वैसे अभी खोजी गई अवस्था को बर्फ की 18 वीं अवस्था के तौर पर स्थान दिया गया है और ये बाकी अवस्थाओं में सबसे ज्यादा अलग और अजीब भी है।

तो, सिर्फ 20 नैनो सैकंड्स के लिए ही अस्तित्व में रहने वाली इस अवस्था को सही तरीके से अनुसंधान करना वैज्ञानिकों के लिए काफी ज्यादा मुश्किल बन गया था। मित्रों! इससे पहले कभी भी वैज्ञानिकों ने इस अजीब बर्फ को 20 नैनो सैकंड्स से ज्यादा देरी तक अस्तित्व में नहीं रख पाए थे। इसलिए ये शोध आज वैज्ञानिकों के लिए एक काफी बड़ी मुक़ाम के तौर पर दर्ज हो चुका हैं, क्योंकि वाकई में ये खोज बहुत ही ज्यादा अतुलनीय हैं। आपको इसके बारे में क्या लगता हैं?
लैजर से टार्गेट किया जा रहा हैं। | Credit: You Tube.

मित्रों! इस बर्फ के अंदर मौजूद ऑक्सिजन परमाणु तो साधारण हैं, परंतु इसका जो हाइड्रोजन परमाणु हैं ये काफी ज्यादा खास है। क्योंकि ये परमाणु बर्फ के अंदर किसी तरल पदार्थ की तरह इधर से उधर आता-जाता रहता है। वैसे हाइड्रोजन परमाणु की इस गति के कारण ये बर्फ के अंदर से प्रकाश की किरणों को जाने नहीं देता, जिससे ये बर्फ काली नजर आती है।

खैर इस प्रकार की बर्फ के बारे में सबसे पहले 1988 में वैज्ञानिकों ने कल्पना की थी। तब से लेकर आज तक इस बर्फ को लेकर कई सारे शोध हुए। साल 2018 में पहली बार इस बर्फ के होने के सबूत वैज्ञानिकों को मिले थे। परंतु इसका पुष्टीकरण कुछ दिनों पहले ही हुआ है। मित्रों! ये बर्फ काफी ज्यादा गरम होती है, क्योंकि इसे काफी ज्यादा दबाव के जरिये बनाया जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस बर्फ का तापमान सूर्य के सतह के तापमान से भी अधिक होता है। यही वजह हैं कि, ये बर्फ ज्वालामुखी लावा से बहुत गर्म होता है।

Source:- www.livescience.com

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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