इस दुनिया में जितने भी बच्चे और व्यस्क हैं सभी ने अपने जीवन में पेंसिल का इस्तेमाल तो किया ही होगा। पेंसिल से पढ़ाई शुरू की और लिखना भी सीखा। पेंसिल का चलन इतना बढ़ा कि आज हर कोई किसी भी तरह के लिखा-पढ़ी के काम के लिए पेंसिल ही प्रयोग में लाता है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि पृथ्वी पर इस्तेमाल की जाने वाली ये पेसिंल अंतरिक्ष में क्यों नहीं प्रयोग में लाई जाती है। क्यों अंतरिक्ष यात्री इस प्यारे सै गैजेट से दूर रहते हैं, आईये जानते हैं –
पहले रूसियों के साथ-साथ नासा ने भी अपने रिकॉर्ड को बनाए रखने के लिए अंतरिक्ष में पेंसिल का इस्तेमाल किया था। वे पेंसिल के विकल्प की तलाश कर रहे थे क्योंकि पेंसिल ने अंतरिक्ष में कई खतरों को पैदा कर दिया था यानी जीरो ग्रेविटी की स्थिति में ,
आमतौर पर अंतरिक्ष का वातावरण बहुत ही भिन्न होता है, वहां पर अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की औरबिट (कक्षा) में परिक्रमा करते हैं, जिस कारण उनकी गति पृथ्वी के घूर्णन की गति के बराबर हो जाती है, जो समान्य गति से बहुत ज्यादा होती है, और साथ में जीरो ग्रेविटी यानि ग्रेविटेशनल फोर्स का अभाव भी किसी भी वस्तु को स्थिर नहीं रखने देता है, इस वजह से पेंसिल जैसी छोटी चीज़ भी इन लोगों के लिए खतरनाक हथियार बन सकती है-
१) पेंसिल में मौजूद ग्रेफाइट को जटिल रूप से डिज़ाइन किए गए सिस्टम के विद्युत चालन में गड़बड़ी पैदा करने का खतरा था।
२) पेंसिल में ग्रेफाइट में ग्रेफाइट कणों के कारण विस्फोट या आग लगने की प्रवृत्ति थी।
३) लकड़ी या लकड़ी के कणों के कारण आग लगने का भी खतरा था जो इन पेंसिलों में उपयोग किया जाता है।
इन अभिलेखों का परिणाम जो बनाए रखा गया था, उन्हें आसानी से हेरफेर किया जा सकता है और वे दिखने में घटिया थे, इस प्रकार, वे दिखने में धब्बा थे और स्थायी नहीं थे।
इससे पॉल फिशर द्वारा फिशर स्पेस पेन का विकास हुआ जिसने इन सभी कठिनाइयों को दूर करने में मदद की।