मानवता आज अपने घुटनों पर है। पृथ्वी पर हर तरफ खौफ़ और हाहाकार का माहौल है। सब अपने जीवन को लेकर चिंतित हैं। पहले से ही बहुत सी मुसीबतों का सामना करती हुई पृथ्वी के ऊपर अब एक और मुसीबत आन पड़ी है। मुसीबत ऐसी कि, शायद ये इंसानों के लिए आखिरी समय हो। मित्रों! मैं यहाँ बात कर रहा हूँ, रूस-यूक्रेन (Russia-Ukraine war in hindi) के युद्ध के बारे में। जहां क्रूरता और हिंसा कि ऐसी तांडव लीला दिखाई दे रही है, जिसके बारे में शायद ही आप कभी अपने सपने में भी सोच पाएं। दो देशों कि बीच की लड़ाई अब पूरे विश्व के लिए खतरा बन चुकी है।
रूस-यूक्रेन (Russia-Ukraine war in hindi) का युद्ध कुछ इस कदर गंभीर बन चुका है कि, अगर इसका जल्द से कोई समाधान नहीं निकाला गया, तो शायद तीसरा विश्व-युद्ध निश्चित है। मानवता अभी भी द्वितीय विश्व-युद्ध से पूरी तरीके से उभरी नहीं हैं और इस समय अगर ये महायुद्ध शुरू हो जाता है। तब शायद ये इंसानों का धरती पर आखिरी युद्ध होगा। क्योंकि जरा सोचिए अगर युद्ध के दौरान परमाणु हथियारों का इस्तेमाल होता है, तब पूरी दुनिया ही खत्म हो जाएगी। विश्व के मानचित्र से कई देशों का चिन्ह पल-भर में समाप्त हो जाएगा।
समुचे विश्व में अब खतरनाक युद्ध का सायरन गूंज रहा हैं। अमेरिका और नाटो के देशों ने रूस से आमने-सामने कि लड़ाई के बारे में काफी गंभीर चेतावनियाँ दी हैं। ऐसे में चलिये एक नजर हम इस युद्ध के बारे में ही देख लेते हैं।
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आखिर क्यों हो रहा है ये युद्ध? – Russia-Ukraine War In Hindi! :-
मित्रों! कोई भी युद्ध (Russia-Ukraine war in hindi) बिना कारण के नहीं होता है। क्योंकि दुनिया में हर एक देश बिना किसी कारण के अपनी सुरक्षा और अर्थ नीति को क्यों खराब करना चाहेंगे? खैर वर्तमान में चल रहें इस युद्ध के पीछे भी कई सारे कारण रहें हैं। जिसके बारे में मैं आप लोगों को लेख के इस भाग में बताऊंगा। तो, आप लोगों से अनुरोध हैं कि लेख के इस भाग को जरा गौर से पढ़िएगा। करीब-करीब एक हजार साल पहले से ही रूस और यूक्रेन का इतिहास काफी जटिल रहा है।
तथ्यों के मुताबिक जब सोवियत संघ था, तब यूक्रेन एक बहुत ही शक्तिशाली और उन्नत राष्ट्र के रूप में पूरे यूरोप में मशहूर था। यहाँ की जनसंख्या और खेती के लिए ज़्यादातर यूरोपीय देश यूक्रेन पर निर्भर थे। हालांकि! जब सोवियत संघ का विलय हुआ, तब रूस ने अपनी संप्रभुता के लिए अपने पड़ोसियों के ऊपर नजर गड़ाना शुरू कर दिया। चूंकि, अमेरिका प्रभावित नाटो देश शीत युद्ध के बाद से ही रूस की अंतरराष्ट्रिय सीमा के काफी करीब आने लगे थे। इसलिए रूस के लिए ये निश्चित करना अनिवार्य हो गया कि, उस पर भविष्य में किसी तरह की सैन्य कारवाई न हो।
इसलिए साल 1991 से ही रूस अपनी संप्रभुता के लिए दुनिया भर से लढ रहा है। यूक्रेन के बारे में और एक बात मैं आपको बता दूँ कि, वहाँ के पूर्वी और उत्तरी क्षेत्र में रूसी भाषा का व्यापक रूप से इस्तेमाल होता है। इसलिए वहाँ काफी समय से विद्रोह का माहौल बना हुआ था। हर वक़्त यूक्रेनी सेना और विद्रोहिओं के बीच संघर्ष होता रहता था और नरसंहार जैसी बातें भी घटती होती रहतीं थी। ये ही कारण है कि, रूस ने यूक्रेन पर हमला किया!
रूसी यूक्रेन को अपना क्यों देखते हैं? क्या है 1 हजार वर्ष का इतिहास?
रूस और यूक्रेन दोनों अपनी जड़े पूर्वी स्लाव राज्य (Slavic state), कीवन रस (Kievan Rus)में खोजते हैं। ये हिस्सा 9वीं शताब्दी से लेकर 13वीं शताब्दी के मध्य तक बाल्टिक से काला सागर (Black Sea) तक फैला था। इस मध्ययुगीन साम्राज्य की स्थापना, वाइकिंग्स (Vikings) के द्वारा की गई थी – स्कैंडिनेविया के लाल बालों वाले लोगों को स्लाव भाषा में रस कहा जाता था, ये लोग आज से 1 हजार साल पहले नोर्थ (डेनमार्क, नोर्वे) के हिस्सों से आये थे और उन्होंने यहां पर रह रहे स्थानीय स्लाव लोगों पर आक्रमण करके उन पर विजय प्राप्त की और कीव(Kiev) में अपनी राजधानी स्थापित की।
वर्ष 988 में ये राज्य रूढ़िवादी ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गया। यूक्रेन में भेजे गये फ्रांस के एक पादरी ने रिपोर्ट किया, “यह भूमि खुद फ्रांस की तुलना में अधिक एकीकृत, खुशहाल, मजबूत और अधिक सभ्य है।” लेकिन 13 वीं शताब्दी में मंगोल आक्रमणकारियों द्वारा कीव को तबाह कर दिया गया था, और सत्ता उत्तर में मास्को नामक एक छोटे से रूसी व्यापारिक चौकी में स्थानांतरित हो गई थी।
कीवन रस के गिरने के बाद यूक्रेन का क्या हुआ?
यूक्रेन में उपजाऊ भूमि के कारण कई शक्तिशाली राजाओं और देशों ने इस पर कई बार आक्रमण किया, यंहा की भूमि इतनी उपजाऊ थी कि इसे आज भी “यूरोप की ब्रेडबैकेट (breadbasket)” कहा जाता है। कैथोलिक पोलैंड और लिथुआनिया सैकड़ों वर्षों तक देश पर हावी रहे, लेकिन 18 वीं शताब्दी के अंत तक इंपीरियल रूस ने गैलिसिया को छोड़कर अधिकांश यूक्रेन पर कब्जा कर लिया था, गैलिसिया को उस समय ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य नियत्रिंत करता था। रूस के जार (राजा) ने इसे अपना उपनिवेश बना दिया था और 1840 के दशक में स्कूलों में यूक्रेनी भाषा के उपयोग पर प्रतिबंध लगाते हुए यूक्रेनी राष्ट्रवाद को कुचलने की कोशिश की। प्रथम विश्व के बाद यूक्रेन स्वतंत्र हुआ पर ये स्वतंत्रता बहुत अल्प थी, 1922 में सोवियत संघ के बनने से यूक्रेन भी इसका एक हिस्सा बन गया और साल 1991 में जब सोवियत युनियन टूटा तो यूक्रेन फिर से एक स्वतंत्र देश बन गया। लेकिन रूस ने देश के मामलों में दखल देना जारी रखा।
ये भी थीं कुछ वजह और क्या हासिल करना चाहते हैं “पुतिन”! :-
यूक्रेन (Russia-Ukraine war in hindi) के “डोनेत्स्क और लुहांस्क” ऐसे दो जगह थी, जहां पर काफी समय से वर्तमान के यूक्रेनी सरकार के विरुद्ध विद्रोह चल रहा था। ऐसे में रूस इस ताक में था कि, आखिर कैसे सबसे पहले इन दोनों ही जगहों को घुस कर कब्जा कर लिया जाए। क्योंकि रूस का कहना था कि, यहाँ पर यूक्रेनी सरकार बेकसूर लोगों कि हत्या कर रही हैं। मित्रों! बता दूँ कि, ये दोनों ही नगर रूस की संप्रभुता के लिए काफी ज्यादा जरूरी हैं और सबसे पहले रूस के राष्ट्रपति “व्लादिमीर पुतिन” ने इन्हीं दो इलाकों को ही स्वतंत्र घोषित किया था।
तभी से ही ये युद्ध (24 फरवरी 2022) लगा हुआ है। युद्ध हर ढलते दिन के साथ और भी ज्यादा भीषण हो रहा है और यूक्रेनी सेना भी रूस को कड़ा जवाब दे रहीं है। यूक्रेनी सरकार के हिसाब से अब तक यूक्रेनी सेना ने 4,600 से भी ज्यादा रूसी सैनिकों को मार गिराया है, तथा उनके 2-4 फाइटर जेट्स, 4 हेलीकाप्टर, कई बख्तर-बंद गाडियाँ, 146 टैंक्स और मिसाइलों को भी नष्ट करने के बारे में दुनिया को बताया है। ऐसे में रूस के तरफ से कहा गया है कि, वो सिर्फ यूक्रेनी सेना के सैन्य ठिकानों पर ही बमबारी कर रहा हैं। अब तक रूस 821 यूक्रेनी सैन्य ठिकानों को तबाह करने में सक्षम रहा है।
“कीव” की सुरक्षा अनिवार्य है! :-
इसके साथ-साथ रूसी सेना ने यूक्रेनी सेना के 14 एयर फील्ड, 70 से भी ज्यादा बख्तर बंद गाडियाँ, तथा कई सारे हेलीकाप्टर और एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम्स को ध्वस्त करने का दावा किया है। खैर युद्ध के ठीक केंद्र में यानी यूक्रेन के राजधानी “कीव” में यूक्रेनी राष्ट्रपति “वोलडिमिर जेलेंस्की” ने अपने देश वासीओं को लढने कि प्रेरणा दे रहें हैं। सूत्रों के मुताबिक उनकी सरकार ने रूसी सेना के सामने लढने के लिए अपने नागरिकों को 18,000 से भी ज्यादा बंदूकें दी हैं।
अगर एक बार देश की राजधानी कीव गिर जाती है, तब पूरा देश रूसी सेना के अधीन चला जाएगा। यही वजह हैं कि, यूक्रेनी राष्ट्रपति ने पूरी दुनिया से ये गुहार किया हैं कि; उनकी मदद जल्द से जल्द करी जाए। धीरे-धीरे रूसी सेना कीव के बहुत करीब बढ़ रहीं हैं (लगभग 20-30 km कीव से दूर) और उसे पूरे तरीके से कब्जे में ले कर यूक्रेन में सत्ता-पलट करना चाहती हैं। पुतिन चाहते हैं कि, किसी भी हाल में यूक्रेन नाटो में शामिल न हो। क्योंकि वर्तमान के यूक्रेनी राष्ट्रपति ने नाटो के सदस्यता के लिए आवेदन किया था।
अगर एक बार यूक्रेन नाटो में शामिल हो गया, तब अमेरिका समेत पश्चिम के देश यूक्रेन में अपने सैन्य ठिकाने बना लेंगे; जो कि रूस कि जातीय सुरक्षा के लिए काफी ज्यादा खतरा बन सकता हैं। बता दूँ कि, अगर कोई देश नाटो के किसी सदस्य देश के ऊपर हमला कर देता हैं; तब सारे नाटो देश उस आक्रमणकारी देश के ऊपर एक साथ हमला करेंगे। इसी बात से रूस काफी चिंतित था और उसने इस युद्द को अब अंजाम दे दिया हैं।
क्या तृतीय विश्व युद्ध तय है और भारत अब क्या करेगा? :-
लोगों के मन में अब इस युद्ध को देख कर द्वितीय विश्व युद्ध की यादें ताजा हो गई हैं। कई लोग इस युद्ध को तृतीय विश्व युद्ध (Russia-Ukraine war in hindi) की शुरुआत भी कह रहें हैं। परंतु मित्रों! मेँ आपको बता दूँ कि, रूस इतना भी नासमझ नहीं हैं कि; वो एक साथ अपने सारे शत्रु राष्ट्रों से लढने लगे। कई लोग ये भी कह रहें हैं कि, इस युद्ध में परमाणु बमों का भी इस्तेमाल हो सकता हैं। पर ये बात भी सत्य नहीं हैं। अगर रूस किसी देश के ऊपर परमाणु हमला करता हैं, तब नाटो तथा दुनिया के अन्य देश चुप नहीं बैठेंगे।
उनके पास भी परमाणु हथियार मौजूद हैं और ऐसे हथियारों के इस्तेमाल से किसी भी देश को लाभ से ज्यादा बहुत क्षति पहुँचती हैं। इसलिए फिलहाल के लिए ये युद्ध विश्व युद्ध का रूप नहीं लेगा। क्योंकि न तो यूक्रेन नाटो का सदस्य देश हैं और न ही इसके पास कोई परमाणु हथियार है। वैसे ऐसे स्थिति में भारत को किसी भी देश के लिए पक्षपात न करते हुए अपने नागरिकों को (यूक्रेन में रह रहें) सही-सलामत भारत लाने के ऊपर ध्यान देना चाहिए, जो हमारी सरकार पहले से ही कह चुकी हैं।
अंतिम में युद्ध किसी के लिए लाभकारी नहीं होता, इस युद्ध में सबसे ज्यादा प्रभावित यूक्रेनी आम जनता ही हुई हैं। अब तक 1,50,000 से ज्यादा यूक्रेनी नागरिक देश छोड़ कर जा चुके हैं और कई यूक्रेनी बेकसूर लोग युद्ध के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। कूटनीति और शांति से ही जटिल समस्याओं को हल करना चाहिए और हम हिंसा कि घोर निंदा करते है।