आए दिन हमें कई सारे मिशनों के बारे में सुनने को मिल रहा हैं। स्पेस-एक्स हो या नासा (nasa rover perseverance in full detail) हर एक संस्थान एक-दूसरे के साथ मिल कर कई सारे अभूतपूर्व मिशनों को अंजाम दे रहें हैं। पृथ्वी में इंसानों को बसे हुए 25 लाख साल से ज्यादा हो चुके हैं। इतने सालों में इंसान ने काफी कुछ तरक्की कर लिया हैं और आशा हैं की आगे भी करता रहेगा। परंतु विडंबना की बात तो ये हैं की, इतनी तरक्की करने के बाद भी इंसान को आज कई सारे गहन मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा हैं। वैसे इन मुसीबतों में सबसे विकराल मुसीबत हैं, इंसानों का पृथ्वी पर रहना। यानी विज्ञान के वजह से इतनी तरक्की करने के बाद भी इंसानों को आज दूसरे जगह पर रहने के लिए जगह ढूंढनी पड़ रही हैं।
मंगल जी हाँ! आप लोगों ने सही सुना, पूरे सौर-मंडल में मंगल ही एक ऐसा ग्रह है जहां इंसानों को लगता हैं की वहाँ जीवन संभव हो सकता हैं। इसी कारण के लिए आज नासा लगातार मंगल के हर एक हिस्से पर अपनी नजर गड़ाए रखा हैं। मंगल पर जीवन की तलाश में नासा ने अपने कई सारे रोवर छोड़ा हैं। मित्रों! आज हम एक ऐसे ही रोवर जिसका नाम “Perseverance” हैं उसी के बारे में बात करेंगे।
तो, क्या आप लोग तैयार हैं; इस रोवर के बारे में जानने के लिए ? अगर आपका जवाब हाँ है तो, चलिये अब लेख में आगे बढ़ते हुए इसी रोवर के बारे में चर्चा शुरू करते हैं।
विषय - सूची
नासा का रोवर “Preservance” क्या हैं? – NASA Rover Preservance In Full Detail :-
नासा का रोवर Perseverance (nasa rover perseverance in full detail) दरअसल नासा के द्वारा किया जा रहा मिशन “Mars 2020” का हिस्सा हैं। बता दूँ की, रोवर Perseverance के साथ एक रोबोटिक हेलीकप्टर “Ingenuity” भी शामिल हैं। ये दोनों ही उपकरण नासा के द्वारा ही ऑपरेट किया जा रहा हैं। इस मिशन को 30 जुलाई 2020 को एटलस वी लॉंच व्हिकल के द्वारा छोड़ा गया था।
वैसे इस यान का मंगल पर टच डाउन इसी साल यानी 2021, 18 फरवरी को हुआ था। वैसे जिस जगह पर मंगल पर इसका टच डाउन हुआ उसको “Jezero Crater” भी कहा जाता हैं। अगर हम आज की बात करें तो रोवर को मंगल पर उतरे हुये 4 सोल्स यानी 5 दिन हो चुके हैं। मित्रों! Perseverance रोवर का मुख्य काम मंगल पर जीवन ढूँढने का हैं और इस काम को करने के लिए रोवर के अंदर कई सारे विकसित उपकरण भी लगे हुये हैं।
रोवर का काम मंगल पर जीवन ढूँढने का साथ-साथ मंगल के सतह का बखूबी से रिसर्च करना भी हैं। रोवर मंगल के मिट्टी को भूवैज्ञानिक गुणों के आधार पर इसमें छुपी जीवन के संभावनाओं को खोजेगा, इसके अलावा मंगल के वायुमंडल के बारे में भी ये रोवर काफी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां हमें देगा। रोवर को मंगल पर मिले जीवन के सबूतों को भी जाँचने का काम दिया गया हैं। वैसे एक खास बात ये भी हैं की, आने वाले समय में ये रोवर मंगल के मिट्टी का एक छोटा सा सेंपल भी पृथ्वी तक भेजने वाला हैं।
मिशन “Mars 2020” के बारे में कुछ और जानकारीयां! :-
मिशन मार्स 2020 का सबसे पहला लक्ष्य है रोवर Perseverance के द्वारा “Jezero Crater” को काफी अच्छे तरीके से विश्लेषण करना, यानी इसके बारे में हर एक छोटी सी छोटी बात को पता लगाना। वैसे बता दूँ की, वैज्ञानिकों के अनुसार ये क्रेटर लगभग 250 मीटर तक गहरा हैं और ये आज से 3.9 अरब साल से 3.5 अरब साल पुराना हैं। इसके अलावा Jezero Crater की और एक खास बात ये हैं की, इसके अंदर “Delta” नाम की एक नदी बहती हैं; वैज्ञानिकों के अनुसार अगर वो रोवर (nasa rover perseverance in full detail) के जरिये इस जगह को अच्छे तरीके से जांच लें तो हो सकता हैं की शायद हमें यहाँ जीवन की कई पक्के सबूत मिल जाये।
वैसे कई वैज्ञानिकों को लगता हैं की, डेल्टा नदी के तलहटी में कार्बोनेट और सिलिका के अवशेष मौजूद हो सकते है; जिसके की प्राचीन सूक्ष्म जीवों का अवशेष भी माना जाता हैं। मित्रों! बता दूँ की, ऐसे ही सूक्ष्म जीवों का अवशेष हमें आज भी पृथ्वी पर मिलता हैं जो की शायद कई अरबों साल पुरानी हों।
खैर Jezero Crater पर टच डाउन से पहले वैज्ञानिकों ने मंगल पर 8 अलग-अलग जगहों को टच डाउन के लिए चुना था। हालांकि! इन टच डाउन जगहों को लेकर कई सारे चर्चाएँ हुईं, परंतु आखिर में सिर्फ Jezero Crater को ही टच डाउन पॉइंट के रूप में उपयोग में लिया गया। वैसे Jezero Crater को टच डाउन पॉइंट के रूप में 2018 नवम्बर के महीने में चुना गया था।
रोवर का लौंचिंग एंड लैंडिंग! :-
रोवर Perseverance (nasa rover perseverance in full detail) का जो मुख्य फ़्लाइ टाइम विंडो था, वो 17 जुलाई 2020 से 15 अगस्त 2020 तक का था, खैर रोवर को लॉंच 30 जुलाई 2020 को किया गया था और ये मंगल पर लेंड 18 फरवरी 2021 को हुआ जिसके बारे में मैंने आपको पहले ही बता रखा हैं।
मित्रों! मिशन मार्स पूरे एक मंगल वर्ष यानी पृथ्वी के 687 दिनों तक चला। वैसे गौर करने वाली बात ये हैं की, मंगल पर लेंड करने के लिए जिस विंडो को नासा ने चुना; ठीक उसी विंडो को ही अरब ने अपने मार्स मिशन के लिए भी चुना था। इसके अलावा चीन ने भी अपने मार्स मिशन के लिए इसी लौंचिंग विंडो को चुना। वैसे रोवर के लैंडिंग के दौरान पूरे मिशन को नासा का “InSight” मिशन टीम देख रहा था। एंट्री, डिसेन्ट और लैंडिंग पूरी की पूरी प्रक्रिया को टिम इनसाइट के सेसमोंमीटर के द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था; क्योंकी इस टिम का सेसमोंमीटर बहुत ही ज्यादा संवेदनशील हैं।
लैंडिंग के दौरान रोवर के ऊपर पड़ने वाले झटकों को इनसाइट टिम का सेसमोंमीटर 3,400 km की दूरी से भी पहचान लेता हैं। वैसे रोवर Perseverance का लैंडिंग रोवर क्यूरोसिटी के ही तरह था जिसे की साल 2012 में मंगल पर उतारा गया था। वैसे लेंडिंग और मंगल के वातावरण में प्रवेश करने के दौरान होने वाले खतरों को देखते हुए पूरे के पूरे क्राफ्ट को कार्बन फाइबर कैप्सुल से ढका गया था।
इस मिशन का लागत आखिर कितना आया! :-
नासा के द्वारा किया गया ये मार्स 2020 मिशन एक महंगे मिशन के तौर पर देखा जाता हैं। कहा जाता हैं की, ये मिशन नासा का छटा सबसे महंगा मिशन हैं, जिसकी कुल लागत लगभग 5.6 अरब अमेरिकी डॉलर के समान हैं। अगर मेँ आपको थोड़ा और विस्तार से बताऊँ तो, सिर्फ Perseverance रोवर को विकसित करने में ही नासा को 2.2 अरब अमेरिकी डॉलर का लागत आया था।
इसके अलावा पिछले 10 सालों से नासा ने पूरे मिशन को विकसित करने के लिए 2.8 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च किए हैं। Ingenuity हेलीकप्टर को बनाने में वैज्ञानिकों ने 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर तथा लॉंच व्हिकल के लिए 243 अमेरिकी डॉलर का उपयोग किया है। हालांकि! इतने महंगे होने के बाद भी ये मिशन क्यूरोसिटी मिशन से कम महंगा हैं।
अगर हम क्यूरोसिटी के जैसा ही हार्डवेर रोवर Perseverance के अंदर इस्तेमाल करते तो, शायद ये मिशन और अधिक महंगा हो जाता जिसके बारे में शायद ही हम कभी सोच सकते हैं। खैर आपको इसके बारे में क्या लगता हैं, जरूर ही कमेंट कर के बताइएगा।
रोवर के बारे में विशेष जानकारीयां! :-
मित्रों! मैंने आप लोगों को रोवर (nasa rover perseverance in full detail) के बारे में काफी कुछ बता दिया हैं, परंतु अभी भी इसके बारे में कुछ बातें बच गई हैं जिसको की आप लोगों को जरूर ही पता होना चाहिए। तो, चलिये लेख के इस भाग में हम रोवर के खासियतों को देखते हैं।
Perseverance रोवर की खासियत! :-
Perseverance रोवर को क्यूरोसिटी रोवर के डिजाइनिंग टीम ने ही डिजाइन किया हैं, इसलिए देखने में ये दोनों ही रोवर काफी हद तक एक समान ही हैं। इसके अलावा दोनों ही रोवर के अंदर एक ही तरह का हार्डवेर लगा हुआ हैं, परंतु Perseverance का हार्डवेर क्यूरोसिटी से ज्यादा सस्ता और विकसित हैं। क्यूरोसिटी रोवर से अलग Perseverance रोवर का टायर एल्युमिनियम रिंग के ऊपर चढ़ाया गया, जो की क्यूरोसिटी रोवर के टायर से ज्यादा ताकतवर और टिकाऊ हैं।
इसके अलावा टायर के अंदर टाइटानियम का स्पोक लगा हैं जो की Perseverance को क्यूरोसिटी से 14 गुना ज्यादा वजनी बनाता हैं। खैर रोवर का कुल वजन 1,025 kg हैं और इसमें एक अत्याधुनिक रोबोटिक आर्म भी लगा हुआ हैं जिसकी लंबाई 2.1 मीटर के जितना ही हैं। वैसे इस आर्म के जरिये वैज्ञानिक मंगल पर मौजूद मिट्टी के सेंपल को संगृहीत करने के लिए इस्तेमाल करने वाले हैं।
रोवर के लिए जरूरी ऊर्जा को रेडियो थर्मोइलेक्ट्रिक जेनेरेटर के जरिये बनाया जाता हैं। 45 kg वजनी इस जेनेरेटर में 4.8 kg फ्लूटोनियम को इस्तेमाल किया गया हैं जो की लगातार रोवर को ऊर्जा देता रहेगा। हालांकि! ये जेनेरेटर सर्वाधिक 110 वाट तक के बिजली को बनाने में सक्षम हैं जो की समय के साथ धीरे-धीरे कम होता रहेगा।
लंबे समय तक कार्य करने के लिए लगे हैं अत्याधुनिक बैटरि! :-
आपात काल में रोवर में (nasa rover perseverance in full detail) बिजली की सप्लाइ के लिए दो लिथियम आयन की बैटरीयों को लगाया गया हैं। वैसे रोवर में लगा जेनेरेटर कुल 14 सालों के लिए ही कार्य कर सकता हैं। मित्रों! और एक खास बात बता दूँ की, ये जेनेरेटर सोलर पैनल की तरह काम नहीं करता हैं और न ही ये सूर्य के किरणों के ऊपर निर्भर रहता हैं।
वैसे जेनेरेटर और बैटरियों के अलावा रोवर के अंदर 5 और अलग-अलग उपकरण भी मौजूद हैं, जो की अलग-अलग काम करने में काफी ज्यादा सक्षम हैं। इसके अलावा रोवर के साथ Ingenuity हेलीकप्टर भी हैं, जो की मंगल के वातावरण में आसानी से उड़ सकता हैं। बता दूँ की, ये हेलीकप्टर कुल 5 बार उड़ेगा और ये 30 दिनों तक ही कार्यक्षम रहेगा।
इस हेलीकप्टर का हर एक उड़ान 90 सेकंड तक का ही होगा और उड़ान की ऊंचाई 3 से 5 मीटर तक का ही रहेगा, हालांकि! एक ही उड़ान में रोवर 50 मीटर तक की दूरी तय कर सकता हैं। इसके अलावा ये हेलीकप्टर पूर्ण रूप से स्व-नियंत्रित हैं और जब तक ये कार्यक्षम रहेगा तब तक ये रोवर को महत्वपूर्ण डेटा देता रहेगा।
मित्रों! अगर ये हेलीकप्टर सही तरीके से मंगल पर उड़ान भर लेता हैं, तब ये पृथ्वी का पहला ऐसा यान होगा जो की किसी दूसरे ग्रह पर इंजन के जरिये उड़ रहा होगा। तो आप सोच ही सकते हैं की, ये हेलीकप्टर वाकई में इस मिशन के लिए कितना जरूरी हैं।
इस रोवर से हमें तथा नासा के क्या-क्या उम्मीदें जुड़े हुये हैं! :-
रोवर (nasa rover perseverance in full detail)) से नासा को दो मुख्य उम्मीदें जुड़े हुए हैं, पहला है मंगल पर पानी का खोज और दूसरा हैं मंगल पर स्थित सूक्ष्म जीवों के अवशेषों को ढूँढना। वैसे इस रोवर से हमें मंगल के मिट्टी का 31 अलग-अलग सेंपल्स मिलेंगे, जिससे हम माइक्रोबियल बायोसिग्नेचर को भी ढूंढ सकते हैं। हालांकि! वैज्ञानिक आज इस प्रयास में हैं की, कैसे ज्यादा से ज्यादा सेंपल्स को हम रोवर के जरिये पृथ्वी पर लाया जा सकता हैं।
दोस्तों! ये रोवर ही आने वाले समय में इंसानों को मंगल पर पहुँचने में मदद करेगा। अगर इंसान चाहता हैं की, वो मंगल पर रहें तो उसको इस मिशन को सफल बनाना ही होगा। इस मिशन से वैज्ञानिकों को मंगल पर ज्यादा बेहतर ढंग से लैंडिंग तकनीकों को समझने कर उसे आने वाले मिशनों में कैसे इस्तेमाल किया जा सकता हैं, उसके बारे में सोचना होगा।
निष्कर्ष – Conclusion :-
Perseverance (nasa rover perseverance in full detail) रोवर के बारे में एक बहुत ही रोचक बात आपको बताता हूँ। नासा ने इस रोवर के साथ एक “Send Your Name To Mars” का कैम्पेन चलाया था। इस कैम्पेन में लोगों से ये आग्रह किया गया की, वे अपना-अपना नाम रोवर में लगे माइक्रोचिप में डाल दें; जिससे उन सब का नाम रोवर के साथ-साथ मंगल तक पहुँच जाएगा।
खैर इस कैम्पेन में 1 करोड़ से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया था और इस कैम्पेन को दुनिया भर में काफी ज्यादा लोकप्रियता भी हासिल हुआ था। वैसे जब रोवर को लॉंच किया गया था तब उसके ऊपर कोरोना से संबंधित एक प्लेट को लगाया गया था, जो की सारे स्वास्थ्य कर्मी और सफाई कर्मी के सम्मान को दर्शाता है।
मित्रों! नासा के इस सफल मिशन को एक भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक “स्वाति मोहन” ने संबोधित किया था। इसलिए ये मिशन भारत के लिए भी एक तरह से काफी ज्यादा सम्मानजनक विषय बना। दुनिया में इस मिशन के कारण कई सारे दरवाजे खुल गए हैं, क्योंकि इसी मिशन के जरिये हम आने वाले समय में मंगल पर अपनी अस्तित्व को पहुंचा सकते हैं।
Source :- www.nasa.gov