Parker solar probe – सूर्य के रहस्यों को और करीब से जानने के लिए नासा अपना सूर्य पर पहला मिशन कर रहा है जो कि सूर्य के वातावरण में जाकर के उसे अध्ययन करने का है। पार्कर प्रोब (अंतरिक्षयान) नाम से बनया गया ये प्रोब आज अपनी उड़ान भरेगा जिसके साथ नासा 11 लाख लोगों के नाम उसके साथ सूर्य की ओर ले जायेगा।
विषय - सूची
सूर्य के 24 चक्कर
सात साल के इस लंबे मिशन के दौरान ये प्रोब सूर्ये के वातावरण के 24 चक्कर लगायेगा और उसका विस्तृत अध्ययन करेगा। सूर्य के वातावरण को कोरोना भी कहते हैं। एक कार के आकार का यह अंतरिक्षयान सूरज की सतह से 40 लाख मील की दूरी से गुजरेगा। इससे पहले किसी भी अंतरिक्षयान ने इतना ताप और इतने प्रकाश का सामना नहीं किया है। सोलर प्रोब सूरज की सतह के 62 लाख किलोमीटर के दायरे में चक्कर लगाएगा। सोलर प्रोब प्लस को सूरज के ताप से बचान के लिए इसमें स्पेशल कार्बन कंपोजिट हीट शिल्ड लगाई गई है।
क्यों है ये मिशन?
अमेरिका के जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के व्यावहारिक प्रयोगशाला में पार्कर सौर प्रोब के प्रोजेक्ट वैज्ञानिक निकी फॉक्स का कहना है कि सूर्य की ऊर्जा हमेशा पृथ्वी के वातावरण से होकर बहती रहती है। हालांकि, यह अदृश्य हवा की तरह है हम इसे धुव्रों को औरोरा के रूप में घूरते हुए देख सकते हैं जो सुंदर हैं, लेकिन ये हमारे वायुमंडल में बड़ी मात्रा में ऊर्जा और कणों को प्रकट करते हैं। फॉक्स ने कहा कि हमे उस तंत्र की मजबूत समझ नहीं है जो हवा को हमारे लिए संचालित करती है। उन्होंने कहा कि यह वही तथ्य है जिसे हम खोज रहे हैं।
11 लाख लोगों के नाम
फॉक्स ने बताया कि नासा का यह अंतरिक्ष यान उन लोगों के नाम भी साथ ले जाएगा जो इसे लेकर काफी उत्साहित हैं। मार्च में पार्कर प्रोब के साथ अपने नाम भेजने के लिए लोगों को आमंत्रित किया गया था। साढ़े सात हफ्ते तक चली इस प्रक्रिया में कुल 11,37,202 नाम दर्ज हुए और उनकी पुष्टि हुई। इन लोगों के नाम एक मेमोरी कार्ड में डाले गए जिसे 18 मई को अंतरिक्षयान में लगाया गया। यह अंतरिक्षयान शनिवार 11 अगस्त को उड़ान भरेगा।
यह यान सीधे सूरज के वातावरण का सफर तय करेगा। इस मिशन का उद्देश्य यह जानना है कि किस प्रकार ऊर्जा और गर्मी सूर्य के चारों ओर घेरा बनाकर रखती हैं। इस मिशन से सूरज के बारे में अधिक समझ विकसित होने की उम्मीद है।
सूर्य आरम्भ से अंत तक, जानें कैसे बना हमारा सूर्य और कैसे होगा इसका अंत
सूर्य पर विश्व का पहला मिशन साल 2018 में शुरू करेगा नासा
क्या होगा हमारी धरती का अगर अचानक सूर्य गायब हो जाये
7 साल का मिशन
पार्कर सोलर प्रोब 7 साल तक सूरज के इर्द-गिर्द चक्कर लगाते हुए अध्ययन करेगा। कार के आकार का यह यान सूरज की बाहरी परत कोरोना के नजदीक रहेगा। कोरोना का ही तापमान 10 लाख डिग्री सेल्सियस होता है।
हालांकि कोरोना को पार करने के बाद सूरज की परत का तापमान 5500 डिग्री सेल्सियस होता है। कोरोना को इनसानी आंखों से सूर्य ग्रहण के दौरान देखा जा सकता है। यह धुंधला सा झिलमिलाता वातावरण होता है।
प्रोब का ढ़ाचा
नासा ने पार्कर सोलर प्रोब को सूरज के अत्यधिक तापमान से बचाने के लिए 8 फुट की उड़न तश्तरी बनाई है। एपीएल में मिशन प्रोजेक्ट साइंटिस्ट निकी फॉक्स ने बताया कि उनकी टीम ने इस रक्षा कवच को उड़न तश्तरी नाम दिया है। इसे एक दशक की मेहनत के बाद बनाया जा सका है। यह 4.5 इंच मोटी कार्बन फोम की परत है। यान का जो हिस्सा सूरज की तरफ होगा उस पर सफेद सेरामिक पेंट की परत चढ़ाई गई है, ताकि यह सूरज की गर्मी को वापस भेज सके। 8 फुट चौड़ाई वाली इस सुरक्षा परत का वजन तकरीबन 73 किलोग्राम है। यह सूरज के भयंकर तापमान और पार्कर प्रोब के बीच मजबूती से डटी रहेगी।