Environment

30 साल के अंदर खत्म हो सकती है मानव सभ्यता, नई रिपोर्ट का दावा

एक नई रिपोर्ट(New Report  On Humans)  में चेतावनी दी गई है कि आने वाले दशकों के भीतर जलवायु संकट (Climate Change) मानवता के लिए एक गंभीर खतरा बन सकता है।  एक बहुत बड़ा जोखिम सामने है जिसपर अगर कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये तो आने वाली तीन दशकों यानि 30 सालों में ही हमारी मानव सभ्यता इतिहास के सबसे बड़े खतरे की तरफ होगी।

2050 तक होगी सबसे खराब स्थिति

ऑस्ट्रेलियन थिंकटैंक Breakthrough National Centre for Climate Restoration,  द्वारा प्रकाशित  एक रिपोर्ट के अनुसार , 2050 तक ऐसी भयानक परिस्थितियां इस ग्रह पर आ सकती हैं, जिनसे प्रलय जैसे भयानक  विनाश होंगे। जलवायु परिवर्तन और  बढ़ती गर्मी को देखते हुए इस विश्लेषण से पता चलता है कि अगर आने वाले समय में कुछ नहीं किया तो अगले 30 साल हमारे लिए बहुत ही ज्यादा परेशान करने वाले हैं।

हालांकि इस रिपोर्ट (New Report On Humans) में ये दावा नहीं है कि उस समय क्या होगा और किस तरह होगा पर रिपोर्ट के लेखक का कहना है कि जिसतरह आज इस समय पृथ्वी पर  इतनी आबादी है, और इतना ज्यादा प्रदूषण है, जलवायु का हैरान कर देने वाला परिवर्तन है, वो इससे पहले आजतक किसी ने भी इतिहास में नहीं देखा था।   हमारे पास ऐसा कोई डाटा नहीं है जो हमें आज जैसी परिस्थति के दर्शन करवाता हो।

रिपोर्ट में जो विश्लेषण दिये गये हैं और जो बात लेखक ने आज के हालातों को देखते हुए उठाई उसे देखकर उनका ये कहना कि 2050 तक परिस्थति ज्यादा विकराल हो जायेगी, तार्किक लगता है। हालांकि उनकी ये बातें केवल एक अनुमान पर नहीं है बल्कि एक अध्ययन (New Report On Humans) पर टिकी हुई हैं। उनके तीन दशकों के अध्ययन में पृथ्वी पर क्या -क्या हो सकता है, अब हम इसपर नजर डालने वाले हैं।

2020-2030

पृथ्वी के तापमान को नियत्रण में रखने के लिए पिछले साल पेरिस में एक बैठक हुई थी, जिसमें कई देशों की सरकारों जिसमें अमेरिका, चीन और भारत जैसे विशालकाय देश भी शामिल थे, उनकी सरकारें  विफल रही हैं कि पेरिस समझौता ही पृथ्वी के तापमान को नियत्रण में लाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं है।  माना जा रहा है कि अभी ग्लोवल वार्मिंग की वजह से पृथ्वी का तापमान  आने वाले दशक में तीन डिग्री तक बढ सकता है जो कि एक भयावह स्थिति है।

पिछले सभी अध्ययनों को देखते हुए कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर 437 parts per million तक पहुँच गया है, यानि की प्रति 10 लाख कणों में कार्बन के 437 कण अब मिल रहे हैं, जो कि पृथ्वी के 2 करोड़ सालों के पूर्व इतिहास में आजतक कभी नहीं हुआ है।

2030-2050

कार्बन का उत्सर्जन (Carbon Emission) 2030 तक कम हो जाता है, हालांकि,  कार्बन चक्र फीडबैक और जीवाश्म ईंधन के निरंतर उपयोग से तापमान में 2050 तक 3 ° C (5.4 ° F) तक बढ़ जाता है। 

2050

वैज्ञानिकों की मानें तो जिस तरह से तापमान बढ रहा है, तो 2050 तक अगर तापमान 3 की जगह 2 डिग्री सेल्सियस भी बढ़ता है, तो ये भयानक साबित होगा। इससे ग्रीनलैंड  और अंटार्टिका (Antarctica)  के बड़े- बड़े बर्फ के ग्लैसियर पिघल जायेंगे और समुद्री जलस्तर को बढ़ा देगें। अगर हम उस समय भी तत्काल कार्बन उत्सर्जन बंद करदे तो तो भी हमें कोई फायदा होनें वाला नहीं है।

ये समय (This Time)  इंसानों के लिए बर्दाश्त के बाहर हो जायेगा, पृथ्वी पर विचित्र तरह के मौसम होंगे और गर्मी तो बहुत ही ज्यादा घातक और असहनीय हो जायेगी।  रिपोर्ट के अनुसार माना जा रहा है कि 2050 में एक साल में 20 दिन ऐसे होनें वालें हैं जो पृथ्वी की 50 प्रतिशत आबादी को वो झुलसा देने वाली गर्मी देने वालें जो कि इंसानो की क्षमता से ही बाहर होगी।

Wildfire In America - 30 साल के अंदर खत्म हो सकती है मानव सभ्यता
Wildfire In America – GettyImages

उत्तर अमेरिका (North America)  में वाइल्डफायर, सूखा और हीटवेव सहित अत्यधिक मौसम की घटनाएं होने वाली  हैं। चीन में मानसून विफल हो जायेगा , एशिया की महान नदियां भी सूख सकती हैं। 

पश्चिम अफ्रीका (West Africa)  में घातक गर्मी की स्थिति वर्ष में 100 दिनों तक बनी रहने वाली है, और गरीब देश अपनी आबादी के लिए पर्याप्त कृत्रिम रूप (Artificial)  से ठंडा वातावरण प्रदान करने में असमर्थ हैं,  तो वहां स्थिति और ज्यादा घातक होगी।

देशों की बीच हो सकता है भयानक परमाणु युद्ध

खाद्य उत्पादन गंभीर रूप से प्रभावित हो जायेगा  जो कि वैश्विक आबादी को खिलाने के लिए अपर्याप्त होगा। उस समय एक अरब से अधिक लोग विस्थापित हो जायेगे, ना घर होगा और ना ही कुछ मदद। 

संसाधनो की अभाव में महाशक्तिशाली देश आपस में लड़ सकते हैं, जिससे उस समय परमाणु युद्ध का भी बहुत खतरा होगा।.

रिपोर्ट (New Report On Humans) में लेखक का कहना है कि वो उस समय के विनाश की कल्पना से डरता है, उसे लगता  है कि परिणाम तो बहुत घातक होगें , अगर हम सोते रहे तो शायद आने वाले समय में हम लाखों इंसानो को खो सकते हैं।

हालांकि इसे रोका जा सकता है, रोकना कठिन है पर संभव है। यदि हम   पेरिस समझौते के 2 ° C के बजाय वैश्विक तापन को 1.5 ° C तक सीमित  करते हैं, तो हाल में आई IPCC रिपोर्ट के मुताबिक हम एक अच्छा भविष्य इस संसार में बना सकते हैं।

Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

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