सौर-मण्डल में कई सारे ग्रह मौजूद हैं, परंतु जो खास बात मंगल (Mars Active Mantle In Hindi) में हैं न दोस्तों, वो बात शायद ही किसी दूसरे ग्रह में होगी। कहने का मतलब ये हैं कि, पृथ्वी कि कई सारे समानताएँ मंगल के साथ मेल खाती हैं। कुछ समय पहले ही तो, वैज्ञानिकों को वहाँ पर पानी के होने कि सबूत मिले थे। इसके अलावा वहाँ का वातावरण और जलवायु भी पृथ्वी कि तरह लगभग समान ही होती है। इसलिए कई बार वैज्ञानिक मंगल को पृथ्वी का जुड़वा ग्रह भी बोल देते हैं। आए दिन मंगल के ऊपर कई सारे शोध होते रहते हैं।
परंतु एक घटना इस बार मंगल पर ऐसा घटा हैं कि, जिसके बारे में आप शायद ही कभी सोच पाएँ। वैज्ञानिकों को अब की बार मंगल के अंदरूनी हिस्से में कुछ हलचल (Mars Active Mantle In Hindi) के बारे में पता चला हैं। कहा जा रहा हैं की, ऐसी हलचल के बारे में आज से पहले मंगल के ऊपर कभी देखने को नहीं मिला था। कुछ वैज्ञानीक ये भी कह रहें हैं कि, ये हलचल शायद मंगल को फिर से एक्टिव कर दिया हैं। कई हजारों सालों से मंगल पूरा डेड था।
मंगल के ऊपर न तो कोई हलचल थी और न ही किसी प्रकार कि कोई प्रतिक्रिया। वैज्ञानिक सोच रहें थे कि, मंगल अब निर्जीव हो चुका हैं। इसके ऊपर और कभी भी किसी भी तरह कि प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिलेगी। परंतु, आप जानते हैं क्या? शायद ये बात गलत भी हो सकती हैं!
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सोता हुआ मंगल अब जाग उठा है! – Mars Active Mantle In Hindi!
मित्रों! एक कहावत हैं कि, “जब जागो तब सबेरा”! जब-जब कोई भी चीज़ जाग उठती है, तब-तब उसके लिए वो वक़्त एक नए सबेरे कि तरह काम करता है। वैज्ञानिकों कि मानें तो, अब मंगल धीरे-धीरे जाग रहा है। माने अब मंगल की सतह पर शायद कई तरह के बदलाव हमें देखने को मिल सकते हैं। मंगल के “जियोडाइनैमिक” को निर्जीव मानने वाले वैज्ञानिक आज मंगल के ही सजीव हरकतों को देख कर आश्चर्यचकित हो रहें हैं। जिस ग्रह पर कभी भूकंप या ज्वालामुखी के फटने को एक कल्पना मात्र ही माना जाता था, आज वही ग्रह (Mars Active Mantle In Hindi) दुनिया के लिए एक अजूबा बन चुका है।
हालांकि! आज भी मंगल के ऊपर कई बड़े-बड़े ज्वालामुखीओं से बने पहाड़ों को देखा जा सकता है, परंतु वो सब लाखों सालों से सोये हुए थे। परंतु नासा का एक रिपोर्ट ये बताती है कि, पिछले 5 सालों में मंगल के ऊपर कई तरह के हलचलों को देखा गया है। नासा का “इनसाइट” मिशन बीते कुछ सालों में मंगल के अंदरूनी हिस्सों में कई प्रकार के भूकंप और ज्वालामुखियों के फटने के बारे में बताता आ रहा है। वैसे वैज्ञानिकों ने इस प्रक्रिया के नाम को “Elysium Planitia” दिया है।
खेर कुछ वैज्ञानिकों के हिसाब से, इस प्रक्रिया के पीछे छुपे कारणों को उन्होंने ढूंढ लिया है। कई बड़ी-बड़ी स्पेस एजेंसियां मंगल के ऊपर छुपी इस प्रक्रिया के बारे में कई अलग-अलग बयान दे रहीं हैं। हालांकि! कईयों का ये कहना हैं कि, अभी उनको मंगल के ऊपर अब तक का सबसे बड़ा एक्टिव “मेंटल प्लम/ उभार” देखने को मिला हैं।
वैज्ञानिकों को मिल रहें हैं कई सारे सरप्राइजेस! :-
अन्तरिक्ष में अगर कोई ग्रह हमें अपने छुपी रहस्यों से सबसे ज्यादा हैरान कर सकता हैं, तो वो मंगल (Mars Active Mantle In Hindi) ही हैं। अब जब वैज्ञानिकों कि उत्सुकता मंगल के ऊपर फिर से एक बार बढ़ चुका हैं, तब मंगल से मिलने वाले सरप्राइजेस कि संख्या अब काफी ज्यादा बढ्ने लगा हैं। कई बड़े-बड़े वैज्ञानिक मंगल के एक्टिव मेंटल को देख कर इतने प्रभावित हुए हैं कि, इसे उन्होंने एक बहुत ही बड़े सरप्राइज़ का दर्जा दे दिया हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार वैज्ञानिकों के द्वारा लगाए गए अनुमान के विपरीत मंगल काफी धीरे-धीरे ठंडा हो रहा हैं। मित्रों! ये बात कोई छोटी या साधारण नहीं हैं। क्योंकि अगर मंगल काफी धीरे-धीरे ठंडा हो रहा हैं, तब इसका मतलब ये हैं कि; इसके ऊपर अभी भी तरल पानी हो सकता हैं। जिसका सीधा-सीधा मतलब ये निकलता हैं कि, इसके ऊपर परग्रही जीवन भी हो सकती हैं। जरा सोच कर देखिये, मंगल के सतह से काफी गहराई में अगर कोई परग्रही सभ्यता रह रहीं हैं तो, ये संभव हो सकता हैं कि; वो इसी तरल पानी के स्रोत को इस्तेमाल कर रहें होंगे।
पृथ्वी के विपरीत मंगल का क्रस्ट एक बहुत ही बड़े मेंटल शीट के ऊपर टीका हुआ हैं। इसलिए मंगल के ऊपर अगर किसी भी तरह का भूकंप या ज्वालामुखी फटा होगा, तब उस क्षेत्र में या तो वो काफी पुराना होगा या फिर काफी ज्यादा नया। मंगल के ऊपर ज्वालामुखीओं के फटने के लिए मेंटल के ऊपर उभार/ प्लुम के होने कि जरूरत हैं।
आखिर ये प्लुम (Plume) क्या होता है? :-
अब कई लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि, आखिर मंगल (Mars Active Mantle In Hindi) के सतह पर मौजूद ये प्लुम/ Plume क्या है? मित्रों! यकीन मानिए मेरे मन में भी इस तरह के सवाल उठ रहें थे। इसलिए मैंने सोचा कि, क्यों न इसके बारे में कुछ बात कर लिया जाए। तो दोस्तों मेँ आप लोगों को बता दूँ कि, मंगल के सतह पर ये जो प्लुम नुमा चीज़ हैं; ये एक तरह का सतही उभार हैं और ये उभार मंगल के मेंटल से जुड़ा हुआ हैं।
सरल भाषा में कहूँ तो, ये चीज़ एक ज्वालामुखी के मुंह कि तरह काम करता हैं। आमतौर पर ग्रह के मेंटल से निकलने वाली गरम व तरल लाभा बाद में ठंडा हो कर पत्थर रूपी “प्लुम” में तबदील हो जाते हैं। वैसे एक खास बात ये हैं कि, मंगल के मेंटल का ज़्यादातर हिस्सा तरल न हो कर सॉलिड/ सख्त रहता हैं। इसलिए जब भी ये किसी जियोथर्मिक रीज़न के अधीन आता हैं, तब ये गरम-पिघल कर ग्रह के क्रस्ट (Crust) के जरिये बाहर को निकल कर प्ल्लुम के आकार में उभर उठता हैं।
मेरे मित्रों! अब आप एक चीज़ कह सकते हैं कि, मंगल पर हम जिस प्लुम को आज देख रहें हैं; वो असल में पृथ्वी में मौजूद ज्वालामुखिओं जैसी ही हैं। इसके अलावा इसके काम करने का ढंग भी लगभग एक ज्वालामुखी के जैसा हैं। तो कुल मिला कर ये कहा जा सकता हैं कि, अभी भी मंगल सोया नहीं हैं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
आज से कुछ वर्षों पहले ही, वैज्ञानिकों को मंगल (Mars Active Mantle In Hindi) के ऊपर मौजूद ज्वालामुखियों के बारे में पता चला हैं। ये ज्वालामुखी आकार में इतने बड़े हैं कि, ये सौर-मण्डल के सबसे बड़े ज्वालामुखिओं में गिने जाते हैं। सौर-मण्डल कि सबसे बड़ी ज्वालामुखी “Olympus Mons” पिछले 2.5 करोड़ सालों से इन-एक्टिव हैं। मित्रों! लगभग 22 km ऊंचा ये ज्वालामुखी आखिर इतने सालों से चुप हैं, तो इसके पीछे जरूर ही कोई न कोई खास वजह रही होगी।
अन्तरिक्ष में जीतने भी छोटे-छोटे ग्रह मौजूद हैं, वो सब आकार में बड़े ग्रहों के तुलना में ज्यादा तेजी से ठंडे होते हैं। यहाँ अगर हम मंगल कि बात करें तो, ये पृथ्वी के 53% हिस्सा जितना ही बड़ा हैं और साथ में इसका क्रस्ट पृथ्वी के क्रस्ट के 15% हिस्से जितना ही मोटा हैं। तो, आकार में काफी छोटे व बेहद ही पतले क्रस्ट के कारण; वैज्ञानिकों को लगता था कि; अब मंगल पूरे तरीके से खगोलीय रूप से निर्जीव हो चुका होगा। परंतु अब पता चल रहा हैं कि, ये अनुमान कितना गलत भी हो सकता हैं।
जब नासा ने अपने एक रोवर के जरिये मंगल के “Elysium Planitia” नाम के जगह पर सेस्मोंमीटर के जरिए चेक किया, तब उन्हें पता चला कि; वहाँ पर काफी मात्रा में सैस्मिक एक्टिविटी (भूकंप वाले झटके) मौजूद हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार मंगल पर अनुभव किए जाने वाले 90% भूकंप इसी हिस्से से ही निकलते हैं।