हबल (Hubble Telescope in Hindi) का नाम सुनते ही हमें उसके द्वारा खींची गई ब्रह्मांड के पिंडो की अद्भुत तस्वीरें याद आने लगती हैं। आकाशगंगायें हो या फिर दूर चमकते विशाल गैस के बादल हों या पृथ्वी जैसे ग्रहों को देखने की बात हो हबल दूरबीन ने हमें इनके बहुत करीब ला दिया है।
हबल को नासा के वैज्ञानिकों ने 30 साल की कड़ी मेहनत और लगन के साथ बनाया था, शुरू में इसे लेकर नासा को फंडिग के लिए विरोध भी झेलना पड़ा था पर उन सबकी रुकावट को दूर करके नासा ने अप्रैल 1990 में इस महान हबल यान (Hubble Space Telescope In Hindi) को अंतरिक्ष में प्रक्षापित किया।
लेकिन 1990 में इसे प्रक्षेपण के साथ ही 1.6 अरब डॉलर के खर्च से बनी इस अंतरिक्ष वेधशाला में एक गंभीर समस्या पैदा हुई जिसने इसे शुरुआती दौर में मज़ाक का विषय बना दिया। उस पर कामेडी, स्टैंड अप कॉमेडी होने लगी। 1991 की हिट फिल्म “नेकिड गन 2½ में इस वेधशाला का एक फोटो “हिंडनबर्ग” और “टाइटैनिक” जैसे हादसों के साथ दिखाया गया।
अगर हबल कोई कार होती तो उसे डीलर के पास ले जाकर पैसे वापस मांगा जाता। लेकिन ये अमरीकी जनता के पैसों से बना था और अब अंतरिक्ष में था। नासा के सामने दो ही विकल्प थे – इसका उपयोग बंद करे और इसे त्याग दे, या फिर इसे सही करने के सभी जोखिम भरे कदम उठाए।
क्या थी समस्या ?
चैलेंजर हादसे (1986) के समय नासा की ख़ासी आलोचना हुई थी और उसके चार साल बाद, वह फिर राजनीतिक तूफ़ान में घिर रहा था। कुछ लोग जिसे लापरवाही कह रहे थे, पत्रकार, पर्यवेक्षक और राजनेता उसके बारे में कहीं कड़े शब्दों में आलोचना कर रहे थे। ऐसे में नासा ने इस वेधशाला को ठीक करने का ज़िम्मा स्टोरी मसग्रेव पर छोड़ा।
मसग्रेव कहते हैं,जून, 1990 में नासा को गलती की गंभीरता का अंदाजा हुआ। संचार और इलेक्ट्रानिक्स पुर्जो के साथ-साथ सबसे बड़ी समस्या थी मुख्य दर्पण। जांच से ये मालूम हुआ कि मुख्य दर्पण के किनारों को काफी ज्यादा पॉलिश कर दिया गया था, जिसके चलते वो समतल हो गया था। इससे ज़ाहिर था कि करीब 1.61 अरब डॉलर की लागत वाले दूरबीन का फोकस ही ठीक नहीं था यानी वह सही चित्र नहीं भेज सकता था।
कैसे दूर की समस्या
हबल के इंजीनियरों को समझ आ चुका था कि यह एक बेहद गंभीर समस्या है जिसका निदान करना बहुत ही जरुरी है। मीडिया और देश में बहुत किरकरी होने के बाद वैज्ञानिकों ने इसके लिए एक टीम का गठन किया जिसे अंतरिक्ष में जाकर ही हबल के उस दर्पण को बदलना था। ये काम बहुत मुश्किल था इसके लिए अंतरिक्षयात्रियों ने 20 महीने की खास ट्रेनिंग भी ली थी।
एक बात अच्छी थी की Hubble Space Telescope In Hindi को अंतरिक्ष में ही सर्विसिंग हो सके इस तरह से डिज़ाइन किया गया था अब उन्होंने उसके मिरर को ठीक करना सुरु किया और ३ साल के बाद जब दुनियां ने उसकी पहली तस्वीर देखी तो वे दंग रह गये थे।
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मसग्रेव (हबल के मुख्य इंजीनियर) विनम्रता से कहते हैं कि हबल की मुश्किलों को सही करने का असली काम जमीन पर मौजूद वैज्ञानिकों की टीम ने किया था। 11 दिन तक चले इस मिशन में सैकड़ों इंजीनियर, तकनीशियन और कंट्रोल करने वालों ने अपना काम बखूबी किया। इस दौरान मसग्रेव की टीम ने कुल 35 घंटे और 28 मिनट तक अंतरिक्षक्राफ्ट से बाहर जाकर काम किया।