हमारे सौर-मण्डल और ब्रह्मांड के दूसरे सौर-मंडलों के बीच एक खास बात ये है की, हमारे सौर-मण्डल में इंसान रहते हैं। कहने का अर्थ ये हे कि, आए दिन मानवों द्वारा किए गए अन्तरिक्ष मिशनों के जरिए हम अपने सौर-मण्डल में हो रही हर एक गतिविधि के ऊपर नजर रख सकते हैं। आप लोगों को याद हो तो, नासा ने बीते कुछ दिनों पहले अन्तरिक्ष में भेजे गए अपने नए टेलिस्कोप जेम्स वेब (glowing Images of Jupiter) से खींची गईं कुछ तस्वीरों को पूरी दुनिया के साथ साझा किया था और हमनें भी उन तस्वीरों के विषय में काफी चर्चा की थी।
वैसे उन इमेजेस में आकाशगंगाएँ और अन्य कई सारे खगोलीय चीजों को दिखाया गया था। परन्तु इस बार जेम्स वेब ने (glowing Images of Jupiter) हमारे सौर-मण्डल के ही एक ग्रह बृहस्पति का काफी अद्भुत फोटो लिया हैं। बेहरहाल ये फोटो आज के समय में पूरी दुनिया में काफी सुर्खियां बटौर रहीं हैं। इसलिए मित्रों! आज हम बृहस्पति के इसी फोटो को मद्दे नजर रखते हुए, इसके ऊपर गहन चर्चा करने जा रहें हैं। अगर आपको भी मेरी तरह अन्तरिक्ष और इससे जुड़े विज्ञान में रुचि हैं, तो लेख को अंत तक जरूर पढ़िएगा।
तो, मित्रों! चलिये अब आगे बढ़ते हुए; बृहस्पति के इस नए फोटो के ऊपर लेख को आगे बढ़ाते हैं।
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हमारा बृहस्पति आखिर चमक क्यों रहा है! – Glowing Images of Jupiter! :-
नासा के जेम्स वेब ने बृहस्पति (glowing photo of Jupiter) के जिन तस्वीरों को लोगों के साथ साझा किया हैं, उन तस्वीरों में बृहस्पति काफी ज्यादा खूबसूरत और अलग दिख रहा हैं। आम तौर पर हम तस्वीरों में बृहस्पति को एक बड़े गैस से बने हुए ग्रह के दृष्टि से ही देखते हैं, परंतु हाल ही के तस्वीरों में बृहस्पति काफी ज्यादा चमक रहा हैं। इसी महीने 22 तारीख को नासा ने इन तस्वीरों को दुनिया को दिखाया हैं और आप इन तस्वीरों में बृहस्पति को प्रकाश के अलग-अलग वेबलेंथ के हिसाब से देख सकते हैं।
हालांकि! कुछ तस्वीरों में बृहस्पति के उप-ग्रह “Amalthea और Adrastea” भी देखने को मिलते हैं। इसके अलावा अन्य तस्वीरों में ग्रह के गैसीय वातावरण में एक अद्भुत चिंगारी को धीरे-धीरे बड़ा होते हुए देखा जा सकता है। इसी कारण बृहस्पति के कभी न देखे जाने वाले रिंग्स अभी काफी अच्छे तरीके से देखने को मिल रहें हैं। वैसे ग्रह के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्रों में जलते हुए आग की भांति प्रकाश को देखा जा सकता है। आप ये कह सकते हैं की, ये रोशनी कुछ हद तक पृथ्वी के नदर्न (Northern) या सदर्न (Southern) लाइट्स के समान ही हैं।
इन खास छवियों (Images) को देख कर खुद नासा के वैज्ञानिक भी काफी ज्यादा हैरान हैं। उनके अनुसार जेम्स वेब टेलिस्कोप कभी बृहस्पति के इतने बारीक से फोटो खींच सकेगा, ये उनको नहीं लगता था। परंतु जब टेलिस्कोप ने असंभव से लगने वाले इस काम को कर के दिखा दिया, तब सारे के सारे वैज्ञानिक हक्के-बक्के रह गए। मित्रों! ये तस्वीरें कोई साधारण तस्वीरें नहीं हैं, ये काफी ज्यादा अनोखी और दुर्लभ हैं। काफी कम अवसरों पर इस तरह के फोटो देखने को मिलते हैं।
फोटो को ले कर आखिर क्या कह रहें हैं वैज्ञानिक! :-
बृहस्पति (glowing photo of jupiter) के इन तस्वीरों को देख कर वैज्ञानिकों का एक दल ये कहता है कि, एक ही तस्वीर में बृहस्पति, इसके उप-ग्रह, इसके रींग्स (Rings) और साथ ही कई सारे आकाशगंगाओं को देखना का सपना उनका आखिरकार पूरा हो चुका है। उनके हिसाब से इन तस्वीरों को पहले के टेलीस्कोप के जरिए खींच पाना संभव नहीं हो पाता था। अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, वर्तमान के समय में जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप को नासा के साथ यूरोपीय स्पेस एजेंसी और कनाडियन स्पेस एजेंसी मिल कर ऑपरेट कर रहें हैं।
वैसे बृहस्पति के इन तस्वीरों को देख कर लगता है कि, इस टेलिस्कोप ने हमारे सौर-मण्डल को काफी ज्यादा करीब कर के रख दिया है। कहने का मतलब ये हैं कि, जितने आसानी से ये टेलिस्कोप दुर्लभ तस्वीरों को खींच रहा है, ये सचमुच विस्मित कर देता है। खैर अब कुछ लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि, आखिर कैसे जेम्स वेब ऐसे लगातार कई खूबसूरत तस्वीरों को खींचने में सक्षम हो पा रहा है। तो मित्रों! मैं आप लोगों को बता दूँ कि, इस टेलिस्कोप के अंदर काफी उन्नत और अत्याधुनिक उपकरण लगें हैं।
अपने समय के अब्बल दर्जे के कैमरों को इस टेलिस्कोप में लगाया गया है। खैर ये टेलिस्कोप इन्फ्रारेड तरंगों के आधार पर तस्वीर खींच सकता है। माने इस टेलिस्कोप में इन्फ्रारेड कैमरे लगे हुये हैं, जो कि काफी ज्यादा शक्तिशाली है। इसमें लगा “Near-Infrared Camera” काफी बारीक तस्वीरों को आसानी से खींच सकता है। वैसे आगे हम इसके काम करने के ढंग के बारे में भी बात करेंगे।
इन्फ्रारेड और कैमरे! :-
बृहस्पति (glowing Images of jupiter) के ये तस्वीर इन्फ्रारेड कैमरे से आयी हैं। तो, चलिये एक नजर इसी के ऊपर डाल लेते हैं। ब्रह्मांड में मूलतः दो वर्णों के विषय में काफी ज्यादा चर्चाएँ की जाती हैं। पहला है लाल और दूसरा है नीला। ब्रह्मांड में जो चीज़ दूर होती हैं उसका रंग लगभग लाल रंग के समान होता हैं और जो चीज़ पास में होती हैं उसका रंग लगभग नीला होता हैं। वैसे आप लोगों को अगर इस विषय के ऊपर और भी जानना हैं, तो मैंने इसके ऊपर यानी “रेड शिफ्ट और ब्लू शिफ्ट” के बारे में एक अलग से लेख लिखा हुआ है, जिसको आप जरूर पढ़ सकते हैं।
वैसे तस्वीरों में ग्रह के एक सदी से पुराना “रेड स्पॉट” सफ़ेद दिखाई पड़ रहा हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार तस्वीर में सूर्य के प्रकाश से होने वाले रिफ्लेकशन के कारण रेड स्पॉट सफ़ेद दिखाई दे रहा हैं। इसी कारण से बृहस्पति के वातावरण में मौजूद हाइ अल्टिट्यूड क्लाउड भी काफी चमकीले और सफ़ेद दिखाई पड़ रहें हैं। हालांकि! कुछ-कुछ हिस्सों में जहां क्लाउड नहीं हैं, वहाँ अंधेरा भी नजर आ रहा है। वैसे इसका मतलब ये हुआ हैं कि, रेड स्पॉट भी बृहस्पति के वातावरण में काफी ज्यादा हाइ अल्टिट्यूड पर है।
कुछ वैज्ञानिकों के हिसाब से बृहस्पति कr भूमध्यरेखीय इलाका (Equator) भी काफी ज्यादा हाइ अल्टिट्यूड पर होने का दावा करते हैं। वैसे इस तरह के हाइ अल्टिट्यूड चमकीले स्पॉट ग्रह के वातावरण में हो रहे तूफानों से भी मौजूद हो सकते हैं। क्योंकि इनके ऊपर ग्रह के वातावरण में हो रहे तूफानों का कोई असर नहीं पड़ता हैं। तो ये ही वजह हैं कि, इन चमकीले स्पॉट्स कि इतने सुंदर फोटो आए हैं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
मित्रों! पृथ्वी के भांति ही बृहस्पति (glowing Images of Jupiter) के ध्रुवीय इलाकों में भी “Auroras” होते हैं। ये ओरोरा सूर्य से आने वाले कणों का ग्रह के वातावरण के साथ होने वाले संगम से बनता हैं। बृहस्पति में मौजूद वातवरण भी सूर्य से आने वाले कणों से प्रभावित हो कर ध्रुवीय इलाकों में रोशनी को बनाते हैं और ये ही रोशनी पूरे ग्रह में सबसे ज्यादा चमकदार होते हैं। खैर जिस वैज्ञानिक ने इन तस्वीरों को सजाया हैं, वो मूलतः अपने शौक से इस काम को करता है। एक शौक कि तरह इस वैज्ञानिक ने एक दशक से भी ज्यादा समय तक अन्तरिक्ष के अलग-अलग तस्वीरों को सजाने में बिता दिये हैं।
एक और खास बात ये है कि, जेम्स वेब से आने वाला डेटा हमारी आँखों को दिखाए देने वाले तस्वीरों कि तरह नहीं होता हैं। ये वास्तव में अंकों के रूप में होते हैं, जिसे प्रोसेस कर के बाद में तस्वीर का रूप दिया जाता है। दोस्तों! एक तस्वीर को डीकोड करने के लिए कई बार काफ़ी समय और मेहनत लग जाता है। इसलिए हमें हमारे वैज्ञानिकों कि प्रशंसा भी करनी चाहिए। खैर आशा है कि, आप लोगों को इस लेख के जरिए कुछ जानने को जरूर ही मिला होगा।