पृथ्वी की सुंदरता को शब्दों में बखान करना किसी भी कवि, लेखक या ग्रंथकार के लिए हमेशा से ही काफी कठिन काम रहा हैं। क्योंकि इस ग्रह की प्राकृतिक आभा इतनी मनोहर हैं की, किसी को भी सम्मोहित कर ले। हिमालय की बर्फीले चोटियाँ हो या गहराई में अपने मुंह व कई सारे रहस्यों को छिपाए हुए महासागर (earth’s fifth ocean recently confirmed), सब किसी न किसी जरिये पृथ्वी की चारुनीमा को सुशोभित करते ही करते हैं। तो एक पृथ्वी वासी के तौर पर क्या हमारा कर्तव्य नहीं बनता की, हम इन विशाल महासागर या पर्वतों के बारे में जानें? व्यक्तिगत तौर पर मुझे ऐसा लगता हैं की, हमें इनके बारे में जानना चाहिए।
मित्रों! भौगोलिक दृष्टिकोण से अगर हम पृथ्वी को अंतरिक्ष से भी देखें तो पता चलता हैं की, ये कई जगहों पर नीले वर्ण का दिखाई पड़ती हैं। इसलिए कई बार इसे सौर-मंडल का जलीय ग्रह भी कह देते हैं। इसमें बसे 7 समंदर और 4 महासागर (earth’s fifth ocean recently confirmed) पृथ्वी के आकर्षक नीले रंग के लिए जिम्मेदार हैं। वैसे क्या मैंने कुछ गलत कहा है या आपने कुछ गलत पढ़ा है? इससे पहले के वाक्य में कहीं मैंने कुछ गलत लिखा हैं क्या? जरा फिर रे पढ़िये।
स्कूल के दिनों में अगर आपने भूगोल पढ़ा होगा तो शायद आपको 5 महासागर के बारे में पढ़ाये गए होंगे, परंतु ऊपर मैंने सिर्फ 4 महासागरों के बारे में ही जिक्र किया हैं! तो, पृथ्वी में आखिर कितने महासागर मौजूद हैं 4 या 5, 5 या 4? बहुत कन्फ़्यूजन हैं न, चलिये आज के इस लेख में हम आपके इसी उलझन को दूर करते हैं।
पृथ्वी में ढूंढा गया पाँचवा महासागर! – Earth’s Fifth Ocean Recently Confirmed! :-
दोस्तों! आपको याद दिला दूँ की, अभी भी एक सवाल बरकरार है। हम लोगों को इस लेख के अंत तक ये जानना हे कि, आखिर पृथ्वी पर 4 या 5 महासागर (earth’s fifth ocean recently confirmed) मौजूद हैं? तो, चलिये इस सवाल के जवाब को ढूँढने का प्रयास करते हैं। बचपन से ही हमारी भूगोल की किताबों में बताया जा रहा हैं की, पृथ्वी में 5 महासागर यानी द अटलांटिक, द पैसिफिक (प्रशांत महासागर), इंडियन ओशन (भारत महासागर), आर्कटिक ओशन और उत्तरी महासागर। हालांकि! भारत के कई सारे राज्यों में अटलांटिक, प्रशांत और भारत महासागर के अलावा उत्तरी और दक्षिण महासागरों के बारे में भी बताया जाता हैं।
परंतु! क्या सच में हमारी पृथ्वी पर 5 महासागर मौजूद हैं? हमने जिन-जिन महासागरों के बारे में पढ़ा है क्या वो वास्तव में महासागर हैं भी या नहीं? दोस्तों, अगर मां कहूँ कि, हमारे स्कूल के दिनों में जिन महासागरों के बारे में हमें पढ़ाया गया था वो महासागर उस समय महासागर ही नहीं थे तो क्या आप मेरे बातों पर यकीन करेंगे। शायद नहीं, परंतु मेँ जो बोल रहा हूँ वो हकीकत हैं दोस्तों। हाल ही में “National Geography Society” ने दक्षिण के सागर को “महासागर” का खिताब दिया है। इतने दिनों से जिस दक्षिण के सागर को हम महासागर सोच रहें थे, वो आखिर में वर्तमान के समय में ही महासागर बना है।
दक्षिण महासागर इतने दिनों से सिर्फ था एक “सागर”! :-
इतिहास गवाह हैं की, पृथ्वी के दक्षिण मेरु के बर्फीले इलाके में आज से लगभग 100 साल पहले से ही एक विशालकाय जल से भरपूर क्षेत्र को महासागर (earth’s fifth ocean recently confirmed) की खिताब देने की मांगे रखी जा रहीं थी। परंतु, इसे कभी महासागर का नाम नहीं मिला, कम से कम औपचारिक तौर पर तो नहीं। खैर जैसे-जैसे समय के साथ-साथ दक्षिण के इस सागर को महासागर का नाम देने के लिए मांगे बढ़ती रहीं, ठीक उसी हिसाब से वैज्ञानिक इस मुद्दे को काफी संजीदगी से लेने लगे।
साल 2021 जून 8 यानी इसी साल के जून के महीने में आखिरकार “दक्षिण के सागर” को “महासागर” का नाम औपचारिक तौर से भी मिला। मित्रों! अधिक जानकारी के लिए बता दूँ की, हर साल जून 8 तारीख को “विश्व महासागर दिवस” मनाया जाता है। तो, किसी भी सागर को महासागर का खिताब विश्व महासागर दिवस में मिलने से ज्यादा बेहतर बात और क्या होगी! आज दक्षिण का सागर “दक्षिण महासागर” के रूप में बदल चुका हैं और वो भी औपचारिक तौर से। इसलिए नक्शों में भी आपको ये सागर दक्षिण महासागर के नाम से दिखेगा।
इससे पहले कई ऐसे मौके आए हैं, जहां पर दक्षिण के सागर को महासागर का खिताब दिया जा सकता था; परंतु इस घटना से पहले अंतर्राष्ट्रीय तौर पर कभी भी इस पर इतनी गंभीरता नहीं दिखाई गई। तो, शायद यही वजह हैं की; दक्षिण के महासागर को देखने में हमें इतना समय लग गया। हालांकि! इस घटना से भारत के विद्यार्थियों को ज्यादा कोई समस्या नहीं होगा, क्योंकि हमने तो बचपन से ही दक्षिण के सागर को महासागर ही माना है।
आखिर कैसे बना ये महासागर! :-
नैशनल जियोग्राफिक ने साल 1915 से ही पृथ्वी के भौगोलिक विशेषताओं को मैप के जरिये दर्शाना शुरू कर दिया था। परंतु, अभी तक इस सोसाइटी ने पृथ्वी के अंदर सिर्फ 4 महासागर (अटलांटिक, पैसिफिक, इंडियन और आर्कटिक) को ही औपचारिक तौर से महासागर घोषित किया था। मित्रों! इन 4 महासागरों (earth’s fifth ocean recently confirmed) के बारे में खास बात ये हे कि, ये सारे के सारे महासागर किसी न किसी महाद्वीप (Continent) के साथ सट कर लगे हुये हैं और इनकी अवस्थिति इन्हीं महाद्वीपों पर ही निर्भर रहता हैं।
परंतु, दक्षिण महासागर के साथ ऐसा नहीं था। इस महाद्वीप की अवस्थिति “Antarctic Circumpolar Current (ACC)” के ऊपर निर्भर करता हैं जो की पश्चिम से पूर्व तक बहता हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ACC आज से लगभग 3 करोड़ 40 लाख साल पहले बना था, जब दक्षिण अमेरिका से अंटार्टिका अलग हुआ था। इस अलगाव के कारण ACC तब से ले कर आज तक दक्षिण अमेरिका और अंटार्टिका के बीच में ही बह रहा है। मित्रों! ACC के अनुसार ही दक्षिण के महासागर का अस्तित्व बना हुआ हैं।
आज के समय में ACC अंटार्टिका के चारों तरफ बह रहा है। इसके अलावा ACC अपने पास मौजूद अटलांटिक, भारत और प्रशांत महासागरों में से पानी को खींच कर लता है, जिससे एक बेल्ट का निर्माण होता है। मित्रों! ये बेल्ट पृथ्वी में तापमान को नियंत्रण में रखने के साथ ही साथ कार्बन को महासागरों की गहराई में रखने में भी मदद करता हैं। इसलिए ACC के अंदर आप लोगों को मरीन बायो-डाइवर्सिटी काफी ज्यादा देखने को मिल जाएंगी।
निष्कर्ष – Conclusion :-
हमने इस पूरे लेख में सागर, महासागरों (earth’s fifth ocean recently confirmed) के बारे में काफी कुछ जाना, परंतु एक खास बात अभी भी बचता है। आज तक महासागर की संज्ञा को लेकर किसी भी संस्थान से कोई सटीक पुष्टीकरण नहीं दी गयी है, सिवाय इसके की एक महासागर जल से भरा एक बहुत ही बड़ा क्षेत्र होता है। परंतु जो भी हो, दक्षिण महासागर को हम आज से औपचारिक तौर से भी महासागर ही बुलाएंगे। 16 वीं शताब्दी में इसके खोज के बाद से ही दक्षिण महासागर को सागर या महासागर पुकारने वाला ये किस्सा आज समाप्त हुआ।
बता दूँ की, साल 1921 से ही “International Hydrographic Organization (IHO)” ने अपने मैरीटाइम के नक्शों में दक्षिण महासागर को महासागर का दर्जा देना शुरू कर दिया था, हालांकि इसे IHO के द्वारा फिर से 1953 में बदल कर सागर का दर्जा दे दिया गया। हालांकि! मजे की बात ये ही है की, “Ocean” शब्द का मतलब एक नदी से ही ली गई है। इस नदी का जिक्र हमें प्राचीन ग्रीक ग्रंथों में मिलता है। वैसे वास्तव में “Ocean” शब्द को ग्रीक रिवर गॉड “Titan Oceanus” से ही लिया गया है।
अब आप लोगों में से कुछ लोग ये बोलेंगे की, भाई इसमें कौन सी बड़ी बात हो गई। तो, मेरे मित्रों! बात बड़ी या छोटी की नहीं हैं, बात हैं सही और गलत की। मेरा हर समय ये प्रयास रहता है की, कैसे आप लोगों तक हर एक जानकारी सटीक और सही तरीके का ही पहुँचें। खैर आपको ये जानकारी कैसी लग रहीं हैं, कमेंट कर के जरूर बताइएगा।
Source :- www.livescience.com