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क्या ये दुनिया झूठी है, क्या हम सब एक सिमुलेशन (Simulation) में जी रहें हैं? – Do We Live In A Simulation?

जिस दुनिया में हम रह रहें हैं क्या वो सिर्फ एक अवास्तव विडियो गेम के जैसा ही है?

मित्रों! ये दुनिया (do we live in a simulation) देखने में कितनी खूबसूरत और आकर्षक लगती हैं न! पूरे सूर्य-मंडल में सिर्फ हमारे ग्रह पर ही जीवन की परिभाषा देखने को मिलती है। 13 अरब प्रकाश वर्ष जितने बड़े ब्रह्मांड में सिर्फ पृथ्वी पर ही हम इंसान बस पाए हैं। हालांकि! हम लगातार अपने दूसरे घर के रूप में कई ग्रहों और सौर-मंडलों को खंगाल रहें हैं, परंतु अब तक उसमें हमें सफलता नहीं मिली है। इसलिए आज हम हमारे इस पृथ्वी में बसी दुनिया के बारे में ही कुछ चर्चा करेंगे। ये चर्चा कुछ ऐसा होगा की, शायद ही कोई इसके बारे में इस तरह के बातों को सोच पाया होगा।

क्या हम सिमुलेशन में रह रहें हैं - Do We Live In A Simulation?
इंसानों का सिमुलेशन क्या संभव हैं? | Credit: Scientific Inquirer.

इंसानों की बात करें तो, हम लोगों में से ज़्यादातर लोग आँखों देखी बातों को ही सच मानते हैं। जब तक खुद की आँखों से देख कर किसी बात को सही तरीके से सुनिश्चित नहीं करते, तब तक उस पर विश्वास कर पाना कई लोगों के लिए कठिन होता है। ये ही वजह है की, बाजार में वही चीज़ बिकती है जो अच्छी दिखती है। खैर हम लोगों को ये दुनिया काफी ज्यादा वास्तव और सच लगती है, क्योंकि हमारी आँखों ने इस दुनिया को सच मान लिया है।

इसलिए हमें ये दुनिया काफी ज्यादा सच्चा और असल लगता है। परंतु अगर में कहूँ की ये दुनिया (do we live in a simulation) वास्तव में अवास्तव हो सकती है! तो, क्या आप मेरे बातों पर यकीन कर पाएंगे?

क्या कोई अनजान शक्ति हमें कठपुतली की तरह चला रही है! – Do We Live In A Simulation? :-

हम हमारे जीवन में कई प्रकार की घटनाओं को हमारे साथ घटित होते हुए देखते हैं। हमारे आस-पास मौजूद हर एक इंसान, जानवर व वस्तु के साथ नियमित रूप से कुछ न कुछ घटित हो रहा होता है और हम सिर्फ देख कर उन घटनाओं को महसूस कर पाते हैं। इन सभी गतिविधिओं को हमारा दिमाग वास्तव और सच मान लेता है। परंतु कभी आपने सोचा है की, ये जितनी भी घटनाएँ इस दुनिया में (do we live in a simulation) हो रही हैं, इन सभी को कोई अनजान और ताकतवर चीज़ नियंत्रित कर रही है।

क्या हम सिमुलेशन में रह रहें हैं - Do We Live In A Simulation?
हम किसी के कठपुतली तो नहीं हैं! | Credit: Medium.

ऐसा भी तो हो सकता है कि, अगर हमसे भी कोई उन्नत सभ्यता किसी बहुत ही बड़े कम्प्यूटर के माध्यम से इस पूरे ब्रह्मांड को ही अपने नियंत्रण में रख कर उसे चला रही होगी तो! हम जितनी भी चीजों को महसूस कर रहें हैं, ये सभी शायद एक धोका भी तो हो सकती हैं। मित्रों! इस तरह की बातों का जिक्र सबसे पहले साल 2003 में “The Simulation Hypothesis” के अंदर किया गया था। बता दूँ कि, इस हाइपोथेसिस को ऑक्सफोर्ड विश्व विद्यालय के प्रोफेसर “Nick Bostrom” ने दिया था। परंतु सवाल उठता है कि, क्या ये बात वाकई में सच है भी या नहीं!

खैर चलिए हम कुछ बातों को मान कर चलते हैं कि, आज से कई सालों बाद हमने काफी शक्तिशाली व बड़े-बड़े (पृथ्वी के जितने बड़े)) आकार के कम्प्यूटर बना लिया, जो कि पूरे ब्रह्मांड को फिर से अपने ढंग में बना सकते हैं। तो, उसके अंदर हम लोग अपने मन-चाह कुछ भी कर पाएंगे। हम उस ब्रह्मांड के भौतिक, रासायनिक और जीव विज्ञान के हर एक मूलभूत नियमों को बदलने में सक्षम होंगे।

इस तरह से काम करता है ये हाइपोथेसिस! :-

मित्रों! अब हम हमारे द्वारा बनाई गई काल्पनिक दुनिया (do we live in a simulation) में बसने वाले जीवों के बारे में बातें करते हैं। इस दुनिया में अगर हम चेतना को ही असल चेतना मानेंगे ( जो कि हम भी महसूस कर रहें हैं) तो, काल्पनिक दुनिया में बसे जीव भी वहीं महसूस करेंगे जो अब हम कर रहें हैं। कम्प्यूटर के अंदर कि दुनिया और इसके बाहर कि दुनिया में इस तरह से एक कनैक्शन बन जाएगा। जब हमारे वंशज इस तरह के तकनीक को विकसित कर लेंगे, तब नजारा सच में देखने लायक होगा।

How this hypothesis works?
ये हाइपोथेसिस कैसे काम करता हैं? | Credit: Bigthink.

विडियो गैम जिस तरह से काफी सारे कृत्रिम किरदारों को आप देखते आए हैं, ठीक इसी हिसाब से काल्पनिक दुनिया में भी अनगिनत जीवों का समागम आपको देखने को मिलेगा। खैर एक समय ऐसा भी आएगा, जब कम्प्यूटर के अंदर बसने वाले लोगों कि संख्या वास्तव दुनिया में रहने वाले लोगों कि संख्या से काफी ज्यादा बढ़ जाएगा।

अब हमारे वंशजों के पास तीन विकल्प बचेंगे। पहला तो ये हैं कि, हमारे वंशज और ब्रह्मांड को सही तरीके से सिमुलेट ही नहीं कर पाएंगे। दूसरा ये कि, हमारे वंशजों के पास ब्रह्मांड को सिमुलेट करने का तकनीक तो होगा; परंतु वो अब और सिमुलेट नहीं करना चाहेंगे। और आखिर में तीसरा ये कि, आप जैसे सभी वास्तव चेतना वाले लोग इस काल्पनिक दुनिया के कब हिस्सा बन चुके होंगे ये खुद आपको ही नहीं पता होगा।

वैज्ञानिकों का क्या कहना है! :-

पूरी मानव सभ्यता में ये हाइपोथेसिस सबसे ज्यादा सोची गई व पुरानी बातों में से एक है। ये एक हिसाब से हमारी प्रकृति के अस्तित्व पर ही सवाल उठाने जैसा है। सदियों से वैज्ञानिकों के मन में ये सवाल आता रहा है कि, हम वास्तव में जिस दुनिया में बस रहें हैं वो हकीकत में हैं ही नहीं। ये तो सिर्फ किसी के सपने में आने वाली कल्पना मात्र है। हालांकि! इस बात को खंडन करने के लिए ऊपर दिए गए तीन विकल्पों में से किसी भी विकल्प को चुन कर आप इसको खंडित कर सकते हैं।

Inside simulated world.
क्या हम सिमुलेशन के अंदर तो नहीं हैं? | Credit: NBC News

आप ये भी कह सकते हैं कि, हमारे पास कभी इतना ताकतवर कम्प्यूटर आएगा ही नहीं। या आप ये भी कह सकते हैं कि, कोई परग्रही सभ्यता भला क्यों चेतना को ही सिमुलेट करने कि कोशिश करेगी। इस तरह से आप इस हाइपोथेसिस के विरुद्ध कई बातों को रख सकते हैं, परंतु असल बात क्या है ये शायद ही हमें कभी पता चल पाएगा।

वैसे इस हाइपोथेसिस को सच बनाने के लिए एक बात सामने जरूर आती है और वो बात ये है कि, कम्प्यूटर सिमुलेशन में काफी तेजी से काल्पनिक जीवों की संख्या वास्तविक जीवों की संख्या की तुलना में काफी ज्यादा बढ़ जाती है। उदाहरण के स्वरूप हर एक अरब वास्तविक जीवों की संख्या की तुलना में 99 अरब काल्पनिक जीव कम्प्यूटर सिमुलेशन में बन कर सामने आ सकते हैं। इसलिए 99% संभावना है कि, आप भी अवास्तव ही हों।

निष्कर्ष – Conclusion :-

परंतु अवास्तव दुनिया (do we live in a simulation) के अंदर रहने की बातों को कुछ वैज्ञानिकों ने खंडन करके कहा है कि, ये बात संभव नहीं है। क्योंकि इंसानों ने ही सबसे पहले कम्प्यूटर को बनाया है और अगर हमारे वंशज बहुत ही विकसित कम्प्युटर बना भी लेते है, तब भी हमें उसके बारे में जरूर ही पता चल जाएगा और इसी हिसाब से किसी कम्प्युटर के अंदर रहने की बात को संभव ही नहीं माना जा सकता है।

क्या हम सिमुलेशन में रह रहें हैं - Do We Live In A Simulation?
सिमुलेशन से भी ऐसी दुनिया बनाई जा सकती हैं। | Credit: Film Street.

हम नहीं जानते कि, हमारे वंशज आगे चल कर कितने अवास्तव जीव कम्प्युटर सिमुलेशन के द्वारा बनाएंगे। परंतु इतना तो तय है कि, हम उन अवास्तव जीवों की संख्या को देख कर अपने वजूद ही असलियत को नहीं बता सकते हैं। क्योंकि हमारे वंशज हम में से ही तो आएंगे और इनके बारे में हमें कैसे कुछ नहीं पता होगा! मित्रों ये सारी बातें काफी ज्यादा सोचने वाली हैं और इसे आप जितना सोचेंगे आप उतना ही उलझते जाएंगे।

इसके अलावा उनके कृत्रिम ब्रह्मांड बनाने कि प्रतिभा के आधार पर हम ये भी नहीं कह सकते कि, हम 100% किसी सिमुलेशन के अंदर नहीं हैं। हालांकि! हम हमारे अतीत को परख कर शायद इस के बारे में कुछ जान पाएंगे। हमें ये देखना होगा कि, अतीत में क्या ऐसे बसते थे जिनके पास कम्प्युटर सिमुलेशन की तकनीक थी। या हमें परग्रहीओं के अस्तित्व के बारे में भी चर्चा करनी पड़ेगी और देखना होगा कि, क्या उन्होंने ही हमें बनाया है?

Source :- www.livescience.com

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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