प्रकृति में हमें बहुत सी चीजों को देखने का मौका मिलता है। हम किसी भी चीज़ या वस्तु के आकार और बनावट को देख कर ही उसको पहचानते हैं। मौलिक तौर पर हममें से ज़्यादातर लोग चीजों के भौतिक गुणों को देख कर ही उसका परिचय ले सकते हैं। वैसे इन चीजों के भौतिक गुणों में एक गुण ऐसा भी है, जो हमें किसी भी चीज़ की और लुभा या आकर्षित कर सकता है। रंग एक ऐसा भौतिक गुण है जो की सर्वत्र विद्यमान हो कर किसी भी तत्व का गुण बखान कर सकता है। वैसे यहाँ सर्वत्र में ब्रह्मांड (color of universe in hindi) भी आता है।
क्या आपने कभी सोचा है कि, हमारे इस ब्रह्मांड (color of universe in hindi) का रंग कैसा हो सकता है? अक्सर हम हमारे जीवन में इतने व्यस्त रह जाते हैं कि, हमारा अस्तित्व जहां से पनपा है उस जगह के बारे में ही हम भूल जाते हैं। मैंने कई सारे लेखों में ब्रह्मांड और उससे जुड़ी चीजों के बारे में आप लोगों को काफी कुछ बताया है, परंतु कभी भी मैंने आपको इसके रंग के बारे में कुछ नहीं बताया होगा। तो, आज के लेख में हम इसी रंग वाले विषय के ऊपर ही चर्चा करने जा रहें हैं।
तो, चलिये आप भी मेरे साथ इस लेख में बने रहिए और ब्रह्मांड के एक और अनजान तथ्य के बारे में जानिए।
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ब्रह्मांड का रंग कैसा हो सकता है? – Color Of Universe In Hindi :-
जब भी हम रात में आसमान कि और सर उठा कर देखते हैं, तब-तब हमें ये आसमान अंधेरा ही नजर आता है। रात में आसमान को देखने से मानो ऐसा लगता है कि, कोई अंधेरे से भरी सीमाहीन जगह हमारे सर के ऊपर मंडरा रही है। हालांकि! पहली नजर में ब्रह्मांड (color of universe in hindi) हमें काला प्रतीत होता है। परंतु, अगर हम ब्रह्मांड में मौजूद तारों, आकाशगंगाओं और अन्य खगोलीय पिंडों से आने वाली प्रकाश कि किरणों को देखें तो, लगता है कि ब्रह्मांड पूरी तरीके से काला नहीं है।
खैर आगे बढ्ने से पहले आप लोगों को बता दूँ कि, “ब्रह्मांड का रंग काला नहीं है”। मित्रों! आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि, कई वैज्ञानिक तो काले रंग को रंग ही नहीं मानते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार काला रंग प्रकाश की अनुपस्थिति में ही दिखाई पड़ता है। वैसे इसके विपरीत बाकी जितने रंग मौजूद हैं, वे सभी प्रकाश की उपस्थिति में ही दिखाई पड़ते हैं। कुछ वैज्ञानिक यहाँ तक भी कहते हैं कि, ब्रह्मांड में मौजूद सितारे और आकाशगंगाएँ ही रंगों का मूल स्रोत हैं, सारे रंग इन्हीं से ही बना हुए हैं। इनके बिना रंगों का कोई अस्तित्व ही नहीं हैं।
2002 में किए गए एक रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पूरे ब्रह्मांड में जितने भी आकाशगंगा या सितारे मौजूद हैं, उनमें से निकलने वाली प्रकाश की किरणों को एक साथ मिलाकर एक ही स्पेक्ट्रम में रखा। बाद में इसी स्पेक्ट्रम को उन्होंने पूरे ब्रह्मांड के प्रकाश कि स्रोत के तौर पर दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। सितारे और आकाशगंगाएँ कई प्रकार के इलैक्ट्रोमैग्नेटिक वेव पूरे ब्रह्मांड में उत्सर्जित करते हैं, जिन्हें वेव की लंबाई के आधार पर अलग किया जाता है।
कॉस्मिक स्पेक्ट्रम और ब्रह्मांड का रंग! :-
अगर हम विजीबल लाइट्स कि बात करें तो, इनमें सिर्फ इलैक्ट्रोमैग्नेटिक वेव ही ऐसे वेव हैं, जिन्हें हम हमारी खुली आँखों से देख सकते हैं। हालांकि! इस प्रकार की तरंग विजीबल स्पेक्ट्रम में काफी कम मात्रा में मौजूद रहती हैं। हम जिन रंगों को आज देख रहें हैं, सब विजीबल स्पेक्ट्रम की इसी श्रेणी के अंदर ही आते हैं। लाल और नारंगी रंग का जहां वेभलेंथ (Wavelength) ज्यादा होता हैं, वहाँ बैंगनी रंग का वेभलेंथ काफी कम होता है। जब भी हम किसी सितारे या आकाशगंगा के रंग के बारे में बात करते हैं, तब हम इसी विजिबल स्पेक्ट्रम को ही देखते हैं।
आकाशगंगाओं के रंगों से ही हम ब्रह्मांड के रंग (color of universe in hindi) का पता लगा सकते हैं। इसलिए हम सितारे या आकाशगंगाओं से आने वाली प्रकाश के किरणों की वेभलेंथ और ब्राइटनेस के आधार पर ब्रह्मांड के रंग का पता लगाते हैं। मित्रों! 2002 में किये गए एक सर्वे में पता चलता है कि, हमारे ब्रह्मांड में लगभग 200,000 ऐसी आकाशगंगाएँ हैं जो की ब्रह्मांड के विजीबल स्पेक्ट्रम के अंदर आती हैं। ब्रह्मांड के इसी विजिबल स्पेक्ट्रम को ही, वैज्ञानिक “कॉस्मिक स्पेक्ट्रम” के नाम से पुकारते हैं। मित्रों! कॉस्मिक स्पेक्ट्रम के बारे में एक और खास बात हैं।
“ब्रह्मांड में अनेक प्रकार की वेभलेंथ के रूप में उत्सर्जित होने वाली सभी प्रकाश की किरणों (ऊर्जा) को कुलमिलाकर कॉस्मिक स्पेक्ट्रम ही कहा जाता है”। मित्रों! ध्यान देने वाली बात ये है कि, इसी कॉस्मिक स्पेक्ट्रम को आधार मान कर ही हम ब्रह्मांड के औसतन रंग को खोज सकते हैं। नहीं तो इसके रंग को खोजना कोई आसान बात नहीं हैं।
आखिर ब्रह्मांड का रंग वास्तव में क्या हो सकता हैं? :-
आज वैज्ञानिक कम्प्युटर के मदद से ब्रह्मांड के रंग (color of universe in hindi) को खोजने कि कोशिश करे रहें हैं। वे कॉस्मिक स्पेक्ट्रम को कम्प्युटर प्रोग्राम के मदद से एक भौतिक व विजीबल रंग में बदल देना चाहते हैं। जिससे इंसान ब्रह्मांड के रंग को अपने खुली आँखों से भी देख पाएगा। इंसानी आँखों में 3 प्रकार के प्रकाश को डिटेक्ट करने वाली “कोन्स” (कोशका) होती हैं। हर एक कोशिका एक खास वेभलेंथ में एक्टिवेट हो कर हमें चीजों को दिखाती है।
हालांकि! इतने कोन्स सेल्स होने कि बाद भी विजिबल स्पेक्ट्रम में अभी भी कई ऐसी जगह हैं जिन्हें हम नहीं देख पाते हैं। इस जगह पर मौजूद रंग का वेभलेंथ हमारी इंसानी आँखों के लिए नहीं बना है। इसके अलावा एक ही प्रकार का रंग अलग-अलग वातावरण में अलग-अलग प्रकार का दिख सकता हैं। वैसे वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रह्मांड का रंग सफ़ेद जैसा हो सकता है। हालांकि! अभी भी इसके ऊपर कई रिसर्च चल रहीं हैं। परंतु जो खास बात इन रिसर्चों में हैं वो ये है कि, ब्रह्मांड के लिए वैज्ञानिकों ने एक अलग ही रंग को ढूंढ कर निकाला है। वैज्ञानिकों ने इस नए रंग का नाम “Cosmic Latte“ दिया है।
वैसे इस नए रंग का नाम एक इटालियन नाम से ही लिया गया है, जिसका मतलब इटली में “दूध” होता है। हालांकि! इसके अलावा भी वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड के रंग का नाम अलग-अलग रखा है। जैसे कि, “Cappuccino Cosmico”। वैसे अगर आपको ब्रह्मांड के रंग का नाम कुछ रखना होता तो, आप उस रंग का नाम क्या रखते? कॉमेंट करके जरूर ही बताइएगा।
निष्कर्ष – Conclusion :-
वैसे हमने आज के इस पूरे लेख में ब्रह्मांड के रंग के (color of universe in hindi) बारे में काफी कुछ जान लिया है। परंतु, जो खास बात हैं वो कॉस्मिक स्पेक्ट्रम के ऊपर आकर टिकती है। कॉस्मिक स्पेक्ट्रम ही वो चीज़ है जो कि ब्रह्मांड के कुल प्रकाश को दर्शाती है। इसका मतलब यही है कि, ये पृथ्वी के साथ ही साथ पूरे ब्रह्मांड में मौजूद हर एक प्रकाश को सूचित करती है। बाकी चीजों कि तरह प्रकाश भी दूरी के हिसाब से खींच कर अपने स्वभाव में बदलाव लाता है।
खिंचाव के कारण वेभलेंथ में बढ़ोतरी किसी भी प्रकाश के किरण को लाल रंग कि और ले कर जाता हैं। बता दूँ कि, लाल रंग विजिबल स्पेक्ट्रम के सबसे आखिर में आता है। ब्रह्मांड में प्रकाश के मुड़ाव से प्रकाश की किरणों का लाल रंग में बदलना ही “रेड शिफ्ट” को दर्शाता हैं। जिसका मतलब ये हैं कि, हम आज जिस प्रकाश को देख रहें हैं उसका रंग समय के साथ बदल कर अन्य रंगों में परिवर्तित हो चुका होगा।
तो, ऐसे में किसी भी चीज़ के वास्तविक मूल रंग का पता लगा पाना थोड़ा कठिन है। इसलिए वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रह्मांड का रंग “Cosmic Latte” ही रखा गया हैं।
Source :- www.livescience.com