दुनिया भर में आज भारत सबसे तेजी से विकसित होने वाले देश के रूप में अपना एक नया परिचय बना रहा है। जो दर्जा भारत को प्राचीन काल में “विश्व गुरु” का दिया जा रहा था, शायद जल्द ही वही दर्जा भारत को फिर से मिलने को जा रहा हैं। अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में जिस हिसाब से भारत ने तरक्की की हैं, वो वाकई में सराहनीय हैं। ऐसे में पूरी दुनिया की नजर फिर से एक बार भारत के ऊपर आ कर रुक चुकी हैं, भारत ने आज सफलतापूर्वक चंद्रयान -3 (Chandrayaan-3 Mission in Hindi) को चंद्रमा पर लैंड कर दिया है। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रूव पर उतरने वाला पहला देश बन चुका है।
चन्द्रयान-1 और चंद्रयान-2 के बाद ये भारत की ये तीसरा चाँद के ऊपर सबसे बड़ा मिशन था। मित्रों! भूतकाल में दोनों ही चंद्रयानों से मिली सफलता और लैंड ना कर पाने के कारण ये तीसरा मिशन ISRO के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। 14 जुलाई को लाँच से लेकर 23 अगस्त तक चंद्रयान 3 पूरी तरह से सही कार्य करते हुए चंद्रमा पर लैंड कर गया है और अब बस कुछ ही देर में इसका प्रज्ञान रोवर पहली बार चंद्रमा की सतह पर चलने वाला है। पर मिशन के सफलता पूर्वक लैंड होने से पहले मैं आपको इसके बारे में थोडा बता देता हूँ।
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आखिर ये “चंद्रयान-3” मिशन क्या है? – Chandrayaan-3 Mission in Hindi :-
बेहद ही सरल भाषा में कहूँ तो, चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Mission in Hindi) मिशन चंद्रयान-2 मिशन का फॉलो-अप मिशन है। इसलिए इस मिशन का सबसे मौलिक लक्ष ये ही हैं कि, “आखिर किस तरीके से चाँद पर सुरक्षित रूप से लैंड किया जा सकता है!” क्योंकि चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडिंग के वक़्त थोड़ी सी मुसीबत इसरो के समाने आ गई थी और चंद्रयान 2 का विक्रम लैंडर क्रैस हो गया था। खैर चंद्रयान-3 “लैंडर और रोवर” सिस्टम में आता है। 14 जुलाई को इसे इसरो के“LVM3” रॉकेट के जरिये श्रीहरीकोटा स्पेस सेंटर से लाँच किया गया था।
हालांकि! चंद्रयान-3 के अंदर बेहद ही खास “Spectro-polarimetry of Habitable Planet Earth (SHAPE)” मॉड्यूल भी मौजूद हैं। आप लोगों को बता दूँ कि, इस मॉड्यूल के जरिए पृथ्वी से ही हम चाँद के स्पेक्ट्रल और पोलर के मेट्रिक मिसरमेंट कर सकते हैं।
चंद्रमा पर लैंडर के कई इंस्टूमेंट और कैमरे की मदद से लैंड होने के बाद चंद्रयान-3 का रोवर चाँद की सतह की रासायनिक संरचना को समझने के लिए कई तरह के शोध करने वाला है। दोनों ही लैंडर और रोवर के अंदर कई विकसित पै-लोड को इन्स्टाल किए गए हैं, ताकि मिशन में किसी भी तरह कि कोई रुकावट न आए। लैंडर में लगे उपकरण हमें चंद्रमा की कई तरह की तस्वीरें भेजेंगे और साथ में
लैंडर के पै-लोड्स :-
मित्रों! यहाँ लेख के इस भाग में हम चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Mission in Hindi) में इस्तेमाल होने वाले लैंडर के पै-लोड के बारे में बाते करेंगे, तो इस भाग को जरा गौर से पढ़िएगा। इस यान के लैंडर में इस्तेमाल होने वाला सबसे अहम पै-लोड का नाम है “Chandra’s Surface Thermophysical Experiment (ChaSTE)”, आप लोगों को बता दूँ कि, इस उपकरण के जरिये वैज्ञानिक चाँद की थर्मल कंड़क्टिविटी और तापमान को माप सकते हैं। इसके अलावा लैंडर के अंदर “Instrument for Lunar Seismic Activity (ILSA)” नाम का भी एक पै-लोड है, जो की लैंडिंग साइट पर हो रहे सेसमीक एक्टिविटी को भाँपने में सक्षम है।
लैंडर का “Langmuir Probe (LP)” चाँद के प्लास्मा डैन्सिटी और बदलाव को मापने में सक्षम है। इसके अलावा इसरो ने “NASA” की एक पैसिव लेजर रीट्रोरिफ़्लेक्टर एरे को भी चंद्रयान-3 लैंडर के अंदर लगाया है। इससे वैज्ञानिकों को लुनर लेजर रेंजिंग में मदद मिलेगी। इन्हीं उपकरणों की मदद से चंद्रयान का विक्रम लैंडर चार चरणों को सफलता पूर्वक दोहराते हुए आसानी से चंद्रमा की सतह पर लैंड कर गया है। चंद्रयान- 2 से इस बार ये लैंडर बहुत बारीकी से जगह को चुन रहा था और चंद्रमा पर समतल जगह की तलाश में था।
रोवर के पै-लोड्स :-
चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Mission in Hindi) के रोवर के अंदर दो मुख्य पै-लोड मौजूद है। पहला है “Alpha Particle X-ray Spectrometer (APXS)“ और दूसरा हैं “Laser Induced Breakdown Spectroscope (LIBS)“। मित्रों, इन दोनों ही उपकरणों का मुख्य काम लैंडिंग साइट पर मौजूद सतह का सही तरीके से अनुध्यान और उनके एलीमेंटल जानकारीओं को जुटाने का है।
अगर हम चंद्रयान-3 में इन्स्टाल किए गए हर एक पै-लोड की बात करें तो, आपको इनमें ज़्यादातर वैज्ञानिक उपकरण ही नजर आएंगे, जो की किसी न किसी तरीके से अलग-अलग वैज्ञानिक शोध से ही जुड़े हुए हैं।
मिशन के कुछ जरूरी लक्ष्य! :-
जैसा की मैंने पहले ही बता रखा है कि, चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Mission in Hindi) मिशन का सबसे बड़ा लक्ष्य था आखिर किस तरीके से चाँद पर सॉफ्ट लैंडिंग किया जा सकता है, ये पूरा किया जा चुका है। इसके अलावा इसरो का लक्ष्य ये भी है कि, आखिर वो कैसे प्रज्ञान रोवर को बिना किसी अड़चन के चाँद के सतह पर चला सकता है। ये भी पूरा होने वाला है औऱ जल्द ही प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह पर होगा। इसके अलावा वैज्ञानिक चंद्रयान-3 में लगे उपकरणों के जरिये चाँद के सतह कि इन-सीटू एक्सपेरीमेंट्स भी करना चाहते हैं।
वैसे आप लोगों को जान कर हैरानी होगी कि, चंद्रयान-3 के अंदर बेहद ही उन्नत धरण के अल्टिमीटर, वेलोसिटीमीटर, प्रोपलशन सिस्टम, नैविगेशन और गाइडन्स तथा कंट्रोल सिस्टम, हजार्ड डिटेक्स्न और आवोइडान्स सिस्टम आदि लगे हुए है। आप लोगों की अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, चंद्रयान-3 को लाँच से पहले कई तरह के कठिन टेस्टिंग से हो कर गुजरना पड़ा हैं।
इन टेस्टिंग में इंटीग्रेटेड कोल्ड टेस्ट, इंटीग्रेटेड हॉट टेस्ट और लैंडर लेग मैकानिज़म परफॉर्मेंस टेस्ट आदि शामिल हैं। इन टेस्टिंग के कारण आज चंद्रयान-3 बेहद ही सक्षम और काबिल लुनर लैंडर व रोवर बन चुका है।
निष्कर्ष – Conclusion :-
दोस्तों! क्या आपको पता है, ये चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Mission in Hindi) मिशन आखिर कितने समय तक चलेगा? आप लोगों को बता दूँ कि, ये मिशन “1 लूनर डे” (पृथ्वी के हिसाब से लगभग 14 दिनों तक) तक चलेगा। इसके अलावा वैज्ञानिकों को चाँद के सतह पर मौजूद कुछ बेहद ही खास मेटल जैसे Mg, Al, Si, K, Ca,Ti, Fe आदि के बारे में पता लगाना चाहते हैं। मित्रों! आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि, कुछ वैज्ञानिकों को लगता है कि; चाँद पर मौजूद मेटल्स के जरिये वो वहाँ के अंदरूनी संरचना को भी समझ सकते हैं।
हालांकि! एक बात ये भी है कि, चंद्रयान-3 में लगे एक उपकरण से हम आने वाले समय में कई बड़े-बड़े मिशनों को भी अंजाम दे सकते हैं। सूत्रों से पता चला है कि, चंद्रयान-3 में लगे उपकरणों के जरिये हम जल्द ही पृथ्वी जैसे दूसरे एक्सो-प्लैनेट्स को ढूँढने में सक्षम हो सकते हैं। मित्रों! आप लोगों को क्या लगताहैं, क्या चंद्रयान-3 के जरिये हम आने वाले समय में पृथ्वी जैसे ग्रहों को ढूँढने में सक्षम हो पाएंगे? कमेंट कर के जरूर ही बताइएगा।
Source :- www.isro.gov.in.