ये ब्रहस्पति ग्रह है जो कि सौर मंडल का सबसे विशाल ग्रह है, ये सभी ग्रहों का बड़ा भाई भी है। बड़े भाई होने के कारण इस ग्रह पर हर वस्तु बड़े पैमाने पर ही होती है, पृथ्वी पर आने वाले तूफानों जूपिटर ग्रह के सामने छोटे बच्चे के समान हैं।
जुलाई 2016 से ब्रहस्पति ग्रह के चक्कर लगा रहा नासा का जूनो यान, अबतक इस ग्रह की बहुत सी तस्वीरें ले चुका है, तस्वीरों के साथ-साथ ये यान इस विशाल ग्रह की संरचना, गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र, चुंबकीय क्षेत्र और ध्रुवीय मैग्नेटोस्फीयर की भी जांच कर रहा है।
ग्रह की जांच करने के लिए एक दृश्य-प्रकाश कैमरा और टेलिस्कोप है, जिसे जूनोकेम कहा जाता है। जो कि विभिन्न कोणों से ग्रह की आश्चर्यजनक छवियों को कैप्चर कर रहा है और उन्हें पृथ्वी पर वापस घर ला रहा है। जूनोकेम द्वारा ली गईं इन हजारों तस्वीरों को नासा इमेंज प्रोसेसिंग के लिए कई नये जिज्ञासू अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के पास भेज देता है, जो बाद में अपने Software द्वारा जूपिटर ग्रह की सुंदर तस्वीरें बनाकर फिर नासा की साइट पर अपलोड करते हैं।
नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) के सॉफ्टवेयर इंजीनियर और डेटा रैंगलर केविन एम गिल ने हाल ही में बृहस्पति की सबसे पेचीदा और इसकी विशिष्ट विशेषता ग्रेट रेड स्पॉट को प्रदर्शित करते हुए नई छवियों का एक गुच्छा प्रकाशित किया है ।
यह बृहस्पति के वातावरण में अत्यधिक तूफानी उच्च दबाव का एक पैच है, जो पृथ्वी से काफी व्यापक है। यहां अनुमान है कि इस स्थान पर हवाएं तूफान के बाहरी किनारों के कुछ बिंदुओं पर 680 किलोमीटर (425 मील) प्रति घंटे तक पहुंच सकती हैं।
यह दो जेट धाराओं के बीच बना है जो विपरीत दिशाओं में आगे बढ़ रहे हैं। कोई भी इस बात को नहीं जानता है कि आखिर ये तूफान इतने जीवंत लाल रंग के क्यों है।
ग्रेट रेड स्पॉट को 1665 में पहली बार देखा गया था, और तबसे लेकर अबतक 350 वर्षो में 1830 बार इसकी तस्वीर ली जा चुकी है। हालांकि इतने बार तस्वीर लेने पर ये बात साफ हो गई है कि ये तूफान अब थोड़ा कम आकार का हो गया है और भविष्य में ये गायब भी हो जायेगा।
नासा का अनुमान है कि उसका भेजा गया जूनो यान 2021 तक ब्रहस्पति ग्रह पर काम करता रहेगा और उसके बाद ये ग्रह फिर इस ग्रह के वायुमंडल में आकार के हमेशा के लिए नष्ट हो जायेगा।