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क्या एलियन सभ्यता अब अपना ही विनाश कर रही है?

1 हजार साल में ही गर्मी से खत्म हो सकती है एलियन सभ्यता।

एक नये शोध से पता चला है कि, अगर कोई एडवांस एलियन सभ्यता बहुत तेजी से तकनीकी विकास और ऐनेर्जी का उपयोग करती है, तो वह अपने ग्रह को मात्र 1,000 साल से भी कम समय में बहुत गर्म कर सकती है, इस तरह वह ग्रह रहने लायक नहीं रहेगा। ये तब भी संभव है जब ये सभ्यता नवीकरणीय ऊर्जा (renewable energy) के भी माध्यम प्रयोग करे, अगर ये अपने सूर्य से भी लगातार सोलर ऐनेर्जी ले और पानी से बिजली बनाये तब भी 1 हजार सालों में ही ये अपने ग्रह को गर्म कर देंगी। अब ऐसा क्यों होता है और क्यों हर प्रकार की उर्जा से सभ्यताएं अपने ग्रह को गर्म करती हैं, आइये जानते हैं –

क्या कहती है स्टडी ?

जब अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने किसी भी सभ्यता के उतार और चढ़ाव का एक सिमुयेलेशन बनाया तो हर बार उन्होंने ये देखा कि कोई भी सथ्यता अगर लगातार विकसित हो रही है और बेहद ही भारी मात्रा में उर्जा की खपत करती है। तो मात्र 1 हजार सालों में वह अपने ग्रह को इतना गर्म कर देगी कि वह फिर हैवीटेवल यानि जीने लाइक नहीं रहेगा।

अध्य्यन में भी पता चला कि सौर उर्जा या ऐनेर्जी का कोई भी निरंतर सोर्स भी उस सभ्यता को बचा नहीं सकता है, उर्जा की खपत में हमेशा हीट निकलती है जिस वजह से ग्रहों का गर्म होना स्वाभिवक है। हमारी पथ्वी भी लगातार विकास के कारण गर्म होती जा रही है।

जब इस स्टडी को वैज्ञानिकों ने और गहराई से समझने की कोशिश की तो उन्होंने इसकी शीधे मानवजाति से तुलना की। 2023 में, मानवों ने लगभग 180,000 टेरावाट घंटे (TWh) ऊर्जा का उपयोग किया, जो कि किसी भी समय सूर्य से पृथ्वी पर गिरने वाली ऊर्जा के बराबर है। इस ऊर्जा का अधिकतर भाग गैस और कोयले से आता है, जो ग्रह को तेजी से गर्म कर रहा है।

उर्जा की निरंतर खपत

इस अध्ययन के वैज्ञानिक मनस्वी लिंगम कहते हैं कि अगर मानव सभ्यता नवीकरणीय ऊर्जा का भी उपयोग करे, तो भी उसकी ऊर्जा की जरूरत लगातार बढ़ती रहेगी। यह एक ऐसा चक्र है जिसमें ऊर्जा की खपत निरंतर बढ़ती ही रहती है। सभ्यता हमेशा विकसित होती है, जिस वजह से ऊर्जा की मांग हमेशा बनी रहती है। तो ऐसे में सवाल आता है कि – क्या इस ब्रह्मांड में कोई ऐसी वस्तु है जो निरंतर हमें ऊर्जा देती रहे और हमारा ग्रह भी गर्म न हो?

लिंगम और उनके सह-लेखक अमेडियो बाल्बी, जो रोम के टोर वेरगाटा विश्वविद्यालय (Tor Vergata University of Rome) में खगोल विज्ञान (Astronomy) और खगोल भौतिकी (astrophysics) के प्रोफेसर हैं, ने थर्मोडायनामिक्स के दूसरे नियम को इस समस्या पर लागू करने की बात कही। भौतिकी के इस नियम के अनुसार, कोई भी ऊर्जा प्रणाली पूरी तरह से सौ प्रतिशत कुशल नहीं होती है; कुछ ऊर्जा हमेशा इस प्रणाली से बाहर निकलती रहती है। यह निकली हुई ऊर्जा समय के साथ ग्रह को गर्म कर देती है।

क्यों हो रहा है ग्रह गर्म

लिंगम ने इसे लीक करते हुए बाथटब की तरह समझाया। अगर बाथटब में थोड़ा पानी है और उसमें लिकेज हो, तो इस तरह पानी की केवल थोड़ी मात्रा ही बाहर निकल पाती है। लेकिन जैसे-जैसे आप बाथटब में ज्यादा से ज्यादा पानी भरते हो, तो इससे एक छोटी लीकेज भी अचानक से इतनी बड़ी हो जायेगी जिससे लगेगा एक दम घर में बाढ़ सी आ गई हो।

तो इस तरह, बाढ़ वाला घर ग्रह का वायुमंडलीय तापमान है। इस ऐनेर्जी लीकेज के कारण ही कोई भी एलियन सभ्यता (Alien Civilization hindi) फिर किसी भी प्रकार की ऐनेर्जी यूज करें, चाहें ग्रीन ऐनेर्जी हो या फिर फ्युजन एक ना एक दिन यही ऐनेर्जी ग्रह को इतना गर्म कर देगी की ये रहने लायक ही नहीं बचेगा, अगर हम पृथ्वी की ओर इस स्टडी को देखें तो हमारा भी यही हाल होने वाला है, अगर हमने उर्जा पर नियत्रंण नहीं किया और हीट को ग्रह से बाहर नहीं निकाला तो मौसम के बदलने (Climate Change) के बाद 1 हजार साल बाद हमारी पृथ्वी भी रहने योग्य ना रहे।

जीवन खोजना बन रहा कठिन

वैज्ञानिकों के लिए, यह 1,000 साल की सीमा ब्रह्मांड में कहीं और जीवन खोजने को भी बहुत कठिन बना देती है। आखिरकार, 1,000 साल ब्रह्मांडीय समय में एक पलक झपकने के बराबर है। अगर पृथ्वी को देखें तो यहां पहली बार रहने योग्य वातावरण बनने में करोडों साल लग गये थे।  लेकिन अब पता चलता है कि अगर हम लगातार अपनी ऐनेर्जी की डिमांड को बढ़ाते रहे तो हीट लीकेज के कारण हम भी विलुप्त हो जायेंगे।

क्या हैं अन्य विकल्प?

शोधकर्ता लिंगम कहते हैं कि इसके बाद भी, मनुष्यों और एलियन सभ्यताओं के लिए अन्य कई विकल्प भी हैं। विलुप्ति को स्वीकार करने या ऊर्जा उत्पादन को ऑफ-वर्ल्ड स्थानांतरित करने की तकनीक विकसित करने के बजाय, एक सभ्यता अपने विकास को स्थिर करने का विकल्प चुन सकती है। सभ्यता धीरे- धीरे उर्जा की खपत करके अपने ग्रह को गर्म होने से बचा सकती है।

अब अगर किसी प्रजाति ने संतुलन का विकल्प चुना है और अपने परिवेश के साथ सामंजस्य में रहना सीख लिया है, तो वह प्रजाति और उसकी संतानें शायद एक अरब साल तक जीवित रह सकती हैं।

Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

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