Prehistoric Dog and Humans- आधुनिक इतिहास में मनुष्य कमसे कम 14 हजार सालों से कुत्तों को पाल रहा है, आज कुत्तों को पालना एक शौक है पर उस समय के नवपाषाण काल के लोग कुत्तों को इस तरह से पालते थे और प्यार करते थे कि खुद मरने के बाद भी अपने कुत्तों को अपनी क्रब में साथ में दफनाते थे।
पुरातत्वविदों ने हाल ही में वर्तमान बार्सिलोना के पास 6,000 साल पुरानी कब्रों की खुदाई की है जिसमें कुल कम से कम 26 कुत्तों के कंकालों के अवशेष मिले हैं। अवशेषों के असामान्य संग्रह से पता चलता है कि कुत्ते अपने मनुष्यों के करीबी साथी थे। वे इतने करीब थे कि जब उनके मालिक मर जाते थे तो कुत्तों को भी मारकर उनके साथ क्रब में दफनाया जाता था। इससे उनका मानना था कि मरने के बाद की जिंदगी में भी ये कुत्ता हमारा साथी रहेगा।
आर्कियोलॉजिकल साइंस जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक हड्डियों के विश्लेषण से कुत्तों की कुछ जिज्ञासु विशेषताएं सामने आई हैं। उनकी हड्डियों के शारीरिक विश्लेषण से पता चलता है कि ज्यादातर कुत्ते अपनी मृत्यु के समय छह साल से कम उम्र के ही थे, हैरान कर देने वाली बात ये थी इन मेंसे से ज्यादा कुत्ते केवल एक साल या उससे छोटे थे। पुरातत्वविदों ने इस आधार पर यह कहा है कि शायद उस समय इन कुत्तों को खाने की कोशिश की गई होगी, पर ये हम पूरा कह नहीं सकते हैं क्योंकि कुत्तों की मिली हड्डियों से ये पता चलता है कि उनपर कोई काट या छांट के निशान नहीं है।
बार्सिलोना विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता ने कहा ने एक बयान में कहा है कि उन्हें लगता है कि एक साल से कम उम्र के कुत्तों के पिल्लों को देखकर लगता है कि उन्हें शायद किसी रिवाज के तहत बलिदान कर दिया गया होगा, पर जब हम कब्र में देखते हैं तो पाते हैं कि ये कुत्ते अपने मालिक के साथ दफ्न किये गये हैं जिससे ये भी पता चलता है कि शायद अंतिम संस्कार के समय कुत्तों को मारकर मालिक के साथ दफ्न किया जाता था कि वे मौत के बाद की जिंदगी में भी साथ रह सके।
इसके अलावा, कुत्ते अपने मानव साथियों के समान आहार खाते हुए दिखाई देते हैं। मानव बस्तियों के साथ उनकी निकटता से पता चलता है कि ये कुत्ते इबेरियन प्रायद्वीप में नवपाषाण समुदायों के लिए दैनिक जीवन का एक अविभाज्य हिस्सा थे। उन लोगों को कुत्ते बहुत प्यारे और सम्मानित जानवर लगते थे। जिनमें उनके सामन ही भौतिक गुण थे।
खोज में यह भी बात सामने आई है कि प्राचीन इबेरियन लोग अपने कुत्तों के विशेष खान पान का ध्यान भी रखते थे, उनके पूरे खाने और कितनी मात्रा में वे खाते हैं उस पर खूब ध्यान दिया जाता था। अवशेष ये दर्शाते हैं कि जब इन कुत्तों को मारा गया है तब ये पूरे स्वस्थ थे।
इस बात से अब पुरातत्वविदों को लगता है कि ये शायद इसलिए मारे गये हैं कि वे अपने मालिक के साथ दफनाये जा सकें और मौत के बाद भी अपने मालिक के साथ अगली जिंदगी या जन्म में साथ रह पायें। हालांकि शोधकर्ता इस बात पर सहमत नहीं है कि इन्हें किसी खास बलिदान के कारण मारा जाता था।
– ये हैं दुनिया के कुछ सबसे खतरनाक कुत्ते, जिन्होंने ली हैं हजारों लोगों की जान!