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क्या झूठ बोलने से फायदा होता है?

Does lying benefit?

Does lying benefit- दोस्तों आपने हमेशा सुना होगा की एक झूठ सौ झूठ और बुलावा देता है ,और झूठ से हमेशा हमारा नुक्सान ही होता है, पर ऐसा ही हो ये जरुरी थोड़ी है , झूठ बोलने के कुछ फायदे भी हैं

एक फिल्म रिलीज़ हुई थी कुछ साल पहले । नाम था “अंधाधुन”। क्रिटिक्स की माने तो उस साल की चुनिंदा फिल्मों में से एक थी वो फिल्म। आयुष्मान खुराना ने उस फिल्म में काम किया था। सस्पेंस थ्रिलर देखना पसंद है तो फिल्म आपके लिए है। फिल्म की कहानी इतनी मजबूती से गूँथी गयी थी  कि ज्यादातर बॉलीवुड फिल्मों की तरह ये प्रेडिक्टेबल बिलकुल नहीं थी।

झूठ क्यों बोलते हैं या झूठ बोलने के क्या लाभ हैं यह समझाने के लिए मैं इस फिल्म का सन्दर्भ देने जा रही हूँ। अगर आपने फिल्म देखी है तो आप इस उत्तर से अच्छा जुड़ाव महसूस कर पाएंगे अगर फिल्म नहीं भी देखी तो भी आपको झूठ का मनोविज्ञान समझने में ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी।

जिन्होंने फिल्म अब तक नहीं देखी उनके लिए बता दूँ आयुष्मान खुराना जो की एक कलाकार(पियानिस्ट व् सिंगर) है को फिल्म के प्रारंभ में “अंधे” का नाटक करते दिखाया गया था। फिल्म के मध्य में कुछ परिस्थितियां ऐसी बन जाती है कि वो सच में अँधा हो जाता है। फिल्म के अंत में उसकी आँखों की रौशनी फिर से वापिस आ जाती है।

झूठ बोलने का मनोविज्ञान

फिल्म में आयुष्मान एक कलाकार बना है। पियानो बजाने के साथ साथ वह गाने खुद ही गाता है और खुद ही लिखता है। शुरुआत में उसे अँधा दिखाया गया है। बहुत महत्वाकांशी स्वभाव का होने के कारण उसे हर हालत में …कोई भी तरीके से सफलता हासिल करनी है।

जब उसकी योग्यता उसकी महत्वाकांसा को पूरी नहीं कर पाती तो वह झूठ का सहारा लेकर लोगों की सहानुभूति प्राप्त करने के लिए अँधा बनने का नाटक करता है। तो पहली बार झूठ बोलने के पीछे का मनोविज्ञान यह है कि जब इंसान पर्याप्त योग्यता नहीं होने के बावजूद सफल होना चाहता है तो वह झूठ बोलकर सहानुभूति प्राप्त करने की कोशिश करता है।

जब आयुष्मान अपने शो से अंधे के आवरण में बाहर आकर सड़क पार कर रहा होता है तो वह एक लड़की से टकरा जाता है। लड़की उसे अँधा समझ लेती है और उसके सफल होने में हर संभव मदद करती है।

लड़की उसकी प्रशंसक हो जाती है क्योंकि उसकी नज़रों में वह अंधेपन के बावजूद काफी अच्छा कलाकार है। लड़की धीरे धीरे उसकी और रीझने लगती है जिसका अंतिम परिणाम उन दोनों के शारीरिक मिलन से होता है।

इस बीच में आयुष्मान लड़की को कतई नहीं बताता की वह अँधा नहीं है क्योंकि लड़की के आकर्षण को वह सच बताकर तोड़ नही सकता। तो दूसरी बार झूठ बोलने के पीछे मनोविज्ञान यह है कि वह एक बार बोले हुए झूठ को छिपाना चाहता है साथ ही साथ लड़की से उसे झूठ बोलने के कारण जो लाभ/सुख(शारीरिक) प्राप्त होने वाला है वह सच बोलने से अधर में लटक सकता है। किसी तरह लड़की को पता चल जाता है कि वह अँधा नहीं है और वह उसे छोड़ कर चली जाती है।

कहानी का बदल जाना

मध्यांतर में फिल्म की कहानी करवट लेती है और किसी कारणवश आयुष्मान सच में अँधा हो जाता है परंतु अंत में उसकी आँखों की रौशनी वापिस आ जाती हैं।

कहीं विदेश में किसी क्लब में आँखें आने के बावजूद अँधे होने का आवरण ओढ़े गाना गा रहा होता है। किसी तरह लड़की की मुलाकात उससे वहां हो जाती है लेकिन वह उसको फिर भी नहीं बताता की उसकी आँखों की रौशनी वापस आ गयी है।

वह उसको सिर्फ अपने सच में अंधे होने की कहानी बताता है। इस बार उसके झूठ बोलने का मनोविज्ञान लड़की की आँखों में खो चुकी इज़्ज़त को पुनः प्राप्त करने की कोशिश भर है। साथ ही साथ वह मानता है कि लड़की उसकी इज़्ज़त इसलिए भी करेगी की कैसे वह अँधा होने के बावजूद विदेश में सफल है ठीक जैसे कई लोग सफल होने के बाद अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि को गरीब साबित करने की झूठी कोशिश करते हैं।

लेकिन चाहे जो भी हो जीवन में सच्चाई को अपनाकर चलने वाले को ही असली सफलता प्राप्त होती है , झूठ कभी भी ज्यादा देर तक नही टिकता और अगर टिक भी जाए तो आपको अंदर से कचोटता रहता है और आप उस पल को दिल से ख़ुशी से नहीं जी पाते

Pallavi Sharma

पल्लवी शर्मा एक छोटी लेखक हैं जो अंतरिक्ष विज्ञान, सनातन संस्कृति, धर्म, भारत और भी हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतीं हैं। इन्हें अंतरिक्ष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।

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