आज-कल अंतरिक्ष विज्ञान काफी ज्यादा विकसित हो चुका है। जिस चीज़ के बारे में हम पिछले 100 साल में सोच भी नहीं सकते थे, आज वो चीज़ हकीकत में हो रही है। मित्रों! समय के साथ-साथ हमारा अंतरिक्ष को देखने का नज़रिया बदल रहा है और इसको लेकर हमारी समझ और भी ज्यादा ठोस होती जा रही है। ऐसे में आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि, इंसानों ने पृथ्वी के साथ ही साथ अनंत अंतरिक्ष को भी प्रदूषित करना शुरू कर दिया है। कहने का मतलब यह है कि, स्पेस-मिशनों में इस्तेमाल होने वाले उपकरण और सैटेलाइट (Wooden Satellite In Hindi) आज हमारी अंतरिक्ष को काफी ज्यादा प्रदूषित कर रहे हैं।
ऐसे में आज के युग के अनुसार हमें कुछ ऐसे पहल उठाने होंगे, जिससे ये स्पेस पोल्यूशन अपने हद में रह सके। क्योंकि मानवों ने तो बस हाल ही में स्पेस को एक्सप्लोर करना शुरू किया है। अभी तो काफी सारे चीजों को अंजाम देने बाकी हैं। इसलिए कहते हैं कि, पुराने मिशनों में इस्तेमाल होने वाले सेटेलाइट (Wooden Satellite In Hindi) आज हमारे लिए एक स्पेस में मंडराने वाले खतरा व प्रदूषण कारी कारक बन चुके हैं। और इसके बारे में हमें जल्द ही कुछ करना होगा।
हालांकि! आज का हमारा ये लेख उसी विषय के ऊपर है और हम इस विषय के बारे में पूरी तह तक जाने का प्रयास भी करेंगे। तो आप लोगों से अनुरोध है कि, आज के हमारे इस लेख को आरंभ से लेकर अंत तक जरूर पढ़िएगा। ताकि आप लोगों को ये विषय काफी अच्छे से समझ में आ जाए। तो, चलिये अब बिना किसी देरी के लेख को शुरू करते हैं और देखते हैं कि; आखिर ये विषय असल में क्या है।
विषय - सूची
अन्तरिक्ष का पहला “लकड़ी से बना” हुआ सैटेलाइट! – 1st Wooden Satellite In Space! :-
रिपोर्ट्स के अनुसार दुनिया का पहला लकड़ी से बना हुआ सेटेलाइट (Wooden Satellite In Hindi) ISS पर पहुँच चुका है। कहा जा रहा हैं कि, ये सेटेलाइट हमारे आने वाले स्पेस मिशनों के लिए काफी ज्यादा अहम रहने वाला हैं। क्योंकि इसी के ऊपर ही हमारे भविष्य के स्पेस उपकरण निर्भर करते हैं। क्योंकि जिस हिसाब से हम लोगों ने पहले ही मेटल से बने हुए उपकरणों को इस्तेमाल किया है, उससे हमारी पृथ्वी की लोवर ओर्बिट काफी ज्यादा प्रदूषित हो गया है।
ऐसे में इसको सुधारने के लिए लकड़ी के उपकरणों का इस्तेमाल शायद किया जाना चाहिए। बताते हैं कि, यह लकड़ी से बना हुआ सैटेलाइट स्पेस-एक्स ड्रैगन कार्गो कैप्सूल में ISS तक पहुंच चुका है। आप लोगों की अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, यह सैटेलाइट जापान के द्वारा बनाया गया है और इसका नाम “LignoSat” रखा गया है। देखने में काफी हद तक पुराने जमाने का लगने वाला यह सैटेलाइट असल में काफी उन्नत और विकसित स्पेस-टेक से लैस है। इसलिए इसको लेकर दुनिया भर में काफी सारी चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं।
आप लोगों को इस सैटेलाइट के बारे में क्या लगता है, कमेंट करके जरूर बताइएगा। ताकि हमें भी आप लोगों की राय पता चल सके। वैसे व्यक्तिगत तौर पर मुझे यह सैटेलाइट काफी ज्यादा अनोखा लग रहा है और हम आगे इस लेख में इसके बारे में और भी कई सारे गहन बातों के बारे में जानने का प्रयास करेंगे। ताकि यह हमें और भी बेहतर तरीके से समझ में आ जाए।
इस सैटेलाइट के बारे में कुछ जरूरी जानकारीयाँ! – 1st Wooden Satellite In Hindi :-
बताते हैं कि, ये सैटेलाइट (Wooden Satellite In Hindi) आकार में काफी ज्यादा छोटा हैं। केवल 10 सेंटीमीटर के आकार में क्यूब शैप में होने के कारण, ये सैटेलाइट काफी ज्यादा देखने में अनोखा लगता हैं। आकार में ये सैटेलाइट भले ही छोटा हो, परंतु इसका प्रभाव हमारे स्पेस सैक्टर में काफी जादा पड़ने वाला हैं। क्योंकि इसी के ऊपर ही हमारे भविष्य के मिशन निर्भर करेंगे। हालांकि! इसको ले कर आज भी काफी ज्यादा संशय लोगों के मन में हैं।
आप लोगों को बता दूँ कि, अन्तरिक्ष में भले ही लकड़ी सुनने में अच्छा न लग रहा हो। परंतु वैज्ञानिकों की माने तो ये सैटेलाइट वाकई में काफी असरदार साबित होने वाला हैं। क्योंकि इससे पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होगा और अन्तरिक्ष में कूड़ा-कचरा भी नहीं फैलेगा। मित्रों! दोनों ही क्षेत्रों में ये सैटेलाइट हमारे लिए काफी ज्यादा अहम होने वाला हैं। क्योंकि इससे हमें आने वाले समय में काफी ज्यादा फायदा होने वाला हैं। इस तरह के सैटेलाइट हमारी पृथ्वी के लिए भी काफी ज्यादा अच्छा हैं।
क्योंकि ज़्यादातर मेटल से बने हुए सैटेलाइट एल्युमिनियम के होते हैं। जब ये सेटेलाइट पृथ्वी के जलवायु में जलाए जाते हैं। तब ये काफी ज्यादा मात्रा में जहरीले गैसों को हमारे पर्यावरण में छोड़ते हैं। जिससे पृथ्वी के जलवायु में तापमान काफी ज्यादा बढ्ने के साथ ही साथ हमारे प्रकृति में भी असंतुलन को देखा जा सकता हैं। इसलिए वैज्ञानिक काफी समय पहले से ही इसके बारे में चर्चा कर रहें हैं कि, लकड़ी का उपयोग स्पेस में किया जाए।
आखिर क्यों अहम हैं इस तरीके के सैटेलाइट! :-
जैसा की मैंने आप लोगों को पहले ही बता रखा हैं, सैटेलाइट (Wooden Satellite In Hindi) के जरिए हम हमारे आज के स्पेस सैक्टर को काफी हद तक बदल सकते हैं। क्योंकि हमारे आज के ज़्यादातर स्पेस मिशन इन्हीं सैटेलाइट्स के आस-पास भी घूमता हैं। ऐसे में अगर हम पहले की तरह मेटल से बने हुए सैटेलाइट्स का इस्तेमाल करते हैं। तब हमारी जलवायु के ऊपर इसका काफी बुरा प्रभाव पड़ेगा। क्योंकि इन मेटल के सैटेलाइट्स को जलाने से पैदा होने वाला “Aluminium Oxide” गैस हमारे ओज़ोन लेयर को काफी ज्यादा खराब कर देगा।
तो, अब आप सोच ही सकते हैं कि; आज के जमाने में हमारे लिए ओज़ोन लेयर को बचाना कितना जरूरी हो गया है। वैसे वर्तमान के समय की बात करें तो, स्पेस-एक्स के द्वारा हमारे अन्तरिक्ष में 6,500 से ज्यादा सैटेलाइट्स भेजे जा चुके हैं। जो की शायद अब तक का सबसे बड़ा सैटेलाइट्स का गुच्छा भी हैं। ऐसे में अगर हम ज्यादा से ज्यादा मेटल का इस्तेमाल अन्तरिक्ष में करने लगे तो, आने वाले समय में हमारा अन्तरिक्ष भी काफी ज्यादा प्रदूषित नजर आएगा।
हालांकि! इसके लिए विकल्प के तौर पर हम “Magnolia Wood” का इस्तेमाल कर सकते हैं। भविष्य में शायद मेटल से बने सैटेलाइट बनने बंद भी हो जाए। इसलिए आज से ही इसके लिए विकल्प ढूँढना होगा। रिपोर्ट्स के अनुसार पता चला हैं कि, जापान के कुछ वैज्ञानिक आने वाले समय में लकड़ी से बने हुए सैटेलाइट को स्पेस-एक्स के मिशनों में इस्तेमाल करवा सकते हैं।
निष्कर्ष – Conclusion :-
आज के समय में लकड़ी से बने हुए सैटेलाइट्स (Wooden Satellite In Hindi) के बारे में कुछ भी कहना काफी मुश्किल होगा। क्योंकि अभी ये अपने शुरुआती दिनों में हैं। जब तक इन पर लंबे समय तक गहन शोध नहीं किया जाएगा, तब तक इन्हें भरोसेमंद कहना गलत होगा। और वैसे भी, इसके ऊपर जापान के वैज्ञानिक भी और ज्यादा शोध करना चाहते हैं। ताकि वो भी इस तरह के सैटेलाइट्स को ले कर काफी ज्यादा पक्का हो जाएँ।
क्योटो और टोक्यो में बना दुनिया का पहला लकड़ी से बना हुआ सैटेलाइट जल्द ही अपने-आप को साबित जरूर करेगा, ऐसा मेरा मानना हैं। क्योंकि अगर इस तरह के सैटेलाइट्स भविष्य में बनना शुरू हो जाते हैं, तो हम मानवों के लिए ये किसी वरदान से कम नहीं होगा। क्योंकि उस समय हमें बढ़ते स्पेस डेब्रीस की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। इसके साथ ही साथ आप लोगों की अधिक जानकारी के लिए बता दूँ कि, हमारे आज के समय में प्रदूषण की मात्रा काफी ज्यादा बढ़ चुकी है।
ऐसे अगर हम लोगों ने स्पेस को भी प्रदूषित कर दिया, तब हमारे लिए रहने के लिए न तो स्पेस होगा और न ही पृथ्वी। इसलिए समय आ चुका हैं कि, हमें और आप लोगों को मिलकर दोनों ही पृथ्वी और स्पेस को प्रदूषण रहित बनाने के लिए कुछ पहल करनी होगी।