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जेम्स वेब टेलीस्कोप ने खोजी टेंटेकल्स वाली जेलीफ़िश गैलेक्सी

जेलीफ़िश की तरह दिखाई दे रही ये आकाशगंगा कई तारों का घर है!

जब से जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने अंतरिक्ष में अपनी आँखें खोली हैं, ब्रह्मांड की गहराइयों से अद्भुत दृश्य और रहस्य सामने आ रहे हैं। कई तारों, ग्रहों और विचित्र, विशाल आकाशगंगाओं के बाद हाल में इसने एक ऐसी आकाशगंगा यानि गैलेक्सी की इमेज ली है जो सभी वैज्ञानिकों को हैरान कर रही है। हाल फिलहाल में ही JWST ने एक ऐसी गैलेक्सी की तस्वीरें भेजी हैं जो दिखने में किसी समुद्री जीव यानी जेलीफ़िश जैसी लगती है। इसका नाम वैज्ञानिकों ने COSMOS2020-635829 रखा है, और यह जेलीफ़िश गैलेक्सी पृथ्वी से करीब 12 अरब प्रकाश वर्ष (Light Year) दूर स्थित है।

यह गैलेक्सी सिर्फ अपने अजीब आकार के कारण नहीं, बल्कि अपने चारों ओर फैले “टेंटेकल्स” जो कि इसके आस-पास जमा गैस और धूल की लंबी लटों जैसे दिखाई दे रहे हैं उनके कारण ये चर्चा में है। इसी वजह से इसे “जेलीफ़िश गैलेक्सी” का नाम दिया गया है। आइए विस्तार से समझते हैं कि आखिर यह खोज कितनी महत्वपूर्ण है और इसके पीछे कौन-सी रहस्यमयी प्रक्रियाएं काम कर रही हैं।


क्या होती है जेलीफ़िश गैलेक्सी?

जेलीफ़िश गैलेक्सी वह होती है जिसमें मुख्य गैलेक्सी के पीछे-पीछे गैस और धूल की लटें निकलती हैं, जो समुद्री जीव जेलीफ़िश के टेंटेकल्स की तरह दिखाई देती हैं। यह प्रक्रिया तब होती है जब कोई गैलेक्सी किसी विशाल गैलेक्सी क्लस्टर (गैलेक्सियों का समूह) के गर्म गैसीय वातावरण से होकर गुजरती है।

इस प्रक्रिया को रैम प्रेशर स्ट्रिपिंग (Ram Pressure Stripping) कहा जाता है। जैसे कोई तेज हवा किसी चीज़ को पीछे धकेलती है, वैसे ही यह गर्म गैस गैलेक्सी के भीतर की गैस को पीछे की ओर खींच लेती है। यही गैस आगे जाकर टेंटेकल्स बनती है और इन टेंटेकल्स में नए-नए तारे जन्म लेते हैं।


JWST की इस खोज में नया क्या है?

JWST ने इस गैलेक्सी की हाई-रिज़ॉल्यूशन तस्वीर ली जिसमें साफ़ तौर पर एक तरफ लंबी गैसीय लटें दिखाई दे रही हैं। यह अपने आप में एक अनोखा दृश्य था क्योंकि इतनी दूर स्थित किसी गैलेक्सी में यह प्रक्रिया पहली बार देखी गई है।

वॉटरलू यूनिवर्सिटी के खगोलशास्त्री इयान रॉबर्ट्स ने जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप द्वारा ली गई तस्वीरों को खंगालते हुए इस अनोखी गैलेक्सी की खोज की। उनकी टीम का शोध फिलहाल arXiv प्रीप्रिंट सर्वर पर उपलब्ध है, लेकिन अभी तक इसकी समीक्षा (peer review) नहीं हुई है।

इस गैलेक्सी को उन्होंने एक रेडशिफ्ट z ≈ 1.156 पर देखा है, जो इसे अब तक खोजी गई सबसे दूर की “जेलीफ़िश गैलेक्सी” बनाता है। रेडशिफ्ट का मतलब है कि यह गैलेक्सी हमसे बहुत तेजी से दूर जा रही है और इसका प्रकाश बहुत पुराना है – लगभग 12 अरब साल पहले का।

नई खोजी गई इस जेलीफ़िश गैलेक्सी में चार विचित्र 'टेंटेकल' हैं, जिन्हें सफेद सर्कल में मार्क किया गया है। (Image credit: NASA/ESA/CSA/STScI)
नई खोजी गई इस आकाशगंगा में चार विचित्र ‘टेंटेकल’ हैं, जिन्हें सफेद सर्कल में मार्क किया गया है। (Image credit: NASA/ESA/CSA/STScI)

JWST ने सिर्फ तस्वीरें ही नहीं भेजीं, बल्कि इसमें मौजूद गैस और तारों की रासायनिक जानकारी भी दी। यह जानकारी स्पेक्ट्रोस्कोपी नामक तकनीक से मिली, जिससे यह साबित हुआ कि टेंटेकल्स में मौजूद गैस आयनित है और यह गैलेक्सी से जुड़ी हुई है। इसका मतलब यह नहीं कि गैस गैलेक्सी से अलग हो गई है, बल्कि वह अभी भी उसी का हिस्सा है और उसमें नए तारे बन रहे हैं।


ये खोज क्यों महत्वपूर्ण है?

1. गैलेक्सी विकास को समझने में मदद

यह खोज हमें यह समझने में मदद करती है कि ब्रह्मांड के शुरुआती काल में गैलेक्सियाँ कैसे विकसित हुईं। यह दिखाता है कि सिर्फ आज नहीं, बल्कि अरबों साल पहले भी गैलेक्सी क्लस्टर्स में घर्षण और गर्म गैस के कारण गैलेक्सियों की आंतरिक गैस छीन ली जाती थी।

2. तारों का निर्माण

टेंटेकल्स में जो तारे बन रहे हैं उनकी उम्र 10 करोड़ साल से भी कम है। यह बताता है कि गैस सिर्फ हट नहीं रही है, बल्कि उसी में नई पीढ़ी के तारे भी पैदा हो रहे हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस प्रक्रिया में हर साल लगभग 1 सूर्य के बराबर द्रव्यमान वाले तारे बन रहे हैं।

3. गैलेक्सी के जीवन-चक्र पर असर

जब किसी गैलेक्सी की गैस छिन जाती है तो वहां नए तारे बनना रुक जाता है। इसे “क्वेन्चिंग (quenching)” कहा जाता है – यानी तारा निर्माण की प्रक्रिया का धीरे-धीरे बंद हो जाना। जेलीफ़िश गैलेक्सियाँ हमें यह समझने का एक प्राकृतिक प्रयोगशाला देती हैं कि कैसे बाहरी वातावरण गैलेक्सी के विकास को प्रभावित करता है।


जेम्स वेब टेलीस्कोप: एक नई दृष्टि

यह खोज एक बार फिर साबित करती है कि जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप कितनी गहराई से ब्रह्मांड के रहस्यों को खोल सकता है। इसकी शक्तिशाली अवरक्त (Infrared) दृष्टि हमें उन चीजों को दिखा रही है जो पहले असंभव मानी जाती थीं।

 गैलेक्सी ESO 137-001 को भी एक "जेलीफ़िश गैलेक्सी" माना जाता है, क्योंकि इसमें से नीली रेखाओं में तारों का निर्माण होता हुआ दिखाई देता है—जो जेलीफ़िश के टेंटेकल्स जैसे लगते हैं।
गैलेक्सी ESO 137-001 को भी एक “जेलीफ़िश गैलेक्सी” माना जाता है, क्योंकि इसमें से नीली रेखाओं में तारों का निर्माण होता हुआ दिखाई देता है—जो जेलीफ़िश के टेंटेकल्स जैसे लगते हैं। Credits: NASA, ESA

इससे पहले हबल टेलीस्कोप भी कई जेलीफ़िश गैलेक्सी खोज चुका है, लेकिन JWST की स्पष्टता और स्पेक्ट्रोस्कोपी क्षमताएं इसे कहीं आगे ले जाती हैं।


भविष्य में क्या हो सकता है?

इस खोज ने वैज्ञानिकों को नई प्रेरणा दी है। अब JWST और अन्य टेलीस्कोप मिलकर और ऐसी जेलीफ़िश गैलेक्सियों की खोज करेंगे, विशेषकर ब्रह्मांड के प्रारंभिक काल में। इससे हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि गैलेक्सियाँ कैसे क्लस्टर्स में शामिल होती हैं और उनका जीवन-चक्र कैसे बदलता है।

इसके अलावा वैज्ञानिक अब multi-wavelength observatories की मदद से जेलीफ़िश गैलेक्सियों में गैस, धूल और तारा निर्माण की दरों का गहराई से विश्लेषण करना चाहते हैं। इसका एक उद्देश्य यह भी है कि यह पता लगाया जा सके कि यह गैस हमेशा के लिए खो जाती है या फिर किसी और रूप में गैलेक्सी में वापस लौटती है।

वैज्ञानिक अब मल्टी-वेवलेंथ डेटा (कई तरंग दैर्ध्यों में जानकारी) इकट्ठा करने की योजना बना रहे हैं ताकि गैस, धूल और तारों की अधिक गहराई से जांच की जा सके।


निष्कर्ष

जेम्स वेब टेलीस्कोप की यह खोज सिर्फ एक नई गैलेक्सी का अवलोकन नहीं है, बल्कि यह एक झरोखा है – जिससे हम ब्रह्मांड के अतीत में झांक सकते हैं। जेलीफ़िश जैसी दिखने वाली इस गैलेक्सी की टेंटेकल्स न केवल सौंदर्य में अद्वितीय हैं, बल्कि यह हमें यह भी बता रही हैं कि गैलेक्सियाँ कैसे समय के साथ बदलती हैं और कैसे ब्रह्मांड की विशाल प्रक्रियाएँ उनके जीवन को आकार देती हैं।

ब्रह्मांड के इस रहस्यमयी कोने की तस्वीरें यह साबित करती हैं कि अंतरिक्ष में जीवन और विकास की कहानियाँ कितनी अनोखी, सुंदर और जटिल हो सकती हैं।

Shivam Sharma

शिवम शर्मा विज्ञानम् के मुख्य लेखक हैं, इन्हें विज्ञान और शास्त्रो में बहुत रुचि है। इनका मुख्य योगदान अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान में है। साथ में यह तकनीक और गैजेट्स पर भी काम करते हैं।

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