ब्रह्मांड एक बहुत ही विशाल जगह है, जिसका कोई अंत ही नहीं है। इसके आकार के सामने हम इंसानों का कोई वजूद ही नहीं है। परंतु एक रोचक बात ये है कि, हम आज-तक इसके बारे में जितना भी कुछ जानते हैं, वो हमें और भी ज्यादा संशय में ड़ाल देता है। क्योंकि अकसर कई अन्तरिक्ष मिशनों के दौरान कुछ ऐसे तथ्य भी सामने आते हैं, जिसके बारे में सुनकर ही हमारे होश उड़ जाते हैं। मित्रों! एलियन्स (Alien Mothership With Tiny Probes) के बारे में जब भी कोई बात होती हैं, तब सबका ध्यान कहीं खो सा जाता है।
आज के लेख का मुख्य विषय ही एलियंस (Alien Mothership With Tiny Probes) से जुड़ा हुआ है। इसलिए मित्रों! मेरे साथ आज इस लेख के जरिए जुड़े रहिए और एक अलग ही सुगम यात्रा के रूप में इस विषय के ऊपर जानते रहिए। क्योंकि ये विषय वाकई में काफी ज्यादा अनोखा होने वाला है।
लेख के प्रारंभिक भाग से ही आप लोगों को काफी कुछ पढ़ने को मिलेगा। इसलिए मित्रों! बिना किसी देरी करते हुए, चलिये अब लेख में आगे बढ़ते हैं और इसके मूल विषय को आरंभ करते हैं।
सौर-मंडल में मौजूद हो सकते हैं एलियंस! – Alien Mothership With Tiny Probes! :-
अमेरिका के पेंटागोन के वैज्ञानिकों के अनुसार हमारे सौर-मंडल में एलियंस (Alien Mothership With Tiny Probes) के होने कि संभावनाओं को व्यक्त किया गया है। उनका कहना है कि, हमारे सौर-मण्डल के अंदर बड़े ही खुफ़िया तरीके के साथ एक एलियंस से भरी हुई बड़ी सी “Alien Mothership” घूम रहीं है, जिसके बारे में हम लोगों को थोड़ी सी भी जानकारी नहीं है। मित्रों! ये बात सीधे तौर से पेंटागोन के “UFO Department” के द्वारा कही गई है। इसके अलावा उनका ये भी मानना है कि, एलियंस के द्वारा पृथ्वी पर अपने जासूस भी छोड़े गए हैं।
मित्रों! आप लोगों को मैं बता दूँ कि, इन एलियंस के द्वारा पृथ्वी पर कई छोटे-छोटे “Spying Probe” भी छोड़े गए हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इस प्रोब का आकार “Dandelion Seed” की तरह है। ये प्रोब असल में पृथ्वी के बारे में जानकारी जुटाने के लिए एलियंस के द्वारा छोड़ा गया होगा और बड़े ही खुफ़िया तरीके से बिना किसी के ध्यान में आए ये अपना काम हम सब के अंदर मौजूद रह कर धीरे-धीरे कर रहें हैं। कई बड़े वैज्ञानिक इस बात को काफी ज्यादा गंभीरता के साथ ले रहें हैं, क्योंकि इस बात को अनदेखा बिलकुल भी नहीं किया जा सकता है।
ये बिलकुल संभव है कि, ठीक इंसानों के तरह ही, एलियंस भी हमसे जुडने के लिए कई तरह के प्रोब हमारे पृथ्वी के ऊपर छोड़ रहें होंगे। और इनका आकार जरूरी नहीं हैं कि, बहुत बड़ा हो। कई वैज्ञानिक तो, ये भी कहते हैं कि, सरसों के वीज से भी छोटे आकार के स्पेसक्राफ्ट हमारे पृथ्वी के ऊपर मौजूद हो सकते हैं, जिनका मूल काम जासूसी करना होगा।
एलियंस के भी हो सकती हैं खुफ़िया एजेंसी! :-
मित्रों! आप खुद सोचिए अगर ये ब्रह्मांड अनंत हैं, तो यहाँ पर हमारे तरह कितने अलग-अलग तरह के एलियंस (Alien Mothership With Tiny Probes) के सभ्यता मौजूद होंगे। और गज़ब बात ये हैं कि, वो लोग भी शायद हमें ढूंढ रहें होंगे। इसलिए एक्सप्लोरेशन के लिए वो लोग भी कई तरह के प्रयास कर रहें होंगे। खैर पेंटागोन के द्वारा कुछ “Objects of Interest” को निरीक्षण के लिए चुना गया था, जिसमें डांडेलियन के बीज भी मौजूद थे। इसमें इन खास चीजों के ऊपर काफी ज्यादा शोध हुआ था।
इसके अलावा एक जरूरी बात ये भी हैं कि, इस शोध में भाग लेने वाले वैज्ञानिक “Oumuamua” के खोज के दौरान भी मौजूद थे। तो इन वैज्ञानिकों के पास भी बाहर से आई चीजों के ऊपर भी काफी सारा अनुभव हैं। हालांकि! इस चीज़ के बारे में वैज्ञानिकों को ज्यादा कुछ पता नहीं हैं, परंतु कई वैज्ञानिक इसे एक एलियन स्पेसक्राफ्ट से भी तुलना करते हैं। औउमुयामुया के पृथ्वी के पास आने से 6 महीने पहले ही, एक 3 फीट का उल्कापिंड “IM2” पृथ्वी से आकर टकरा गया था। ये ही बात कई सारे वैज्ञानिकों को काफी गहन चिंता में ड़ाल देता हैं।
क्या ये उल्कापिंड एक तरह से जासूसी स्पेसक्राफ्ट के रूप में एलियंस के द्वारा सुदूर अन्तरिक्ष से छोड़ा गया था। मित्रों! वैज्ञानिकों को लगता हैं कि, हूबहू नासा की तरह ही एलियंस भी कई तरह के स्पेस प्रोब लगातार हमारे सौर-मण्डल की और छोड़ रहें हैं। डांडेलियन बीज के आकार के छोटे-छोटे स्पेसक्राफ्ट अपने मदर शिप से अलग हो कर आज भी शायद पृथ्वी के ऊपर घूम रहें हैं।
एलियंस के पास भी हो सकते हैं “नासा” जैसी स्पेस एजेंसी! :-
अब एक गज़ब की बात ये हैं कि, ब्रह्मांड के कई उन्नत एलियन (Alien Mothership With Tiny Probes) सभ्यताओं के पास हमारे जैसी या हमसे भी ज्यादा विकसित स्पेस एजेंसिया मौजूद होंगी। ऐसे में अगर कोई बेहद ही विकसित एलियन स्पेस एजेंसी अपनी स्पेस मिशनों को अंजाम दे रहीं होगी, तो हमें इसके बारे में शायद कुछ पता ही नहीं चलेगा। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार काफी छोटे आकार के स्पेसक्राफ्ट में लगे टेलिस्कोप सूर्य के रोशनी को ज्यादा रिफ्लैक्ट नहीं करेंगे।
जिससे पृथ्वी पर उनको पकड़ पाना काफी कठिन होगा। इसके अलावा इन छोटे-छोटे स्पेसक्राफ्ट्स के पास अपने आकार व वजन के अनुपात के हिसाब से काफी बड़े-बड़े पैराचुट होंगे; जिसके मदद से वो लोग हमारे पृथ्वी के वातावरण में बिना जले दाखिल हुए होंगे। कई वैज्ञानिकों का ये भी कहना हैं कि, ज़्यादातर एलियंस ऐसे ग्रहों के तलाश में होंगे; जिसके ऊपर रहना आसान होगा। बेहरहाल काफी दूर से पृथ्वी, मंगल और शुक्र ग्रह काफी ज्यादा आकर्षक दिखते हैं। जिसमें पृथ्वी सबसे ज्यादा सुंदर दिखता हैं।
तो ये संभव हो सकता हैं कि, एलियंस को हमारे ग्रह के ऊपर मौजूद पानी के बारे में पता चल गया होगा। वैसे ये भी संभव हैं कि, जिस बड़े स्पेसक्राफ्ट से इन छोटे-छोटे स्पेसक्राफ्ट्स को छोड़ा गया होगा, उसके अंदर भी एलियंस मौजूद न हो और काफी सुदूर इलाकों से वो लोग इन्हें कंट्रोल कर रहें हो।
निष्कर्ष – Conclusion :-
मित्रों! एक महत्वपूर्ण बात ये भी हैं कि, आज के समय में ऐसा भी हो सकता हैं कि, इस पूरे ब्रह्मांड में कोई एलियन (Alien Mothership With Tiny Probes) सभ्यता मौजूद ही न हो। कई बड़े-बड़े सितारे ब्रह्मांड में काफी समय पहले से ही हैं और ये बिलकुल संभव हैं कि, पृथ्वी के बनने से कई अरबों सालों पहले ही सुदूर इलाकों से एलियन हमारी और सिग्नल भेजे होंगे; जो कि हम तक आज पहुँच रहा हो। खैर ऐसे में देखा गया हैं कि, दुनिया भर के वैज्ञानिक इस बात को हल्के में ले रहें हैं।
क्योंकि ब्रह्मांड में इंटरस्टेलर ट्रैवल अभी हमारे लिए सोच से भी परे हैं। शायद ये ही वजह होगा कि, वैज्ञानिक एलियन से जुड़ी किसी बात को उतना अहम नहीं समझ रहें हैं, जितना कि उसको समझना चाहिए। तो इस बात को अब ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए, वैज्ञानिकों का एक छोटा सा दल इसके ऊपर शोध कर रहा हैं। मित्रों! आप लोगों को इसके बारे में क्या लगता हैं? क्या सच में एलियन्स हमारे पृथ्वी कि और आने कि कोशिश कर रहें हैं या कर रहें थे?
इसके अलावा एक बात ये भी जान लेना चाहिए कि, शायद पृथ्वी पर इन्सानों कि मौजूदगी ज़्यादातर एलियन्स सभ्यताओं को आज भी पता नहीं होगा। इसलिए शायद वो भी हमसे उतना ही अनजान होंगे, जितना कि आज हम उनसे हैं। तो एक-दूसरे से जब तक संपर्क नहीं हो जाता हैं, तब तक हमें शायद उम्मीदों और अनुमान के साथ आगे बढ़ते रहना होगा।
Source – www.livescience.com