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इंसानों के द्वारा बनाई गई एक खूबसूरत वर्चुअल दुनिया “Metaverse” की कहानी! – Metaverse In Hindi

घर बैठे ही घूम सकते हैं पूरी दुनिया! आखिर क्या हैं ये "मेटावर्स"?

आज-कल कोरोना काल में, मानव पहले की तरह मानव बन कर नही रह रहा है। इस बीमारी ने, हमारी दिनचर्या को पूरी तरह बदल के रख दिया है। पहले जैसे कोई त्योहार या कोई उत्सव हो तो, सब मिल-जुल कर एक साथ बैठ कर के जैसे आनंद उठाते थे। वो जमाना कब का जा चुका है। इस मॉडर्न जमाने में असल जिंदगी की जगह वर्चुअल जिंदगी (metaverse in hindi) ने ले ली है। और इस में कोई दो-राह भी नहीं है कि, आज की हालातों को देखते हुए हम अपनी असल जिंदगी कि और फिर से लौटने के बारे में सोच भी पाएँ।

हर 4-5 महीनों में लॉकडाउन और घर में रह-रह कर जल्द ही कई सारे लोग वर्चुअल जीवन (metaverse in hindi) को ही अपना वास्तविक जीवन समझ बैठे हैं। ज़ूम, गूगल मीट और व्हाट्स एप पे विडीओ कॉल ही आज लोगों के मिलने का प्रमुख माध्यम बन गया है। यही वजह है कि, आज के बड़े-बड़े ऑनलाइन कंपनियाँ अपनी सेवाओं को और भी बेहतर और आधुनिक बनाने में जुट गई हैं। खैर आज का हमारा विषय इन्हीं में से एक बड़ी कंपनी और उसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले सेवा को लेकर ही है।

तो, चलिए मेरे साथ कुछ समय इस लेख के जरिए जुड़ कर के, इस बहुत ही रुचिकर विषय के बारे में चर्चा करते हैं।

मेटावर्स क्या है? – What Is Metaverse In Hindi? :-

मेरे हिसाब से ज़्यादातर लोगों ने पहले से ही, “मेटावर्स” (metaverse in hindi) के बारे में सुन रखा होगा। क्योंकि, आज से कुछ समय पहले ये टॉपिक पूरे इंटरनेट पर छाई हुई थी। लोगों को इतना पता था कि, फेसबूक अपना नाम बदल कर मेटा रखने जा रहा है। परंतु ज़्यादातर लोगों को ये नहीं पता था कि, आखिर “मेटावर्स” शब्द का अर्थ ही क्या है? अगर मैं बहुत ही सरल भाषा में कहूँ तो, मेटावर्स एक वर्चुअल/ आभासी 3D दुनिया है जो कि लोगों के सामाजिक संबंधों को बढ़ाने के लिए उपयोग में लाई जाती है”। अगर हम विज्ञान के दृष्टिकोण से देखें तो, हमें पता चलेगा कि, ये इंसानों के द्वारा बनाया गई एक काल्पनिक दुनिया ही है।

मेटावर्स के बारे में जानकारी - Metaverse In Hindi.
मेटावर्स की दुनिया | Credit: HBR.org.

जहां पर हम वर्चुअल हैडसेट (Virtual Headset) पहन कर, घर बैठे-बैठे कहीं भी जा सकते हैं। खैर सुनने में बहुत ही भविष्यवादी लगने वाली ये दुनिया, वाकई में एक बहुत ही गज़ब का आविष्कार है। जहां हम किसी महामारी के कारण घर से बाहर निकल नहीं पा रहे, वहीं ये मेटावर्स हमें पूरी दुनिया घूमा रहा है। खैर “मेटावर्स” शब्द कि उत्पत्ति, साल 1992 में छपी साइंस फिक्सन नोवल “Snow Crash” में देखने को मिलती है। वैसे मैं आपको बता दूँ कि, आज तक बहुत से मेटावर्स बनाए जा चुके हैं।

अगर किसी ने “Second Life” गेम खेल रखा होगा तो, उन्हें पता होगा कि, आखिर में ये मेटावर्स काम कैसे करता है। मित्रों! सेकंड लाइफ ही क्यों, अगर आपने कोई भी डिजिटल कम्प्युटर या मोबाइल गेम खेल रखा है, तो आप को बहुत कुछ अंदाजा लग जाएगा। क्योंकि, हर एक डिजिटल गेम की खुद की अपनी दुनिया होती है और इसी दुनिया के अंदर ही वो गेम खेली जा सकती है।

मेटावर्स (Metaverse) के पीछे की तकनीक! :-

वैसे मेटावर्स (metaverse in hindi) को चलाने के लिए मुख्य रूप से दो चीजों की जरूरत पड़ती है। पहली चीज़ है सॉफ्टवेर (Software) और दूसरी चीज़ है हार्डवेयर (Hardware) । तो, चलिए अब हम इन्हीं दो मूल चीजों के बारे में देख लेते हैं और जानते हैं की, आखिर कैसे ये मेटावर्स को चलाने के लिए इतने उपयोगी हैं।

मेटावर्स का सॉफ्टवेयर :- Software of Metaverse

इस समय अभी तक मेटावर्स को व्यापक रूप से इस्तेमाल नहीं किया गया है, या यूं कहें की, अभी तक इसे मुख्य धारा से नहीं जोड़ा गया है। इसलिए मेटावर्स को चलाने के लिए लगने वाले सटीक सॉफ्टवेर के बारे में अभी बता पाना थोड़ा कठिन तो है। वैसे मेटावर्स को बनाते वक़्त यूजर की प्राइवसी और सेवाओं की पारदर्शिता के बारे में काफी बड़े-बड़े सवाल सामने आते हैं। हालांकि! अभी मेटावर्स को काफी बड़े पैमाने में बनाने के लिए काफी बड़ी-बड़ी कंपनियाँ काफी उन्नत सॉफ्टवेर बना रही हैं।

मेटावर्स के बारे में जानकारी।
मेटावर्स की हकीकत | Credit: Financial Times.

मित्रों! अभी तक मेटावर्स की दुनिया में “Universal Scene Description” नाम का एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो की काफी बड़ी कंपनियों के द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। इसे “Pixar” ने बनाया है और इसको एपल जैसी कंपनियाँ भी इस्तेमाल करती हैं। खैर 2021 में ग्राफिक्स कार्ड बनाने वाली एक बहुत ही बड़ी कंपनी “Nvidia” ने मेटावर्स को और डिवैलप करने के लिए बहुत से प्रोजेक्ट भी शुरू करने वाली है। Nvidia जैसी कंपनियों के पास पूरी क्षमता है कि, वो एक बहुत ही आकर्षक और भव्य मेटावर्स को बना पाएँ।

हालांकि! माइक्रोसॉफ्ट भी मेटावर्स की दुनिया में पीछे नहीं है। उनके पास भी “OpenXR” जैसे प्लैटफॉर्म हैं, जिनकी मदद से वो अपने मेटावर्स से जुड़े प्रोजेक्ट्स को कामयाब बना सकते हैं। तो कुल-मिला कर ये कहा जा सकता है कि, आज के जमाने में मेटावर्स जैसी चीज़ें जल्द ही आम होने वाली हैं।

मेटावर्स के लिए हार्डवेयर :-

सॉफ्टवेयर कि तरह ही, मेटावर्स (metaverse in hindi) को चलाने के लिए हार्डवेयर अनिवार्य है। मित्रों! आप मेटावर्स को किसी भी कम्प्यूटरया स्मार्टफोन के जरिए एक्सेस कर सकते हैं। बशर्ते आपके पास कोई एआर/ वीआर या एमआर को सपोर्ट करने वाले कोई उपकरण जरूर हो। आप लोगों ने अकसर वर्चुअल वर्ल्ड के बारे में सुना होगा। शायद आप में से ज़्यादातर लोगों ने वर्चुअल ग्लासेस (VR) भी देखी होंगी। मित्रों! इन्हीं खास उपकरणों के जरिए ही आप किसी मेटावर्स के अंदर घुस सकते हैं। हालांकि! वीआर ग्लासेस के जरिए आप अभी एक सीमित मेटावर्स कि दुनिया को एक्सप्लोर कर सकते हैं।

Metaverse game.
मेटावर्स के अंदर की गैम। | Credit: Forbes.

खैर! आज के जमाने में वीआर ग्लासेस (Virtual Glasses) काफी महंगे आते हैं। इसलिए वीआर ग्लासेस को सस्ता करने के चक्कर में बाजार में आज अच्छे क्वालिटी के वीआर ग्लासेस उपलब्ध ही नहीं हैं। ये ही वजह है कि, अभी तक मेटावर्स को ज्यादा लोगों ने अनुभव ही नहीं किया है। ग्लासेस को पोर्टवेल और आकर्षक बनाने में कंपनियाँ क्वालिटी में समझौता कर लेती हैं। क्योंकि, एक अच्छे क्वालिटी कि वीआर ग्लासेस काफी बड़ी और वजनदार होती हैं।

खैर अभी के समय में कंपनियाँ मेटावर्स से जुड़े सारे हार्डवेर को उन्नत करने में लगे  हुए है। आशा है कि, हमें जल्द ही काफी सस्ते दामों में अच्छी क्वालिटी के मेटावर्स के हार्डवेर मिल जाए।

निष्कर्ष – Conclusion :-

हर एक चीज़ कि अपनी-अपनी अच्छाइयाँ और बुराइयाँ हैं। मेटावर्स (metaverse in hindi) की भी अपनी अच्छाइयाँ और खामियाँ है। मेटावर्स को इस्तेमाल कर रहें यूजर्स के प्राइवसी को लेकर काफी बड़े सवाल खड़े हुए है। बुद्धिजीवी कहते हैं कि, कंपनियाँ मेटावर्स के चला रहें लोगों कि काफी गोपनीय और व्यक्तिगत डेटा संग्रह कर लेते हैं। मेटावर्स को इस्तेमाल करते वक़्त जो भी उपकरण हम पहनते है, उसी के जरिए ही कंपनी हमारे सारे डेटा को प्रोसेस कर लेती है। इससे यूजर कि पर्सनल प्राइवसी के ऊपर खतरा आने के साथ ही साथ मेटावर्स को काफी संवेदनशील बना देता है।

इसके अलावा मेटावर्स कई लोगों में एक बुरी आदत कि तरह रह जाता है। एक लत की तरह इससे यूजर्स काफी समय तक जुड़ कर अपने मानसिक और शारीरिक अवस्थाओं को और भी ज्यादा खराब कर लेते हैं। एडिक्शन की तरह ये युवा पीढ़ी को काफी ज्यादा प्रभाव कर सकता है। जिससे डिप्रेशन जैसे और कई सारे जानलेवा बीमारियाँ भी लग सकती हैं। इसके अलावा काफी लंबे समय तक वर्चुअल वर्ल्ड को इस्तेमाल करने के कारण, कई लोगों कि असल जिंदगी ही खत्म हो जाती है।

इसके अलावा मेटावर्स के अंदर होने वाले वर्चुअल साइबर क्राइम, किसी को भी काफी चरम कदम उठाने को मजबूर कर सकते हैं। इसलिए हमें ऐसे आधुनिक सेवाओं को इस्तेमाल करते समय काफी सतर्क हो कर रहना चाहिए।

Source :- www.time.com

Bineet Patel

मैं एक उत्साही लेखक हूँ, जिसे विज्ञान के सभी विषय पसंद है, पर मुझे जो खास पसंद है वो है अंतरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान, इसके अलावा मुझे तथ्य और रहस्य उजागर करना भी पसंद है।

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