व्यक्तिगत रूप से मुझे ऐसा लगता है कि, दुनिया में मूल रूप से दो तरह के देश होते हैं। प्रथम श्रेणी में ऐसे देश जो कि हर तरीके से संपन्न होते हैं और अन्य देशों को अपने ताकत के नीचे दबाना चाहते हैं। दूसरे श्रेणी में ऐसे देश हैं जो कि इन पहले श्रेणी वाले देशों के जरिये दबते हैं। अगर आप अखबार पढ़ते हैं व वैश्विक राजनीति में दिलचस्पी रखते होंगे तो आपको पता होगा कि, इस पृथ्वी पर हमेशा से ही सुपरपावर/ महाशक्ति वाले देशों का ही चला हैं। तो, भारत भी क्या एक दिन सुपरपावर बनने की सोच रहा है और इसमें हाइड्रोजन एनर्जी (Hydrogen Energy In Hindi) का क्या किरदार है?
हाइड्रोजन एनर्जी (Hydrogen Energy In Hindi) भारत के लिए एक ऐसा विकल्प बन सकता है, जो कि हमारे देश को कई मुकामों तक पहुंचाने में सक्षम हो सकता है। वैसे आज के जमाने में आपको ऊर्जा के इस स्रोत के बारे में ज्यादा कुछ पढ़ने को या सुनने को नहीं मिलता होगा, क्योंकि ये स्रोत अपने प्रारंभिक चरणों में है। परंतु विज्ञानम पर हम इसी तरीके के ही विज्ञान से जुड़ी अज्ञात और अनसुनी विषयों की चर्चा करते रहते हैं।
तो, हमारे साथ आज के इस लेख में बने रहिए और देखिये कि, आखिर कैसे ऊर्जा का ये नया स्रोत भारत को एक दिन सुपरपावर बना देगा।
विषय - सूची
आखिर हाइड्रोजन एनर्जी क्या है? – What Is Hydrogen Energy? :-
जैसा कि हम हमारे हर एक लेख में करते आ रहे हैं, प्रत्येक विषय को जड़ से जानने के लिए सबसे पहले हम इसके मूलभूत बातों को जानेंगे। इसलिए लेख के शुरुआती भाग में हम हाइड्रोजन एनर्जी (Hydrogen Energy In Hindi) कि संज्ञा और इसके गुणों के बारे में जानने का प्रयास करेंगे। तो, आखिर किसे कहते हैं हाइड्रोजन एनर्जी? हम कैसे जानें कि ऊर्जा का कोई स्रोत हाइड्रोजन एनर्जी का ही है?
सरल भाषा में कहूँ तो, “हाइड्रोजन एनर्जी ऊर्जा का ऐसा स्रोत है जिसमें ऑक्सिजन का उत्सर्जन (Emission) लगभग न के बराबर यानी 0% होता है”। हाइड्रोजन एनर्जी से बना ईंधन ऑक्सिजन के साथ ज़ीरो कार्बन (शून्य कार्बन मात्रा) एमिशन के आधार पर जलता है। पिरियोडिक टेबल में हाइड्रोजन एटम फ़र्स्ट एलिमैंट के तौर पर फ़र्स्ट ग्रुप और पिरियोड में मौजूद रहता हैं। वजन में हवा से भी हल्का होता हैं। बता दूँ कि, हाइड्रोजन गैस का सबसे शुद्ध फॉर्म H2 होता हैं। जब भी हवा (शुद्ध ऑक्सिजन युक्त) में H2 जलता हैं, तब ये ऑक्सिजन (O2) के साथ संपर्क में आ कर ऊर्जा को उत्सर्जित करता हैं।
मित्रों! गौर करने वाली बात ये हैं कि, ऊर्जा के उत्सर्जन होने वाले इस प्रक्रिया में पानी (H2O) भी बनता हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि, पानी बनने के प्रक्रिया में ही हमें ऊर्जा मिल रहा हैं। खैर इस प्रक्रिया को आप नीच दिये गए समीकरण के जरिये भी आसानी से समझ सकते हैं।
2H2 (g) + O2 (g) → 2H2O (g) +ऊर्जा (Energy)
यहाँ 2 हाइड्रोजन के एटम एक ऑक्सिजन एटम के संपर्क में आ कर 2 पानी के मॉलिक्यूल्स को बना रहें हैं और साथ में ऊर्जा का भी उत्सर्जन हो रहा हैं।
हाइड्रोजन ईंधन के बारे में जानकारी! – More About Hydrogen Fuel :-
अब जब हमने हाइड्रोजन एनर्जी (Hydrogen Energy In Hindi) के बारे में मूलभूत बातों को जान ही लिया हैं, तो क्यों न कुछ बात हम हाइड्रोजन ईंधन के गुणों के बारे में भी जान लें। मित्रों! हाइड्रोजन एनर्जी (ऊर्जा के स्रोत) से बनने वाले ईंधन को ही हम हाइड्रोजन ईंधन कहते हैं। जब हाइड्रोजन के एटम्स को शुद्ध ऑक्सिजन के बदले साधारण वातावरण (हवा) में जलाया जाता हैं तब ये ऑक्सिजन के साथ रियेक्ट न करके हवा में मौजूद अन्य एटम्स के साथ रियेक्ट कर लेता हैं।
मित्रों! इसीलिए इस रिएक्शन के तुरंत बाद हमें नाइट्रोजेन ऑक्साइड्स और वॉटर वैपर देखने को मिलता हैं। हालांकि! इस रिएक्शन के बाद भी एनर्जी निकलता हैं; जिसे कि हम “हाइड्रोजन फ्युल” के नाम से भी जानते हैं। वैसे इस ऊर्जा को हम इलैक्ट्रोकैमिकल सेल में हाइ एफ़्फ़ीसियंसी के साथ इस्तेमाल भी कर सकते हैं। अगर हम इस ऊर्जा को साधारण तरीके से इस्तेमाल करेंगे तो, “थर्मोडाइनामिक्स” के चलते इसकी एफ़्फ़ीसियंसी काफी काम हो जाएगा। इसलिए हमें हर बार ये कोशिश करना होगा कि, कैसे ऊर्जा का क्षय काफी कम हो।
आमतौर पर हाइड्रोजन को ऊर्जा के कैरियर के तौर पर देखा जाता हैं, जैसे कि इलैक्ट्रीसिटी। दोस्तों! ऊर्जा उसके स्रोत से ही बनता हैं और हाइड्रोजन तथा इलैक्ट्रीसिटी ऊर्जा के वाहक हैं। इन्हें हम सटीक तौर पर ऊर्जा नहीं कह सकते हैं, क्योंकि ऊर्जा के स्रोत ये नहीं है और न ही इनसे कोई ऊर्जा बन रहा हैं। पारंपरिक तौर से हाइड्रोजन के उत्पादन से वातावरण को भी काफी ज्यादा नुकसान पहुँच सकता हैं। हालांकि ये पृथ्वी के 20% CO2 उत्सर्जन को भी कम कर सकता हैं।
कृत्रिम रूप से हाइड्रोजन एनर्जि को कैसे बनाया जाता हैं? – Industrial Production Of Hydrogen Energy :-
इंसान अपने हितों के लिए कुछ भी कर सकता हैं। प्राकृतिक रूप से बनने वाले हाइड्रोजन एनर्जी (Hydrogen Energy In Hindi) के ऊपर अगर हम भरोसा करने लगे तो, शायद ही कभी हम ऊर्जा के इस नए स्रोत का इस्तेमाल व्यापक रूप से कर पाते। इसी कारण के लिए हमने उद्योगिक स्तर पर हाइड्रोजन एनर्जी को बनाने का सोचा और हमने ऐसा किया भी। पृथ्वी पर शुद्ध हाइड्रोजन एटम व्यापक रूप से मौजूद नहीं हैं।
इसलिए हाइड्रोजन एनर्जी के उत्पादन के लिए हमें एक प्राइमरी ऊर्जा कि जरूरत पड़ी। अब तक हमने मिथेन और पानी के इलैक्ट्रोलाइसिस के जरिये हाइड्रोजन एनर्जी को बनाया हैं। हालांकि! चौंका देने वाली बात ये हैं कि, 2020 तक (अब तक बने हाइड्रोजन एनर्जि का 95%) हमने जीवाश्म ईंधन के मदद से मिथेन और कोयले के पार्शियल ओक्सीडैशन के जरिये ही हाइड्रोजन एनर्जी को निकाला हैं। बहुत ही कम मात्रा में हम पानी के इलैक्ट्रोलाइसिस के माध्यम से हाइड्रोजन एनर्जी को निकालने में सक्षम रहें हैं।
वैसे आज भी हम हाइड्रोजन एनर्जी के उत्पादन कि प्रक्रिया को समझ रहें हैं। ताकि आने वाले समय में हम इस प्रक्रिया को व्यापक रूप से इस्तेमाल कर पाएँ। खैर वर्तमान के समय में दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोजन एनर्जी उत्पादन करने वाला प्लांट “Fukushima Hydrogen Energy Research Field (FH2R)” है। जापान के फुकुशिमा राज्य में मौजूद इस प्लांट को 7 मार्च, 2020 को खोला गया था। ये एक 10 MW- हाइड्रोजन प्रॉडक्शन यूनिट हैं। यहाँ पर पानी के इलैक्ट्रोलाइसिस के जरिये हाइड्रोजन एनर्जी निकाला जाता है।
हाइड्रोजन एनर्जी का इस्तेमाल कहाँ-कहाँ होता हैं? – Uses Of Hydrogen Energy! :-
मित्रों! चलिये अब एक नजर हाइड्रोजेन एनर्जी (Hydrogen Energy In Hindi) के इस्तेमाल के बारे में डाल लेते हैं।
खास तौर पर हाइड्रोजन एनर्जी को किसी भी वाहन में इस्तेमाल किया जा सकता हैं। बस, कार, ट्रक, बोट, ट्रैन, रॉकेट और प्लैन इन सारे वाहनों में हम हाइड्रोजन एनर्जी को इस्तेमाल कर सकते हैं। हाइड्रोजन फ्युल को इन वाहनों के मोटर में उपयोग कर के इन्हें हम आसानी से ऑपरेट कर सकते हैं, जैसे कि किसी पैट्रोल या डीजल से चलने वाली कार को ऑपरेट करते हैं। हालांकि! इन्हें कार में इस्तेमाल करना उतना भी आसान नहीं है, क्योंकि इसको इस्तेमाल करने के वक़्त काफी सारी दिक्कतें आती हैं।
वैसे सबसे पहली दिक्कत इन्हें स्टोर करने में है। इन्हें सिर्फ हाइ प्रेसर या क्रायोजेनिक टैंक में ही स्टोर किया जा सकता हैं, जो कि एक काफी जटिल प्रोसेस हैं। इसके अलावा हाइड्रोजन एनर्जी के बनने वाले फ्युल सेल बिजली उत्पादन के काम में भी आ सकता हैं। इस प्रक्रिया में कम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के साथ ही काफी कम शोर भी होगा। मित्रों! हाइड्रोजन फ्युल सेल ऊर्जा को संगृहीत करके रखने में काफी ज्यादा सक्षम होता हैं।
इससे ऊर्जा के ट्रांस्फर के वक़्त क्षय काफी कम होता हैं और बिजली कि उत्पादन खर्च काफी ज्यादा कम हो जाता हैं। डीजल या पैट्रोल इंजन के मुक़ाबले हाइड्रोजन एनर्जी से चलने वाले इंजन काफी ज्यादा कम कीमत के होते हैं और साथ में काफी ज्यादा एफ़्फ़ीसीयंट भी। इसलिए इन्हें इस्तेमाल करने में हमारा काफी ज्यादा फायदा हैं। हम हाइड्रोजन एनर्जी को इस्तेमाल कर के काफी सक्षम बैटरिस भी बना सकते हैं।
हाइड्रोजन एनर्जी आखिर कितनी सक्षम है? – Efficiency Of Hydrogen Energy! :-
कई लोगों के मन में ये सवाल आ रहा होगा कि, क्या हाइड्रोजन एनर्जी (hydrogen energy in india) आज के समय इस्तेमाल हो रहे जीवाश्म ईंधन जैसे पारंपरिक ईंधनों को टक्कर दे सकता हैं? क्या ये इन इंधनों कि जगह ले सकता हैं? आखिर ये ऊर्जा का नया स्रोत कितना सक्षम हैं? तो, चलिये मित्रों आपके इन्हीं सवालों के जवाबों को लेख के इस भाग में ढूंढते हैं।
बता दूँ कि, हाइड्रोजन फ्युल सेल सीधे तरीके से कैमिकल एनर्जी माने हाइड्रोजन को ऊर्जा और उपयोगी ताप में परिवर्तित करता है। ये सेल प्रदूषण रहित होने के साथ ही साथ पारंपरिक ऊर्जा के स्रोतों से लगभग 3 से 4 गुना ज्यादा सक्षम है। पारंपरिक आधारों पर बना एक पावर प्लांट 33% से 35% कि सक्षमता दर से काम करता है, परंतु एक हाइड्रोजन एनर्जी सेल के आधार पर बना प्लांट लगभग 60% कि सक्षमता दर से काम कर सकता हैं। वैसे ये दर और भी अधिक हो सकते हैं।
गैसोलीन से चलने वाले इंजन कि सक्षमता दर 20% से भी कम होता हैं, परंतु हाइड्रोजन फ्युल सेल से चलने वाले इंजन का सक्षमता दर 40% से 60% तक होता हैं। तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि, एक हाइड्रोजन एनर्जी से चलने वाला उपकरण कितना अधिक सक्षम होगा। ये उपकरण न बल्कि बहू-उपयोगी होगा परंतु इसे चलाने में हमें काफी कम खर्च करना पड़ेगा। शोध से पता चलता है कि, हाइड्रोजन फ्युल सेल से चलने वाले उपकरण 50% तक ईंधन कि खपत को कम कर देते हैं।
हाइड्रोजन एनर्जी का भविष्य कैसा है? – Future Of Hydrogen Energy! :-
वर्तमान के समय को ही देख कर आप किसी भी चीज़ के भविष्य का अंदाजा लगा सकते हैं। हमने अब तक इस लेख में हाइड्रोजन फ्युल सेल (hydrogen energy in india) के बारे में काफी कुछ जान लिया हैं। परंतु, अभी तक इसके भविष्य के बारे में नहीं जाना हैं। किसी भी चीज़ के भविष्य को देख कर ही उसके सफलता का रास्ता निर्धारित किया जाता हैं।
बढ़ते जीवाश्म ईंधन कि खपत और वातावरण में आ रहे भयानक बदलाव को देखते हुए, 2015 में दुनिया के 196 देशों ने इस पर गहन चिंता जताया था। आने वाले 30 सालों में इंसानों द्वारा ईंधन कि खपत लगभग 50% से भी ज्यादा हो जाएगा और उस समय परिवेश कि हालत भी काफी खराब हो चुकी होगी (अगर ऐसे ही जीवाश्म ईंधन कि खपत चलता रहा तो)। साल 2040 तक हमारे द्वारा जीवाश्म ईंधन कि खपत काफी ज्यादा बढ़ जाएगा और उस समय दुनिया कि कुल ईंधन खपत का 50% हिस्सा जीवाश्म ईंधन का ही होगा।
परंतु जैसे ही साल 2040 बीतेगा, धीरे-धीरे जीवाश्म ईंधन के स्रोतों का क्षय भी होने लगेगा। तब हमें ऊर्जा के लिए एक नए स्रोत जैसे हाइड्रोजन एनर्जी कि जरूरत पड़ेगी। अनुमान के हिसाब से 2019 के मुक़ाबले साल 2041 में हमारे द्वारा हाइड्रोजन एनर्जी का उत्पादन दर लगभग 20 गुना ज्यादा हो जाएगा। इस समय जीवाश्म इंधनों का उत्पादन 40% से 60% तक कम हो चुका होगा। जर्मनी जैसे देश हाइड्रोजन एनर्जी में अपना भविष्य देख रहें हैं।
वे इसे स्टील के उत्पादन में इस्तेमाल करना चाहते हैं।
क्या हाइड्रोजन एनर्जी के जरिये भारत बनेगा महाशक्ति (सुपरपावर)? – Hydrogen Energy In India :-
भारत सरकार कि “नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय” हाइड्रोजन ऊर्जा कि रिसर्च के लिए काफी ज्यादा उत्साह और प्रयास कर रहा हैं। आईआईटी दिल्ली, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसे संस्थाएं ऊर्जा के इस नए स्रोत के क्षेत्र में काफी ज्यादा काम कर रहें हैं। अभी तक उच्चकोटी वाले इन संस्थाओं के द्वारा कम्बस्चन इंजन, दो-चक्की वाहन, तीन-चक्की वाहन, मिनी बसेस आदि हाइड्रोजन फ्युल सेल के द्वारा चलाई जा चुकी हैं और आने वाले समय में और भी कई हैरान कर देने वाली चीजों को बनाया जाएगा।
फरीदाबाद और गुरुग्राम के अंदर दो हाइड्रोजन फ्युल रीफिलिंग स्टेशनों को भी लगाया गया हैं, जिससे हाइड्रोजन फ्युल से चलने वाले वाहनों को आसानी से रीफिल किया जा सके। हाल ही में रिलाएंस ग्रुप ने (24 जून को) 10 अरब डॉलर कि हाइड्रोजन एनर्जि वाले प्रोजेक्ट पर खर्च करने का ऐलान किया हैं। अडानी ग्रुप ने भी इटली के एक कंपनी के साथ मिलकर भारत में हाइड्रोजन एनर्जी वाले प्लांट खोलने में उत्सुक हैं। एक अनुमान के आधार पर पता चलता हैं कि, 2030 तक भारत में लगभग 44 अरब डॉलर कि हाइड्रोजन एनर्जी कि खपत होने लगेगी।
इसके अलावा 2030 तक भारत के उद्योगिकी, माइनिंग, एविएशन में इस्तेमाल होने वाले ईंधन में, स्टील बनाने में भी हाइड्रोजन एनर्जी कि भूमिका काफी ज्यादा गुरुत्वपूर्ण हो जाएगी। इसके अलावा भारत के पास आने वाले समय में हाइड्रोजन एनर्जी के इतने प्लांट्स हो जाएंगे कि, वो कई देशों को हयड्रोजेन एनर्जी निर्यात भी कर पाएगा। तो, आप कह सकते हैं कि इस नए एनर्जी के स्रोत में भारत को सुपरपावर बनाने कि काफी ज्यादा काबिलीयत हैं।
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