हम लोगों ने चाँद तक का सफर तो 16 जुलाई 1969 में ही तय कर लिया था, परंतु आखिर कब हम मंगल तक का सफर शुरू भी करेंगे? मित्रों! ये जो सवाल है न ये कई सारे लोगों के मन में हमेशा से आ रहा होगा और गज़ब की बात तो ये है की, मुझे भी यही सवाल कई दिनों से मेरे मन में भी आ रहा है। तो क्यों न इसी मंगल मिशन (manned mars mission in hindi) के बारे में आज कुछ चर्चा किया जाए। क्या कहते हैं? करें! चलिये फिर आज इसी के बारे में ही बात कर लेते हैं।
वैसे आगे बढ्ने से पहले बता दूँ की, आगे आपको इस लेख में ऐसी वजहों के बारे में जानने को मिलेगा जो की इंसानों को मंगल (manned mars mission in hindi) पर उतरने से रोक रहीं है। इसलिए अगर आपको जानना है की, आखिर हम क्यों मंगल पर जा नहीं पा रहें है तो ये लेख आपके लिए बहुत ही विशेष होने वाला है।
मित्रों! और एक बात पर गौर करेंगे की, मैंने आगे जीतने भी वजहों को आप लोगों को बताया है ये मेरे अपने व्यक्तिगत दृष्टिकोण तथा कई सारे रिपोर्ट के तथ्यों पर आधारित है। इसलिए हर एक विंदु में मैंने अपने विचारों को रखा है।
विषय - सूची
मंगल पर उतरना इंसानों के लिए आखिर कठिन क्यों है? – Why There Is No Manned Mars Mission In Hindi :-
खैर लेख के इस भाग में आप लोगों को कई सारे वजहों के बारे में पता चलेगा जो की हमें मंगल पर (manned mars mission in hindi) उतरने से रोक रहा है। तो, चलिये अब उन वजहों को जानते है!
1. जोखिमों से घिरा हुआ है मंगल पर उतरना, जीवन के ऊपर होता है खतरा! :-
अंतरिक्ष में यात्रा करके मंगल तक सफर करना ही अपने-आप में एक बड़ी बात है। वैसे बता दूँ की, नासा जैसी संस्था भी मंगल पर अपने प्रोब को कई सारे प्रयासों के बाद ही सफलता पूर्वक उतारने में सक्षम हुई थी। तो, इंसानों को यहाँ उतरना बहुत ही जोखिमों से भरा हुआ काम है।
हमेशा से ही अंतरिक्ष में किसी भी मिशन को सफलता पूर्वक अंजाम देना एक बहुत ही चुनौती पूर्ण काम रहा है। आप लोगों ने पिछले साल चंद्रयान-2 के बारे में देखा ही होगा। हालांकि! ये मिशन 90% सफल भी हुआ था परंतु हम अपने लैंडर को उतारने में नाकाम भी रहें थे। तो, आप अंदाजा लगा सकते हैं की किसी इंसानों से भरे स्पेसक्राफ्ट को मंगल के सतह में उतरना कितना कठिन है। एक चूक हुई की नहीं सब बिगड़ सकता है।
3. मंगल पर होता है हड्डियों तक जमा देने वाली ठंड :-
मित्रों! बता दूँ की, मंगल (manned mars mission in hindi) का अपना कोई वायुमंडल नहीं है। इसलिए मंगल का सतह ताप को अपने अंदर संगृहीत करके नहीं रख पाता जिससे इसका तापमान बहुत ही ज्यादा ठंडा हो जाता है। मंगल के सतह का औसतन तापमान लगभग -60 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है। हालांकि कुछ वैज्ञानिक ये भी कहते है की, मंगल पर वायुमंडल है परंतु वो पृथ्वी के वायुमंडल के तुलना में 100 गुना ज्यादा पतला है।
ध्यान रखेंगे की, पृथ्वी के ही तरह ही मंगल के ध्रुवीय इलाकों में तापमान लगभग -125 डिग्री सेल्सियस तक भी पहुँच जाता है। तो, आप अंदाजा लगाइए की इस वातावरण में इंसानों का रहना कितना कठिन होगा।
4.मंगल पर इंसानों को भेजना है बहुत ही महंगा, लागत हो सकता है लगभग 75 हजार करोड़ रूपय! :-
क्या आप जानते हैं, अंतरिक्ष में किसी भी एक किलो वजनी चीज़ को भेजने के लिए कितना खर्च आता है? नहीं तो जान लीजिए, अंतरिक्ष में किसी भी एक किलो वजनी चीज़ को भेजने के लिए लगभग 14 लाख रूपय लगते है। ठीक इस तरह हम अगर इंसान युक्त मंगल मिशन की लागत को देखें तो ये लगभग 75 हजार करोड़ रूपय तक पहुँच जाता है।
जो की, एक हिसाब से किसी भी देश के लिए महंगा है। ऊपर से वो मिशन सफल होगा य नहीं उसका भी कोई सटीक अनुमान नहीं है।
4. ऑक्सिजन की होगी बहुत कमी :-
एक इंसान बिना खाना खाये लगभग 21 से 22 दिनों तक तथा बिना पानी के 4 दिनों तक जीवित रह सकता है। परंतु, ऑक्सिजन के बारे में क्या? बिना ऑक्सिजन के हम कितने समय तक जीवित रहेंगे। मुश्किल से 1 या डेढ़ मिनट, अच्छा ज्यादा से ज्यादा हो कर भी 4 से 5 मिनट के अंदर हम बेहोश हो कर दम तोड़ देंगे।
ऐसे में मंगल पर जो भी वायुमंडल है उसमें भी कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बहुत ही ज्यादा है। इसी वजह से हमें एक ऐसी उपकरण की जरूरत है जो की इसी कार्बन डाइऑक्साइड को ऑक्सिजन में परिवर्तित कर सके। नहीं तो वहाँ जाने के कुछ दिनों के अंदर ही हम दम तोड़ देंगे।
5. मंगल तक जाने के लिए हमारे पास अभी कोई रॉकेट ही नहीं है! :-
अभी तक हमारे पास ऐसा कोई रॉकेट नहीं है जो की इतना शक्तिशाली हो की वो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल को लांघ कर अंतरिक्ष में एक बहुत बड़े आकार के अंतरिक्ष यान को मंगल तक पहुंचा पाए। अभी तक हम अधिक से अधिक 4,500 टन वजनी उपकरणों को अंतरिक्ष में पहुंचाने के सक्षम हुए हैं जो की, 100 प्रयासों के बाद ही सफल हुआ है। तो, इंसान युक्त मंगल के मिशन (manned mars mission in hindi) में लगने वाला अंतरिक्ष यान तथा इसके उपकरण इससे भी कई अधिक भारी हो सकते हैं और इसके लिए हमें एक बहुत ही ताकतवर रॉकेट ही जरूरत है।
वैसे इतनी शक्तिशाली रॉकेट शायद हमें जल्द ही मिल जाएगा, क्योंकि नासा और स्पेस-एक्स (SpaceX) भी इसके ऊपर में काफी दिनों से तत्परता के साथ काम कर रहें है।
6. ईंधन को बेहतर तरीके से संगृहीत करके रखने वाली तकनीक की कमी :-
मित्रों! बिना ईंधन को तो कोई भी यान काम नहीं करता। अंतरिक्ष यान को उड़ान भरने के लिए भी भारी मात्रा में ईंधन की जरूरत होगी, परंतु इसको संगृहीत कर के यान के अंदर कैसे रखा जाए और वो भी मंगल तक। बता दूँ की, पृथ्वी से मंगल तक की दूरी लगभग 8.1 करोड़ किलोमीटर है और ये कोई कम दूरी नहीं है।
किसी भी अंतरिक्ष यान को चलने के लिए लिक्युइड हाइड्रोजन और ऑक्सिजन की जरूरत पड़ती है और वो भी बहुत ही भारी मात्र में। अंतरिक्ष यान के कुल वजन में से लगभग 80% हिस्सा सिर्फ और सिर्फ ईंधन का वजन ही होता है और लिकुइड हाइड्रोजन जो है वो काफी मात्रा में ज्वलनशील होता है। इसलिए मंगल तक पहुँचने के लिए लगने वाले (बहुत ही भारी मात्रा में) ईंधन को एक सुरक्षित ढंग से संगृहीत कर के रखना बहुत ही जरूरी है और ऐसी तकनीक अब तक हमारे पास नहीं है।
7. माइक्रोग्रेविटी और रेडिएशन का खतरा :-
अंतरिक्ष में हमेशा रेडिएशन और चार्जड पार्टिकल से खतरा रहता ही है। रेडिएशन सीधे तरीके से इंसानी शरीर पर अपना कुप्रभाव दिखा कर उसे केंसर जैसी बीमारी से पीड़ित भी कर सकता है। इसलिए हमें एक ऐसी तकनीक की जरूरत है जो की, मंगल तक जाने वाले अंतरिक्ष यान को इस खतरनाक रेडिएशन से बचा सके। ‘
इसके अलावा माइक्रोगेवीटि का भी खतरा कुछ कम नहीं है। सिर्फ कुछ महीनों में माइक्रोग्रेविटी का असर अंतरिक्ष यात्रियों के ऊपर दिखाई देता है। माइक्रोग्रेविटी कारण हड्डियाँ कमजोर हो जाना, मांसपेशियां विघटित होना, त्वचा पर झुर्रियां आना तथा ओप्टिक नर्व में परेशानी दिखाई देना आदि आम बात है। इसलिए लगभग एक साल लंबे इस मानव युक्त मंगल मिशन में इन सब चीजों को भी नजरंदाज बिलकुल भी नहीं किया जा सकता।
8. खतरनाक वायरस का डर कर रहा है वैज्ञानिकों को चिंतित! :-
अगर आपने हॉलीवुड का “Life” नहीं देखा है, तो मेँ कहूँगा की उस फिल्म को एक बार अवश्य ही देखिए। उसमें एक परग्रही जीव कैसे अंतरिक्ष से आकार पूरे मानव जाती के लिए खतरा बन गया था उसके बारे में दिखाया गया है। खैर अब असल मुद्दे पर आते है, वैज्ञानिकों को लगता है की कई हजारों साल पहले मंगल पर जीवन मौजूद था।
ये जीवन आज भी मंगल पर सुप्त अवस्था पर मौजूद हैं, तो अगर हम इंसानों को मंगल के अनछुए तथा अनजान इलाकों में भेजते हैं तो कौन जंता है की वहाँ कौन सी वायरस या जीव उनके इंतेजार में हो। बता दूँ की, जब इंसानों को अपोलो मिशनों के तहत चांद पर भेजा जाता था तब भी उन्हें पृथ्वी पर पहुँचने के बाद 14 दिनों के लिए क्वारंटिन करके रखा जाता था। ताकि इस बात की पुष्टि मिल सके की, वो लोग बाहर अंतरिक्ष से कोई अनजान बीमारी तो लेकर नहीं आए है। हालांकि! बाद में पता चला की चांद वायरस रहित जगह है।
ऐसे में दोस्तों मंगल के मिशन के दौरान कुछ भी हो सकता है और ऊपर लिखित वजहों के कारण ही हम अभी तक इंसानों को मंगल तक भेजने में सक्षम नहीं हो पाए है।
Source :- www.wired.co.uk, www.mars-one.com, www.slashgear.com.