लगभग 80% से ज्यादा , आसमान में दिखने वाले प्रकाश के स्त्रोत, असलियत में 2, या उससे अधिक तारे होते हैं , जो अपने बीच मौजूद , center of mass के आसपास orbit करते हैं | इनमें से आधे से ज्यादा तो binary star systems ही होते हैं , जहां 2 stars यानी तारे, अपने barycenter के आसपास orbit में travel करते हैं | इसका एक उदाहरण हमें (Kepler -34 System) से मिलता है |
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केप्लर टेलिस्कोप ने खोजे 2 तारे वाले ग्रह ( Circumbinary Planet Systems)
आमतौर पर planetary systems में, एक star के आसपास ही हमें planets orbit करते हुए मिलते हैं , पर Circumbinary planet systems में एक या उससे ज्यादा ग्रह, यानी planets , आपको 2 stars के आसपास orbit करते हुए भी मिल सकते हैं | यानी एक की जगह इस system में , अब 2 stars के आसपास planets orbit कर रहे होंगे |
वैज्ञानिकों ने Kepler Telescope द्वारा पता किया , Kepler-34 system , जहां Kepler-34b planet , 2 stars, जिनका mass लगभग हमारे sun के बराबर ही है , उनके around orbit करता है | kepler 34 b , एक gas giant planet है , जिसका mass, jupiter के mass का 20% है , और इस planet को , एक revolution complete करने में , लगभग 288 दिन लगते हैं |
हालांकि , वैज्ञानिकों और भी ऐसे कई Circumbinary planet systems खोजे हैं , जो इस बात को confirm करते हैं कि solar system जैसे planetary systems के अलावा हमारे आसपास 2 या उससे अधिक stars वाले भी systems मौजूद हैं |
सूर्य कभी अकेला नहीं था
2017 की एक study में वैज्ञानिकों ने इस बात का जिक्र किया , कि हमारे सूर्य की तरह ही लगभग सभी stars, अपने formation के time पर binary star systems का ही हिस्सा थे | वैज्ञानिकों ने उस दौरान , Nemesis Star Theory दी |
यहाँ इस fact को mention किया गया कि , लगभग साढ़े 4 अरब साल पहले , सूर्य के साथ ही Nemesis नामक , एक brown dwarf star भी form हुआ था , जो शुरुआत के समय में ही सूर्य के दूर होने के कारण, Milki way galaxy में ही लुप्त हो गया | हालांकि अभी तक ऐसा कोई भी सबूत नहीं मिला है , जो इस theory को सच साबित कर सके और अभी तक एक ये एक hypothesis ही है |
बहराल , वैज्ञानिकों का मानना है कि binary star systems में भी हमारी पृथ्वी exist कर सकती थी | पर अब सोचने वाली बात ये है , कि अगर ऐसी situation होती , यानी कि हमारे solar system में , एक की जगह अगर 2 सूर्य होते , तो क्या होता ? 2 सूर्य होने की वजह से , इसका पृथ्वी पर क्या असर पड़ता , और सौर मंडल की क्या स्थिति होती ? चलिए पता लगाते हैं !
सभी ग्रहों की कक्षा (Orbit) हो जाएगी तहस नहस
सौर मंडल की मौजूदा स्थिति, यानी current position को लेकर चलें , तो ऐसे में 2 सूर्यों का कहीं भी होना , भारी मात्रा में instability यानी अस्थिरता पैदा कर सकता है , जहां सभी planets के orbits आपस में मिल सकते हैं , और टकराव की संभावना भी बढ़ सकती है |
ऐसा इसलिए, क्योंकि ऐसे स्थिति में solar system का center of mass कहीं भी shift हो सकता है , जो सभी planets के orbital motion को प्रभावित कर देगा |
पर इसका मतलब ये नहीं है कि किसी महाविनाश का होना तय है | Binary star systems में भी habitable zones मौजूद होते हैं , जहां काफी हद तक systems stable भी होते हैं | पृथ्वी के लिए , कुछ विशेष स्थितियों में ही जीवित रहना संभव हो पाएगा |
अगर दूसरे सूर्य का आकार , हमारे पहले सूर्य से अधिक होगा , तो गुरुत्वाकर्षण के कारण हमारी पृथ्वी का धीरे धीरे उस सूर्य के पास जाना निश्चित हो जाएगा , जो बिलकुल भी अच्छी खबर नहीं होगी |
सौरमंडल में 2 सूर्य होने की वजह से ,2 संभावनाएं हो सकती हैं –
पहली संभावना ये है कि , पृथ्वी किसी एक सूर्य के आसपास orbit कर रही हो , और दूसरा सूर्य काफी दूर से , पहले सूर्य के आसपास orbit कर रहा हो | इस तरह की स्थिति होना पृथ्वी पर मौजूद जीवन के लिए बेहद खतरनाक साबित होगा,क्योंकि एक समय पर हमारी पृथ्वी दोनों सूर्यों के बीच मौजूद होगी |
इसका परिणाम ये होगा कि रात के मुकाबले हमें दिन ज्यादा देखने को मिलेंगे , और UV radiations के साथ साथ पृथ्वी का तापमान भी काफी बढ़ जाएगा , जो हम इंसानों को भारी मुसीबत में भी डाल सकता है | हमारी पृथ्वी का orbital motion तो बिगड़ेगा ही , साथ ही उस स्थिति में मौसम भी पूरी तरह से बदल जाएगा |
कुल मिलाकर देखें , तो इस अवस्था में पृथ्वी पर जीवन लगभग असंभव ही साबित होगा |
दूसरी संभावना ये है , कि दोनों ही सूर्य binary star system की तरह ही , एक दूसरे को ऑर्बिट कर रहे हों , और पृथ्वी उन दोनों सूर्यों के आसपास orbit कर रही हो | ऐसी स्थिति में, कुछ हद तक पृथ्वी पर जीवन बने रहने की संभावना जरूर होगी |
अगर दोनों सूर्यों के बीच की दूरी काफी कम होगी , तभी हमारी पृथ्वी उनसे निश्चित दूरी पर होने के साथ ही ,habitable zone में रह पाएगी , वरना स्थिर होने के कारण , हम दोनों सूर्यों से काफी दूर हो सकते हैं , जहां हमारी पृथ्वी किसी बर्फ के गोले से कम नजर नहीं आएगी , यानी ऐसी स्थिति में जीवन कहीं भी नहीं मिलेगा |
Calculations को ध्यान में रखकर बात करें , तो अगर दोनों सूर्यों की luminosity यानी brightness को बराबर रखा जाए, तो दोनों सूर्यों का mass यानी भार , हमारे सूर्य से लगभग 1.7 गुना ज्यादा होगा | यानी सभी planets पर लगने वाली gravitational force काफी हद तक बढ़ जाएगी |
जीवन संभव है, अगर ये हो जाए
वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर पृथ्वी की दूरी , उन दोनों सूर्यों के बीच की दूरी का 4 गुना होगी , तो ऐसे में हमारी पृथ्वी महज कुछ बदलावों के साथ , stable orbit में travel कर पाएगी | अगर सभी planets को इन दोनों सूर्यों के आसपास , stable रहना होगा , तो सूर्यों के बीच की दूरी , 15 million kilometers से कम होनी चाहिए |
Gravitational increase की वजह से , पृथ्वी को एक complete revolution के लिए लगभग 280 दिन लगेंगे , यानी कि 280 दिनों में एक साल पूरा हो चूका होगा |
अगर दोनों सूर्यों के बीच की दूरी को और कम कर दिया जाए , तो दोनों को एक दूसरे के आसपास orbit complete करने में 10 दिन का समय लग सकता है | यानी हर 5 दिन के बाद , एक सूर्य दूसरे सूर्य के ठीक सामने होगा | पृथ्वी से देखने पर ये किसी solar eclipse यानि सूर्य ग्रहण जैसे ही दिखाई देगा , जो लगभग 6 घन्टे तक मौजूद रह सकता है | ये सब कुछ ,देखने में काफी अजीब सा लगेगा !
हालंकि ऐसी स्थिति में जीवन कुछ हद तो जरूर रहेगा , पर इन conditions में हमारे planet पर day/night cycles बिलकुल बदल जाएंगी, जहां रात के मुकाबले दिन काफी लम्बे नजर आएँगे |
सूर्योदय और सूर्यास्त , एकदम अलग नजर आएँगे और हो सकता है कि मौसम में काफी तेजी से बदलाव भी होने लगे | लम्बे समय के दौरान , पृथ्वी का तापमान काफी बढ़ चूका होगा और surface भी काफी ज्यादा heat trap करना शुरू देगा , सीधा असर हमारे समुद्रों पर देखने को मिलेगा !
यानी अंत में, पृथ्वी पर तो जीवन लगभग असंभव ही होगा !