क्या आपने कभी सोचा है कि इंटरनेट और भी तेज़ हो सकता है? वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे हम बहुत जल्दी इंटरनेट का इस्तेमाल कर पाएंगे। उन्होंने हवा में डेटा भेजने का एक नया रिकॉर्ड बनाया है!
यूनिवर्सिटी कॉलेज, लन्दन (UCL) के वैज्ञानिकों ने हवा में 938 गीगाबिट प्रति सेकंड (Gbps) की रफ्तार से डेटा भेजकर वायरलेस ट्रांसमिशन का नया रिकॉर्ड बनाया है। यह स्पीड इतनी तेज है कि इससे 30 GB की 4K अल्ट्रा HD मूवी केवल 0.26 सेकंड में डाउनलोड की जा सकती है!
5G से कितनी तेज है यह स्पीड?
भारत में 5G नेटवर्क की औसत गति 301 Mbps के बीच होती है, जिससे 30 GB की 4K अल्ट्रा HD मूवी डाउनलोड करने में 15 मिनट का समय लगता है।
वहीं, UK में, जहाँ यह शोध हुआ, 5G की औसत गति केवल 100 Mbps है। इसका मतलब यह है कि वैज्ञानिकों की ये नई तकनीक इससे 9,380 गुना तेज है। यह नई स्पीड 1 टेराबिट प्रति सेकंड (Tbps) के करीब है, जो इंटरनेट की दुनिया में क्रांति ला सकती है।
विषय - सूची
यह नई स्पीड कैसे हासिल हुई?
वैज्ञानिकों ने पहली बार रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) और ऑप्टिकल तकनीक को मिलाया। इससे वे 150 गीगाहर्ट्ज़ (GHz) तक की फ्रीक्वेंसी पर डेटा भेजने में सक्षम हुए। इस तकनीक के बारे में अक्टूबर 15 को The Journal of Lightwave Technology में प्रकाशित हुई स्टडी में आप और ज्यादा जान सकते हैं।
मौजूदा 5G नेटवर्क की सीमाएँ
- 5G नेटवर्क मुख्य रूप से 6 GHz से कम फ्रीक्वेंसी पर काम करता है। लेकिन इन बैंड्स में भीड़ के कारण नेटवर्क की स्पीड कम हो जाती है।
- 5G की अधिकतम संभावित गति 20 Gbps है, लेकिन असल में इतना तेज कनेक्शन मिलना मुश्किल होता है।
भविष्य में 6G कैसे मदद करेगा?
आने वाले 6G नेटवर्क में ऊँची फ्रीक्वेंसी का उपयोग होगा, जो 5G से कई गुना तेज इंटरनेट स्पीड देगा।
- ग्लोबल मोबाइल सप्लायर्स एसोसिएशन (GSA) के अनुसार 6G में 7 से 24 GHz के “अपर मिड-बैंड” और 90 से 300 GHz के “सब-टेराहर्ट्ज़ बैंड्स” का इस्तेमाल किया जाएगा।
- इन बैंड्स का उपयोग बड़े पैमाने पर डेटा को बिना रुकावट के तेजी से भेजने के लिए किया जाएगा।
नई तकनीक: हाई-स्पीड इलेक्ट्रॉनिक्स + मिलीमीटर-वेव फोटोनिक्स
वैज्ञानिकों ने दो अलग-अलग तकनीकों को मिलाया – हाई-स्पीड इलेक्ट्रॉनिक्स और मिलीमीटर-वेव फोटोनिक्स।
- इलेक्ट्रॉनिक जनरेटर ने 5 से 75 GHz रेंज में डेटा भेजा।
- फोटोनिक सिग्नल जनरेटर ने 75 से 150 GHz बैंड में काम किया।
इस संयुक्त प्रणाली ने कुल 145 GHz की बैंडविड्थ पर काम किया, जो पिछली तकनीकों की तुलना में 5 गुना ज्यादा है।
फोटोनिक्स तकनीक में प्रकाश का उपयोग करके मिलीमीटर-वेव रेडियो सिग्नल उत्पन्न किए जाते हैं। इस हाइब्रिड सिस्टम ने डेटा को तेजी से और बिना रुकावट के भेजने में मदद की, जिससे वायरलेस नेटवर्क की क्षमता कई गुना बढ़ गई।
यह भी जानें – दुनिया में आ चुका है 6G – 6G Hit 100 Gbps!
भीड़भाड़ वाले स्थानों में नेटवर्क ट्रैफिक से मिलेगी राहत
यह नई तकनीक भीड़भाड़ वाले स्थानों में टावरों से तेज वायरलेस सिग्नल भेजने में मदद कर सकती है। इससे लोग आसानी से हाई-स्पीड 5G (और भविष्य में 6G) नेटवर्क का उपयोग कर सकेंगे।
- बड़े कंसर्ट, स्टेडियम या त्योहारों में जहाँ नेटवर्क अक्सर धीमा पड़ जाता है, यह तकनीक बिना रुकावट के तेज इंटरनेट उपलब्ध कराएगी।
- नेटवर्क का ट्रैफिक कम होगा, और अधिक लोग एक साथ वायरलेस नेटवर्क से जुड़ सकेंगे।
नई प्रणाली का व्यावसायिक उपयोग और भविष्य की योजनाएँ
वैज्ञानिकों ने अभी तक इस प्रणाली का परीक्षण प्रयोगशाला में किया है। अगला लक्ष्य इसका प्रोटोटाइप तैयार करना है, जिसे व्यावसायिक स्तर पर उपयोग में लाया जा सके।
5 साल में आएगी नई तकनीक
- फिलहाल, वैज्ञानिकों ने इस प्रणाली का परीक्षण केवल प्रयोगशाला में किया है, लेकिन वे इसे व्यावसायिक उपयोग के लिए एक प्रोटोटाइप के रूप में तैयार करने की योजना बना रहे हैं। यदि सफल रहे, तो वे अगले पाँच वर्षों में इस तकनीक को व्यावसायिक उपकरणों में शामिल करने की उम्मीद करते हैं।
- यह तकनीक बड़े पैमाने पर तेज और विश्वसनीय नेटवर्क मुहैया कराएगी, जिससे इंटरनेट की स्पीड और कनेक्टिविटी में बड़ा बदलाव आएगा।
क्यों है यह तकनीक महत्वपूर्ण?
आज के समय में हर व्यक्ति अधिक से अधिक डेटा का उपयोग कर रहा है। ऑनलाइन स्ट्रीमिंग, क्लाउड गेमिंग, वीडियो कॉलिंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी सेवाओं के लिए फास्ट और स्थिर नेटवर्क की जरूरत बढ़ती जा रही है।
- प्रोफेसर झिक्सिन लियू (Dr Zhixin Liu), जो इस अध्ययन के प्रमुख वैज्ञानिक हैं, का कहना है, “मौजूदा वायरलेस नेटवर्क इतनी तेज स्पीड की बढ़ती मांग को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। उपयोगकर्ता और फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क के बीच के आखिरी कुछ मीटर की कनेक्टिविटी में अड़चनें आ रही हैं।”
समाधान: ज्यादा फ्रीक्वेंसी बैंड का उपयोग
प्रोफेसर लियू बताते हैं कि इसका समाधान यह है कि अधिक फ्रीक्वेंसी बैंड्स का उपयोग करके बैंडविड्थ बढ़ाई जाए। इससे:
- सिग्नल की गुणवत्ता अच्छी रहेगी।
- अलग-अलग फ्रीक्वेंसी बैंड्स तक आसानी से पहुंच मिलेगी।
- उपयोगकर्ताओं को सुपर-फास्ट और स्थिर नेटवर्क मिलेगा।
निष्कर्ष
यह नई वायरलेस तकनीक भविष्य में इंटरनेट की दुनिया को पूरी तरह बदल सकती है। बड़ी स्पीड और विश्वसनीय नेटवर्क से वीडियो स्ट्रीमिंग, ऑनलाइन गेमिंग, रियल-टाइम डेटा ट्रांसफर और IoT डिवाइस के उपयोग में क्रांति आ सकती है।
अगले कुछ वर्षों में, जब यह तकनीक व्यावसायिक रूप से उपलब्ध होगी, तब हम बिना किसी रुकावट के सुपर-फास्ट इंटरनेट का आनंद ले सकेंगे।