कौन नहीं चाहता कि कीटाणु ,रोगाणु जैसे अन्य बीमारियाँ फैलाने वाले सूक्ष्मजीवों से उन्हें मुक्ति मिले ! ये जीवाणु न केवल गंदगी बढ़ाते हैं बल्कि कुछ ऐसी बीमारियाँ भी दे जाते हैं कि इंसानों को उनसे उबरने में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है | हम सभी इनसे बचने के लिए साफ़ सफाई भी रखते हैं और हमेशा इनसे बचने की सीख भी लोगों को देते हैं |
पर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो इनसे बेहद नफरत करते हैं या ये कह लीजिये कि वो इन रोगाणुओं से डरते हैं और पल पल पर साफ़ सफाई करते रहते हैं | ऐसे लोगों को Mysophobia नामक बीमारी का शिकार कहा जाता है |
यदि आप भी इस बीमारी के शिकार हैं तो आप ये जरूर सोच रहे होंगे कि आखिर कौनसी जगह है जहां आप इनसे बच सकते हैं क्योंकि ये पृथ्वी पर लगभग हर जगह मौजूद हैं !|
तो क्या आप ये सोच रहे हैं कि अंतरिक्ष जैसी जगह पर ये शत प्रतिशत मौजूद नहीं होंगे क्योंकि वहाँ हवा तो है नहीं और ब्रह्माण्ड की किरणों की वजह से ये वहाँ जिन्दा नहीं रह सकते | पर ठहरिये ! आप थोड़ा जल्दबाजी कर रहे हैं क्योंकि वैज्ञानिकों ने कई अंतरिक्ष मिशंस द्वारा ये पता लगाया है कि लगभग 250 से भी अधिक कीटाणुओं की प्रजातियाँ और अन्य सूक्ष्मजीव खुले अंतरिक्ष में मौजूद हैं और आसानी से फल फूल भी रहे हैं |
उदाहरण के तौर पर रशियन स्पेस स्टेशन MIR की खिड़कियों पर कुछ अजीब सी परत पायी गयी थी जिसकी वजह से वे कांच की खिड़कियाँ लगभग ख़त्म सी हो रहीं थीं | परीक्षण द्वारा पता लगाया गया कि उस परत में कई बैक्टीरिया और रोगाणु मौजूद थे और उन्ही बैक्टीरिया और रोगाणुओं ने उनके अन्य उपकरणों को भी समय के साथ बर्बाद कर दिया था | इस बात ने वैज्ञानिकों को हैरत में डाल दिया था क्योंकि किसी भी अंतरिक्ष यान को जब अंतरिक्ष में भेजा जाता है तो उसे कई तरह की टॉक्सिक गैसेस से साफ़ किया जाता है ताकि किसी भी तरह के सूक्ष्मजीवी की वजह से अंतरिक्ष यात्रियों को दिक्कत न हो | पर वहाँ पर तो उन्हें कई प्रजातियाँ मिली थीं !!
काफी खोजबीन के बाद वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि अंतरिक्ष में ये रोगाणु कहीं छुपे होते हैं और समय समय पर बाहर आते हैं और कॉस्मिक तरंगें इन्हें ख़त्म करने की वजाय इन्हें काफी तेजी से बढ़ने में मदद करती हैं | यह बात और भी पक्का तब हो गयी जब International Space Station को अंतरिक्ष में कुछ पत्थरों के साथ भेजा गया जिसमें कई तरह के सूक्ष्मजीवी मौजूद थे ताकि पता लगाया जा सके कि ये बैक्टीरिया किस तरह से प्रभावित होते हैं ?! हालांकि कुछ बैक्टीरिया शुरुआत में ही ख़त्म हो गए पर कुछ प्रजातियाँ जैसे OU – 20 बैक्टीरिया लगभग डेढ़ साल तक जीवित रहे | थोड़े समय के बाद वैज्ञानिकों ने उन बैक्टीरिया को अपने परीक्षण के अन्दर ले लिया |