महिलाओं के श्मशान घाट न जाने की वजहें
1- हिंदू रीति-रिवाजों के मुताबिक अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले सदस्यों को अपने बाल मुंडवाने होते हैं. इसलिए महिलाओं को दाह संस्कार में शामिल होने के लिए श्मशान घाट नहीं जाने दिया जाता है.
2- ये तो सभी जानते हैं कि महिलाओं का दिल पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा कोमल और विनम्र होता है. इसलिए कहा जाता है कि अगर कोई श्मशान घाट पर रोता है तो मरनेवाले की आत्मा को शांति नहीं मिलती है.
किसी की मृत्यु हो जाने पर पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं ज्यादा रोती हैं इसलिए उन्हें श्मशान घाट नहीं जाने दिया जाता है.
3- महिलाओं का दिल बेहद कोमल होता है लिहाजा अंतिम संस्कार की क्रिया को देखकर महिलाएं डर जाती हैं. श्मशान घाट में चिता को जलते देख महिलाएं डर ना जाएं इसके लिए उन्हें घर पर ही रहने के लिए कहा जाता है.
4- श्मशान घाट से लौटने के बाद पुरुषों के पैर धुलवाने और स्नान करवाने के लिए महिलाओं का घर पर रहना बेहद जरूरी होता है इसलिए उन्हें अंतिम संस्कार के दौरान श्मशान घाट जाने से मना किया जाता है.
5- कहा जाता है कि श्मशान घाट में हरदम आत्माओं का वास होता है. ऐसे में आत्माओं से महिलाओं को सबसे ज्यादा खतरा होता है क्योंकि बुरी आत्माएं अक्सर महिलाओं को ही अपना निशाना बनाती हैं.
ये है महिलाओं के श्मशान घाट न जाने की वजहें – बहरहाल महिलाओं के श्मशान घाट न जाने के पीछे जो दलील दी गई है वो सभी धार्मिक आस्थाओं और मान्यताओं पर आधारित है. शायद इन्हीं मान्यताओं और परंपराओं का निर्वाह करते हुए आज भी महिलाओं को अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए श्मशान घाट जाने से रोका जाता है.